खेल
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे

मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलना राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान है, क्योंकि भारतीय सैनिक सीमा पर अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं। उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि दोनों देशों के बीच रविवार को होने वाले एशिया कप मैच का बहिष्कार करना दुनिया को आतंकवाद पर हमारे रुख से अवगत कराने का एक अवसर है।
ठाकरे ने कहा, “यह क्रिकेट मैच राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान है। क्या हमें पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए जबकि हमारे सैनिक सीमा पर अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं?”
भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए ठाकरे ने क्रिकेट मैच को देशभक्ति का मजाक बताया।
ठाकरे परिवार के मुंबई स्थित आवास मातोश्री में बाल ठाकरे और पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बीच हुई एक पुरानी मुलाकात का जिक्र करते हुए उद्धव ने कहा, “मेरे पिता ने जावेद मियांदाद से कहा था कि जब तक पाकिस्तान से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां जारी रहेंगी, तब तक कोई क्रिकेट नहीं होगा।”
खेल
इमरान खान का आरोप, परिवार की महिलाओं को निशाना बना रहे जनरल आसिम मुनीर

नई दिल्ली, 13 सितंबर। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आरोप लगाया है कि सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर उनके परिवार की महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक और उनकी पत्नी बुशरा बीबी की कानूनी टीम ने संयुक्त राष्ट्र के स्पेशल रैपोर्टेयर ऑन टॉर्चर डॉ. ऐलिस जे. एडवर्ड्स से अपील की है कि इस दंपति के साथ हो रहे कथित दुर्व्यवहार को रोका जाए।
पीटीआई नेता सैयद जुल्फीकार ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी की ओर से संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक, डॉ. एलिस जे. एडवर्ड्स के समक्ष दो औपचारिक अपील दायर की गईं। इमरान खान के बेटों, सुलेमान और कासिम खान ने अपने पिता के लिए अपील दायर की है, जबकि मरियम वट्टू ने अपनी बहन बुशरा बीबी के लिए अपील भेजी की है।”
उन्होंने लिखा, “हम इमरान खान और बुशरा बीबी की मनमानी गिरफ्तारी और अमानवीय व्यवहार के खिलाफ हर मंच पर आवाज उठाना कभी बंद नहीं करेंगे। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक राजनैतिक कैदी की पत्नी को सिर्फ उसका हौसला तोड़ने के लिए कैद किया गया है। पूरा देश इमरान खान के साथ मजबूती से खड़ा है, और हम कभी हार नहीं मानेंगे।”
प्रेस रिलीज के अनुसार, पाकिस्तान की पूर्व प्रथम महिला पर राजनीति से प्रेरित आरोप लगाए गए हैं और उन्हें सात साल की जेल की सजा सुनाई गई है। 2024 में उनकी नजरबंदी के बाद से, उन्हें यातना और अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा है, जिसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड से दूषित खाना परोसना, अस्वास्थ्यकर और गंदी कोठरी में बंद करना, चिकित्सा देखभाल से वंचित करना और लंबे समय तक एकांतवास में रहना शामिल है। यह कैद उन्हें और उनके पति को मानसिक रूप से तोड़ने और इमरान खान की पत्नी को निशाना बनाकर उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने की कोशिश का हिस्सा है।
इमरान खान परिवार के वकील जेरेड जेनसर ने कहा कि यातना और दुर्व्यवहार की तो बात ही छोड़ें, न तो इमरान खान और न ही बुशरा खान को जेल में होना चाहिए। अवैध नजरबंदी और दुर्व्यवहार का यह मामला अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत असहनीय है। संयुक्त राष्ट्र और दुनिया भर की सरकारों को उनके अधिकारों की रक्षा और उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
बता दें कि पाकिस्तान के जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर पर अत्याचार करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने मुनीर पर अपने परिवार की महिलाओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट के अनुसार खान ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ सभी अत्याचार आसिम मुनीर के आदेश पर हो रहे हैं। हमारा देश फिलहाल ‘आसिम कानून’ के तहत चल रहा है। मुनीर ने सारी नैतिकता को दफना दिया है।”
अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने भारत-पाकिस्तान मैच रद्द करने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार

