व्यापार
भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में बंद, मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स एक प्रतिशत तक टूटे

मुंबई, 13 मार्च। भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को लाल निशान में बंद हुआ। बाजार में चौतरफा बिकवाली देखने को मिली। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 200.85 अंक या 0.27 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73,828.91 और निफ्टी 73.30 अंक या 0.33 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 22,397 पर था।
लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप में बड़ी गिरावट हुई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 361.50 अंक या 0.75 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 48,125.10 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 147 अंक या 0.98 प्रतिशत की गिरावट के साथ 14,897.35 पर बंद हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के ज्यादातर सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं। ऑटो, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा इंडेक्स सबसे अधिक गिरावट के साथ बंद हुए। पीएसयू बैंक इंडेक्स ही हरे निशान में बंद हुआ।
सेंसेक्स पैक में एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एनटीपीसी, सन फार्मा, टाटा स्टील, टीसीएस, पावर ग्रिड और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप गेनर्स थे। जोमैटो, टाटा मोटर्स, इंडसइंड बैंक, एशियन पेंट्स, बजाज फाइनेंस, मारुति सुजुकी, एचयूएल, रिलायंस और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स थे।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,520 शेयर हरे निशान में, 2,455 शेयर लाल निशान में और 130 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए हैं।
एलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक, रूपक दे ने कहा कि निफ्टी 22,350 से लेकर 22,550 की रेंज में बना हुआ है। अगर यह 22,550 के पार जाता है तो एक छोटी अवधि में रैली देखने को मिल सकती है। अगर 22,350 के नीचे फिसलता है तो गिरावट देखने को मिल सकती है।
भारतीय शेयर बाजार हरे निशान में खुला था। सुबह करीब 9.31 बजे, सेंसेक्स 61.17 अंक या 0.08 प्रतिशत बढ़कर 74,090.93 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 2.15 अंक या 0.01 प्रतिशत बढ़कर 22,472.65 पर था।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 12 मार्च को 1,627.61 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने उसी दिन 1,510.35 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
राष्ट्रीय
महाराष्ट्र: नवी मुंबई के कामोठे में आग लगने से मां-बेटी की दर्दनाक मौत

नवी मुंबई, 21 अक्टूबर : नवी मुंबई के कामोठे सेक्टर 36 में स्थित आंबे श्रद्धा सहकारी सोसायटी में सोमवार रात एक भीषण अग्निकांड में मां और बेटी की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा रात करीब 9 बजे के आसपास हुआ, जब बिल्डिंग के दूसरे माले पर एक फ्लैट में अचानक आग भड़क उठी। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी और स्थानीय निवासियों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी तेजी से फैली कि फ्लैट में मौजूद लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। जानकारी मिलते ही नवी मुंबई अग्निशमन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और आग बुझाने के प्रयास शुरू किए। अग्निशमन कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक मां और बेटी की जान जा चुकी थी।
प्राथमिक जानकारी के मुताबिक, फ्लैट में उस समय पांच लोग मौजूद थे। इनमें से तीन लोग समय रहते सुरक्षित बाहर निकल आए, लेकिन मां और बेटी आग की चपेट में आकर फंस गए, जिसके चलते उनकी दम घुटने से मौत हो गई।
अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आग लगने का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। हालांकि, प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का संभावित कारण माना जा रहा है।
स्थानीय पुलिस और अग्निशमन विभाग ने घटनास्थल का मुआयना शुरू कर दिया है और मामले की गहन जांच की जा रही है। फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम भी मौके पर पहुंची है, जो आग लगने के सही कारणों का पता लगाने में जुटी है।
घटना की सूचना मिलते ही सोसायटी के अन्य रहवासियों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। अग्निशमन विभाग की त्वरित कार्रवाई के कारण आग को अन्य फ्लैट्स तक फैलने से रोक लिया गया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि आग की लपटें और धुआं इतना घना था कि कुछ समय के लिए आसपास का इलाका धुएं से भर गया था।
इस हादसे ने एक बार फिर रिहायशी इमारतों में अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर किया है। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए।
पुलिस ने मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और उनके परिजनों को सूचित कर दिया गया है।
राष्ट्रीय
प्रदूषण में सांस लेना हो रहा मुश्किल : इन चीजों को खाने में करें शामिल और बनाएं फेफड़ों को मजबूत

