अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत ने चेताया : अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी से पड़ोस में खतरा बढ़ेगा
भारत ने तालिबान शासित अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी और युद्धग्रस्त देश के पड़ोसी देशों के लिए खतरा बढ़ने के प्रति आगाह किया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करने में ठोस प्रगति देखने की जरूरत है कि इस तरह के प्रतिबंधित आतंकवादियों, संस्थाओं या उनके उपनामों को अफगान धरती या क्षेत्र में स्थित आतंकी अभयारण्यों से कोई समर्थन, मौन या प्रत्यक्ष रूप से नहीं मिलता है।”
अफगानिस्तान से आतंकवादी खतरों के बारे में भारत की चिंताओं को देश से अमेरिकी वापसी की वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर आयोजित परिषद की बैठक में प्रतिभागियों द्वारा व्यापक रूप से साझा किया गया था।
रुचिरा ने कहा कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) आतंकी समूह की मौजूदगी और उसकी ‘हमले करने की क्षमता’ में ‘काफी वृद्धि’ हुई है।
उन्होंने कहा कि आईएस से संबद्ध संगठन दूसरे देशों पर आतंकवादी हमलों की धमकी देना जारी रखे हुए है।
रुचिरा ने जून में काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले और अगले महीने उसके पास हुए बम विस्फोट की ओर ध्यान आकर्षित किया और इसे ‘बेहद खतरनाक’ बताया।
आईएस-के ने हमले की जिम्मेदारी ली थी।
रुचिरा ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा सूचीबद्ध समूहों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बीच संबंध, साथ ही अफगानिस्तान से बाहर संचालित अन्य आतंकवादी समूहों द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान शांति और स्थिरता के लिए एक सीधा खतरा हैं।”
ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, अल्बानिया, केन्या और यहां तक कि चीन और रूस ने अफगानिस्तान से आतंकवाद के खतरों को स्वीकार किया।
बैठक रूस के अनुरोध पर बुलाई गई थी, जो चीन, ईरान और पाकिस्तान के साथ तालिबान पर प्रतिबंधों में ढील देना चाहता था।
उन्होंने अपना पक्ष रखने के लिए आतंकवाद की धमकी का इस्तेमाल किया, और जोर देकर कहा कि तालिबान के साथ उलझने, अपने नेताओं पर यात्रा प्रतिबंध हटाने और देश के जमे हुए धन को जारी करने से आतंकवाद और महिलाओं के अधिकारों जैसे अन्य मुद्दों के समाधान खोजने का मार्ग प्रशस्त होगा।
चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने कहा कि अमेरिका को ‘जड़ी हुई संपत्ति तुरंत वापस करनी चाहिए’ और पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने इसे विधिवत प्रतिध्वनित किया।
अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने जवाब दिया : “कोई भी देश जो अफगानिस्तान में आतंकवाद को रोकने के लिए गंभीर है, वह तालिबान को तत्काल, बिना शर्त अरबों की संपत्ति तक पहुंच प्रदान करने की वकालत करेगा जो अफगान लोगों से संबंधित हैं।”
संयुक्त अरब अमीरात के स्थायी प्रतिनिधि लाना जकी नुसेबेह ने कहा कि परिषद को तालिबान को आतंकवाद से निपटने के लिए उपलब्ध साधनों का उपयोग करना चाहिए।
अल्बानिया के स्थायी प्रतिनिधि फ्रिड होक्सा ने उल्लेख किया कि तालिबान और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के बीच व्यापक संबंध जारी हैं, जबकि केन्या के काउंसलर गिदोन किनुथिया नडुंगु ने कहा कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान आईएस और अल कायदा जैसे आतंकवादी समूहों के लिए हमले शुरू करने का आधार नहीं होगा।
चीन, ईरान और पाकिस्तान के साथ रूस ने अफगानिस्तान में आतंकवाद के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया।
रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंज्या ने कहा, “अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए एक विशेष मिशन के साथ अफगानिस्तान आया था .. वास्तव में यह देश दवाओं के उत्पादन और वितरण में काफी मजबूत हुआ था। लेकिन तालिबान के आने से यह आतंकवाद का केंद्र बन गया।”
