अंतरराष्ट्रीय
भारत और अमेरिका ‘इक्व लाइसेशन लेवी’ 2020 को लेकर एक संक्रमणकालीन दृष्टिकोण पर सहमत

भारत और अमेरिका ‘इक्व लाइसेशन लेवी’ 2020 पर ‘संक्रमणकालीन दृष्टिकोण’ पर सहमत हुए हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार, भारत और अमेरिका यह सुनिश्चित करने के लिए निकट संपर्क में रहेंगे कि संबंधित प्रतिबद्धताओं की एक समान समझ है और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से इस मामले पर विचारों के किसी भी मतभेद को हल करने का प्रयास किया जाएगा।
समझौते की अंतिम शर्तों को 1 फरवरी, 2022 तक अंतिम रूप दिया जाएगा।
विशेष रूप से, 8 अक्टूबर, 2021 को, भारत और अमेरिका ओईसीडी या जी20 समावेशी ढांचे के 134 अन्य सदस्यों में शामिल हुए, जिसमें ‘अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से उत्पन्न होने वाली कर चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक दो-स्तंभ समाधान पर वक्तव्य’ पर समझौता हुआ।
इसके अलावा, 21 अक्टूबर, 2021 को अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, स्पेन और यूके ने ‘पिलर 1’ को लागू करते हुए मौजूदा ‘एकतरफा उपायों’ के लिए एक संक्रमणकालीन दृष्टिकोण पर एक समझौता किया।
“समझौता संयुक्त बयान में परिलक्षित होता है जो उस तारीख (’21 अक्टूबर संयुक्त वक्तव्य’) पर उन छह देशों द्वारा जारी किया गया था।”
तदनुसार, भारत और अमेरिका इस बात पर सहमत हुए हैं कि ’21 अक्टूबर के संयुक्त वक्तव्य’ के तहत लागू होने वाली समान शर्तें सेवाओं की ई-कॉमर्स आपूर्ति पर भारत के 2 प्रतिशत बराबरी के शुल्क के संबंध में अमेरिका और भारत के बीच लागू होंगी और यू.एस. उक्त ‘समानीकरण लेवी’ के संबंध में व्यापार कार्रवाई करेगा।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हालांकि, लागू होने वाली अंतरिम अवधि 1 अप्रैल 2022 से ‘पिलर 1’ या 31 मार्च 2024 के कार्यान्वयन तक, जो भी पहले हो, तब तक होगी।”
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान उलेमा काउंसिल की गीदड़ भभकी में नहीं आएगा भारत का मुसलमान : मौलाना शहाबुद्दीन

बरेली, 1 मई। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने पाकिस्तान के उलेमा काउंसिल को कड़ी फटकार लगाई है। उन्होंने पाकिस्तान के उलेमा काउंसिल को चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी गीदड़ भभकी में भारत का मुसलमान नहीं आने वाला है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा, “पाकिस्तान के उलेमा काउंसिल ने धमकी दी है कि कश्मीर को गाजा बनने नहीं दिया जाएगा। मैं उन्हें (पाकिस्तान उलेमा काउंसिल) चेतावनी देता हूं कि उनकी गीदड़ भभकी में भारत का मुसलमान नहीं आने वाला है। कश्मीर भारत का अंग है, जो कल भी भारत का हिस्सा था, आज भी है और आगे भी रहेगा। एक दिन ऐसा आएगा कि पीओके पर भारतीय तिरंगा लहराएगा।”
उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा, “भारत मुंहतोड़ जवाब देना जानता है और इस तरह की भ्रमित करने वाली चीजें कभी बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। हिंदुस्तान का मुसलमान देश में सभी के साथ मिलजुलकर रहता आया है। मैं मस्जिद के इमाम और तमाम मुसलमानों से यही अपील करना चाहता हूं कि जुमे के दिन ‘यौम-ए-दुआ’ के तौर पर मनाएं। साथ ही जुमे की नमाज के बाद सामूहिक तौर पर देश की एकता, अखंडता के लिए दुआ की जाए। इमाम अपनी तकरीरों के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ आवाम को जागरूक करें और ये भी बताएं कि भारत इस मुश्किल घड़ी में दुश्मन का मुकाबला करने के लिए एकजुट है।”
दरअसल, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का यह बयान पाकिस्तान के उलेमा काउंसिल की उस टिप्पणी के जवाब में आया है, जिसमें पाकिस्तान के उलेमा काउंसिल ने धमकी देते हुए कहा था कि इस जुमे को पाकिस्तान की सभी मस्जिदों से भारत के खिलाफ एकजुटता का ऐलान होगा और हम कश्मीर को गाजा नहीं बनने देंगे।
अंतरराष्ट्रीय
भारत के साथ व्यापार समझौते के करीब अमेरिका : शीर्ष यूएस अधिकारी

