राजनीति
लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर मेडिकल यूनिवर्सिटी की नई कुलपति बनीं
लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) माधुरी कानितकर नासिक स्थित महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (एमयूएचएस) की कुलपति नियुक्त की गई हैं। वह रक्षा मंत्रालय के तहत इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (मेडिकल) की डिप्टी चीफ हैं। उनकी नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा मंगलवार को की गई। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, जो राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं, ने घोषणा की कि लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर की नियुक्ति पांच साल के लिए हुई है। वह 65 वर्ष की उम्र तक अपनी सेवाएं देंगी।
60 वर्षीय माधुरी कानितकर ने पुणे के आम्र्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की और विश्वविद्यालय में शीर्ष स्थान हासिल किया और सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर के लिए राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक हासिल किया है।
वर्ष 1982 में आर्मी मेडिकल कोर में कमीशन प्राप्त, लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर ने बाद में बाल रोग में एमडी और डीएनबी प्राप्त किया और जनवरी 2017 से मई 2019 तक अपने अल्मा मेटर, एएफएमसी के डीन और डिप्टी कमांडेंट के रूप में कार्य किया। उन्हें वीएसएम से सम्मानित किया गया है। उन्हें अध्यापन और शोध का 22 वर्षो का अनुभव है।
लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी ने डॉ. दिलीप म्हैसेकर का स्थान लिया है, जिनका कार्यकाल इस साल फरवरी में समाप्त हुआ था। वह सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. नितिन कर्मलकर से अपना नया कार्यभार संभालेंगी, जिनके पास एमयूएचएस वीसी का अतिरिक्त प्रभार है।
संयोग से, उनके पति, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कानितकर, भारतीय सेना के क्वार्टरमास्टर जनरल के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। वे भारतीय सशस्त्र बलों में पहले थ्री-स्टार जनरल कपल हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल कानितकर के नाम की सिफारिश ओडिशा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश कल्पेश झावेरी की अध्यक्षता वाले एक पैनल ने की थी। इसमें एम्स के निदेशक प्रो. रणदीप गुलेरिया और सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग, महाराष्ट्र सरकार, सौरभ विजय शामिल थे।
राजनीति
हम सत्र में चर्चा से भागने वाले लोग नहीं : भाजपा विधायक राम कदम

मुंबई, 4 दिसंबर: महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र 8 दिसंबर से 14 दिसंबर तक चलने वाला है। विपक्ष सरकार पर सत्र को छोटा रखने का आरोप लगा रहा है। वहीं महायुति सरकार सत्र के लिए पर्याप्त समय होने की बात कर रही है। इस बीच भाजपा विधायक राम कदम ने गुरुवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि हम सत्र में चर्चा से भागने वाले लोग नहीं हैं।
भाजपा विधायक राम कदम ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “जब विपक्ष सत्ता में था, तो वे सिर्फ 2-3 दिन के लिए ही विधानसभा सत्र और विधानसभा परिषद के सत्र रखते थे। हमने इसे पूरी तरह से 8 दिन के लिए रखा है और बीच की सभी छुट्टियां हटा दी हैं; हमारा सत्र रविवार को भी है। हम ऐसे लोग नहीं हैं जो सेशन से भागते हैं, बल्कि चलाते हैं। लेकिन जैसा कि आप देख सकते हैं, महाराष्ट्र में चुनाव चल रहे हैं और हर विधायक कैंपेन में बिज़ी है, तो ऐसे में सेशन रखने का क्या फ़ायदा जब विधायक आएंगे ही नहीं?”
