अंतरराष्ट्रीय समाचार
ईरान के राष्ट्रपति रायसी ने अफगानिस्तान में समावेशी सरकार के गठन का आग्रह किया

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा कि तेहरान देश में शांति और स्थिरता स्थापित करने के एक साधन के रूप में अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन का समर्थन करता है। ईरानी राष्ट्रपति की वेबसाइट के अनुसार, रायसी ने गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ताजिकिस्तान की यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपनी बैठक में, रायसी ने कहा कि अफगानिस्तान की समस्याओं को हल करने की कुंजी एक समावेशी सरकार बनाना और देश के मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को रोकना है।
उन्होंने कहा, “हमें अफगानिस्तान को एक ऐसी सरकार बनाने में मदद करने की कोशिश करनी चाहिए जिसमें देश के लोगों की इच्छा के आधार पर सभी समूह शामिल हों।”
“अफगानिस्तान में अमेरिकी और पश्चिमी बलों की उपस्थिति के 20 साल के इतिहास में 35,000 से अधिक बच्चों और हजारों अफगान पुरुषों और महिलाओं के विनाश, विस्थापन और हत्या के अलावा कोई परिणाम हासिल नहीं हुआ।”
उन्होंने कहा, “अमेरिकी बलों की वापसी अफगानिस्तान में एक लोकप्रिय सरकार के गठन और देश और क्षेत्र में शांति स्थापित करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।”
उन्होंने जोर देकर कहा, “अगर अफगानिस्तान में एक व्यापक सरकार नहीं बनती है, तो देश की समस्याएं तेज हो जाएंगी और पाकिस्तान और ईरान को किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक नुकसान होगा।”
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि ईरान और पाकिस्तान एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करें और अफगानिस्तान के लिए राज्य-निर्माण और एक समावेशी सरकार के गठन के चरण को सफलतापूर्वक पारित करने के लिए एक-दूसरे के साथ बातचीत करें।
इस बीच, उज्बेक राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के साथ एक अन्य बैठक में, रायसी ने कहा कि उनका देश अफगानिस्तान में सभी समूहों की भागीदारी के साथ एक व्यापक सरकार के गठन का समर्थन करता है, जिससे देश में शांति और स्थिरता की स्थापना होगी।
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गाजा शांति शिखर सम्मेलन में जाने से पहले ट्रंप ने की घोषणा- ‘युद्ध समाप्त हो गया है’

न्यूयॉर्क, 13 अक्टूबर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया कि “अब युद्ध खत्म हो गया है।” इसके बाद वे मिस्र रवाना हुए, जहां सोमवार को गाज़ा में शांति प्रक्रिया पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है। यह सम्मेलन दो साल से जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यह पहली बड़ी शांति पहल मानी जा रही है। उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और हमास दोनों पर दबाव डालकर 20 बिंदुओं वाला शांति समझौता करवाया है।
शिखर सम्मेलन के लिए शर्म अल-शेख जाने से पहले, वह पहले इजराइल में रुकेंगे, जहां उनके इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिलने और देश की संसद, नेसेट को संबोधित करने की उम्मीद है।
शुक्रवार को गाजा में संघर्ष विराम लागू होने के बाद हमास ने बचे हुए इज़रायली बंधकों को रिहा करने का वादा किया है। उम्मीद है कि सोमवार को रेड क्रॉस की निगरानी में यह प्रक्रिया पूरी होगी।
यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुआ था, जब हमास ने गाजा से इजरायल पर हमला किया था। इस हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था। इसके जवाब में इजरायल ने भी भीषण हमले किए, जिनमें गाजा अधिकारियों के अनुसार अब तक लगभग 67,000 फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
ट्रंप के 20 बिंदुओं वाले इस शांति प्रस्ताव में मिस्र, कतर और तुर्किये ने मध्यस्थता की, जबकि अमेरिका की ओर से जेरेड कुशनर सहित कई अधिकारी इसमें शामिल रहे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, फिलिस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फ़तह अल-सीसी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और कतर तथा संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं के इस शिखर सम्मेलन में शामिल होने की उम्मीद है। कीर्ति वर्धन सिंह भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