रुचिरा ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान को 32 टन चिकित्सा सहायता भेजी है, जिसमें आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं, टीबी-रोधी दवाएं और कोविड वैक्सीन की 500,000 खुराक और 40,000 टन से अधिक गेहूं शामिल हैं।
इन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए वितरित किया जा रहा है।
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अमेरिका में बड़ा विमान हादसा, इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ान भरते ही कार्गो प्लेन हुआ क्रैश; 4 की मौत और 11 घायल

नई दिल्ली, 5 नवंबर: अमेरिका के केंटकी में लुईविल मुम्मद अली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर प्लेन क्रैश का खौफनाक मंजर सामने आया है। मंगलवार शाम को लुईविल मुम्मद अली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यूपीएस कार्गो प्लेन टेकऑफ करने के कुछ ही सेकेंड बाद क्रैश हो गया और इस दुर्घटना में तीन क्रू मेंबर्स की जान चली गई।
प्लेन क्रैश के बाद आग की लपटें ऊपर उठने लगीं और आसपास की जगहों तक फैल गईं। प्लेन में करीब 2.5 लाख गैलन फ्यूल था, इस वजह से क्रैश होते ही आग इतनी तेजी से फैल गई। संघीय उड्डयन प्रशासन (एफएए) के अनुसार, यूपीएस एमडी-11 विमान केंटकी के लुइसविले हवाई अड्डे के पास उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
एफएए के एक बयान के अनुसार, यूपीएस उड़ान संख्या 2976 स्थानीय समयानुसार शाम 5 बजे के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान होनोलूलू के डैनियल के. इनौये अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर जा रहा था। एफएए राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (एनटीएसबी) के साथ मिलकर इस दुर्घटना की जांच कर रहा है। एफएए ने मंगलवार को कहा कि एनटीएसबी जांच की जिम्मेदारी संभालेगा।
लुइसविले हवाई अड्डे के जन सूचना अधिकारी, जोनाथन बिवेन ने बताया कि मंगलवार की दुर्घटना में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। बिवेन ने कहा, “मैं कुल चार लोगों के मारे जाने की पुष्टि कर सकता हूं। कम से कम 11 लोग घायल हुए हैं और उन्हें स्थानीय अस्पतालों में ले जाया गया है।”
एयरपोर्ट अधिकारियों के अनुसार, यूपीएस विमान के हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, लुइसविले मुहम्मद अली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली सभी उड़ानें मंगलवार रात रद्द कर दी गईं।
लुइसविले हवाई अड्डे के जन सूचना अधिकारी जोनाथन बिवेन ने कहा, “हम उन सभी लोगों से अनुरोध कर रहे हैं जो आज रात और कल एसडीएफ हवाई अड्डे से यात्रा कर रहे हैं कि वे उड़ान की अपडेट के लिए अपनी एयरलाइन से संपर्क करें।”
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भारतीय मूल के जोहरान ममदानी बने न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम मेयर, हुए ट्रंप के गुस्से का शिकार

नई दिल्ली, 5 नवंबर: अमेरिका में डेमोक्रेट उम्मीदवार भारतीय मूल के जोहरान ममदानी ने बुधवार को न्यूयॉर्क शहर के मेयर पद के चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार एंड्रयू कुओमो को हराकर ममदानी शहर के पहले मुस्लिम मेयर बन गए हैं। ममदानी 1 जनवरी, 2026 को अमेरिका के सबसे बड़े महानगर का नेतृत्व करने के लिए पदभार ग्रहण करेंगे।
जोहरान ममदानी युगांडा के विद्वान महमूद ममदानी और प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे हैं। उनका जन्म 18 अक्टूबर 1991 को युगांडा के कंपाला में हुआ था। जोहरान का बचपन युगांडा से दक्षिण अफ्रीका और आखिर में न्यूयॉर्क शहर में बीता।
अपनी जीत के बाद अपनी पहली एक्स पोस्ट में ममदानी ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें सिटी हॉल में एक न्यूयॉर्क मेट्रो ट्रेन खुलती दिखाई दे रही थी और दीवार पर “जोहरान फॉर न्यू यॉर्क सिटी” लिखा हुआ था। सिटी हॉल वह जगह है, जहां मेयर कार्यालय स्थित है।