उन्होंने कहा, “विपक्ष लोगों के हितों को लेकर प्रश्न पूछे, उसका जवाब हम देंगे। पर सत्र को बाधित करने की नौटंकी महाराष्ट्र का विपक्ष न करे। विधानसभा कानून बनाने की एक जगह है।”
भाजपा विधायक ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, “श्रीराम मंदिर अयोध्या में बनने जा रहा था। जिस मंदिर पर सवाल उठाने वाले दल और मंदिर बनने से जिसे सबसे ज्यादा दुख हुआ, उस गांधी परिवार की गोद में उद्धव ठाकरे बैठे हुए हैं। अब वो मंदिरों की चर्चा करेंगे।”
उन्होंने कहा, “अभी महाराष्ट्र की जनता नहीं भूली कि उन्होंने दारू के ठेके चालू किए थे और मंदिरों को ताला लगाया था। उनके सांसद जब चुनकर आए, तो पाकिस्तान के झंडे लहरा रहे थे और पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाए जा रहे थे, तो उनका हिंदुत्व कहां था? स्वर्गीय बाला साहेब के हिंदुत्व को त्यागते नहीं तो शायद बद से बदतर हालत उनकी नहीं होती।”
अंतरराष्ट्रीय समाचार
संयुक्त राष्ट्र ने दिया दिव्यांग लोगों के प्रति सोच बदलने पर जोर

संयुक्त राष्ट्र, 4 दिसंबर: संयुक्त राष्ट्र के एक वैश्विक प्रतिनिधि ने दिव्यांग लोगों को सशक्त बनाने के लिए सोच बदलने की जरूरत पर जोर दिया।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाइल्स ड्यूली ने कहा कि तीन साल तक दिव्यांग व्यक्तियों के यूएन ग्लोबल एडवोकेट के तौर पर उनके अधिकारों की वकालत करने के बाद भी उन्हें लगता है कि वे उनकी आवाज दुनिया तक नहीं पहुंचा पाए। यह उनके कार्यकाल का अंतिम दिन था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल डे ऑफ़ पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज पर उन्होंने कहा कि दिव्यांग लोगों के प्रति सोच की वजह से सिस्टम फेल हो रहा है। दिव्यांगों को आज भी बोझ की तरह देखा जाता है, जो एक बड़ी समस्या है।
डूली, जिन्होंने अफगानिस्तान में तीन अंग खो दिए थे, बोले कि दिव्यांगता को “प्रेरणा की कहानी” बनाकर पेश करना गलत है।
अफगानिस्तान में अपने तीन हाथ-पैर खोने वाले ड्यूली ने कहा, “जब भी मुझे संयुक्त राष्ट्र या किसी संस्था में बोलने बुलाया जाता है, लोग कहते हैं कि एक प्रेरक भाषण दीजिए। लेकिन मेरा काम लोगों को प्रेरित करना नहीं है। मेरा काम सच्चाई बताना है और सच्चाई यह है कि दिव्यांग लोगों के हालात जमीन पर आज भी नहीं बदले। मुश्किलों में हमेशा वही लोग पीछे छूट जाते हैं जो पहले से समाज में हाशिये पर हैं।”
उन्होंने कहा कि खिलाड़ी या पर्वतारोहियों की प्रेरक कहानियाँ अच्छी लगती हैं, पर वे ज्यादा लोगों की हकीकत नहीं हैं। वास्तविकता यह है कि ऐसे लोग तभी आगे बढ़ पाते हैं जब उनके सामने की रुकावटें हटाई जाती हैं।
डूली ने कहा कि हमें दिव्यांगों को न तो दया का पात्र समझना चाहिए और न ही उन्हें प्रेरणा के तौर पर भी देखना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमें सिर्फ यह समझना है कि समाज ने ही उनके रास्ते में बाधाएं खड़ी की हैं। हमारा काम है इन बाधाओं को हटाना और उन्हें खुद को सशक्त करने का मौका देना।”
इंटरनेशनल डे के लिए एक मैसेज में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने संदेश दिया कि दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में पूरी तरह शामिल करना बहुत ज़रूरी है।
उन्होंने कहा, “दिव्यांग लोग समाज में बदलाव ला रहे हैं, इनोवेशन को लीड कर रहे हैं, नीतियों को प्रभावित कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। परंतु ज्यादातर समय उन्हें फैसले लेने की जगह पर शामिल ही नहीं किया जाता। दिव्यांग व्यक्तियों को शामिल किए बिना स्थायी विकास संभव नहीं।”
