व्यापार
‘म्यूटेंट’ कोविड-19 के डर से कई यूरोपीय देशों ने ब्रिटेन की उड़ानों पर लगाई रोक

नोवल कोरोनावायरस के एक अत्यधिक संक्रामक ‘म्यूटेंट’ से बढ़े तनाव के बीच कई यूरोपीय देशों ने ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले ने उन लोगों में हलचल और भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है, जो इंग्लिश चैनल के दोनों ओर परिवारों और दोस्तों के साथ आगामी क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां बिताने की योजना बना रहे थे।
लंदन के इवनिंग स्टैंडर्ड अखबार ने रविवार को एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 के कारण लंदन और ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में क्रिसमस पर नए टियर फोर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
नीदरलैंड्स उड़ानों पर प्रतिबंध की घोषणा करने वाला पहला प्रमुख यूरोपीय देश बन गया, जिसके बाद बेल्जियम ने चैनल-टनल का उपयोग करके यूके जाने वाली ट्रेनों को रोक दिया।
ऑस्ट्रिया और इटली ने भी इसका पालन किया।
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही फ्रांस और जर्मनी भी ब्रिटेन के लिए आने व जाने वाली उड़ानों को रोक सकते हैं।
ब्रिटेन के पड़ोसी आयरलैंड से भी उड़ानों को प्रतिबंधित करने की उम्मीद है।
यूरोस्टार ने घोषणा की कि वह सोमवार से लंदन, ब्रसेल्स और एम्स्टर्डम के बीच ट्रेनों को रद्द कर रहा है, लेकिन ट्रेन ऑपरेटर ने रविवार को कहा कि लंदन-पेरिस मार्ग पर ट्रेनों का संचालन जारी रहा।
स्कॉटिश फस्र्ट मिनिस्टर निकोला स्टर्जन ने प्रभावी रूप से इंग्लैंड से लगे सीमा को बंद कर दिया और घोषणा की कि लोग स्कॉटलैंड में प्रवेश या इससे बाहर नहीं जा सकते।
स्कॉटलैंड की पुलिस ने कहा कि उन्होंने इंग्लिश बॉर्डर पर तैनात अधिकारियों की संख्या दोगुनी कर दी है।
गौरतलब है कि यह हलचल 19 दिसंबर को डाउनिंग स्ट्रीट वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शुरू हुई। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने वायरस के म्यूटेंट तनाव की चेतावनी दी, जो बहुत जल्दी से लंदन और इंग्लैंड के दक्षिण-पूर्व में फैल गया है।
लंदन के लिए नए टियर फोर प्रतिबंध की घोषणा के कारण लंदन में प्रमुख रेल टर्मिनलों में लोगों की भीड़ उमड़ गई। हजारों लोग क्रिसमस पर होने वाले लॉकडाउन से बचने के लिए ब्रिटेन की राजधानी से भागने लगे।
जॉनसन ने कहा कि क्रिसमस के आसपास पांच दिनों के दौरान तीन परिवारों को मिलने की अनुमति देने की पिछली योजना को रद्द करना होगा।
लोगों को टीयर फोर क्षेत्र में यात्रा नहीं करने की सलाह दी गई।
इवनिंग स्टैंडर्ड अखबार ने बताया कि ब्रिटिश हेल्थ सेक्रेटरी मैट हैनकॉक ने रविवार को उन लोगों की आलोचना की, जो नए टियर फोर लॉकडाउन से पहले लंदन से भाग गए।
टियर वन, टू और थ्री में रहने वाले लोगों के लिए तीन घरों के सदस्यों से मिलने की अनुमति दी गई है, हालांकि यह नियम अब सिर्फ क्रिसमस वाले दिन तक सीमित रहेगा, जबकि टियर फोर में रहने वाले लोगों को सपोर्ट बब्बल्स के अलावा अपने खुद के घर से बाहर किसी से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।
जॉनसन के अनुसार, वायरस की जिस नई म्यूटेंट की पहचान हुई है वह 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक हो सकती है।
हैनकॉक ने रविवार को कहा कि नया म्यूटेंट ब्रिटेन में ‘नियंत्रण से बाहर’ है। ऐसे में ब्रिटेन वासियों से खास कर टियर फोर में रहने वाले लोगों से आग्रह है कि वे उचित व्यवहार करें, क्योंकि उनके पास पहले से ही एक वायरस है।
सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पैट्रिक वालेंस ने कहा कि नया म्यूटेंट पहली बार सितंबर के मध्य में लंदन और केंट में देखा गया था
वालेंस ने कहा, “दिसंबर तक यह नया म्यूटेंट लंदन में ‘प्रमुख म्यूटेंट’ बन गया।”
वालेंस के अनुसार, वहीं 9 दिसंबर को खत्म हो रहे सप्ताह तक, नए म्यूटेंट का लंदन में 62 प्रतिशत, पूर्वी इंग्लैंड में 59 प्रतिशत और दक्षिण पूर्व में 43 प्रतिशत प्रवेश हो चुका था।
