राजनीति
लोकसभा चुनाव 2024 परिणाम: दिल्ली और पंजाब में AAP के लिए दोहरी मार
भारतीय चुनावी इतिहास के सबसे प्रतीक्षित परिणाम ने अंततः यह स्थापित कर दिया है कि मतदाताओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता। मतदाताओं ने यह भी मजबूत संकेत दिया है कि अल्पावधि में वे एक प्रकार के राजनीतिक गठन की ओर झुक सकते हैं लेकिन अंत में वास्तविक मुद्दे ही किसी नेता और राजनीतिक दलों के भाग्य का निर्धारण करते हैं।
यह परिणाम न केवल प्रधानमंत्री बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के लिए भी एक निजी झटका है। AAP की बयानबाजी औंधे मुंह गिरी। एक बार फिर आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपना खाता खोलने में नाकाम रही है। यह 2014 में हुआ था, और 2019 में भी। यह अजीब है कि 2019 में, यह कांग्रेस थी जो 22% वोटों के साथ नंबर दो पार्टी थी और AAP 18% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी। जब आप ने दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, तब यह चर्चा थी कि क्या वे मिलकर कोई बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। आप नेतृत्व इस विश्वास में था कि वह भाजपा से दो से तीन सीटें छीन सकता है।
आप को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि दिल्ली विधानसभा की सीटें भारी अंतर से जीतने के बावजूद उसने लोकसभा चुनाव को गंभीरता से क्यों नहीं लिया। आप की दिल्ली की कहानी कमोबेश पंजाब में दोहराई गई। अभूतपूर्व जनादेश के साथ विधानसभा चुनाव जीतने के बावजूद – 2022 में 117 में से 92 सीटें – AAP ने इस बार खराब प्रदर्शन किया है। कांग्रेस, जो विधानसभा चुनाव में हार गई थी, 13 में से 7 लोकसभा सीटें जीतकर मजबूत होकर उभरी है। कांग्रेस ने 2019 में भी अच्छा प्रदर्शन किया था जब वह 8 सीटें जीतने में सफल रही थी।
AAP का प्रदर्शन, आश्चर्यजनक रूप से, 2019 से भी बदतर था जब उसे केवल 7% वोट शेयर मिल सका और संगरूर में केवल एक सीट जीत सकी। दिल्ली के विपरीत पंजाब में आप ने अलग से चुनाव लड़ा। राज्य में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आमने-सामने हैं। दिल्ली में गठबंधन में रहने और पंजाब में अलग-अलग लड़ने पर बीजेपी ने आप और कांग्रेस का मजाक उड़ाया. इसे पाखंडी और अवसरवादी कहा गया क्योंकि दोनों भारत सूत्रीकरण के सदस्य थे। AAP का कांग्रेस से कम जीतना यह साबित करता है कि आम धारणा में AAP को राष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में नहीं देखा जाता है।
आप को उम्मीद थी कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से दोनों राज्यों में पार्टी के प्रति सहानुभूति लहर पैदा हो सकती है। यह तर्क तब और मजबूत हो गया जब सुप्रीम कोर्ट ने अप्रत्याशित रूप से केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का फैसला किया ताकि वह अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर सकें। उनकी गिरफ्तारी के बाद से आप ने यह कहानी गढ़ने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ खड़े होने के कारण आप और केजरीवाल को प्रताड़ित किया गया। आप ने एक बड़ा अभियान चलाया – ‘जेल का बदला वोट से।’ अब, यह स्पष्ट है कि यह काम नहीं किया। यहां तक कि अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी पार्टी के लिए कोई सहानुभूति जगाने में नाकाम रहीं।कोई यह तर्क दे सकता है कि स्वाति मालीवाल प्रकरण ने आप की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया। लेकिन, मेरी राय में, यह राष्ट्रीय चुनाव में काम नहीं करने वाला था क्योंकि AAP को राष्ट्रीय खिलाड़ी नहीं माना जाता है। लेकिन, हां, अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव होता तो यह काम करता। