राजनीति
छह मेगावाट के फ्लोटिंग पावर से बिजली उत्पादन में अग्रणी बनेगा कोडरमा पावर प्लांट
कोडरमा, 28 दिसंबर। झारखंड में बिजली उत्पादन बढ़ाने में भारत सरकार के स्वामित्व वाला कोडरमा थर्मल पावर प्लांट अहम भूमिका निभा रहा है। इस प्लांट के जरिए सरकार बिजली उत्पादन के क्षेत्र में और रिन्यूएबल एनर्जी के तेजी से विकास की ओर कदम बढ़ा रही है।
इस पावर प्लांट में 6 मेगावाट क्षमता का फ्लोटिंग पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जिससे प्रदेश में बिजली उत्पादन को बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी। साथ ही प्लांट में पहले से ही स्थापित सोलर पैनल से 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन सुचारू रूप से हो रहा है। इसके अलावा बिजली उत्पादन को और गति देने के लिए तिलैया डैम में 155 मेगावाट फ्लोटिंग पावर प्लांट स्थापित करने के लिए निर्माण एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस कदम से रिन्यूएबल एनर्जी का योगदान बढ़ेगा और कोडरमा थर्मल पावर प्लांट के 1600 मेगावाट एक्सटेंशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। आने वाले समय में, यह प्लांट डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) के सबसे बड़े बिजली उत्पादन केंद्रों में से एक बन जाएगा।
प्लांट के भीतर दो पौंड में लगभग 24 एकड़ क्षेत्र में फ्लोटिंग पावर प्लांट के लिए सोलर प्लेट लगाए जा रहे हैं। कुछ समय बाद, कोडरमा में सौर ऊर्जा से 171 मेगावाट बिजली उत्पादित की जाएगी। यह कदम राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। डीवीसी और एनटीपीसी के प्रयासों से तिलैया डैम को ग्रीन वैली के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां फ्लोटिंग पावर प्लांट के जरिए बिजली उत्पादन से राज्य को और भी ऊर्जा सुरक्षा मिलेगी।
प्लांट के एचओपी मनोज ठाकुर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “कोडरमा में 10 मेगावाट का सोलर प्लांट पहले ही स्थापित किया जा चुका है और 6 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर प्लांट अब हमारे रिजर्वायर में लगाया जा रहा है, जो दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा या उसका कमीशनिंग शुरू हो जाएगा। हम जनवरी तक इसका कमीशनिंग पूरा कर लेंगे। इसके अलावा, हम 155 मेगावाट के फ्लोटिंग सोलर प्लांट का ऑर्डर भी ग्रीन वैली कॉर्पोरेशन के जरिए प्राप्त कर चुके हैं, जो डीवीसी और एनटीपीसी का संयुक्त उद्यम है। यह कार्य जल्दी शुरू होगा, और स्टर्लिंग कंपनी को यह काम सौंपा गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट झारखंड का सबसे बड़ा होगा, क्योंकि 155 मेगावाट का कोई अन्य प्रोजेक्ट राज्य में नहीं है। फ्लोटिंग सोलर पावर के कई फायदे हैं। इससे जलस्तर नियंत्रित रखने में मदद मिलती है और मछुआरों को होने वाले नुकसान की भी चिंता नहीं है, क्योंकि वे अब ‘केज फिशिंग’ की तकनीक का इस्तेमाल करके मछली पालन कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “डीवीसी का यह फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट कोडरमा में स्थापित किया जाएगा, जो डीवीसी का सबसे बड़ा प्लांट होगा। फिलहाल, मेरे पास 500 मेगावाट के दो यूनिट चल रहे हैं, और आठ सौ मेगावाट के दो और यूनिट जुड़ने से कोडरमा में डीवीसी का कुल 1600 मेगावाट का प्रोजेक्ट बन जाएगा। यह ऑर्डर बीसीएल को दे दिया गया है और जनवरी-फरवरी तक इसका काम पूरा होगा।”
साइट इंचार्ज प्रिंस तिवारी ने कहा, “हमारे पास पहले 6 मेगावाट का एसी फ्लोटिंग प्रोजेक्ट है और 8 मेगावाट का एक अन्य डीसी प्रोजेक्ट है। हमारे पास दो पाउंड हैं, जिसमें तीन-तीन मेगावाट के दो प्रोजेक्ट हैं। कुल मिलाकर, हमारे प्लांट में कई मॉडल लगाए जाने हैं, और हम इस पर काम जुलाई 2024 से शुरू कर चुके हैं। इस फ्लोटिंग प्रोजेक्ट के कई फायदे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “सबसे पहला फायदा यह है कि हम पाउंड का उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि अगर हम भूमि का इस्तेमाल करते तो कृषि भूमि या अन्य उपयोगहीन भूमि का चयन करना पड़ता, जो कि अतिरिक्त खर्च और परेशानी का कारण बनता। इस प्रोजेक्ट से हमें पहले से मौजूद पाउंड से बिजली उत्पादन करने का लाभ मिल रहा है। दूसरा फायदा यह है कि यह प्रोजेक्ट पानी के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है, खासकर गर्मी के मौसम में जब पानी का तापमान बढ़ जाता है। फ्लोटिंग पैनल पानी पर रहते हैं, जिससे पानी का तापमान नियंत्रित रहता है और यह गर्मी से बचने का एक प्रभावी तरीका है। इसके अलावा, पैनल पर जमा धूल और गंदगी पानी के ऊपर बैठती है, जिससे पानी को साफ रखने में मदद मिलती है। इससे आसपास के जीव-जंतुओं, जैसे मछलियों और अन्य छोटे प्राणियों के पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।”
