महाराष्ट्र
यूपी और बंगाल से सीख…. तो महाराष्ट्र में टलेंगे बीएमसी चुनाव !

कोरोना संकट के कारण विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे मुंबई महानगर पालिका चुनाव समय पर होंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस पैदा हो गया है। कोरोना संकट को देखते हुए बीएमसी चुनाव को लेकर सोमवार को महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें बीएमसी चुनाव विभाग व राज्य चुनाव आयोग के अधिकारी शामिल होंगे। बैठक में चुनाव पूर्व की तैयारियों पर चर्चा होगी, साथ ही अगस्त-सितंबर में कोरोना की तीसरी लहर व उसके चुनाव पर पड़ने वाले असर पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इससे पहले बीएमसी की अतिरिक्त आयुक्त अश्विनी भिडे के नेतृत्व में अधिकारियों की बैठक हुई। इस दौरान बीएमसी चुनाव के लिहाज से संशोधित वोटर लिस्ट तैयार करने, आरक्षण प्रक्रिया व वॉर्डों में बदलाव से संबंधित विषयों, समस्याओं और उनके निदान को लेकर चर्चा की गई।
बीएमसी चुनाव फरवरी, 2022 में प्रस्तावित हैं। लेकिन, पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव व उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के बाद वहां तेजी से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी थी। इस लिहाज से यहां बीएमसी चुनाव को लेकर सभी सशंकित हैं। सोमवार को होने वाली बैठक में इस विषय पर भी चर्चा किए जाने की उम्मीद की जा रही है। बीएमसी चुनाव विभाग की सहायक आयुक्त संगीता हसनाले ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि सोमवार को बीएमसी चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिसमें राज्य चुनाव आयोग और बीएमसी के आला अधिकारी शामिल होंगे।
मुंबई में कोरोना का असर कम हुआ और राज्य सरकार व चुनाव आयोग ने हरी झंडी दी, तो ही बीएमसी के चुनाव संभव है। फिलहाल प्रस्तावित बीएमसी चुनाव में करीब 9 महीने का वक्त है, लेकिन यदि कोरोना के कारण चुनाव की तारीख आगे खिसकी, तो नए नियम के अनुसार मुंबई महानगर पालिका को बर्खास्त कर प्रशासनिक शासन लागू कर दिया जाएगा। ऐसे में, बीएमसी के निर्णय लेने के सभी अधिकार कमिश्नर के पास आ जाएंगे। जब तक चुनाव नहीं होता, तब तक कमिश्नर को छह-छह महीने का समय दिया जाता रहेगा। इससे सत्ताधारी शिवसेना सहित भाजपा, कांग्रेस, राकांपा सहित सभी दलों के नगरसेवकों में चिंता व्यापत है।
कोरोना के कारण नवी मुंबई महानगर पालिका का चुनाव मार्च, 2020 में नहीं हो पाया और महानगर पालिका को बर्खास्त कर वहां प्रशासनिक शासन लागू कर दिया गया। उसी तर्ज पर यदि बीएमसी का चुनाव भी समय पर नहीं हो पाया, तो यहां भी प्रशासनिक शासन लग सकता है। इससे नगरसेवकों के सभी अधिकार समाप्त हो जाएंगे। स्थानीय स्वराज्य संस्था कानून के अनुसार राज्य सरकार इस संबंध में अंतिम निर्णय ले सकता है।
इससे पहले वर्ष 1990 में महिला आरक्षण प्रभाग रचना के लिए दो साल के लिए बीएमसी का कार्यकाल बढ़ाया गया था। लेकिन नगर विकास विभाग ने अब नियम में बदलाव कर दिया है। नए नियम के अनुसार कार्यकाल खत्म होने के बाद महानगर पालिका का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा, बल्कि उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
महाराष्ट्र
मुंबई पुलिस आधुनिक प्रयोगशालाओं और प्रौद्योगिकी से लैस है: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: साइबर अपराध और साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए मुंबई पुलिस ने खुद को आधुनिक तकनीक से लैस कर लिया है। तदनुसार, मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों एक फोरेंसिक लैब, एक विशेष वैन, एक इंटरसेप्ट वैन और अन्य आधुनिक उपकरणों सहित तीन साइबर लैब का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी और ऑनलाइन धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को आधुनिक बनाया गया है और पुलिस साइबर धोखाधड़ी से लेकर अन्य अपराधों को सुलझाने के लिए इन आधुनिक उपकरणों का उपयोग करेगी।
फडणवीस ने कहा कि जिस तरह से आज लोगों को ऑनलाइन बेवकूफ बनाकर डिजिटल गिरफ्तारी जैसी घटनाएं हो रही हैं, उसी तरह पुलिस ने इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जांच के तरीकों से लेकर अन्य चीजों में महत्वपूर्ण क्रांति ला दी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सहायता के लिए पुलिस थानों में विशेष सहायता कक्ष भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें महिलाओं को तत्काल सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए एक विशेष वैन भी तैयार की गई है ताकि उन्हें तुरंत मदद मिल सके। इस कार्यक्रम में मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पनसालकर, विशेष पुलिस आयुक्त देविन भारती, संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बॉलीवुड
कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाई कोर्ट से एफआईआर रद्द करने की लगाई गुहार