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी पार्टी को अपनी ताकत राज्यों के चुनावों पर केंद्रित करनी चाहिए. लोग अभी भी इसे एक क्षेत्रीय खिलाड़ी मानते हैं और अगर यह समझदारी से योजना बनाए और थोड़ी गंभीरता दिखाए तो इसमें गुजरात और हरियाणा में नई जमीन तैयार करने की क्षमता है। आप को एक एकजुट राष्ट्रीय रणनीति विकसित करनी होगी; इसे यह दिखाना होगा कि इसका एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य है। कई राष्ट्रीय मुद्दों पर आप का क्या रुख है, यह कोई नहीं जानता. अपनी स्थापना के बाद से, इसने जानबूझकर राष्ट्रीय मुद्दों को दरकिनार कर दिया है; इसने युद्ध कौशल और गुरिल्ला युद्ध को प्राथमिकता दी है।
राष्ट्रीय समाचार
एलआईसी-अदाणी रिपोर्ट के समय पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल, कहा- बिहार चुनाव से पहले विवाद पैदा करने की कोशिश

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: अदाणी ग्रुप में एलआईसी के निवेश को लेकर हाल ही में आई ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विवाद पैदा करने की कोशिश है।
जानकारों ने आगे कहा कि यह रिपोर्ट राजनीतिक रूप से प्रेरित लगती है,क्योंकि यह ऐसे समय पर आई है, जब भारत की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है और बाजार में निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है।
इस मुद्दे पर कमेंट करते हुए, इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने मिडिया को बताया कि भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी द्वारा निवेश निर्णयों का राजनीतिकरण निवेशकों या व्यापक अर्थव्यवस्था के हितों में नहीं है।
उन्होंने पूछा, “जब विदेशी निवेशक भारतीय कंपनियों में निवेश कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं, तो एलआईसी ऐसा क्यों नहीं कर सकती?”
अमेरिकी मीडिया आउटलेट की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने एलआईसी पर अदाणी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर निवेश करने का दबाव बनाया, जिसमें मई 2025 में किया गया 568 मिलियन डॉलर (5,000 करोड़ रुपए) का भी निवेश शामिल है।
विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी निवेशक भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों से लगातार लाभ कमा रहे हैं, इसलिए एलआईसी के निवेश पर सवाल उठाना तर्कसंगत नहीं लगता है और इसका उद्देश्य संभवतः घरेलू संस्थानों को कमजोर करना है।
राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने अदाणी ग्रुप को टारगेट करने के विदेशी नैरेटिव की आलोचना की। उन्होंने आगे कहा कि कुछ समय पहले इस तरह के हमले शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की ओर से किए गए थे, जो बाद में आधारहीन साबित हुए।
उन्होंने मिडिया से बातचीत करते हुए कहा, “भारतीय कंपनियों को हिट एंड रन करने की विदेशी नीति, देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकती है।”
पूनावाला ने कहा कि एलआईसी 57 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्तियों को मैनेज करता है, जिसमें से 14.5 लाख करोड़ रुपए इक्विटी में लगे हुए हैं।
वहीं, अदाणी ग्रुप में एलआईसी का एक्सपोजर करीब 56,000 करोड़ रुपए का है, जो कि उसके कुल पोर्टफोलियो का 1 प्रतिशत से भी कम है।
उन्होंने आगे कहा कि अदाणी ग्रुप के निवेश से एलआईसी को अब तक केवल फायदा हुआ है।
एलआईसी ने पहले ही वाशिंगटन पोस्ट के लेख का आधिकारिक खंडन जारी कर दिया है और स्पष्ट रूप से इसे “झूठा, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर” बताया है।
राजनीति
चुनाव आयोग ने एसआईआर के दूसरे फेज की घोषणा की, पश्चिम बंगाल समेत इन 12 राज्यों के नाम

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: चुनाव आयोग ने सोमवार को देश में दूसरे चरण में होने वाले विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा की है। दूसरे चरण में देश के 12 राज्यों को एसआईआर के अंदर कवर किया जाएगा।