वाशिंगटन, 1 मई। भारत और अमेरिका व्यापार समझौता के करीब हैं, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। यह बयान शीर्ष अमेरिकी ट्रेड वार्ताकार ने दिया।
अमेरिकी मीडिया और पॉलिसी सर्किल में अमेरिका-भारत व्यापार समझौता की चर्चा जोरों पर है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के बाद किसी देश के साथ होने वाली यूएस की यह पहली ट्रेड डील हो सकती है।
फिलहाल, अपने व्यापारिक साझेदार देशों के साथ समझौता करने के लिए ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन की रोक लगा दी है।
अमेरिकी ट्रेड वार्ताकार जेमिसन ग्रीर से फॉक्स न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या भारत के साथ समझौता अंतिम चरण के करीब है, तो उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कहूंगा कि यह अंतिम चरण है (लेकिन) यह करीब है।”
उन्होंने आगे कहा, “भारत के ट्रेड मंत्री के साथ मेरी बातचीत चल रही है। मैंने अपनी टीम एक सप्ताह के लिए भारत भेजी थी। वे पिछले सप्ताह यहां आए थे और मैंने उनके मुख्य वार्ताकार से मुलाकात की भी थी।”
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के बारे में पूछे जाने पर ग्रीर ने दोनों पक्षों के बीच ट्रे़ड बातचीत की रूपरेखा की घोषणा का जिक्र किया।
ग्रीर अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं।
उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव रॉबर्ट लाइटहाइजर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया था। उस समय वह अमेरिका और भारत व्यापार समझौता के अंतिम चरण के बहुत करीब पहुंच गए थे।
फरवरी 2020 में राष्ट्रपति ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान इस समझौते की घोषणा और हस्ताक्षर किए जाने थे, लेकिन लंबी और कठिन बातचीत के बावजूद यह समझौता विफल हो गया।
शीर्ष भारतीय ट्रेड वार्ताकारों ने इसके लिए अमेरिका को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि वे बार-बार लक्ष्य बदल रहे हैं।
ग्रीर वर्तमान बातचीत के दौर में दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार समझौते को लेकर कहीं अधिक आशावादी दिखे, उन्होंने कहा कि वे सबसे आगे दिख रहे हैं और अमेरिका की रणनीति सबसे महत्वाकांक्षी प्रस्तावों के साथ आगे बढ़ने की रही है।
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश : चिन्मय कृष्ण दास को जमानत, क्या जेल से हो पाएगी रिहाई ?

ढाका, 30 अप्रैल। बांग्लादेश की अदालत ने बुधवार को हिंदू संत चंदन कुमार धर उर्फ चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी।
चिन्मय के वकील प्रोलाद देब नाथ ने ‘द डेली स्टार’ को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनके जेल से रिहा होने की उम्मीद है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर रोक नहीं लगाता है तो चिन्मय दास को रिहा कर दिया जाएगा।
जस्टिस मोहम्मद अताउर रहमान और जस्टिस मोहम्मद अली रजा की पीठ ने चिन्मय की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।
रिपोर्ट के मुताबिक 23 अप्रैल को चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने उच्च न्यायालय की पीठ से अपने मुवक्किल को जमानत देने की प्रार्थना करते हुए कहा कि चिन्मय बीमार हैं और बिना सुनवाई के जेल में कष्ट झेल रहे हैं।
पिछले साल 31 अक्टूबर को चटगांव के मोहोरा वार्ड बीएनपी के पूर्व महासचिव फिरोज खान ने कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था। इसमें चिन्मय और 18 अन्य पर बंदरगाह शहर के न्यू मार्केट इलाके में 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया।
26 नवंबर को चटगांव की एक अदालत ने चिन्मय को जेल भेज दिया, इससे एक दिन पहले राजधानी में उनकी गिरफ्तारी के बाद उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
दास की गिरफ्तारी से व्यापक आक्रोश फैल गया था, कई लोगों ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।
दास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए काम करने वालों में शामिल रहे हैं। वे बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के मुखर समर्थक रहे हैं, उन्होंने अल्पसंख्यक संरक्षण कानून, अल्पसंख्यक उत्पीड़न के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए न्यायाधिकरण और अल्पसंख्यक मामलों के लिए समर्पित मंत्रालय की स्थापना जैसे प्रमुख सुधारों की मांग की है।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर यह आरोप लगता रहा है कि वह धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा देने में नाकाम रही है। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से देश में धार्मिक अल्पसंख्यक निशाने पर आ गए। भारत ने इस संबंध में बार-बार अपनी चिंता ढाका के साथ साझा की है। नई दिल्ली का कहना है कि अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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