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मारुति सुजुकी इंडिया ने पहली बार एक कैलेंडर वर्ष में बेचे 20 लाख वाहन
नई दिल्ली, 17 दिसंबर। मारुति सुजुकी इंडिया ने मंगलवार को ऐलान किया कि कैलेंडर ईयर में कंपनी ने पहली बार 20 लाख वाहनों की बिक्री की है।
ऑटोमोबाइल कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन की ग्लोबल ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं में मारुति सुजुकी इंडिया इस मील के पत्थर तक पहुंचने वाली पहली कंपनी बन गई। 20 लाख वाहनों में से लगभग 60 प्रतिशत हरियाणा में और 40 प्रतिशत गुजरात में बनाए गए हैं।
मारुति सुजुकी इंडिया के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर, हिसाशी ताकेउची ने कहा,”प्रोडक्शन का आंकड़ा 20 लाख यूनिट्स तक पहुंचना भारत की मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता को दिखाता है और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
ताकेउची ने कहा, “यह उपलब्धि हमारे आपूर्तिकर्ता और डीलर भागीदारों के साथ मिलकर आर्थिक विकास को गति देने, राष्ट्र निर्माण में सहयोग देने और भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग को आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”
भारत से कुल यात्री वाहन निर्यात में मारुति सुजुकी की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत की है। कंपनी दुनिया भर के लगभग 100 देशों को 17 मॉडल निर्यात करती है।
मारुति सुजुकी के पास भारत में तीन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, जिसमें से दो हरियाणा (गुरुग्राम और मानेसर) और गुजरात (हंसलपुर) में है।
इन तीन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स की संयुक्त वार्षिक उत्पादन क्षमता 23.5 लाख यूनटि्स है।
कंपनी की योजना अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 40 लाख यूनिट्स करने की है। इसके लिए कंपनी हरियाणा के खरखौदा में ग्रीनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग सुविधा स्थापित कर रही है।
कंपनी ने बताया कि खरखौदा साइट पर निर्माण कार्य योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है और 2.50 लाख यूनिट की वार्षिक क्षमता वाला पहला प्लांट 2025 में चालू होने की उम्मीद है।
कंपनी ने कहा कि एक बार पूरी तरह से चालू हो जाने पर खरखौदा सुविधा की क्षमता प्रति वर्ष 1 लाख यूनिट्स होगी।
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भारतीय शेयर बाजार बड़ी तेजी के साथ बंद; निफ्टी 26,000 के पार

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मुंबई, 17 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में बड़ी तेजी के साथ बंद हुआ। बाजार में चौतरफा तेजी देखी गई, जिससे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मुख्य बेंचमार्क निफ्टी 26,000 के पार बंद हुआ।
कारोबार के अंत में सेंसेक्स 388.17 अंक या 0.46 प्रतिशत की बढ़त के साथ 84,950.95 और निफ्टी 103.40 अंक या 0.40 प्रतिशत की तेजी के साथ 26,013.45 पर बंद हुआ।
बाजार की तेजी का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 445.15 अंक या 0.76 प्रतिशत बढ़कर अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 58,962.70 पर बंद हुआ है। दिन के दौरान निफ्टी बैंक ने 59,001.55 का ऑल-टाइम बनाया।
सेंसेक्स पैक में इटरनल (जोमैटो), मारुति सुजुकी, कोटक महिंद्रा बैंक, एमएंडएम, टेक महिंद्रा, टाइटन, एलएंडटी, एचडीएफसी बैंक, एचसीएल टेक, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल, सन फार्मा, एक्सिस बैंक और एसबीआई गेनर्स थे। अल्ट्राटेक सीमेंट, एशियन पेंट्स, बीईएल, टाटा स्टील, आईटीसी, टीसीएस और एचयूएल लूजर्स थे।
सेक्टोरल आधार पर निफ्टी पीएसयू बैंक 1.09 प्रतिशत,निफ्टी प्राइवेट बैंक 0.79 प्रतिशत, निफ्टी इन्फ्रा 0.33 प्रतिशत, निफ्टी सर्विसेज 0.54 प्रतिशत, निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 0.83 प्रतिशत, निफ्टी ऑयल एंड गैस 0.38 प्रतिशत और निफ्टी रियल्टी 0.45 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 441.30 अंक या 0.73 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61,180.50 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 95.10 अंक या 0.52 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,347.60 पर बंद हुआ।
बाजार के जानकारों ने कहा कि बाजार का सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है और इसने 26,000 के स्तर को पार कर दिया है। भारत-अमेरिका के बीच ट्रेंड डील की संभावना और दूसरी तिमाही में मिडकैप कंपनियों के उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन ने निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने का काम किया है।
