राजनीति
भारत 1947 में हुआ आजाद लेकिन गोवा को जवाहर लाल नेहरू की वजह से 15 सालों तक रहना पड़ा गुलाम : नरेंद्र मोदी
गोवा मुक्ति के 60 साल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत 1947 में आजाद हो गया था लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के रवैये की वजह से गोवा को 1947 के बाद भी 15 सालों तक गुलाम रहना पड़ा और जुल्म सहना पड़ा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गोवा की जनता इस जुल्म को कभी भूल नहीं सकती है।
राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने जैसे हैदराबाद और जूनागढ़ को भारत में शामिल कराया था, अगर उसी रणनीति को नेहरू ने गोवा के लिए अपनाया होता तो गोवा की जनता को भारत के आजाद होने के 15 सालों बाद तक भी गुलामी में नहीं रहना पड़ता। कांग्रेस सांसदों के सदन से वाकआउट के बावजूद अपना हमला जारी रखते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सिर्फ अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि को बचाने और बनाए रखने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने गोवा में सेना भेजने से इनकार कर दिया और गोवा के सत्याग्रहियों पर जुल्म होने दिया, उन पर गोलियां चलने दी। गोवा के वीर पुत्रों को इसकी वजह से बलिदान देना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह गोवा की जनता पर कांग्रेस द्वारा किया जुल्म था जिसे गोवा की जनता कभी भूल नहीं सकती है।
पीएम मोदी ने 15 अगस्त, 1955 को लाल किले से दिए गए नेहरू के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने लाल किले से कहा था, कोई धोखे में ना रहे कि हम वहां फौजी कार्रवाई करेंगे। कोई फौज गोवा के आसपास नहीं है। अंदर के लोग चाहते हैं कि कुछ शोर मचा कर ऐसे हालात पैदा करें कि हम मजबूर हो जाएं फौज भेजने के लिए। हम नहीं भेजेंगे फौज। हम उसको शांति से तय करेंगे समझ लें सब लोग इस बात को। जो लोग वहां जा रहे हैं, उनको वहां जाना मुबारक हो। लेकिन ये भी याद रखें कि अपने को सत्याग्रही कहते हैं तो सत्याग्रह के उसूल, सिद्धांत और रास्ते भी याद रखें। सत्याग्रही के पीछे फौजें नहीं चलती हैं और ना ही फौजों की पुकार होती है।
मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने उस समय गोवा की जनता को असहाय छोड़ दिया था और गोवा की जनता कांग्रेस के इस रवैये को भूल नहीं सकती है।
आपको बता दें कि , गोवा में विधानसभा की सभी 40 सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होना है। राज्य में विधानसभा चुनाव प्रचार अपने चरम पर है। भाजपा जहां राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। वहीं कांग्रेस 2017 में बाकी रह गई कसर को दूर करते हुए इस बार भाजपा को राज्य की सत्ता से बाहर करने की लड़ाई लड़ रही है। इन दोनों दलों की लड़ाई के बीच आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस समेत कई अन्य दल भी राज्य के चुनावी मैदान में अपनी ताल ठोंक रहे हैं।
महाराष्ट्र
अबू आसिम आज़मी ने कल्याण नमाज़ विवाद में दोषियों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग की

abu asim aazmi
मुंबई: मुंबई महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और MLA अबू आसिम आज़मी ने कल्याण आइडियल फार्मेसी कॉलेज में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की गुंडागर्दी की निंदा करते हुए कहा कि इस देश में हिंदू और मुसलमान के नाम पर बंटवारा और नफरत का बाज़ार लगा हुआ है। देश में नमाज़ पढ़ना कोई गुनाह नहीं है। मुसलमानों के लिए तय समय पर नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है। इसलिए अगर कोई नमाज़, पूजा और रस्म अदा करता है, तो उसमें एतराज़ क्यों? उन्होंने कहा कि जिन संस्थानों में छात्र पूजा करना चाहते हैं, वहां प्रार्थना कक्ष की व्यवस्था ज़रूरी है। जिस तरह से छात्रों को माफ़ी मांगने के लिए मजबूर किया गया, वह पूरी तरह से गलत और गुंडागर्दी है। मैं मांग करता हूं कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और प्रशासनिक संस्था ऐसे फिरकापरस्तों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करे ताकि कोई भी किसी शिक्षण संस्थान में घुसकर छात्रों को माफ़ी मांगने के लिए मजबूर न कर सके। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज, जिनकी मूर्ति के सामने छात्रों को माफ़ी मांगने के लिए मजबूर किया गया, एक सेक्युलर राजा थे। उनकी सेना में मुसलमान थे। जिस तरह से बदमाशों ने गुंडागर्दी की है, वह चिंताजनक है। इसके खिलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में नमाज़ पढ़ना कोई गुनाह नहीं है। कल्याण के अंबरनाथ में आइडियल फार्मेसी कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेशन की ज़िम्मेदारी मुस्लिम स्टूडेंट्स की सुरक्षा की थी, लेकिन एडमिनिस्ट्रेशन ने ऐसा नहीं किया। उसने अपनी ज़िम्मेदारी में लापरवाही की। नमाज़ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को माफ़ी मांगने पर मजबूर किया गया। आज़मी ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से रिक्वेस्ट करता हूं कि वे एजुकेशनल और दूसरे इंस्टीट्यूशन्स में नमाज़ के लिए कमरे देने का ऑर्डर दें और इस नफ़रत की पॉलिटिक्स के ख़िलाफ़ सख़्त एक्शन लें। तभी महाराष्ट्र और देश में भाईचारा बढ़ेगा।” उन्होंने कहा, “हर जगह नमाज़ को लेकर विवाद क्यों होता है और फिर उसे हिंदू-मुस्लिम रंग देकर नफ़रत क्यों फैलाई जाती है? अब पानी सिर से ऊपर उठ गया है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।”
महाराष्ट्र
मुंबई के वाशी नाका में काली माता की मूर्ति को माउंट मैरी में बदलने पर तनाव, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद मामला दर्ज, पुजारी गिरफ्तार

