महाराष्ट्र
महाराष्ट्र कैबिनेट की ‘शक्ति कानून’ को मंज़ूरी, दुष्कर्म करने वालों को होगी 21 दिन में फांसी

महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में ‘शक्ति कानून’ को मंजूरी दे दी गई है। इसे अब आगामी विधानसभा सत्र में टेबल कर इस पर चर्चा कर इसे क़ानून का स्वरूप दिया जाएगा। आंध्र प्रदेश के दिशा कानून की तर्ज पर शक्ति कानून ड्राफ़्ट बनाया गया है। महिला और बच्चों पर होने वाले अत्याचार को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र सरकार की यह पहल है। इस कानून के तहत 21 दिनों के अंदर महिला और बच्चों पर होने वाले अत्याचार पर कारवाई होगी, साथ ही और भी कठोर नियमों का प्रावधान है।
बेहद गंभीर और घृणित अपराध के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। ऐसे बेहद गंभीर अपराध की जांच के लिए 15 दिन की समय सीमा रखी गई है। योग्य कारण का हवाला देते हुए जांच के लिए सात दिन बढ़ाए जाने का प्रावधान इसमें रखा गया है। ऐसे घृणित अपराधों में चार्जशीट दाखिल होने के बाद कोर्ट की सुनवाई प्रतिदिन होगी और सुनवाई 30 दिनों में पूरी हो जाएगी। कोर्ट से सजा सुनाए जाने के 45 दिन के भीतर फाइल पूरी कर ली जाएगी/बंद कर दी जाएगी, जिसके लिए पहले 6 महीने की कालावधी थी।
आंध्र प्रदेश के दिशा एक्ट से प्रेरणा लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने इस एक्ट का नाम प्रस्तावित किया है, जिसका नाम स्पेशल कोर्ट एंड मशीनरी फोर द इम्पलेमेंटेशन ऑफ शक्ति एक्ट 2020 है। शक्ति एक्ट के अंतर्गत यह प्रस्ताव दिया गया है कि हर जिले में स्पेशल कोर्ट, विशेष पुलिस टीम होगी। पीड़ित महिला और बच्चों की सहूलियत और सुविधा के लिए विशेष संस्था का गठन किया जाएगा. एसिड अटैक के मामलों में धारा गैर जमानती होगी, जिसमें सजा का प्रावधान 10 साल से कम का नहीं होगा।
इसके अतिरिक्त मौत की सजा का प्रावधान होगा और पीड़िता को आर्थिक मुआवजा देने का प्रावधान होगा. जुर्माना 100 लाख रुपये तक का होगा, जो कि पीड़िता के प्लास्टिक सर्जरी और चेहरे के पुनर्निर्माण के लिए होगा। इस प्रस्ताव में गैंग रेप और रेप जैसे अपराधों को भी जोड़ा गया है, जिसमें 16 साल से कम उम्र की महिला के साथ रेप के मामले में 12 साल की सजा का प्रावधान है।
सोशल मीडिया सहित संचार के किसी भी माध्यम द्वारा किसी महिला के साथ किया गया दुर्व्यवहार या शोषण के लिए 2 साल की सजा का प्रावधान है और एक लाख रुपये का जुर्माना। यहां तक कि सरकारी कर्मचारी अगर जांच में सहयोग नहीं करता, तो उसके लिए भी 6 महीने की सजा का प्रावधान है, जिसे 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। आईपीसी की धारा 354 में सेक्शन ‘E’ को जोड़ा जाएगा, जिसके अंतर्गत सोशल मीडिया, टेलीफोन या अन्य डिजिटल माध्यम के द्वारा प्रताड़ना, आपत्तिजनक टिप्पणी और धमकी के मामलों में केस दर्ज किया जाएगा।
शक्ति क़ानून पर कैबिनेट की मुहर लगाने के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोंमती ठाकुर ने कहा कि महा विकास अघाड़ी की सरकार केवल बोलती नहीं, कर के भी दिखाती है। उन्होंने इस क़ानून को महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कानून बताया है।
महाराष्ट्र
मुंबई पुलिस आधुनिक प्रयोगशालाओं और प्रौद्योगिकी से लैस है: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: साइबर अपराध और साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए मुंबई पुलिस ने खुद को आधुनिक तकनीक से लैस कर लिया है। तदनुसार, मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों एक फोरेंसिक लैब, एक विशेष वैन, एक इंटरसेप्ट वैन और अन्य आधुनिक उपकरणों सहित तीन साइबर लैब का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी और ऑनलाइन धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को आधुनिक बनाया गया है और पुलिस साइबर धोखाधड़ी से लेकर अन्य अपराधों को सुलझाने के लिए इन आधुनिक उपकरणों का उपयोग करेगी।
फडणवीस ने कहा कि जिस तरह से आज लोगों को ऑनलाइन बेवकूफ बनाकर डिजिटल गिरफ्तारी जैसी घटनाएं हो रही हैं, उसी तरह पुलिस ने इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जांच के तरीकों से लेकर अन्य चीजों में महत्वपूर्ण क्रांति ला दी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सहायता के लिए पुलिस थानों में विशेष सहायता कक्ष भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें महिलाओं को तत्काल सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए एक विशेष वैन भी तैयार की गई है ताकि उन्हें तुरंत मदद मिल सके। इस कार्यक्रम में मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पनसालकर, विशेष पुलिस आयुक्त देविन भारती, संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बॉलीवुड
कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाई कोर्ट से एफआईआर रद्द करने की लगाई गुहार

