राजनीति
जमात-ए-उलेमा हिंद का ओवैसी व मदनी पर यूपी में दंगे भड़काने का आरोप, जल्द करेंगे फतवा जारी

पैगंबर मुहम्मद पर नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के खिलाफ जुमे की नमाज के बाद हुई विभिन्न इलाकों में हिंसा पर जमात-ए-उलेमा हिंद ने असदुद्दीन ओवैसी और मौलाना मदनी पर हमले कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि “वे मासूम बच्चों को आगे बढ़ाकर खुद घर में घुस गए। मुसलमान के नाम पर मलाई खाएं ये और लाठियां और गोलियां खाएं मासूम।” उलेमा हिंद के अध्यक्ष सुहैब कासमी ने रविवार को मीडिया के सामने इस पूरे मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “देश में किसी भी तरह की हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। हम हिंसा और महमूद मदनी, अरशद मदनी ओवैसी आदि लोगों के खिलाफ फतवा लाएंगे। इस फतवे पर देश के एक हजार मौलाना दस्तखत भी करेंगे।”
“हाल के दिनों में जो हालात पैदा हुए है उस पर गमजदा हैं। बीजेपी ने पार्टी की अपनी प्रवक्ता को निकाल दिया और उन पर कई राज्यों में मुकदमा भी दर्ज हुआ है। वहीं कानून अपना काम कर रही है। अचानक 15 दिन बाद शुक्रवार के दिन एक साथ प्रदर्शन शुरू हो गए। ये कोई बड़ी साजिश की तहत इशारा कर रहे हैं।”
संगठन की ओर से यह भी साफ कर दिया गया, “हमें उन उलेमा को साथ लेना होगा, जो देश का विकास चाहते हैं। हम राष्ट्रीय मुद्दों पर देश के साथ रहेंगे। हमारा देश सविंधान से चलने वाला है। कानून काम कर रहा है। हम किसी हिंसा के पक्ष में नहीं हैं। बुलडोजर उन पर चलना चाहिए जो बयान देकर छुप गए हैं।”
नूपुर शर्मा को क्या माफी मांगनी चाहिए और उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए, इस पर कासमी ने कहा, “उनको उनके बयान के बाद सजा मिली है, बीजेपी ने उन्हें बर्खास्त किया, हमें खुशी है। जहां तक कानूनी सजा का सवाल है, कानून अपना काम कर रहा है। उन्हें अपना काम करने देना चाहिए और नूपुर शर्मा को माफ कर देना चाहिए।”
“देश के ज्यादातर मुस्लिम संगठन केवल 20 करोड़ मुसलमानों की बात करते हैं, 135 करोड़ भारतीयों की बात नहीं करते। अहिंसा हमारी पहचान है। हम सरकार से जांच की मांग करेंगे कि कैसे विदेशी लोगों के साथ मिलकर ये साजिश रचते हैं।”
दरअसल, उत्तर प्रदेश पुलिस हिंसा में शामिल लोगों को गिरफ्तार व उन पर कार्रवाई करने में जुटी हुई है। प्रदेश में पुलिस ने अब तक 300 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें प्रयागराज से 91, हाथरस से 51, सहारनपुर से 71, मुरादाबाद से 34, फिरोजाबाद से 15, अलीगढ़ से छह, अंबेडकरनगर से 34 और जालौन से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इन सभी के खिलाफ पथराव, माहौल बिगाड़ने तथा लोगों को भड़काने में लिप्त होने का आरोप है। बवाल करने वालों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई लगातार चल रही है। फिलहाल इन सभी जिलों के हिंसा वाले इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था सामान्य है और हालात काबू में हैं।
राजनीति
कांग्रेस सांसद की सिफारिश, ‘पहलगाम में स्थायी समिति की बुलाई जाए बैठक’

नई दिल्ली, 23 जून। कांग्रेस की राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका चौधरी ने पहलगाम में स्थायी समिति की बैठक बुलाए जाने की सिफारिश की है। 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के 2 महीने बाद जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटक लौटने लगे हैं। इससे जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी खुश हैं। पहलगाम में पर्यटकों के लौटने के बाद कांग्रेस सांसद ने मुद्दा उठाया है कि स्थायी समिति की अगली बैठक पहलगाम में हो।
कांग्रेस की दिग्गज नेता रेणुका चौधरी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, “सांसदों के रूप में हमारा सामूहिक प्रयास ये होना चाहिए कि स्थायी समिति की अगली बैठक जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हो। भारत के इस खूबसूरत हिस्से के लोगों को ये महसूस होना चाहिए कि हम उनके साथ हैं। उनके जीवनयापन के साधन और रोजगार लौटाने की जिम्मेदारी हमारी है।”
इसके पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम की कुछ तस्वीरें साझा कीं और पर्यटन बहाल करने के प्रयास पर संतोष जताया। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “पिछली बार जब मैं पहलगाम गया था तो मैंने एक ऐसे बाजार से साइकिल चलाई थी जो लगभग सुनसान था। आज मैं पहलगाम वापस आया जो गतिविधियों से भरा हुआ था। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए पर्यटक ठंडी जलवायु और बरसात के मौसम का आनंद ले रहे थे। ये देखना बहुत संतोषजनक है कि मेरे और मेरे सहयोगियों की ओर से किए गए प्रयास धीरे-धीरे फल दे रहे हैं।”
पहलगाम में आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को निर्दोष और निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया था। देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग पहलगाम में घूमने आए थे। इसी बीच आतंकवादियों ने उन पर फायरिंग की, जिसमें 26 लोग मारे गए। इस आतंकी हमले के बाद पहलगाम में कई हफ्तों तक सन्नाटा पसरा रहा। लगातार पर्यटकों की संख्या में गिरावट देखी जा रही थी। इससे स्थानीय व्यापारियों, होटल व्यवसायियों और छोटे-छोटे दुकानदारों की रोजमर्रा की कमाई पर गहरा असर पड़ा था। फिलहाल पहलगाम में पर्यटकों की वापसी से सरकार के साथ-साथ व्यापारी और स्थानीय लोग भी खुश हैं।
अपराध
दिल्ली: चार वर्षीय बच्ची को अपहरणकर्ता से छुड़ाया, महिला गिरफ्तार