suprim court
नई दिल्ली, 11 सितम्बर। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 14 सितंबर को दुबई में होने वाले भारत-पाकिस्तान एशिया कप टी-20 क्रिकेट मैच को रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मैच रविवार को निर्धारित है। अगर इसे शुक्रवार तक सूचीबद्ध नहीं किया गया तो यह याचिका निरर्थक हो जाएगी। याचिका पर न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा, “इस रविवार को मैच है, हम इसमें क्या कर सकते हैं? रहने दीजिए। मैच चलना चाहिए।”
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि चाहे उनका पक्ष मजबूत हो या न हो, मामले को कम से कम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने तत्काल सुनवाई के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और दोहराया कि मैच चलना चाहिए।
चार विधि छात्रों द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच आयोजित करने से राष्ट्रीय गरिमा और जनभावना के विपरीत संदेश जाएगा।
याचिका में तर्क दिया गया है कि पाकिस्तान, जो आतंकवाद को पनाह देता है, के साथ खेल में भाग लेने से सशस्त्र बलों का मनोबल गिरता है। शहीदों और आतंकवाद के पीड़ितों के परिवारों को पीड़ा होती है।
इसके अलावा, याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि क्रिकेट को राष्ट्रीय हित, नागरिकों के जीवन या सशस्त्र कर्मियों के बलिदान से ऊपर नहीं रखा जा सकता।
जनहित याचिका में कहा गया है, “यह टी20 क्रिकेट मैच पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथों अपनी जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचा सकता है। राष्ट्र की गरिमा और नागरिकों की सुरक्षा मनोरंजन से पहले आती है। इस मैच का जारी रहना राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता और मनोबल के लिए हानिकारक है।”
इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच का आयोजन यह दर्शाता है कि बहादुर सैनिकों और नागरिकों के जीवन की तुलना में मनोरंजन और राजस्व सृजन को प्राथमिकता दी जा रही है।
याचिका में आगे कहा गया है, “मैच भारत के सभी नागरिकों की भावनाओं का मजाक उड़ाने के अलावा और कुछ नहीं है। बीसीसीआई को युवा मामले और खेल मंत्रालय के क्षेत्राधिकार में लाने के लिए कदम उठाने का समय आ गया है।”
एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच 14 सितंबर (रविवार) को दुबई में मुकाबला होना है। दोनों देशों के बीच 21 सितंबर और एशिया कप के फाइनल में भी मैच हो सकता है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हो रहे भारत-पाकिस्तान मैच का विरोध देश में सामाजिक और राजनीतिक संगठन कर रहे हैं।
अनन्य
बिहार एसआईआर मामला: सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को बड़ा झटका, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा बढ़ाने से इनकार

नई दिल्ली, 1 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार एसआईआर (में विशेष गहन पुनरीक्षण) मामले में विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा 1 सितंबर से आगे बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि 1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी लोग अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज कर सकेंगे।
आयोग ने स्पष्ट किया कि नामांकन की अंतिम तारीख तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
चुनाव आयोग के वकील एकलव्य द्विवेदी ने कहा, “आज की सुनवाई में दो याचिकाएं दायर की गईं। मुख्य मांग थी कि आधार कवरेज को 65 प्रतिशत की बजाय सभी 7.2 करोड़ मतदाताओं तक बढ़ाया जाए और समयसीमा को भी बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मांगों को खारिज कर दिया है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई का डाटा नोट किया है कि 99.5 प्रतिशत लोगों का आवेदन हो चुका है और कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया है कि 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर लोग अपनी आपत्ति या दावा पेश कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आधार की मांग को भी नकारा है। कोर्ट ने माना है कि आधार का उद्देश्य नागरिकता को साबित करने का नहीं बल्कि पहचान को साबित करने का है। आधार कार्ड को ‘डेट ऑफ बर्थ’ का आधार माना जा सकता है।”
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारियों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है। समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। आयोग ने कहा कि 1 सितंबर से 25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय है और इसके बाद भी कोई रोक नहीं है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और सही दावों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ‘बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी’ के चेयरमैन को निर्देश दिया कि वे पैरा-लीगल वॉलेंटियर्स को मतदाताओं की मदद के लिए नोटिफिकेशन जारी करें, ताकि दावे और आपत्तियां दर्ज करने में सहायता मिल सके।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड को स्वीकार करने का आदेश केवल 65 लाख लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि आधार कार्ड के कारण किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ, तो उनकी सूची 8 सितंबर को कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
इससे पहले, याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि 22 अगस्त को कोर्ट ने आधार कार्ड को दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का आदेश दिया था, लेकिन चुनाव आयोग पारदर्शिता के अपने निर्देशों का पालन नहीं कर रहा।
उन्होंने आशंका जताई कि कई ‘रिन्यूमेरेशन फॉर्म’ ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) द्वारा भरे गए हैं। भूषण ने यह भी कहा कि आयोग कुछ मतदाताओं को नोटिस जारी कर रहा है, जिसमें दस्तावेजों में कमी का हवाला दिया जा रहा है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में छूट गए लोग आधार कार्ड के साथ दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि, आधार की अहमियत को मौजूदा कानूनी प्रावधानों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग को कानून के तहत आधार की वैधानिकता को स्वीकार करना होगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें कोर्ट आधार कार्ड के आधार पर मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की सूची पर विचार करेगा।
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