दूसरे चरण के अंतर्गत पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, पुडुचेरी, मध्य प्रदेश, लक्षद्वीप, केरल, गुजरात, गोवा, छत्तीसगढ़ के अलावा अंडमान और निकोबार में एसआईआर प्रस्तावित है।
इन 12 राज्यों में एसआईआर होने की घोषणा भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। उन्होंने यह भी साफ किया कि सोमवार रात इन राज्यों की मतदाता सूची को फ्रीज कर दिया जाएगा।
उन्होंने एसआईआर कराने की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि पिछली बार 2000 से 2004 के बीच एसआईआर हुई थी, ऐसे में करीब दो दशक बाद मतदाता सूची में अशुद्धियों को दूर करने के लिए विशेष इंटेसिंव रिवीजन जरूरी है।
उन्होंने कहा, ”हर चुनाव से पहले इलेक्ट्रोरल रोल का रिवीजन जरूरी है। विगत कुछ वर्षों में कई राजनीतिक पार्टियों ने मतदाता सूची पूरी तरह से शुद्ध न होने पर आपत्ति जताई है। इससे पहले आखिरी बार 2000 से 2004 के बीच में एसआईआर हुई। इतने लंबे समय के बाद अब एसआईआर और भी जरूरी हो जाता है। चुनाव आयोग ने निर्णय लिया कि पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से एसआईआर करवाई जाएगी, जिसकी शुरुआत बिहार से हुई।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीईसी ने बिहार में हुई एसआईआर की तारीफ की। उन्होंने साफ किया कि इस दौरान राजनीतिक दलों ने शून्य आपत्तियां दर्ज कराई, जो दिखाता है कि बिहार की मतदाता सूची अब तक की सबसे शुद्ध मतदाता सूची है।
ज्ञानेश कुमार ने कहा, “एसआईआर का फेज वन समाप्त हुआ, जिसकी सबसे बड़ी खूबी यह रही है कि बिहार के सभी 7.5 करोड़ मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान जीरो अपील आई, जिसका मतलब है कि बिहार मतदाता सूची बेहद उचित मानी जाएगी। अब फेज 2 की तैयारी चल रही है।“
राष्ट्रीय समाचार
कांग्रेस ने चारा घोटाला जांच को प्र भावित करने की कोशिश की थी : शाहनवाज हुसैन

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने सोमवार को पूर्व सीबीआई अधिकारी यूएन विश्वास के उस बयान को सही ठहराया, जिसमें उन्होंने यह दावा किया था कि कांग्रेस की तरफ से चारा घोटाला जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी।
भाजपा प्रवक्ता ने मिडिया से बातचीत में कहा कि सीबीआई के पूर्व अधिकारी बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। निसंदेह कांग्रेस ने चारा घोटाले से संबंधित जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि इस घोटाले में संलिप्त आरोपियों को बचाने के लिए कांग्रेस की तरफ से भरसक प्रयास किए गए थे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए दुर्भाग्य की बात यह रही कि इस मामले में कई सबूत थे। इस वजह से कांग्रेस का एक भी पैंतरा सफल नहीं हो पाया, हालांकि उस वक्त यूएन विश्वास पर शीर्ष स्तर की तरफ से कई तरह के दबाव बनाए गए थे, लेकिन कोई भी दबाव सफल नहीं हो पाया।
भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने मतदाता पुनरीक्षण का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हम एसआईआर का पिछले लंबे समय से समर्थन करते हुए आ रहे हैं। हम लगातार इस बात पर जोर देते हुए आ रहे हैं कि एसआईआर होना चाहिए। इसे जमीन पर उतारा जाना चाहिए ताकि मौजूदा वस्तुस्थिति की पूरी जानकारी साफ हो सके।
उन्होंने कहा, “वोट का वेरिफिकेशन होना चाहिए। साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह बहुत ही जरूरी प्रक्रिया बन गई थी, जिसे संपन्न करना चुनाव आयोग के लिए जरूरी हो चुका था।”
उन्होंने कहा कि हम लोग वैसे भी शुरू से ही बिहार में एसआईआर की पैरवी करते हुए आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे प्रदेश में फर्जी मतदाताओं को चिन्हित किया जा सकेगा, जो कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है।
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