व्यापार
घरेलू स्तर पर मांग में इजाफे से 2026 में बढ़ेगी भारत के विकास की रफ्तार: रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 17 नवंबर: भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार 2026 में भी तेज रहेगी, इसकी वजह घरेलू स्तर पर मांग बढ़ना है। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
मॉर्गन स्टेनली द्वारा संकलित आंकड़ों में कहा गया है कि मैक्रो इंडिकेटर्स स्थिर बने हुए हैं, जिससे नीति निर्माताओं को मौद्रिक और राजकोषीय दोनों उपायों के माध्यम से विकास को समर्थन देने के लिए पर्याप्त गुंजाइश मिल रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विकास इंजन मुख्य रूप से मजबूत घरेलू खर्च और बढ़ते निजी निवेश से संचालित होगा।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत बढ़ने की उम्मीद के साथ, वित्त वर्ष 2027-28 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
कृषि आय में वृद्धि के कारण ग्रामीण मांग पहले से ही मजबूत है, जबकि कमजोर शहरी मांग, अब नीतिगत समर्थन के साथ फिर से मजबूत हो रही है।
नीतिगत मोर्चे पर मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट कम होकर 5.25 प्रतिशत पर आ जाएगी।
वैश्विक निवेश बैंक ने आगे कहा कि इस कटौती के बाद ब्याज दरों में कमी पर ब्रेक लगता सकता है और कुछ समय के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों के प्रभाव की समीक्षा कर सकता है।
हालांकि, इस दौरान सरकार का फोकस पूंजीगत व्यय और राजकोषीय समेकन पर बने रहने की उम्मीद है, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनी रहेगी।
रिपोर्ट में बताया गया कि ग्लोबल फैक्टर्स जैसे भूराजनीतिक उठापटक, अमेरिकी पॉलिसी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के टैक्स रिफॉर्म से मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिली है और इससे लोगों की खर्च योग्य क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जैसे-जैसे व्यवसायों में विश्वास बढ़ेगा, निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ने की संभावना है, जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और उपभोग में और मजबूती आएगी।
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भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिका से 2.2 एमटीपीए एलपीजी आयात करने के लिए ऐतिहासिक डील की : हरदीप पुरी

नई दिल्ली, 17 नवंबर: भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिका से 2.2 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) एलपीजी आयात करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया है। यह जानकारी केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी की ओर से सोमवार को दी गई।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पुरी ने कहा कि ऐतिहासिक फैसला, दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ रहे एलपीजी मार्केट में से एक अब अमेरिका के लिए खुल रहा है।
मंत्रालय ने कहा, “देश के लोगों को किफायती दामों पर गैस उपलब्ध करने के उद्देश्य से हम अपनी एलपीजी आपूर्ति में विविधीकरण ला रहे हैं।”
पुरी ने कहा,”सरकारी तेल कंपनियों ने 2.2 एमटीपीए एलपीजी आयात करने के लिए एक साल का कॉन्ट्रैक्ट किया है, जो कि हमारे कुल वार्षिक आयात का 10 प्रतिशत है, जिसमें यूएस गल्फ कोस्ट से एलपीजी का आयात किया जाएगा। यह भारतीय बाजार में अमेरिका से एलपीजी आयात के लिए पहला कॉन्ट्रैक्ट है।”
इस समझौते में एलपीजी खरीदारी के लिए मोंट बेल्विउ को बेंचमार्क के रूप में उपयोग किया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल के हमारे अधिकारियों की एक टीम ने अमेरिका का दौरा किया था और पिछले कुछ महीनों में प्रमुख अमेरिकी उत्पादकों के साथ चर्चा की थी और अब यह पूरा हो गया है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां हमारी सभी माताओं और बहनों को सबसे कम वैश्विक कीमतों पर रसोई गैस उपलब्ध करा रही हैं।
मंत्री ने कहा, “पिछले साल वैश्विक कीमतों में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के बावजूद, प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि हमारे उज्ज्वला उपभोक्ताओं को केवल 500-550 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर मिलता रहे, जबकि सिलेंडर की वास्तविक कीमत 1,100 रुपए से अधिक थी।”
उन्होंने कहा, “हमारी माताओं और बहनों को बढ़ती अंतरराष्ट्रीय रसोई गैस कीमतों का बोझ महसूस न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने पिछले साल 40,000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए।”
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