महाराष्ट्र
बीएमसी चुनाव से पहले महा विकास अघाड़ी में फूट, कांग्रेस का नारा ‘अकेला चलो’

ELECTIONS
मुंबई: में म्युनिसिपल इलेक्शन शुरू हो गए हैं। 29 म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के लिए 15 जनवरी को वोटिंग होगी, जबकि 16 जनवरी को वोटों की गिनती होगी और रिज़ल्ट घोषित किए जाएंगे। इस इलेक्शन में सबका ध्यान मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन इलेक्शन पर रहेगा। शिवसेना ठाकरे ग्रुप म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में सत्ता बनाए रखने की कोशिश करेगा। जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना और भाजपा मुंबई में बीएमसी पर राज करने की कोशिश करेंगे। महायोति में सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है, लेकिन चुनावी समझ अभी पूरी नहीं हुई है। हालांकि, मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन इलेक्शन से पहले महा विकास अघाड़ी में बड़ी दरार आ गई है। कांग्रेस ने मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन इलेक्शन अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया है। जिससे इस इलेक्शन में मुकाबला और तेज़ हो गया है।
कांग्रेस अकेले लड़ेगी इलेक्शन
कांग्रेस ने मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन इलेक्शन अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया है। कांग्रेस के महाराष्ट्र इंचार्ज रमेश चिन्नाथला इस समय महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। आज मुंबई में हुई मीटिंग के बाद रमेश चिन्नाथला ने कहा है कि वह आने वाले इलेक्शन अपने दम पर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मुंबई में बहुत करप्शन है। इसीलिए कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हमने BJP और शिवसेना ठाकरे ग्रुप के खिलाफ लड़ने का फैसला किया है। सच्चे देशभक्त और सेक्युलर लोगों को इस लड़ाई में हमारा साथ देना चाहिए। सत्ता में आने के बाद, हम मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के मुद्दों को अच्छे तरीके से सुलझाएंगे। इसलिए, मैं वोटर्स से अपील करता हूं कि वे हमारा साथ दें और हम मुंबई का विकास करेंगे।
मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव
स्टेट इलेक्शन कमीशन ने 15 दिसंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनावों की घोषणा की थी। इस घोषणा के अनुसार, उम्मीदवार 23 दिसंबर से 30 दिसंबर, 2025 तक अपनी एप्लीकेशन फाइल कर सकेंगे। इलेक्शन कमीशन 31 दिसंबर को एप्लीकेशन की जांच करेगा। उम्मीदवार 2 जनवरी, 2026 तक अपनी एप्लीकेशन वापस ले सकते हैं। मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनावों के लिए वोटिंग 5 जनवरी को होगी। वोटिंग 16 जनवरी, 2026 को होगी और उसी दिन नतीजे घोषित किए जाएंगे।
राजनीति
हिजाब विवाद पर झारखंड के मंत्री ने डॉक्टर को दिया तीन लाख की नौकरी का ऑफर, जदयू ने दिखाया आईना

पटना, 20 दिसंबर : बिहार की आयुष डॉक्टर नुसरत परवीन को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने तीन लाख मासिक वेतन और अन्य सुविधाओं के साथ अपने राज्य में नौकरी का ऑफर दिया है। इसे लेकर बिहार में सत्तारूढ़ जदयू के नेता भड़कते हुए उन पर झूठा वादा करने का आरोप लगाया है।
जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने शनिवार को कहा कि इरफान अंसारी ने अहले सुबह झूठ बोल दिया। उन्होंने कहा, “आप स्वास्थ्य मंत्री हैं लेकिन आपको अपने विभाग की भी जानकारी नहीं है। एनएचएम में बहाली की समिति में स्वास्थ्य मंत्री सदस्य नहीं होते। इरफान अंसारी को तो बहाली का अधिकार ही नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि इरफान अंसारी ने तो यहां तक कह दिया कि तीन लाख रुपये प्रति महीने वेतन देंगे। झारखंड सरकार आयुष डॉक्टरों को मात्र 40 हजार मासिक वेतन देती है। आयुष चिकित्सकों को कॉन्ट्रैक्ट पर कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के रूप में 25 हजार दिए जाते हैं। उनको ऐसा बोलने का अधिकार किसने दिया?