नई दिल्ली, 23 जून। दिल्ली के चांदनी महल थाना पुलिस ने चार साल की बच्ची को अपहरणकर्ता के चंगुल से सुरक्षित छुड़ा लिया। 40 वर्षीय आरोपी बरखा को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय यूपी पुलिस के सहयोग से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।
घटना 18 जून 2025 को सामने आई, जब एक दंपति ने चांदनी महल थाने में अपनी चार वर्षीय बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। शिकायतकर्ता ने बताया कि शाम करीब 5 बजे, उनकी पत्नी व्यस्त थी, तभी उनकी बेटी गायब हो गई। काफी खोजबीन के बाद भी बच्ची का पता नहीं चला और उन्हें संदेह हुआ कि किसी ने गलत इरादे से अपहरण किया है। इस आधार पर पुलिस ने एफआईआर (संख्या 212/25, धारा 137(2) बीएनएस) दर्ज की।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, इंस्पेक्टर महावीर प्रसाद, एसएचओ/चांदनी महल, के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। इसमें एसआई सतीश, एसआई समेंद्र, एसआई गोविंद, एसआई अवधेश नारायण, एचसी सतेश, कांस्टेबल विक्रम, घनश्याम, गौरव, नरेंद्र और महिला कांस्टेबल दिव्यांशी और सिमरन शामिल थे। टीम की निगरानी एसीपी (दरियागंज, मध्य जिला) ने की।
पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच की, जिसमें बच्ची को दिल्ली गेट के पास संचार भवन की ओर अकेले जाते देखा गया।
गुप्त सूत्रों से पता चला कि एक महिला भिखारी बच्ची को बाराबंकी के बेहटा गांव ले गई है। इस जानकारी को स्थानीय यूपी पुलिस के साथ साझा किया गया और एक टीम तुरंत बाराबंकी रवाना हुई। वहां पहुंचने पर पता चला कि संदिग्ध बरखा बच्ची को लेकर दिल्ली लौट आई थी, क्योंकि उसे पुलिस की तलाश का पता चल गया था।
21 जून को सुबह चांदनी महल थाना पुलिस ने नई और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशनों पर सादे कपड़ों में निगरानी शुरू की। उसी दिन बरखा को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बच्ची के साथ उतरते देखा गया। वह छिपने की कोशिश कर रही थी, लेकिन पुलिस ने उसे तुरंत पकड़ लिया। बच्ची को सुरक्षित छुड़ा लिया गया। पूछताछ में बरखा ने कबूल किया कि उसने बच्ची का अपहरण भीख मंगवाने और तस्करी के इरादे से किया था।
राजनीति
जयंती विशेष: गणेश घोष, एक क्रांतिकारी जिसने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए

नई दिल्ली, 21 जून। गणेश घोष एक क्रांतिकारी और राजनेता थे। आजादी के बाद वे कई बार विधायक, सांसद रहे और देश के नीति निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
गणेश घोष का जन्म चटगांव में एक बंगाली कायस्थ परिवार में 22 जून 1900 को हुआ था। अब यह क्षेत्र बांग्लादेश में पड़ता है। विद्यार्थी जीवन में ही वे स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे। 1922 की गया कांग्रेस में जब बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो गणेश घोष और उनके साथी अनंत सिंह ने नगर का सबसे बड़ा विद्यालय बंद करा दिया था। इन दोनों युवकों ने चिटगाँव की सबसे बड़ी मज़दूर हड़ताल की भी अगुवाई की।
1922 में उन्होंने कलकत्ता के बंगाल टेक्निकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया। वह चटगांव युगांतर पार्टी के सदस्य रहे। 18 अप्रैल 1930 को सूर्य सेन और अन्य क्रांतिकारियों के साथ चटगांव शस्त्रागार छापे में उन्होंने भाग लिया था। इस वजह से उन्हें चटगांव से भागना पड़ा। वह हुगली के चंदननगर में रहने लगे। कुछ ही दिन के बाद पुलिस कमिश्नर चार्ल्स टेगार्ट ने चंदननगर के उनके घर पर हमला कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उस गिरफ्तारी अभियान के समय पुलिस ने उनके एक युवा साथी क्रांतिकारी जीबन घोषाल उर्फ माखन को मार डाला था।
पुलिस ने गणेश घोष को गिरफ्तार करने के बाद उन पर मुकदमा किया और 1932 में पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में भेज दिया। स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया और अपने जीवन के लगभग 27 वर्ष जेल में बिताए। 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद गणेश भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के साथ जुड़ गए। 1952, 1957 और 1962 में बेलगछिया से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए। 1967 में कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार के रूप में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए। 1971 की लोकसभा में वे फिर से कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। इस बार उन्हें एक युवा नेता के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
यह युवा नेता कोई और नहीं, प्रिय रंजन दास मुंशी थे। सिर्फ 26 साल की उम्र में दास ने गणेश घोष को हराया था। गणेश घोष की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1994 को कोलकाता में हुई थी।
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