ट्रम्प ने कहा कि गाजा और इजरायल दोनों ओर के लोग इस समझौते से खुश हैं। उन्होंने कहा, “पहली बार ऐसा हुआ है कि दोनों पक्ष जश्न मना रहे हैं।”
मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती ने भी शांति समझौते को लेकर विश्वास व्यक्त किया। समझौते के अगले चरण में हमास को अपने हथियार छोड़ने होंगे।
ट्रम्प की योजना के तहत, उनकी अध्यक्षता वाला एक शांति बोर्ड गाज़ा के स्थिरीकरण और पुनर्निर्माण की देखरेख करेगा। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इजरायली हमलों में गाजा का 80 प्रतिशत हिस्सा नष्ट हो चुका है। इस पुनर्निर्माण कार्य का संचालन ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर करेंगे।
समझौते के तहत हमास अब गाजा के शासन में कोई भूमिका नहीं निभाएगा। इसके बजाय “योग्य फ़िलिस्तीनियों और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों” का एक समूह इसका प्रभारी होगा।
ट्रंप ने एयर फोर्स वन में पत्रकारों से कहा, “सबसे पहले लोगों की जरूरतों को पूरा करना है, और यह काम तुरंत शुरू होगा।”
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, इजरायल ने राहत सामग्री को गाजा में जाने की अनुमति दे दी है, और अब भोजन, दवाइयां और तंबू लेकर कई ट्रक गाजा पहुंच चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर : जिनपिंग ने उत्पादों पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लगाया तो ट्रंप ने 100 फीसदी टैरिफ किया लागू

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर: अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर से ट्रेड वॉर छिड़ता नजर आ रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन से काफी नाराज हैं। उन्होंने चीन के ऊपर 100 फीसदी टैरिफ लगाया है।
दरअसल, चीन ने अपने प्रोडक्ट्स पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लागू करने का ऐलान किया है। चीन की इसी घोषणा से अमेरिकी राष्ट्रपति भड़क उठे।
ट्रूथ पर पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने लिखा, “अभी-अभी पता चला है कि चीन ने व्यापार के मामले में बेहद आक्रामक रुख अपनाते हुए दुनिया को एक पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि वे 1 नवंबर, 2025 से अपने लगभग हर उत्पाद पर, यहां तक कि कुछ उत्पादों पर जो उनके द्वारा बनाए भी नहीं गए हैं, बड़े पैमाने पर निर्यात नियंत्रण लागू करेंगे। इसका असर सभी देशों पर पड़ेगा और जाहिर है कि यह योजना उन्होंने सालों पहले ही बना ली थी। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ है और दूसरे देशों के साथ व्यवहार करना एक नैतिक अपमान है।”
चीन पर 100 फीसदी अन्य टैरिफ लगाने का ऐलान करते हुए उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा, जो वर्तमान में चीन द्वारा चुकाए जा रहे किसी भी टैरिफ के अतिरिक्त होगा। इसके अलावा, 1 नवंबर से, हम सभी महत्वपूर्ण सॉफ़्टवेयर पर निर्यात नियंत्रण लगा देंगे। यह विश्वास करना असंभव है कि चीन ने ऐसा कोई कदम उठाया होगा, लेकिन उन्होंने उठाया है, और बाकी सब इतिहास है। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!
बता दें, चीन पर पहले से 30 फीसदी टैरिफ लागू है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति ने 100 फीसदी अलग से टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है।
इससे पहले एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “चीन में कुछ बहुत ही अजीबोगरीब चीजें हो रही हैं! वे बहुत आक्रामक हो रहे हैं और दुनिया भर के देशों को पत्र भेज रहे हैं कि वे रेयर अर्थ्स से जुड़े हर उत्पादन तत्व पर निर्यात नियंत्रण लगाना चाहते हैं, भले ही वह चीन में निर्मित न हो। किसी ने भी ऐसा पहले कभी नहीं देखा है, लेकिन असल में, इससे बाजार “अवरुद्ध” हो जाएंगे और दुनिया के लगभग हर देश, खासकर चीन, का जीना मुश्किल हो जाएगा। हमसे कुछ अन्य देशों ने संपर्क किया है जो इस व्यापारिक दुश्मनी से बेहद नाराज हैं, जो अचानक शुरू हुई है।”
