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भारत का संगठित खुदरा क्षेत्र 2030 तक 600 बिलियन डॉलर को कर जाएगा पार

बेंगलुरु, 26 मार्च। संगठित खुदरा उद्योग के निरंतर विकास के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करने के साथ भारत का समग्र खुदरा क्षेत्र 2030 तक 1.6 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के आंकड़े तक पहुंचने की ओर अग्रसर है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि आवश्यक श्रेणियां अधिकांश खर्च को आगे बढ़ाती रहेंगी और विवेकाधीन खर्च विस्तार की अगली लहर का नेतृत्व करेंगे।
ऑफलाइन और ऑनलाइन संगठित खुदरा विक्रेता बेहतर सोर्सिंग रणनीतियों, टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल और इंफ्रास्ट्रक्चर के इनोवेशन के बाजार में अक्षमताओं को दूर करेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है, “परिणामस्वरूप, संगठित खुदरा क्षेत्र 2030 तक 600 बिलियन डॉलर से अधिक का क्षेत्र बन जाएगा, जो कुल खुदरा बाजार का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हासिल कर लेगा।”
क्षेत्रीय विविधता, मूल्य संवेदनशीलता और जटिल आपूर्ति श्रृंखलाओं के बीच 350 भारतीय ब्रांडों ने 100 मिलियन डॉलर का राजस्व आंकड़ा पार कर लिया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि क्षेत्रीय और गैर-ब्रांडेड ब्रांडों द्वारा 2030 तक बाजार में 70 प्रतिशत से अधिक योगदान देने की उम्मीद है।
रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के एसोसिएट पार्टनर कुशाल भटनागर ने कहा, “आगे बढ़ने के लिए संगठित खुदरा मॉडल को ब्रांडेड सेगमेंट के अलावा क्षेत्रीय और गैर-ब्रांडेड खपत को भी साथ लेने की जरूरत होगी।”
उन्होंने कहा कि ऑफलाइन और ऑनलाइन खिलाड़ी इस अवसर को टारगेट करने के लिए बैकवर्ड इंटीग्रेशन, प्राइवेट लेबलिंग और सप्लाई इंटीग्रेशन जैसी रणनीतियों का मिश्रण अपना रहे हैं।
भारत में विषम उपभोक्ता वरीयताओं ने स्टॉक कीपिंग यूनिट्स (एसकेयू) की व्यापक रेंज को जन्म दिया है।
भारत की संस्कृति, भाषा और स्वाद हर कुछ किलोमीटर पर बदल जाते हैं, जिससे स्नैक्स, मसाले, खाद्यान्न, परिधान, आभूषण और घर की सजावट जैसी श्रेणियों में स्टॉक कीपिंग यूनिट्स (एसकेयू) का प्रसार बढ़ जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ताओं का एक बड़ा हिस्सा छोटे-टिकट वाले लेन-देन को पसंद करता है और खरीद निर्णय लेते समय अन्य कारकों की तुलना में सामर्थ्य को प्राथमिकता देता है।
सोर्सिंग और वितरण दोनों स्तरों पर कई असंगठित बिचौलिए मौजूद हैं, जिससे कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन एक चुनौती बन जाता है।
सामान्य व्यापार (जनरल ट्रेड) भी अपनी पहुंच, छोटे लेन-देन को सक्षम करने की क्षमता और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ बेहतर इंटीग्रेशन के कारण फल-फूल रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रभावी रूप से अति-स्थानीय उपभोक्ता वरीयताओं को पूरा करता है।
व्यापार
भारतीय शेयर बाजार हरे निशान के साथ खुला, ऑटो शेयरों में तेजी

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मुंबई, 16 सितंबर। भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ खुला। सुबह 9:24 पर सेंसेक्स 195 अंक या 0.24 प्रतिशत की तेजी के साथ 81,981 और निफ्टी 48 अंक या 0.19 प्रतिशत की मजबूती के साथ 25,116 पर था।
शुरुआती कारोबार में बाजार में तेजी का नेतृत्व ऑटो शेयर कर रहे थे। निफ्टी ऑटो इंडेक्स 0.74 प्रतिशत ऊपर था। इसके अलावा निफ्टी फार्मा, निफ्टी रियल्टी, निफ्टी मीडिया, निफ्टी एनर्जी, निफ्टी इन्फ्रा, निफ्टी कमोडिटी और निफ्टी पीएसई हरे निशान में थे।
वहीं, निफ्टी आईटी, निफ्टी पीएसयू बैंक और निफ्टी एफएमसीजी लाल निशान में थे।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी तेजी थी। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 92 अंक या 0.16 प्रतिशत की मजबूती के साथ 58,578 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 115 अंक या 0.64 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,242 पर था।
सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, कोटक महिंद्रा बैंक, एनटीपीसी, एक्सिस बैंक, एलएंडटी, अदाणी पोर्ट्स, बजाज फिनसर्व, अल्ट्राटेक सीमेंट,टाटा स्टील, बीईएल, टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, सन फार्मा, आईटीसी और टीसीएस टॉप गेनर्स थे। एशियन पेंट्स, टाइटन, एचडीएफसी बैंक, एसबीआई, बजाज फाइनेंस और एचयूएल टॉप लूजर्स थे।
चॉइस इक्विटी ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड में तकनीकी और डेरिवेटिव एनालिस्ट अमृता शिंदे ने कहा कि बाजार एक सीमित दायरे में है, जो दिखाता है कि अमेरिकी फेड की बैठक से पहले निवेशक सर्तक बने हुए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि तकनीकी दृष्टि से अगर निफ्टी 25,160 के ऊपर टिक जाता है, तो यह 25,250 और फिर 25,500 के ऊपर जा सकता है। वहीं, सपोर्ट लेवल 25,000 और 24,900 पर है।
वैश्विक बाजारों में मिलाजुला कारोबार हो रहा है। टोक्यो, हांगकांग, बैंकॉक और सोल हरे निशान में थे, जबकि शंघाई और जकार्ता दबाव में थे।
संस्थागत प्रवाह के मोर्चे पर, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 15 सितंबर को 1,268.6 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) ने इस दौरान 1,933.3 करोड़ रुपए का निवेश किया था।
व्यापार
शेयर बाजार सपाट खुला, ऑटो और रियल्टी शेयरों में तेजी