ब्रिटेन में अब तक इस साल की शुरुआत में कुल 2,046,161 कोरोनावायरस मामलें दर्ज किए गए हैं, जबकि मृत्यु का आंकड़ा 67,503 हो गया है।
व्यापार
हरे निशान में खुला शेयर बाजार, आईटी और बैंकिंग शेयरों में तेजी

मुंबई, 8 अप्रैल। भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में खुले। बाजार में चौतरफा खरीदारी देखी जा रही है। सुबह 9:42 पर सेंसेक्स 982 अंक या 1.34 प्रतिशत की तेजी के साथ 74,120 और निफ्टी 303 अंक या 1.37 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,465 पर था।
तेजी का नेतृत्व सरकारी बैंकिंग और आईटी शेयरों द्वारा किया जा रहा है। निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 2.2 प्रतिशत और निफ्टी आईटी इंडेक्स 1.80 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में तेजी के साथ कारोबार हो रहा है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 732 अंक या 1.50 प्रतिशत की तेजी के साथ 49,563 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 285 अंक या 1.89 प्रतिशत की बढ़त के साथ 15,352 पर था।
करीब सभी सूचकांक हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। पीएसयू बैंक और आईटी के अलावा मेटल, रियल्टी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इंफ्रा में सबसे ज्यादा तेजी थी।
टाइटन, अदाणी पोर्ट्स, टाटा मोटर्स, बजाज फिनसर्व, एसबीआई, एक्सिस बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, टाटा स्टील, इंडसइंड बैंक, जोमैटो, बजाज फाइनेंस और एनटीपीसी टॉप गेनर्स थे। टीसीएस एकमात्र शेयर था, जो कि शुरुआती कारोबार में लाल निशान में था।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार, वीके विजयकुमार ने कहा, “दुनिया भर के बाजारों में जो अनिश्चितता और अस्थिरता है, वह कुछ और समय तक बनी रहेगी। वैश्विक स्तर पर चल रही उठापठक से कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकले हैं। पहला, व्यापार युद्ध अमेरिका और चीन तक ही सीमित रहने वाला है। यूरोपीय संघ और जापान सहित अन्य देशों ने बातचीत का विकल्प चुना है। भारत ने पहले ही अमेरिका के साथ बीटीए पर बातचीत शुरू कर दी है। दूसरा, अमेरिका में मंदी का जोखिम बढ़ गया है। तीसरा, चीन की अर्थव्यवस्था सबसे बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना है।”
उन्होंने कहा कि निवेशकों को इंतजार करना चाहिए, क्योंकि स्पष्टता आने में समय लगेगा।
प्रमुख एशियाई बाजारों में खरीदारी देखी गई। टोक्यो, शंघाई, हांगकांग और सियोल हरे निशान पर कारोबार कर रहे थे। मंदी की आशंका के चलते सोमवार को अमेरिकी बाजार नकारात्मक बंद हुए।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार छठे सत्र में 7 अप्रैल को शुद्ध विक्रेता बने रहे, जिन्होंने 9,040 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) शुद्ध खरीदार बने रहे, जिन्होंने 12,122 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश किया।
राजनीति
पीएम मुद्रा योजना में 10 वर्षों में बांटे गए 32 लाख करोड़ रुपए से अधिक के लोन

नई दिल्ली, 7 अप्रैल। पीएम मुद्रा योजना के तहत 10 वर्षों में 32.61 लाख करोड़ रुपए वैल्यू के 52 करोड़ से अधिक लोन दिए गए हैं। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई।
पीएम मुद्रा योजना 8 अप्रैल, 2015 को लॉन्च हुई थी और मंगलवार को इस योजना को 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना से छोटे शहरों और गांवों तक कारोबार को बढ़ाने में मदद मिली है। इससे पहली बार कारोबार करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिला है।
एसकेओसीएच की “आउटकम्स ऑफ मोदीनॉमिक्स 2014-24″ रिपोर्ट के अनुसार, ”2014 से हर साल औसतन कम से कम 5.14 करोड़ व्यक्ति-वर्ष रोजगार सृजित हुए हैं, जिसमें अकेले पीएमएमवाई ने 2014 से प्रति वर्ष औसतन 2.52 करोड़ स्थिर और टिकाऊ रोजगार जोड़े हैं। इस परिवर्तन का एक उदाहरण जम्मू-कश्मीर है, इसे मुद्रा योजना के तहत अत्यधिक लाभ हुआ है और 20,72,922 मुद्रा लोन स्वीकृत किए गए हैं।”