उन्होंने कहा, “पिछले छह महीनों में चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे रहे हैं, जिससे व्यापार के मामले में यह कदम और भी आश्चर्यजनक हो गया है। मुझे हमेशा लगता था कि वे घात लगाए बैठे हैं, और अब, हमेशा की तरह, मैं सही साबित हुआ! ऐसा कोई तरीका नहीं है कि चीन को दुनिया को “बंदी” बनाने की अनुमति दी जाए, लेकिन ऐसा लगता है कि यह उनकी काफी समय से योजना थी। यह एक भयावह और शत्रुतापूर्ण कदम है। लेकिन अमेरिका के पास भी एकाधिकार की स्थिति है, जो चीन की तुलना में कहीं अधिक मजबूत और दूरगामी है।”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने बताया कि चीन ने जो पत्र भेजा है वह कई पृष्ठों का है। जो चीजें पहले नियमित थीं, वे अब बिल्कुल भी नियमित नहीं रहीं। मैंने राष्ट्रपति शी से बात नहीं की है क्योंकि ऐसा करने का कोई कारण नहीं था।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
वियतनाम में बुआलोई तूफान ने 51 लोगों की ली जान, 14 लोग अब भी लापता; 608 मिलियन यूएसडी नुकसान का अनुमान

हनोई, 2 अक्टूबर : वियतनाम में तूफान बुआलोई और उसके बाद आई बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार बुआलोई तूफान की चपेट में आने से मौत का आंकड़ा 51 तक पहुंच गया। 14 लोगों का अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है, जबकि 164 लोग घायल हुए।
वियतनाम आपदा एवं डाइक प्रबंधन प्राधिकरण ने शुक्रवार को आपदा से जुड़ी एक रिपोर्ट साझा की। इसके अनुसार तूफान बुआलोई और उसके बाद आई बाढ़ और भूस्खलन से उत्तरी और मध्य वियतनाम में 51 लोगों की मौत हो गई, 14 अन्य लापता हो गए और 164 लोग घायल हो गए। शुरुआती आर्थिक क्षति का अनुमान लगभग 15.9 ट्रिलियन वियतनामी डोंग (लगभग 608 मिलियन अमेरिकी डॉलर) लगाया जा रहा है।
इस तूफान में 238,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त या जलमग्न हो गए, लगभग 89,000 हेक्टेयर चावल और अन्य फसलें बर्बाद हो गई। इसके अलावा, 17,000 हेक्टेयर से अधिक जलीय कृषि और लगभग 50,300 हेक्टेयर जंगलों को नुकसान पहुंचा है।
रिपोर्ट के अनुसार, तूफान ने बुनियादी ढांचे को भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया, 8,800 से अधिक बिजली के खंभे गिर गए और लगभग 468,500 घरों में अभी भी बिजली नहीं है। इसके साथ ही लगभग।
स्थानीय अधिकारी राहत कार्य जारी रखे हुए हैं, क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को साफ करने, सभी आवश्यक सेवाओं को बहाल करने और प्रभावित समुदायों की सहायता के लिए उपकरण जुटा रहे हैं।
इस बीच, वियतनाम न्यूज एजेंसी ने शुक्रवार को बताया कि प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह ने गुरुवार को आपातकालीन राहत के लिए 15 प्रभावित इलाकों के लिए सहायता पैकेज को मंजूरी दी। इससे पहले, उन्होंने 30 सितंबर को स्थानीय अधिकारियों और विभागों को प्रभावित निवासियों की सहायता और प्रभावितों को तत्काल मदद पहुंचाने का निर्देश दिया था।
प्रधानमंत्री ने शोक संतप्त परिवारों, पार्टी संगठनों, प्रशासन और आपदाओं से हुए नुकसान और कठिनाइयों को झेल रहे निवासियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताई। उन्होंने जन समितियों के अध्यक्षों को आदेश दिया कि वे जल्द से जल्द अलग-थलग पड़े इलाकों में पहुंचने के लिए सेना और वाहन जुटाएं। क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत करवाएं और प्रभावित निवासियों के लिए आश्रयों की व्यवस्था करें। इसके साथ ही उन्होंने 5 अक्टूबर से पहले क्षतिग्रस्त शैक्षणिक और चिकित्सा सुविधाओं की मरम्मत कराने का निर्देश भी दिया है।
वियतनाम के कई हिस्सों में 300 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई है। उत्तरी मध्य वियतनाम के कई गांव जलमग्न हो गए थे और यातायात व बिजली गुल थी।
बुआलोई एक हफ्ते में एशिया के लिए खतरा बनने वाला दूसरा बड़ा तूफान था। पिछले कई वर्षों में आए सबसे शक्तिशाली तूफानों में से एक, रागासा तूफान ने उत्तरी फिलीपींस और ताइवान में कम से कम 28 लोगों की जान ले ली। इससे पहले कि यह चीन में पहुंचा और वियतनाम में फैल गया।
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