गुटेरेस ने बताया कि आज भी भेदभाव, गरीबी और असुलभ सेवाएं जैसी कई रुकावटें दुनिया के एक अरब से ज्यादा दिव्यांग लोगों की भागीदारी रोकती हैं।
राजनीति
महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से मांगी तात्कालिक एनडीआरएफ सहायता, जून-सितंबर 2025 की बाढ़ को बताया बड़ी तबाही

मुंबई, 4 दिसंबर: महाराष्ट्र सरकार ने जून से सितंबर 2025 के बीच आई बाढ़ से हुई भारी तबाही को लेकर गृह मंत्रालय को विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। राज्य ने स्पष्ट कहा है कि इस प्राकृतिक आपदा ने मराठवाड़ा, कोकण, विदर्भ और पश्चिमी महाराष्ट्र में ऐसा विनाश मचाया है, जिसकी भरपाई राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से संभव नहीं है।
सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से तत्काल वित्तीय सहायता की मांग की है ताकि राहत, पुनर्वास और आवश्यक सार्वजनिक ढांचे की बहाली में तेजी लाई जा सके।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, “राज्य ने सभी प्रभावित परिवारों, किसानों और सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान का पूरा आकलन कर केंद्र को ज्ञापन भेज दिया है। हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द एनडीआरएफ की सहायता स्वीकृत करेगी, ताकि लोगों के जीवन को पटरी पर लाया जा सके।”
सरकार द्वारा भेजे गए ज्ञापन के अनुसार, जून-सितंबर 2025 के बीच महाराष्ट्र में लगातार, अनियमित और बादल फटने जैसे हालात वाली बारिश के दौर ने अचानक आई बाढ़, नदी तटबंध टूटने, लंबे समय तक पानी भराव और जलभराव जैसी स्थितियां पैदा कर दीं।
इनसे कृषि, पशुधन, मकान, सड़कें और पुल, बिजली आपूर्ति, पेयजल व स्वच्छता ढांचा, सामुदायिक व सार्वजनिक संस्थान सभी बुरी तरह प्रभावित हुए।
बाढ़ और पानी भराव से जान-माल का भारी नुकसान हुआ, हजारों लोग विस्थापित हुए और कई जिलों में जरूरी सेवाएं हफ्तों ठप रहीं।
केंद्र सरकार के निर्देश पर अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) ने 3 से 5 नवंबर 2025 के बीच प्रभावित जिलों का दौरा किया। राज्य सरकार ने इस दौरे के दौरान पूरी सुविधा और सहयोग प्रदान किया।
मुख्य सचिव की समीक्षा के बाद सभी विभागों ने जिला-स्तरीय आंकड़ों का गहन सत्यापन किया ताकि केंद्र को भेजा गया डेटा पूरी तरह सटीक, पूर्ण और भारत सरकार के मानकों के अनुरूप हो।
प्रमुख सचिव (राहत एवं पुनर्वास) विनीता वैद सिंघल ने अपने पत्र में कहा कि ज्ञापन में सभी विभागों के सत्यापित आंकड़ों के आधार पर राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण की आवश्यकताओं को शामिल किया गया है।
राज्य ने गृह मंत्रालय से अनुरोध किया है कि ज्ञापन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए तत्काल प्रक्रिया में लाया जाए। सरकार का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाना और सार्वजनिक ढांचे की मरम्मत अत्यंत जरूरी है।
महाराष्ट्र सरकार ने आशा जताई है कि केंद्र स्थापित नियमों के अनुसार जल्द से जल्द एनडीआरएफ सहायता स्वीकृत करेगा ताकि प्रभावित जिलों में सामान्य स्थिति बहाल की जा सके।
सरकार ने आईएमसीटी के मूल्यांकन और सभी विभागों के सहयोग के लिए आभार भी व्यक्त किया।
महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि वह बाढ़ से तबाह हुए लोगों के जीवन को फिर से संवारने के लिए प्रतिबद्ध है और हर संभव कदम उठा रही है।
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