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जौहरी ने बीसीसआई का किया नुकसान, सीओए को उन्हें बचाना नहीं चाहिए था : डायना इडुल्जी

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Diana-Edulji

बीसीसीआई का कामकाज संभालते वक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय ने कहा था कि सभी मामलों में समिति की सदस्य और पूर्व महिला क्रिकेटर डायना इडुल्जी से राय ली जाएगी, लेकिन जैसे ही इडुल्जी ने पूर्व सीईओ राहुल जौहरी को मनमानी करने से रोकने की कोशिश की चीजें बदलने लगीं।

जौहरी के इस्तीफे को बीसीसीआई ने मंजूर कर लिया है और गुरुवार को उन्हें जाने को कह दिया है। इडुल्जी ने कहा है कि सीओए को इस मामले को बेहतर तरीके से निपटाना चाहिए था। उन्होंने साथ ही कहा है कि जौहरी की हरकतों ने भारतीय क्रिकेट और बोर्ड की छवि को नुकसान पहुंचाया है।

आईएएनएस से बात करते हुए इडुल्जी ने जौहरी के ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों के बाद भी उन्हें पद पर बने रहने पर हैरानी जताई। साथ ही कहा कि हाल ही में वित्तीय जानकारी जो लीक की गई है वो नई नहीं हैं।

इडुल्जी ने कहा है कि जौहरी पर लगे यौन शोषण के आरोपों के बाद उन्हें पद पर बने नहीं रहना चाहिए था।

उन्होंने कहा, “जब यह मामला अक्टूबर 2018 में सामने आया, मेरे लिए यह हैरानी वाली बात नहीं थी क्योंकि पहले का इतिहास भी था जिसके बारे में हम जानते थे। अगर यह मेरे लिए नहीं है, तो शिकायतकर्ता को जौहरी की तरफ से माफीनामा नहीं मिलना चाहिए था। शिकायतकर्ता पर मामले को खत्म करने का दबाव डाला गया। जिस तरह से चीजें चलीं, मुझे लगा कि चीजों को छुपाने की कोशिश की जा रही है। चेयरमैन और मेरे मतभेद थे और मैंने साफ कर दिया था कि सीओए में महिला सदस्य होने के तौर पर मैं ऐसी इंसान नहीं हूं जो अपने कमरे में बैठी रहे।”

उन्होंने कहा, “जब स्वतंत्र समिति बनी थी वो भी सही तरीके से नहीं बनी थी और मैंने इस पर आपत्ति जताई थी, लेकिन हर कदम पर मेरी अवेहलना कर दी गई। मुझे वो चर्चा याद है जिसमें कहा गया था कि जौहरी से इस्तीफा मांगा जाएगा। मैंने राय से जौहरी के अनुबंध के क्लॉज की बात की जो बीसीसीआई के लिए सही नहीं था। हालांकि राय ने एक दिन बाद आम सहमति से लिए गए फैसले को बदल दिया। मैंने स्वतंत्र समिति के गठन पर आपत्ति जताई क्योंकि एक शख्स के साथ हितों के टकराव का मुद्दा था।”

इडुल्जी से जब पूछा गया कि क्या वे जौहरी के क्लीनचिट दिए जाने से हैरान थीं? उन्होंने कहा- नहीं।

उन्होंने कहा, “जिस तरह से स्वतंत्र समिति काम कर रही थी, उससे साफ पता चल गया था कि वह बच निकलेंगे। जिस महिला को निकाला गया था वो जांच करना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट उन्हें दी नहीं गईं। बिना बयान के क्या वो लोग शिकायत के लिए कोर्ट जा सकते थे?”

उन्होंने कहा, “यह हैरान करने वाला था क्योंकि मैंने साफ कर दिया था कि उन्हें जान लेना चाहिए कि क्या गलत है। मैंने जो कुछ भी किया वह अनदेखा कर दिया गया और उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। हैरानी वाली बात यह थी कि जब क्लीन चिट दी गई तब जौहरी और उनकी पत्नी बीसीसीआई मुख्यालय में थे। उन्हें ऑफिस में तब तक नहीं होना चाहिए था जब तक उन्हें पता चले कि उन्हें क्लीन चिट मिल गई है। सीएफओ ने गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया और केक भी काटा गया। सीईओ को एक ईमेल भेजा गया कि उन्हें अपना काम शुरू करना चाहिए, लेकिन मैंने इसका विरोध किया।”

उन्होंने कहा, “इसके बाद उन्हें जेंडर सैनीटाइजेशन के लिए भेजा गया और वहां से भी कुछ नहीं निकला। हमें किसी तरह की रिपोर्ट नहीं भेजी गई। कोई जवाब नहीं दिए गए।”