मुंबई, 7 अप्रैल। कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने अदालत से मुंबई पुलिस के उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई है।
कुणाल कामरा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार के मौलिक अधिकार के आधार पर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस एसवी कोटवाल और जस्टिस एसएम मोदक की खंडपीठ करेगी।
बता दें, मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ तीन अलग-अलग मामले दर्ज हैं। इन तीनों मामलों में महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों से जीरो एफआईआर के तहत शिकायतें मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर की गई हैं। यह एफआईआर बुलढाना, नासिक और ठाणे जिलों से दर्ज की गई थीं और अब इनकी जांच मुंबई के खार पुलिस स्टेशन द्वारा की जा रही है।
मुंबई पुलिस के अनुसार कामरा पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। खार पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है। इस संबंध में कुणाल कामरा को तीन बार पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है, लेकिन वह पुलिस स्टेशन में उपस्थित नहीं हुए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शिकायत में दावा किया गया कि कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए एक पैरोडी गीत गाया था। युवा सेना के सदस्य रूपेश मिश्रा ने यह शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज किया। पुलिस ने पहले ही कामरा पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 356(2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बगैर उन पर टिप्पणी करने वाले कामरा को तीन बार समन जारी हो चुका है। हालांकि, वह पेश नहीं हुए। मुंबई के खार थाने से मिली जानकारी के मुताबिक, दूसरा समन भेजे जाने के बाद से कामरा पुलिस के संपर्क में नहीं हैं। कुणाल को पहला समन 25 मार्च को जारी हुआ था, जिसे लेकर कुणाल ने 2 अप्रैल तक का समय मांगा था, लेकिन पुलिस ने मोहलत देने से इनकार करते हुए उन्हें 27 मार्च को दूसरा समन जारी किया और 31 मार्च को खार पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा।
खार पुलिस हैबिटेट स्टूडियो से जुड़े कई लोगों से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज कर चुकी है। मामले से जुड़े अन्य लोगों से पूछताछ जारी है।
महाराष्ट्र
बीर मक्का मस्जिद बम विस्फोट यूएपीए का कार्यान्वयन

मुंबई: पुलिस ने बीर अर्द मसला मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में यूएपीए एक्ट लागू कर दिया है। 30 मार्च की मध्य रात्रि को विजय अगोन और श्री राम अशोक ने मस्जिद में बम रखा और उसमें विस्फोट कर दिया। यह विस्फोट जेटलाइनर और डेटोनेटर की मदद से किया गया। इस मामले में पुलिस ने पहले आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन उसके बाद मुस्लिम संगठनों ने आरोपियों पर यूएपीए एक्ट और एनएसए के तहत मुकदमा चलाने की मांग की थी।
बीड विस्फोट की जांच स्थानीय अपराध शाखा द्वारा की गई थी, जिसमें अपराध शाखा ने पाया कि विस्फोट बहुत शक्तिशाली था और इसमें जेटलाइनर छड़ों के साथ डेटोनेटर का भी इस्तेमाल किया गया था। इसी आधार पर क्राइम ब्रांच की सिफारिश पर यूएपीए एक्ट लागू किया गया है। पुलिस ने दोनों आतंकवादियों के खिलाफ यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत मामला दर्ज किया है। बीड विस्फोट के बाद से महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) पुलिस के साथ मिलकर इसकी जांच कर रहा है। एटीएस इस मामले में आतंकवादियों से संबंध और वित्तपोषण की जांच कर रही है, जिसमें यह भी शामिल है कि आरोपियों को जेटलाइनर की छड़ें कैसे उपलब्ध कराई गईं और बिना लाइसेंस या परमिट के उन्हें जेटलाइनर की छड़ें किसने उपलब्ध कराईं। इसके साथ ही यह भी पता लगाने के लिए जांच जारी है कि इस मामले में और कितने लोग और साजिशकर्ता शामिल हैं।
एटीएस ने कहा कि बीड बम विस्फोट के हर पहलू और बिंदु पर जांच जारी है, हालांकि, एटीएस ने अब तक इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें आरोपियों के परिवार के सदस्य और शुभचिंतक के साथ-साथ उनके दोस्त और परिचित भी शामिल हैं। एटीएस बीड मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में विस्फोट से पहले की साजिश को उजागर करने की कोशिश कर रही है क्योंकि विस्फोट से पहले आरोपी विजय अगोन ने एक वीडियो जारी कर स्टेटस पर अपलोड कर मुसलमानों को मस्जिद हटाने की धमकी दी थी और उसके बाद ही यहां विस्फोट हुआ था। स्थानीय पुलिस ने एक दिन पहले ही आरोपियों के खिलाफ धार्मिक नफरत फैलाने का मामला भी दर्ज किया था और अगले दिन मस्जिद में विस्फोट कर दिया गया।
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