मुंबई; चेंबूर वाशी गांव के श्मशान में काली माता की मूर्ति को माउंट मैरी के आकार में बदल दिया गया, जिसके बाद इलाके में तनाव फैल गया, लेकिन पुलिस ने इस मामले में एक पुजारी को गिरफ्तार करने का दावा किया है, जिसने यह काम किया था, जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची थी। पुलिस ने स्थिति को काबू में कर लिया और केस भी सुलझा लिया। इस घटना के बाद माहौल खराब करने की कोशिश की गई, लेकिन बाद में पुजारी इसमें शामिल पाया गया, जिसके बाद अब यहां शांति बनी हुई है। मुंबई में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें चेंबूर वाशी गांव के श्मशान में स्थापित काली माता की मूर्ति को बदलकर माउंट मैरी जैसा बना दिया गया। इस घटना से इलाके के लोगों में सदमे और गुस्से की लहर है। सूचना मिलने पर RCF पुलिस मौके पर पहुंची, स्थिति का जायजा लिया और इसमें शामिल पुजारी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने घटना के संबंध में FIR भी दर्ज कर ली है। शुरुआती पूछताछ में आरोपी पुजारी ने पुलिस को बताया कि उसे काली माता की मूर्ति को माउंट मैरी जैसा बनाने का “सपने में निर्देश” मिला था। इस कथित “सपने के निर्देश” के बाद, उसने मूर्ति का आकार बदलने की कोशिश की। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधिकारी आगे की जांच कर रहे हैं। बदलाव के पीछे क्या मकसद था, और क्या बदलाव के पीछे कोई और वजह या झगड़ा था, इसकी भी जांच की जा रही है। स्थानीय लोगों और बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं ने पुलिस की कार्रवाई पर संतुष्टि जताई और कहा कि धार्मिक स्थलों पर बिना इजाजत किसी भी तरह का बदलाव मंजूर नहीं है। DCP समीर शेख ने कहा कि मूर्ति का आकार बदलने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और जांच जारी है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि आरोपी ने ऐसा संदिग्ध और विवादित काम क्यों किया, इसके पीछे कौन है, और किसके कहने पर उसने मूर्ति का आकार बदला। इन सभी बातों पर जांच जारी है। हालांकि, हालात को देखते हुए पुलिस ने यहां अतिरिक्त व्यवस्था तैनात कर दी है और हालात पर भी नजर रखी जा रही है। फिलहाल शांति है लेकिन तनाव बना हुआ है।
राजनीति
यूपी : संभल हिंसा का एक साल पूरा, स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन के कार्यों को सराहा

संभल, 24 नवंबर: उत्तर प्रदेश के संभल में भड़की हिंसा को सोमवार को एक साल पूरा हो गया। जामा मस्जिद सर्वे के दौरान यह हिंसा भड़की थी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के एक साल पूरे होने पर स्थानीय लोगों ने मीडिया से बात की और जिले में प्रशासन के कार्यों की तारीफ की।
संभल के एक स्थानीय व्यक्ति ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “संभल की जनता को ऐसा प्रशासन पहले कभी नहीं मिला, जैसा अभी मिला है। प्रशासन ने जिस हिसाब से संभल में कार्य किया, उससे यहां बहुत बड़ा हादसा होने से रुक गया।”
उन्होंने कहा, “संभल की जनता आज अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रही है। यहां का हिंदू जनमानस अब पलायन नहीं करेगा; लोगों में ऐसी भावना आ गई है। हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल के लिए जो घोषणाएं की हैं, अगर वे क्रियान्वित हो जाती हैं, तो जिला और भी आगे बढ़ेगा। इस समय यहां का प्रशासन संभल को आगे बढ़ाने के लिए पूरी मेहनत से लगा हुआ है।”
स्थानीय ने बताया, “संभल के लिए आ रही योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए प्रशासन पूरी तरह से प्रयासरत है। 24 कोसी परिक्रमा के लिए जो योजना बनाई गई है, वह निश्चित रूप से संभल से पलायन कर चुके लोगों को वापस यहां पर बुलाने के लिए कारगर साबित होगी। मैं पूरी तरह आशान्वित हूं कि संभल का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।”
एक अन्य स्थानीय ने कहा, “संभल में प्रशासन के कार्यों को सराहा। उन्होंने कहा कि संभल में प्रशासन बहुत अच्छा काम कर रहा है। पिछले 1 सालों में प्रशासन ने बहुत अच्छा काम किया है।”
शाही जामा मस्जिद के सेक्रेटरी मशहूद अली फारूकी ने कहा कि शाही जामा मस्जिद कमेटी अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रही है और पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन भी अपनी ड्यूटी निभा रहा है। सब कुछ कंट्रोल में है। हम सभी से अपील करते हैं कि किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और भाईचारा बनाए रखने में सहयोग करें। पुलिस और मस्जिद कमेटी दोनों शांति बनाए रखने के लिए पूरी तरह से काम कर रहे हैं, और हमारी दिल से अपील है कि शहर के लोग शहर को शांत और शांतिपूर्ण बनाए रखने में मदद करें।”
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