इडुल्जी को जो सबसे ज्यादा दुख पहुंचा वो इस बात से कि जौहरी ने अधिकारियों के बीच में मतभेद पैदा करने की कोशिश की।

उन्होंने कहा, “वह हमेशा अधिकारियों को सीओए से दूर रखते थे और उनकी रणनीति शुरू में ही खराब हो गई क्योंकि मैं उनके कामकाज करने का तरीका देख रही थी। उनका मानना था कि अगर वह मतभेद पैदा कर सकते हैं तो वह आगे बढ़ेंगे। वह एक दूसरे को एक दूसरे के खिलाफ लड़वा रहे थे। जब लिमए और गुहा थे तो वे आसानी से कुछ नहीं कर पा रहे थे। लेकिन जैसे ही यह लोग चले गए तो उन्हें समर्थन मिल गया। यौन शोषण के आरोपों के बाद उन्हें काम करने देना सीओए की गलती रही। एक सदस्य की जांच काफी खतरनाक थी और अगर बाकी के दो लोगों ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी तो भी उन्हें जाने के लिए कह देना चाहिए था।”

उन्होंने कहा, “अगर उन्हें क्लीनचिट मिल गई थी तो क्यों उन्हें जेंडर सैनीटाइजेशन के लिए क्यों कहा गया। यह साफ इशारा करता है कि उन्हें क्लीन चिट देने के लिए चीजें दबा दी गईं।”

चयन प्रक्रिया में जौहरी की संलिप्तता को लेकर इडुल्जी ने कहा कि उन्होंने मुख्य कोच के चयन में भी टांग अड़ाई और महिला टीम के कोच के चयन में भी।

उन्होंने कहा, “एक महिला होते हुए मैं उन्हें कह रही थी कि यह सही है और यह नहीं, इससे उनके पुरुष अहम को चोट पहुंची। उनकी अकड़ ने भारतीय क्रिकेट को नुकसान पहुंचाया। मैं हमेशा से कहती आ रही हूं कि बीसीसीआई की छवि उनके कारण खराब हुई। गुलाबी गेंद टेस्ट मैच के मुद्दे को ही ले लीजिए। जौहरी ने राय को बरगला दिया क्योंकि वो लोग ही इस पर चर्चा कर रहे थे। एक बार चुनाव हुए, अधिकारियों ने गुलाबी गेंद से मैच कराया। अनिल कुंबले का मुद्दा भी सही तरीके से नहीं संभाला गया। जौहरी कुबंले के खिलाफ मैसेज दिखा रहे थे। आपको ऐसा करने की क्या जरूत है।”

उन्होंने कहा, “महिला टीम कोच की नियुक्ति में भी, वह जिस तरह से खेल रही हैं मैं उससे बेहद खुश हूं, लेकिन नियुक्ति को लेकर नियमों का पालन नहीं किया गया। यह प्रक्रिया की बात है न की अपनी मरजी की। इसलिए रिफॉर्म लाए गए थे। जहां तक कि रमेश पवार के मामले में भी दोनों कप्तानों ने मेरी गैरमौजूदगी में बात कर ली। ऐसा क्यों हुआ? हरमनप्रीत ने बैठक से बाहर निकल कर बयान दे दिया और वह बैठक में जो चर्चा हुई थी उससे अलग था।”

जौहरी की वेतन बढ़ोत्तरी पर उन्होंने कहा, “जौहरी के वेतन में की गई बढ़ोत्तरी के बारे में नहीं भूलना चाहिए। यह मामला लंबे समय से लटका था और इस मामले में पूर्व एमिकस के साथ कई बैठकें हुईं। मैंने भी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से बात की थी। उनसे और एमिकस से बात करने के बाद यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया लेकिन जब सीओए में तीसरे सदस्य ने कदम रखा चीजें बदल गईं।”

उन्होंने कहा, “जौहरी ने ईमेल लिखा और मुद्दे को दोबारा खेल दिया। मैंने अपना रुख बरकरार रखा, लेकिन बात को नकार दिया और सीएफओ को उन्हें पूरी रकम तुरंत देने के आदेश दिए गए। बीसीसीआई के मौजूदा अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए। मैं अभी भी अपने रुख पर कायम हूं कि उन्हें वेतन में बढ़ोत्तरी नहीं दी जानी चाहिए थी।”

उन्होंने कहा, “जिस तरह से जौहरी सभी चीजों से बच निकले वह हैरानी वाला है। उनका व्यवहार काफी खराब था। वह कुछ लोगों को अपने पांव की जूती समझते थे। उन्हें अपने साथियों से भी बात करने की तमीज नहीं थी। सीओए ने जिस तरह उन्हें बचाया वो शर्मनाक है। आप अधिकारियों को इस तरह से अलग नहीं कर सकते जिस तरह से वे किए गए। वे लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम कर रहे हैं। वह काफी इनसिक्योर इंसान थे। जो भी उनसे बेहतर या काबिल होता वह उसे हटाने की कोशिश करते।”