वित्त मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, ”इस योजना से महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिली और 70 प्रतिशत से अधिक लोन महिला उद्यमियों द्वारा लिए गए हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ी है और लैंगिक समानता में योगदान मिला है।”
पीएम मुद्रा योजना के तहत पिछले नौ वर्षों में प्रति महिला दिए जाने वाले लोन की राशि 13 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 62,679 रुपए हो गई। वहीं, प्रति महिला वृद्धिशील जमा राशि 14 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 95,269 रुपए हो गई।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की सराहना की है और कहा कि यह योजना, जो महिला उद्यमिता पर विशेष ध्यान देने के साथ जमानत-मुक्त लोन प्रदान करती है, ने महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई की संख्या को बढ़ाने में मदद की है, जो अब 28 लाख से अधिक हो गए हैं।
एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में मुद्रा योजना ने 52 करोड़ से अधिक लोन खाते खोलने में मदद की है, जो उद्यमशीलता गतिविधि में भारी उछाल को दर्शाता है।
पीएम मुद्रा योजना के तहत, किशोर लोन (50,000 से 5 लाख रुपए), जो बढ़ते व्यवसायों का समर्थन करते हैं, वित्त वर्ष 2016 में 5.9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 44.7 प्रतिशत हो गए हैं, जो छोटे उद्योगों की वास्तविक प्रगति को दर्शाता है।
तरुण श्रेणी (5 लाख से 10 लाख रुपए) भी तेजी से आगे बढ़ रही है, जो साबित करती है कि मुद्रा केवल व्यवसाय शुरू करने के बारे में नहीं है, बल्कि उन्हें बढ़ाने में मदद करती है।
व्यापार
एक्सपर्ट्स की निवेशकों को सलाह छोटी अवधि की अनिश्चितताओं के बीच जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें

नई दिल्ली, 7 अप्रैल। वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट पर मार्केट एक्सपर्ट्स ने सोमवार को कहा कि अस्थिरता के बीच लंबी अवधि के नजरिए से ही निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
अमेरिका की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने के कारण वैश्विक बाजारों के साथ भारतीय बाजारों में भी गिरावट देखने को मिल रही है।
निवेशय के संस्थापक और स्मॉलकेस मैनेजर अरविंद कोठारी के अनुसार, घबराना कभी भी कोई रणनीति नहीं होती है और ऐसे बाजार में बुनियादी बातों पर टिके रहना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने आगे कहा, “हम निवेशकों से शांत और केंद्रित रहने का आग्रह करते हैं, और छोटी अवधि की अनिश्चितताओं के बीच जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। हालांकि यह निर्धारित करना कठिन है कि कौन से क्षेत्र पहले उबरेंगे, लेकिन एफएमसीजी और उपभोग जैसे घरेलू-केंद्रित क्षेत्र निकट भविष्य में बेहतर स्थिति में दिखाई देते हैं।
कोठारी के मुताबिक, निर्यात आधारित या वैश्विक रूप से जुड़े क्षेत्रों में रिकवरी में समय लग सकता है। जैसे-जैसे नीतियों में स्पष्टता आती है, मजबूत व्यवसाय रिकवरी करेंगे और लंबी अवधि में वैल्यू क्रिएट करेंगे।
मिराए एसेट कैपिटल मार्केट्स के मुख्य रणनीति अधिकारी और निदेशक मनीष जैन ने कहा कि अगर निफ्टी की ईपीएस में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आती है तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक 20,000 के नीचे जा सकता है। इस कारण से आने वाली तिमाही में कंपनियों की आय पर काफी करीबी से निगाह रखनी होगी।
भारत की जीडीपी ग्रोथ लंबी अवधि में उच्च स्तर पर बनी रहेगी। वित्त वर्ष 25 में देश की जीडीपी के 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
जैन ने आगे कहा, “भारत का जीडीपी-टू-डेट रेश्यो वित्त वर्ष 2024-25 से लेकर वित्त वर्ष 2030-31 के बीच 5.1 प्रतिशत गिरने की संभावना है। ऐसे में एफपीआई के लिए भारत एक अच्छा स्थान होगा।”
क्वांटेस रिसर्च के स्मॉलकेस मैनेजर और संस्थापक कार्तिक जोनागदला ने कहा, “हमारा मानना है कि निजी बैंक, एफएमसीजी, ओएमसी और पेंट्स क्षेत्र रिकवरी में अग्रणी रहेंगे, जबकि आईटी क्षेत्र के कमजोर रहने की उम्मीद है।”
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