मुंबई, 7 अप्रैल। कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने अदालत से मुंबई पुलिस के उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई है।
कुणाल कामरा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार के मौलिक अधिकार के आधार पर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस एसवी कोटवाल और जस्टिस एसएम मोदक की खंडपीठ करेगी।
बता दें, मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ तीन अलग-अलग मामले दर्ज हैं। इन तीनों मामलों में महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों से जीरो एफआईआर के तहत शिकायतें मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर की गई हैं। यह एफआईआर बुलढाना, नासिक और ठाणे जिलों से दर्ज की गई थीं और अब इनकी जांच मुंबई के खार पुलिस स्टेशन द्वारा की जा रही है।
मुंबई पुलिस के अनुसार कामरा पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। खार पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है। इस संबंध में कुणाल कामरा को तीन बार पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है, लेकिन वह पुलिस स्टेशन में उपस्थित नहीं हुए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शिकायत में दावा किया गया कि कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए एक पैरोडी गीत गाया था। युवा सेना के सदस्य रूपेश मिश्रा ने यह शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज किया। पुलिस ने पहले ही कामरा पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 356(2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बगैर उन पर टिप्पणी करने वाले कामरा को तीन बार समन जारी हो चुका है। हालांकि, वह पेश नहीं हुए। मुंबई के खार थाने से मिली जानकारी के मुताबिक, दूसरा समन भेजे जाने के बाद से कामरा पुलिस के संपर्क में नहीं हैं। कुणाल को पहला समन 25 मार्च को जारी हुआ था, जिसे लेकर कुणाल ने 2 अप्रैल तक का समय मांगा था, लेकिन पुलिस ने मोहलत देने से इनकार करते हुए उन्हें 27 मार्च को दूसरा समन जारी किया और 31 मार्च को खार पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा।
खार पुलिस हैबिटेट स्टूडियो से जुड़े कई लोगों से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज कर चुकी है। मामले से जुड़े अन्य लोगों से पूछताछ जारी है।
महाराष्ट्र
बीर मक्का मस्जिद बम विस्फोट यूएपीए का कार्यान्वयन

मुंबई: पुलिस ने बीर अर्द मसला मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में यूएपीए एक्ट लागू कर दिया है। 30 मार्च की मध्य रात्रि को विजय अगोन और श्री राम अशोक ने मस्जिद में बम रखा और उसमें विस्फोट कर दिया। यह विस्फोट जेटलाइनर और डेटोनेटर की मदद से किया गया। इस मामले में पुलिस ने पहले आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन उसके बाद मुस्लिम संगठनों ने आरोपियों पर यूएपीए एक्ट और एनएसए के तहत मुकदमा चलाने की मांग की थी।
बीड विस्फोट की जांच स्थानीय अपराध शाखा द्वारा की गई थी, जिसमें अपराध शाखा ने पाया कि विस्फोट बहुत शक्तिशाली था और इसमें जेटलाइनर छड़ों के साथ डेटोनेटर का भी इस्तेमाल किया गया था। इसी आधार पर क्राइम ब्रांच की सिफारिश पर यूएपीए एक्ट लागू किया गया है। पुलिस ने दोनों आतंकवादियों के खिलाफ यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत मामला दर्ज किया है। बीड विस्फोट के बाद से महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) पुलिस के साथ मिलकर इसकी जांच कर रहा है। एटीएस इस मामले में आतंकवादियों से संबंध और वित्तपोषण की जांच कर रही है, जिसमें यह भी शामिल है कि आरोपियों को जेटलाइनर की छड़ें कैसे उपलब्ध कराई गईं और बिना लाइसेंस या परमिट के उन्हें जेटलाइनर की छड़ें किसने उपलब्ध कराईं। इसके साथ ही यह भी पता लगाने के लिए जांच जारी है कि इस मामले में और कितने लोग और साजिशकर्ता शामिल हैं।
एटीएस ने कहा कि बीड बम विस्फोट के हर पहलू और बिंदु पर जांच जारी है, हालांकि, एटीएस ने अब तक इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें आरोपियों के परिवार के सदस्य और शुभचिंतक के साथ-साथ उनके दोस्त और परिचित भी शामिल हैं। एटीएस बीड मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में विस्फोट से पहले की साजिश को उजागर करने की कोशिश कर रही है क्योंकि विस्फोट से पहले आरोपी विजय अगोन ने एक वीडियो जारी कर स्टेटस पर अपलोड कर मुसलमानों को मस्जिद हटाने की धमकी दी थी और उसके बाद ही यहां विस्फोट हुआ था। स्थानीय पुलिस ने एक दिन पहले ही आरोपियों के खिलाफ धार्मिक नफरत फैलाने का मामला भी दर्ज किया था और अगले दिन मस्जिद में विस्फोट कर दिया गया।
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