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मुंबई, 15 सितंबर। भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में सपाट खुला। सुबह 9:22 पर सेंसेक्स 40.18 अंक या 0.05 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 81,864.52 और निफ्टी 20.75 अंक या 0.08 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,094.55 पर था।
शुरुआती कारोबार में बाजार को ऊपर खींचने का काम ऑटो और रियल्टी शेयर कर रहे थे। निफ्टी ऑटो 0.47 प्रतिशत और निफ्टी रियल्टी 1.01 प्रतिशत ऊपर था।
इसके अलावा निफ्टी पीएसयू बैंक, निफ्टी एफएमसीजी, निफ्टी मेटल, निफ्टी एनर्जी, इन्फ्रा और कमोडिटी भी हरे निशान में थे। निफ्टी आईटी और निफ्टी फार्मा लाल निशान में थे।
स्मॉलकैप और मिडकैप में तेजी के साथ कारोबार हो रहा है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 205.30 अंक या 0.35 प्रतिशत की तेजी के साथ 58,444.60 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 118.30 अंक या 0.66 प्रतिशत की मजबूती के साथ 18,108.20 पर था।
सेंसेक्स पैक में बजाज फाइनेंस, इटरनल (जोमैटो), टाटा मोटर्स, अदाणी पोर्ट्स, पावर ग्रिड, कोटक महिंद्रा बैंक, ट्रेंट, बीईएल, मारुति सुजुकी, एसबीआई, भारती एयरटेल और एचडीएफसी बैंक टॉप गेनर्स थे। इन्फोसिस, सन फार्मा, टीसीएस, एचसीएल टेक, टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, एमएंडएम, एक्सिस बैंक और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स थे।
बाजार के जानकारों ने कहा कि तकनीकी और आधारभूत कारणों के चलते निफ्टी में बीते 8 सत्रों से तेजी जारी है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से आय में सुधार देखने को मिलेगा। वित्त वर्ष 27 में आय में बढ़त करीब 15 प्रतिशत रह सकती है। आय में बढ़त का सीधा फायदा ऑटोमोबाइल, व्हाइट गुड्स, हेल्थकेयर, सीमेंट और होटल इंडस्ट्री को होगा।
संस्थागत प्रवाह के मोर्चे पर, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 12 सितंबर को 129.6 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) ने भी इस दौरान 1,556 करोड़ रुपए का निवेश किया।
भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता हफ्ता काफी अच्छा रहा। इस दौरान निफ्टी 373 अंक या 1.51 प्रतिशत बढ़कर 25,114 और सेंसेक्स 1,193.94 अंक या 1.48 प्रतिशत बढ़कर 81,904.70 पर बंद हुआ।
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कम महंगाई और ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में घरेलू मांग को महत्वपूर्ण समर्थन करेंगी प्रदान : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 13 सितंबर। एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक चुनौतियों के बीच कम हेडलाइन मुद्रास्फीति और ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में घरेलू मांग को महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान करेंगी।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में अब हेडलाइन मुद्रास्फीति पहले के 3.5 से कम होकर 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके परिणामस्वरूप इस वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति में 140 आधार अंकों (1.4 प्रतिशत) की गिरावट आएगी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “इस तीव्र नरमी का अर्थ है कि इस वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति में 140 आधार अंकों की गिरावट आएगी, जिससे मौद्रिक नीति में ढील की गुंजाइश बनेगी। हमारा मानना है कि आरबीआई इस वर्ष दरों में 25 आधार अंकों की अतिरिक्त कटौती करेगा।”
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में मामूली रूप से बढ़कर 2.1 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 1.6 प्रतिशत थी और आरबीआई के 2 प्रतिशत के लोअर टॉलरेंस बैंड को पार कर गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति बहुत निचले स्तर से ऊपर जाने लगी है, जिसमें सांख्यिकीय निम्न-आधार प्रभाव भी शामिल है। ग्रामीण क्षेत्र में सीएफपीआई आधारित खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई, 2025 में -1.74 प्रतिशत की तुलना में अगस्त में -0.70 प्रतिशत (अनंतिम) दर्ज की गई है।
हालांकि, रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि अत्यधिक बारिश खरीफ फसलों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है, जिसका संभावित रूप से खाद्य कीमतों पर असर पड़ सकता है।
रेटिंग एजेंसी ने यह भी नोट किया कि गैर-खाद्य मुद्रास्फीति सौम्य बनी हुई है या आगे भी कम होने की उम्मीद है, जिसे तेल की कम कीमतों और जीएसटी दरों में कटौती के कारण कोर मुद्रास्फीति में नरमी का समर्थन प्राप्त है।
केरोसिन, बिजली और जलाऊ लकड़ी की कम कीमतों के कारण ईंधन मुद्रास्फीति 2.7 प्रतिशत से घटकर 2.4 प्रतिशत हो गई।
वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण कोर मुद्रास्फीति 4.1 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो गई, जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में मुद्रास्फीति में गिरावट आई।
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