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Tuesday,18-November-2025
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भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ खुला, मेटल स्टॉक्स में बिकवाली

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मुंबई, 18 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को गिरावट के साथ खुला। सुबह 9:25 पर सेंसेक्स 164 अंक या 0.19 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 84,784 और निफ्टी 47 अंक या 0.18 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,965 पर था।

लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी गिरावट देखी जा रही है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 92 अंक या 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 61,087 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 91 अंक या 0.50 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 18,255 पर था।

गिरावट का नेतृत्व मेटल शेयरों की ओर से किया जा रहा है और निफ्टी मेटल 0.89 प्रतिशत की कमजोरी थी। इसके साथ ऑटो, आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, रियल्टी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक, सर्विसेज और पीएसई लाल निशान में थे। केवल पीएसयू बैंक इंडेक्स हरे निशान में था।

सेंसेक्स पैक में भारती एयरटेल, एक्सिस बैंक, इटरनल (जोमैटो), अदाणी पोर्ट्स, बीईएल, एशियन पेंट्स, एसबीआई और पावर ग्रिड गेनर्स थे। बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस,टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, एमएंडएम, कोटक महिंद्रा, इन्फोसिस, टाइटन, एचसीएल टेक, टीसीएस, एलएंडटी, एचयूएल, आईटीसी, आईसीआईसीआई बैंक, ट्रेंट, मारुति सुजुकी और एनटीपीसी लूजर्स थे।

चॉइस ब्रोकिंग के मुताबिक, निफ्टी के लिए सपोर्ट 25,850 से लेकर 25,900 के बीच है। वहीं, इसका रुकावट का स्तर 26,100 से लेकर 26,150 के बीच है।

उन्होंने आगे कहा कि अगर निफ्टी 26,100 के ऊपर निकलता है तो यह नया ऑल-टाइम हाई बना सकता है।

एशियाई बाजारों में लाल निशान में कारोबार हो रहा था। टोक्यो, शंघाई, हांगकांग, जकार्ता और बैंकॉक के बाजार लाल निशान में थे। अमेरिकी शेयर बाजार सोमवार को लाल निशान में बंद हुआ था।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने लगातार पांच सत्रों की बिकवाली के बाद 17 नवंबर को शुद्ध खरीदार बनकर 442 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर खरीदे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी 1,465 करोड़ रुपए के शुद्ध निवेश के साथ सकारात्मक योगदान दिया।

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दूसरी तिमाही के आंकड़ों में दिखेगा फेस्टिव सीजन का असर, जीडीपी वृद्धि दर करीब 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान: एसबीआई रिसर्च

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GDP

नई दिल्ली, 18 नवंबर: फेस्टिव सीजन के चलते भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत के करीब रह सकती है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

एसबीआई रिसर्च की ओर से संकलित किए गए डेटा में बताया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती निवेश गतिविधियां बढ़ने, ग्रामीण स्तर पर खपत बढ़ने और सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत वृद्धि से मिल रही है।

इस ट्रेंड को संरचनात्मक सुधारों जैसे जीएसटी 2.0 से सपोर्ट मिल रहा है, जिसने फेस्टिव डिमांड को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

एसबीआई रिसर्च ने बताया कि अधिकतर आर्थिक संकेतक अब तेजी दिखा रहे हैं। कृषि, उद्योग, सेवाओं और उपभोग से जुड़े 50 प्रमुख संकेतकों में से 83 प्रतिशत ने दूसरी तिमाही में सुधार दिखाया, जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत पर था।

रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.5-8 प्रतिशत के बीच रह सकती है और जीवीए ग्रोथ करीब 8 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि आने वाली तिमाही में व्यापक स्तर पर ग्रोथ मजबूत रहने का अनुमान है। सितंबर से अक्टूबर तक चलने वाले फेस्टिव सीजन मांग को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। वहीं, जीएसटी की दरों में कटौती और मजबूत ई-कॉमर्स गतिविधियों ने ग्राहक खर्च को बढ़ाने में मदद की है।

क्रेडिट और डेबिट कार्ड लेनदेन के आंकड़ों ने ऑटो, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान और यात्रा जैसी श्रेणियों में मजबूत वृद्धि दिखाई।

मध्यम श्रेणी के शहरों में खर्च में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई, जबकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में महानगरों ने बढ़त दर्ज की।

रिपोर्ट के अनुसार, “डेबिट कार्ड से की गई खरीदारी में किराना और सुपरमार्केट की वस्तुओं का बड़ा योगदान रहा।”

रिपोर्ट में पाया गया कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से अधिकांश प्रमुख उपभोग श्रेणियां अत्यधिक लचीली हो गई हैं, जिसका अर्थ है कि उपभोक्ताओं ने कम कर दरों पर मजबूत प्रतिक्रिया दी।