राष्ट्रीय

मुंबई में सेलिब्रिटी और गांव में सरपंच सुरक्षित नहीं, तो आम लोगों का क्या होगा?: नाना पटोले

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मुंबई प्रतिनिधि : महाराष्ट्र में इस समय कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब हो गई है। मुंबई में जहां सेलिब्रिटी सुरक्षित नहीं हैं, वहीं गांवों में सरपंच असुरक्षित हैं। ऐसे में आम नागरिकों की स्थिति क्या होगी, यह सवाल महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने उठाया है। नागपुर में मीडिया से बात करते हुए पटोले ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा।

जंगलराज और भाजपा सरकार पर हमला

नाना पटोले ने कहा कि महाराष्ट्र में जंगलराज की स्थिति बन गई है। दिल्ली में आज महाराष्ट्र की चर्चा जंगलराज के नाम से हो रही है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा सरकार ने सत्ता में बने रहने के लिए राज्य में डर और आतंक का माहौल बनाया है। कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। अपराधियों को पुलिस का कोई डर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्रिमंडल में 65% मंत्री आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं, जिसके चलते हालात बेकाबू हो गए हैं।

सैफ अली खान पर हमले का जातीय मुद्दे से जुड़ाव न करें

अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले का जिक्र करते हुए पटोले ने कहा कि इस घटना को जातीय दृष्टिकोण से देखना गलत है। छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में जाति और धर्म के भेदभाव की कोई जगह नहीं है। यहां सभी जाति-धर्म के लोगों को सुरक्षित माहौल मिलना चाहिए।

सरपंच की हत्या और जातीयता का मुद्दा

मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या और परभणी में सोमनाथ सूर्यवंशी की पुलिस पिटाई से हुई मौत का जिक्र करते हुए पटोले ने कहा कि इन घटनाओं को जातीयता से जोड़ना सही नहीं है। भाजपा सरकार ने मराठा-ओबीसी विवाद को बढ़ावा दिया है, जिससे राज्य के मूल मुद्दे पीछे छूट गए हैं।

‘लाडकी बहन’ योजना पर सवाल

‘लाडकी बहन’ योजना पर टिप्पणी करते हुए पटोले ने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान बहनों का समर्थन पाने के लिए यह योजना शुरू की गई थी। लेकिन अब इस योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने पूछा कि भाजपा ने चुनाव से पहले ही इसकी खामियों की जांच क्यों नहीं की? बोगस लाभार्थियों से पैसे वापस लेने की बात कहना भाजपा सरकार का असली चेहरा दिखाता है।

दावोस दौरे पर सवाल

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के दावोस दौरे को लेकर पटोले ने कहा कि राज्य में उद्योगपतियों को दावोस ले जाने की बजाय महाराष्ट्र की स्थिति में सुधार करना चाहिए। भाजपा सरकार यह दावा करती है कि महाराष्ट्र उद्योग के क्षेत्र में पहले स्थान पर है, लेकिन सच्चाई यह है कि राज्य आर्थिक रूप से पिछड़ गया है। निवेश के नाम पर जनता के पैसों की बर्बादी बंद होनी चाहिए।

आम नागरिकों की सुरक्षा पर चिंता

राज्य की कानून-व्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हुए पटोले ने कहा कि अगर सेलिब्रिटी और सरपंच सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या होगा? कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति और बढ़ते अपराध सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े करते हैं।

सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की अपील

जातीय विवादों में फंसने के बजाय जनता को सरकार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। पटोले ने राज्य के लोगों से एकजुट होकर भाजपा सरकार का विरोध करने का आह्वान किया।

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अंतरराष्ट्रीय

हमने इजरायल के शहरों और अमेरिकी विमानवाहक पोत पर किया हमला : हूती

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सना, 18 जनवरी। यमन के हूती गुट ने दावा किया कि उसने इजरायल के तीन शहरों पर कई रॉकेट और ड्रोन हमले किए हैं। इसके साथ ही लाल सागर में अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस हैरी एस ट्रूमैन पर भी हमला किया।

हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सारिया ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, “गाजा में हमारे भाइयों के खिलाफ हाल में हुए नरसंहारों के जवाब में हमने चार क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए इजरायल के दक्षिणी बंदरगाह शहर इलियट में हमला किया।”

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विद्रोही गुट ने इजरायल के शहरों तेल अवीव और अश्कलोन में भी महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमला किया और उत्तरी लाल सागर में पहुंचे अमेरिकी विमानवाहक पोत को सातवीं बार निशाना बनाया।