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर : दीपावली के बाद देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। आसमान में धुंध छा जाती है, सांस लेना मुश्किल हो जाता है और सबसे ज्यादा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, खांसी, जुकाम और सांस की तकलीफें आम हो जाती हैं।
जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो उस हवा के साथ सूक्ष्म जहरीले कण हमारे शरीर में चले जाते हैं। ये कण शरीर में इन्फ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं, जिससे इम्युनिटी कमजोर होती है और सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अगर हम अपने खाने में कुछ चीजों को शामिल करें, तो इस खतरे से काफी हद तक खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी होती हैं जो शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर फेफड़ों की सेहत को बेहतर कर सकती हैं।
हल्दी: हल्दी को आयुर्वेद में ‘हर रोग की दवा’ कहा गया है। हल्दी में ‘करक्यूमिन’ नामक तत्व होता है, जो एक बेहद शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है। जब प्रदूषण के कारण हमारे फेफड़ों में सूजन होती है, तो करक्यूमिन उस सूजन को कम करने में मदद करता है। अगर इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शरीर इसे बहुत बेहतर तरीके से सोख पाता है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि काली मिर्च करक्यूमिन के अवशोषण को बढ़ाने में मददगार है। यही वजह है कि रात को हल्दी वाला दूध पीना या खाना बनाते समय हल्दी और काली मिर्च का इस्तेमाल करना फेफड़ों के लिए फायदेमंद होता है।
गुड़: गुड़ श्वसन प्रणाली की सफाई में कारगर है। इसमें आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में खून का बहाव सुधारते हैं और फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाते हैं। गुड़ शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करता है। खाना खाने के बाद इसका छोटा सा टुकड़ा लेना या सर्दी-जुकाम के दौरान इसे अदरक के साथ चबाना बहुत लाभकारी माना गया है।
खट्टे फल: संतरा, नींबू और आंवला जैसे खट्टे फल विटामिन-सी के प्रमुख स्रोत हैं। विटामिन-सी एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जो फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है और इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाता है। रोज सुबह आंवला जूस पीना, नींबू-पानी में शहद मिलाकर पीना या संतरे को नाश्ते में शामिल करना इन दिनों बेहद जरूरी है।
अदरक और तुलसी: अदरक फेफड़ों में जमी गंदगी और बलगम को बाहर निकालने में सहायक है, वहीं तुलसी को सदियों से फेफड़ों के डिटॉक्स में इस्तेमाल किया जा रहा है। अदरक-तुलसी की चाय या काढ़ा रोज दो बार पीने से न सिर्फ गले को आराम मिलता है बल्कि अंदर से भी शरीर मजबूत बनता है।
हरी पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी और ब्रोकली जैसी सब्जियां बीटा-कैरोटीन, फोलेट और विटामिन-ई जैसे तत्वों से भरपूर होती हैं, जो फेफड़ों की मरम्मत करने और उनकी कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
अमेरिका ने 1 लाख डॉलर की एच-1बी वीजा फीस पर दी सफाई, मौजूदा वीजा धारक रहेंगे मुक्त

वॉशिंगटन, 21 अक्टूबर: विदेशी पेशेवरों को बड़ी राहत देते हुए अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने एच-1बी वीजा की 1 लाख डॉलर आवेदन फीस पर नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें कई छूटें और अपवाद शामिल किए गए हैं।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, जो लोग एफ-1 (छात्र) वीजा से एच-1बी वीजा श्रेणी में स्विच कर रहे हैं, उन्हें यह भारी शुल्क नहीं देना होगा। इसी तरह, अमेरिका के भीतर रहकर वीजा में संशोधन, स्थिति परिवर्तन या अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन करने वाले एच-1बी वीजा धारकों पर भी यह शुल्क लागू नहीं होगा।
इसके अलावा, मौजूदा एच-1बी वीजा धारकों को देश में आने-जाने पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। यह शुल्क केवल उन नए आवेदकों पर लागू होगा जो अमेरिका के बाहर हैं और जिनके पास मान्य एच-1बी वीजा नहीं है। नई आवेदन प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन भुगतान लिंक भी जारी किया गया है।
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब अमेरिकी वाणिज्य मंडल ने इस फैसले के खिलाफ ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा दायर किया है। संगठन ने इस फीस को “गैरकानूनी” बताते हुए कहा कि इससे अमेरिकी व्यवसायों पर “गंभीर आर्थिक असर” पड़ेगा और कंपनियों को या तो अपने श्रम खर्च में भारी बढ़ोतरी करनी पड़ेगी या फिर कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती कम करनी होगी।
ट्रंप प्रशासन के खिलाफ यह दूसरी बड़ी कानूनी चुनौती है। इससे पहले, श्रमिक संघों, शिक्षा विशेषज्ञों और धार्मिक संस्थाओं के समूह ने भी 3 अक्टूबर को मुकदमा दायर किया था।
ट्रंप ने 19 सितंबर को हस्ताक्षरित इस घोषणा पर कहा था कि इसका उद्देश्य “अमेरिकी नागरिकों को रोजगार का प्रोत्साहन देना” है। हालांकि, इस फैसले से मौजूदा वीजा धारकों में भ्रम की स्थिति बन गई थी कि क्या वे अमेरिका लौट पाएंगे या नहीं।
व्हाइट हाउस ने 20 सितंबर को आईएएनएस से कहा था कि यह “एक बार लिया जाने वाला शुल्क” है, जो केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा, न कि नवीनीकरण या मौजूदा वीजा धारकों पर।
बता दें कि 2024 में भारतीय मूल के पेशेवरों को कुल स्वीकृत एच-1बी वीजाओं में 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी मिली थी। इसका कारण था वीजा स्वीकृति में लंबित मामलों का भारी बैकलॉग और भारत से आने वाले उच्च कौशल वाले आवेदकों की बड़ी संख्या।
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