केवल वस्त्र क्षेत्र में कम लचीलापन दिखा। एसबीआई रिसर्च का अनुमान है कि एक सामान्य भारतीय उपभोक्ता अब अपने उपभोग व्यय पर प्रति माह लगभग 7 प्रतिशत की बचत कर सकता है, और जैसे-जैसे अधिक आंकड़े उपलब्ध होंगे, यह लाभ और भी बढ़ सकता है।

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भारतीय शेयर बाजार बड़ी तेजी के साथ बंद; निफ्टी 26,000 के पार

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मुंबई, 17 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में बड़ी तेजी के साथ बंद हुआ। बाजार में चौतरफा तेजी देखी गई, जिससे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मुख्य बेंचमार्क निफ्टी 26,000 के पार बंद हुआ।

कारोबार के अंत में सेंसेक्स 388.17 अंक या 0.46 प्रतिशत की बढ़त के साथ 84,950.95 और निफ्टी 103.40 अंक या 0.40 प्रतिशत की तेजी के साथ 26,013.45 पर बंद हुआ।

बाजार की तेजी का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 445.15 अंक या 0.76 प्रतिशत बढ़कर अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 58,962.70 पर बंद हुआ है। दिन के दौरान निफ्टी बैंक ने 59,001.55 का ऑल-टाइम बनाया।

सेंसेक्स पैक में इटरनल (जोमैटो), मारुति सुजुकी, कोटक महिंद्रा बैंक, एमएंडएम, टेक महिंद्रा, टाइटन, एलएंडटी, एचडीएफसी बैंक, एचसीएल टेक, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल, सन फार्मा, एक्सिस बैंक और एसबीआई गेनर्स थे। अल्ट्राटेक सीमेंट, एशियन पेंट्स, बीईएल, टाटा स्टील, आईटीसी, टीसीएस और एचयूएल लूजर्स थे।

सेक्टोरल आधार पर निफ्टी पीएसयू बैंक 1.09 प्रतिशत,निफ्टी प्राइवेट बैंक 0.79 प्रतिशत, निफ्टी इन्फ्रा 0.33 प्रतिशत, निफ्टी सर्विसेज 0.54 प्रतिशत, निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 0.83 प्रतिशत, निफ्टी ऑयल एंड गैस 0.38 प्रतिशत और निफ्टी रियल्टी 0.45 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।

लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 441.30 अंक या 0.73 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61,180.50 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 95.10 अंक या 0.52 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,347.60 पर बंद हुआ।

बाजार के जानकारों ने कहा कि बाजार का सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है और इसने 26,000 के स्तर को पार कर दिया है। भारत-अमेरिका के बीच ट्रेंड डील की संभावना और दूसरी तिमाही में मिडकैप कंपनियों के उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन ने निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने का काम किया है।

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घरेलू स्तर पर मांग में इजाफे से 2026 में बढ़ेगी भारत के विकास की रफ्तार: रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 17 नवंबर: भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार 2026 में भी तेज रहेगी, इसकी वजह घरेलू स्तर पर मांग बढ़ना है। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

मॉर्गन स्टेनली द्वारा संकलित आंकड़ों में कहा गया है कि मैक्रो इंडिकेटर्स स्थिर बने हुए हैं, जिससे नीति निर्माताओं को मौद्रिक और राजकोषीय दोनों उपायों के माध्यम से विकास को समर्थन देने के लिए पर्याप्त गुंजाइश मिल रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विकास इंजन मुख्य रूप से मजबूत घरेलू खर्च और बढ़ते निजी निवेश से संचालित होगा।

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत बढ़ने की उम्मीद के साथ, वित्त वर्ष 2027-28 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।

कृषि आय में वृद्धि के कारण ग्रामीण मांग पहले से ही मजबूत है, जबकि कमजोर शहरी मांग, अब नीतिगत समर्थन के साथ फिर से मजबूत हो रही है।

नीतिगत मोर्चे पर मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट कम होकर 5.25 प्रतिशत पर आ जाएगी।

वैश्विक निवेश बैंक ने आगे कहा कि इस कटौती के बाद ब्याज दरों में कमी पर ब्रेक लगता सकता है और कुछ समय के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों के प्रभाव की समीक्षा कर सकता है।

हालांकि, इस दौरान सरकार का फोकस पूंजीगत व्यय और राजकोषीय समेकन पर बने रहने की उम्मीद है, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनी रहेगी।

रिपोर्ट में बताया गया कि ग्लोबल फैक्टर्स जैसे भूराजनीतिक उठापटक, अमेरिकी पॉलिसी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के टैक्स रिफॉर्म से मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिली है और इससे लोगों की खर्च योग्य क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

जैसे-जैसे व्यवसायों में विश्वास बढ़ेगा, निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ने की संभावना है, जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और उपभोग में और मजबूती आएगी।

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