जोहरान ममदानी ने जून में हुए डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में भी पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हरा दिया था। वहीं रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लीवा ने कुओमो के खेमे के बढ़ते दबाव के बावजूद नाम वापस लेने से इनकार कर दिया था। इस चुनाव ने पूरे देश का ध्यान खींचा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क की भारी आलोचना के बावजूद डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को चुनाव में सफलता मिली। चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर ममदानी को कम्युनिस्ट उम्मीदवार बताते हुए उनकी निंदा की थी और चेतावनी दी थी कि अगर वह चुने गए तो न्यूयॉर्क शहर के लिए फंडिंग कम की जा सकती है।
ट्रूथ पर ट्रंप ने लिखा, “अगर कम्युनिस्ट उम्मीदवार जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क शहर के मेयर का चुनाव जीत जाते हैं तो बहुत कम संभावना है कि मैं फेडरल फंड में न्यूनतम आवश्यक राशि के अलावा कोई और योगदान दूं।” उन्होंने यह भी कहा था कि अगर कोई यहूदी व्यक्ति जोहरान ममदानी को वोट देता है, वह मूर्ख है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें यहूदी विरोधी बताया।
एक अन्य पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने लिखा, “कम्युनिस्ट उम्मीदवार जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क शहर के मेयर का चुनाव जीतते हैं, तो यह बेहद असंभव है कि मैं अपने प्यारे पहले घर के लिए आवश्यक न्यूनतम राशि के अलावा संघीय निधि का योगदान करूं, क्योंकि एक कम्युनिस्ट मेयर होने के नाते इस महान शहर के आगे बढ़ने की भी कोई संभावना नहीं है। एक कम्युनिस्ट के नेतृत्व में यह स्थिति और भी बदतर हो सकती है और मैं बतौर इस पर पैसा बर्बाद नहीं करना चाहता।”
वहीं एलन मस्क ने भी ममदानी की काफी आलोचना की थी। मस्क ने सवाल उठाया कि बैलेट पेपर पर ममदानी का दो बार नाम छपा है। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क सिटी का बैलेट पेपर स्कैम है। आईडी की कोई जरूरत नहीं है और दूसरे मेयर उम्मीदवारों का नाम दो बार है।
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गनपाउडर प्लॉट: जब तहखाने से बरामद हुआ ‘बारूद’ और हुआ एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश

नई दिल्ली, 4 नवंबर: ‘गनपाउडर प्लॉट’ ब्रिटेन के इतिहास का ऐसा अध्याय है जो अगर सफल होता तो संसद धूल में मिल गई होती। ये घटना 1605 की है। 5 नवंबर की सुबह लंदन की सर्द हवा में एक साजिश की बू थी। ब्रिटिश संसद के तहखाने से अचानक 36 बैरल बारूद बरामद हुए और उसी के साथ ब्रिटेन के इतिहास की दिशा बदल गई। यह था गनपाउडर प्लॉट, यानी “बारूद की साजिश”-एक ऐसा प्रयास जिसने इंग्लैंड के राजा, सरकार और कैथोलिक धर्म के संबंधों को हमेशा के लिए बदल दिया।
यह षड्यंत्र किंग जेम्स प्रथम के खिलाफ रची गई थी। उस दौर में इंग्लैंड में कैथोलिक्स पर अत्याचार हो रहे थे और देश पर प्रोटेस्टेंट शासन था। कई कैथोलिक गुट यह मानते थे कि अगर संसद को उड़ा दिया जाए और राजा की हत्या हो जाए, तो देश में दोबारा उनका शासन लौट सकता है। इस योजना का नेतृत्व रॉबर्ट केट्सबी ने किया था, जबकि जिस नाम ने इतिहास में जगह बनाई वह था ‘गाइ फॉक्स’ , जो बारूदों की रखवाली करने वाला सैनिक था।
4 नवंबर की रात, फॉक्स संसद के नीचे स्थित तहखाने में तैयारियों में लगा था। लेकिन गुप्त सूचना मिलने पर वहां छापा पड़ा और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने साथियों के नाम बताए, और जल्द ही पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया। अगर यह साजिश सफल होती, तो उस दिन इंग्लैंड की संसद, राजा और अभिजात वर्ग सब खत्म हो सकते थे।
फॉक्स और उसके साथियों को राजद्रोह के आरोप में मौत की सजा दी गई। लेकिन उनकी असफलता ने ब्रिटेन को एक प्रतीक दे दिया — हर 5 नवंबर को बोनफायर नाइट या गाई फॉक्स नाइट के रूप में मनाया जाता है, जब लोग आतिशबाजी करते हैं और “रिमेम्बर, रिमेम्बर द फिफ्थ ऑफ नवंबर…” की पंक्तियां गाते हैं। यह न केवल उस साजिश की याद है, बल्कि सत्ता, धर्म और विद्रोह के उस संघर्ष की भी याद दिलाती है जिसने इंग्लैंड के राजनीतिक इतिहास को आकार दिया।
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