जदयू नेता ने झारखंड के मंत्री के झूठ बोलने को पैगंबर की इच्छा का अपमान करार देते हुए माफी मांगने और पद से इस्तीफा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हिम्मत है तो वे झारखंड के स्वास्थ्य विभाग का रूल रेगुलेशन जारी करें।
बता दें कि झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर लिखा, “बिहार में महिला डॉक्टर डॉ. नुसरत प्रवीण के साथ हुई अमानवीय और शर्मनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। हिजाब खींचना सिर्फ एक महिला का नहीं, संविधान और इंसानियत का अपमान है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के मानवीय निर्णय से यह साफ संदेश गया है कि झारखंड में बेटियों और डॉक्टरों के सम्मान से कोई समझौता नहीं।”
उन्होंने आगे लिखा, “डॉ. नुसरत प्रवीण को झारखंड में प्रतिमाह तीन लाख मासिक वेतन, सरकारी नौकरी, मनचाही पोस्टिंग, सरकारी फ्लैट, पूर्ण सुरक्षा और सम्मानजनक कार्य वातावरण मिला। यह नियुक्ति नहीं, सम्मान की जीत है। जहां अपमान था, वहां झारखंड ने इंसानियत की मिसाल पेश की।”
राजनीति
पप्पू यादव ने पीएम मोदी के पश्चिम बंगाल दौरे पर उठाए सवाल, पूछा-पहले के वादे पूरे हुए?

पूर्णिया, 20 दिसंबर : पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पश्चिम बंगाल दौरे पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वो कई बार पश्चिम बंगाल जा चुके हैं, तब क्या हुआ?
पप्पू यादव ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि जब कभी इस देश में किसी राज्य में चुनावी बिगुल बजता है तो ये राजनेता चले जाते हैं। बिहार में भी इन लोगों ने कई तरह के लोकलुभावने वादे किए थे। उन वादों का क्या हुआ? क्या वे वादे पूरे हुए? बिहार का चुनाव पूरी तरह से नीतीश कुमार को जिताने के लिए ही था। इससे पहले ये लोग जम्मू-कश्मीर भी गए थे। क्या वहां पर किए गए वादे पूरे हुए?
निर्दलीय सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले पश्चिम बंगाल गए थे, जहां उन्होंने रविंद्रनाथ का रूप धारण कर लिया था। इससे पहले जब ये पंजाब गए थे, तो इन लोगों ने सिख का रूप धारण कर लिया था। जब ओडिशा गए थे, तो नवीन पटनायक के ही राजनीतिक अस्तित्व पर संकट आ गया था।
पप्पू यादव ने दावा किया कि बंकिम चटर्जी को ये लोग दादा बोल रहे हैं, जबकि इनके मंत्री इनका नाम भी नहीं ले पा रहे हैं। ये लोग कुछ भी टिप्पणी कर दे रहे हैं। पश्चिम बंगाल तो महात्मा गांधी को मानने वाली भूमि है। वहां पर लोग काली माता को मानते हैं। वहां पर सभी पापियों का नरसंहार करते हैं। रविंद्र नाथ टैगोर और महात्मा गांधी शांति के प्रतीक हैं। पश्चिम बंगाल में नफरत का कोई आधार नहीं है। ऐसी स्थिति में इन लोगों का पश्चिम बंगाल में कुछ नहीं होने वाला है। विवेकानंद ने वसुधैव कुटुंबकम की बात की। भाजपा ने सुभाष चंद बोस को कभी सम्मान नहीं दिया। ऐसी स्थिति में यही कहना है कि भाजपा का वहां पर क्या काम है।
पप्पू यादव ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अप्रैल में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसी स्थिति में इस बात की पूरी प्रबल संभावना है कि आगामी दिनों में केंद्र सरकार की ओर से बजट में भी बंगाल ही बंगाल किया जाएगा। मैं समझता हूं कि इन लोगों को पश्चिम बंगाल के हितों से कोई लेना देना नहीं है।
वहीं, विकसित भारत-जी राम जी योजना पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राम जी प्रेम और मानवता के प्रतीक थे, लेकिन इन लोगों को कुछ पता नहीं है। इन लोगों ने मनरेगा की हत्या कर दी। इन लोगों ने आज तक किसी को रोजगार नहीं दिया। अगर मनरेगा की योजना नहीं होती, तो मजदूरों का कोरोना काल में बुरा हाल हो जाता। जिन लोगों ने आज तक अपने शासनकाल में 60 दिनों तक किसी को रोजगार नहीं दिया, वो लोग भला 125 दिनों तक किसी को कैसे रोजगार दे सकते हैं।
पप्पू यादव ने जी राम जी योजना में राज्य सरकार की ओर से 40 फीसदी योगदान देने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कौन सा बीमारू राज्य इन्हें 40 फीसदी का योगदान देगा। अब सभी राज्यों की हालत महाराष्ट्र या कर्नाटक की तरह तो नहीं है। ऐसी स्थिति में 40 फीसदी योगदान देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
उन्होंने दावा किया कि मनरेगा की योजना में बदलाव करके इन लोगों ने गरीबों के पेट में लात मार दी। आप लोग आरक्षण को खत्म नहीं कर सकते थे, तो आपने नौकरियों को ही खत्म कर दिया। आप लोग दलित आदिवासियों का भला नहीं करना चाहते थे, तो आप लोगों ने एसआईआर का सहारा लेकर उनके अस्तित्व को ही खत्म करने का विचार कर लिया, जिसे अब किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
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