सारिया ने चेतावनी भरे अंदाज में दावा किया कि हमारे देश के खिलाफ अमेरिका और इजरायल के उकसावे का हम जवाब देने को तैयार हैं। कहा, “हम गाजा में स्थिति पर नजर बनाए रखेंगे और अगर दुश्मन (इजरायल) युद्धविराम समझौते का उल्लंघन करता है या आगे बढ़ता है, तो हम इसके खिलाफ उचित कदम उठाएंगे।”

उन्होंने कहा कि उनका समूह तब तक हमास का समर्थन करता रहेगा, जब तक “इजरायली दुश्मन को पूरे फिलिस्तीन से बाहर नहीं निकाल दिया जाता।”

बयान के बाद हूती संचालित अल-मसीरा टीवी ने कहा कि ये हमले सुबह होने से पहले किए गए थे।

हूती टेलीविजन ने बताया कि अमेरिकी नौसैनिक बलों ने लाल सागर में पांच हवाई हमले किए। हूती के कब्जे वाले सना के उत्तर में अमरान प्रांत के हर्फ सुफियान जिले में एक सैन्य ठिकाने को निशाना बनाकर हमला किया गया।

अमेरिकी सेना ने अब तक इन घटनाओं पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

इजरायली शहरों और अमेरिकी विमानवाहक पोत पर हूती अटैक को लेकर नेता अब्दुलमलिक अल-हूती ने गुरुवार रात कहा था कि अगर इजरायली सेना गाजा पट्टी पर हमला जारी रखती है, तो उनका गुट गाजा युद्धविराम समझौते की घोषणा के बावजूद इजरायली शहरों पर रॉकेट हमले जारी रखेगा।

हमास और इजरायल के बीच लंबे समय बाद संघर्ष विराम समझौता हाल ही में दोहा में हुआ है।

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अंतरराष्ट्रीय

2024 में 200 अलग-अलग बीमारियों से जूझा अफ्रीका : रिपोर्ट

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अदीस अबाबा, 18 जनवरी। अफ्रीका रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (अफ्रीका सीडीसी) ने पूरे महाद्वीप में हेल्थ इमरजेंसी पर चिंता व्‍यक्‍त की है। पिछले साल महाद्वीप 200 से अधिक बीमारियों की चपेट में रहा।

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका सीडीसी के महानिदेशक जीन कासेया ने एमपॉक्स प्रकोप और अन्य स्वास्थ्य संकटों को लेकर ऑनलाइन ब्रीफिंग की। उन्होंने बताया कि तेजी से बढ़ती पब्लिक इमरजेंसी से निपटने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

कासेया ने कहा, “2024 में बीमारियों की संख्या 213 रही, जो 2023 की तुलना में अधिक है। वहीं 2023 में यह संख्या 166 थी।”

उन्होंने उम्मीद जताई कि 2025 बीते वर्ष से बेहतर होगा।

अफ्रीका सीडीसी प्रमुख ने 2024 की शीर्ष पांच बीमारियों के बारे में बताया। उनके मुताबिक हैजा, खसरा, डेंगू, एमपॉक्स और डिप्थीरिया वो पांच बीमारियां हैं जिन्होंने इस महाद्वीप को काफी परेशान किया।

अफ्रीका में हैजा को सबसे ज्यादा मौत का कारण माना गया है। अफ्रीकी महाद्वीप ने पिछले साल लगभग 204,115 हैजा के मामले सामने आए थे, जिनमें से 3,747 की मौत हुई थी। खसरा के 2024 में 234,320 मामले सामने आए, जिसमें 3,220 की मौत हुई।

अफ्रीकी संघ की विशेष स्वास्थ्य सेवा एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार, 21 अफ्रीकी देशों में 2024 की शुरुआत में एमपॉक्स के 77,888 मामले सामने आए, जिसमें से 1,321 मौत हुई।

कासेया ने जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और अन्य चीजों का हवाला देते हुए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी को तवज्जो दिए जाने पर जोर दिया।

अफ्रीका सीडीसी प्रमुख ने प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे, महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं और स्थानीय वैक्सीन और चिकित्सा उपकरण उत्पादन में महत्वपूर्ण निवेश की भी बात कही। उन्होंने महाद्वीप के पब्लिक हेल्थ वर्कफोर्स (स्वास्थ्य कर्मियों) को बढ़ावा देने, प्राथमिकता वाली बीमारियों के लिए जीनोमिक अनुक्रमण (सिक्वेंसिंग) में सुधार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कासेया ने कहा, “हम अफ्रीका में बीमारियों पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए हैं।”

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