राजनीति
सपा सरकार में आजमगढ़ कट्टरवादी सोच और आतंकवाद का पनाहगार कहा जाता था – अमित शाह
गृहमंत्री अमित शाह ने समाजवादी पार्टी पर हमला बोला और कहा कि जिस आजमगढ़ को दुनियाभर के अंदर, सपा शासन में कट्टरवादी सोच और आतंकवाद की पनाहगार के रूप में जाना जाता था, उसी भूमि पर आज मां सरस्वती जी का धाम बनाने का काम हम लोग कर रहे हैं।
केन्द्र सरकार में गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को सपा तथा बसपा का गढ़ माने जाने वाले जिले आजमगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय का तोहफा देने के साथ जनसभा को भी संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि लम्बे समय तक बदनाम रहा आजमगढ़ अब मां सरस्वती का धाम बनेगा। हम यहां पर माता सरस्वती का मंदिर बनाने जा रहा है। हम यहां पर महाराजा सुहेलदेव के नाम से राज्य विश्वविद्यालय बनाने जा रहे हैं। अमित शाह ने राज्य विश्वविद्यालय के नाम का एलान किया। उन्होने कहा कि मैं योगी आदित्यनाथ जी को एक सुझाव देना चाहता हूं, कि इसी यूपी की भूमि पर परदेसी आक्रांताओं को खदेड़ने का काम महराज सुहेलदेव जी ने किया था। अगर इस यूनिवर्सिटी का नाम हम उनके नाम पर रखते हैं, तो ये लोगों के लिए बहुत बड़ा संदेश होगा।
गृहमंत्री ने कहा कि भाजपा ने 2017 में अपने घोषणा पत्र में कहा था कि 10 नए विश्वविद्यालय बनाएंगे। आज 10 विश्वविद्यालय बनाने का काम पूरा हो चुका है। 40 मेडिकल कॉलेज बनाने का हमने वादा किया था, ये वादा भी हमने पूरा किया है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई परिवर्तन किए हैं। पहले यहां जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टिकरण का राज चलता था, सबको न्याय नहीं मिलता था। सीएम योगी ने जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टिकरण पर पूर्ण विराम लगाने का काम किया है।
कहा कि जैसे ही चुनाव आया है, अखिलेश जी को जिन्ना बहुत महान दिखने लगे हैं, यहां बैठे इतने लोग हैं, बताइये, कोई है जिसको जिन्ना महान लगता है। सपा वाले भी जैम लाए हैं, उनके जैम का मतलब है, जे से जिन्ना, ए से आजम खान, एम से मुख्तार।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश को माफिया राज से मुक्ति दिलाने का काम किया है। आपका आजमगढ़ इसका उदाहरण है। इससे पहले प्रदेश में लोग शामली के कैराना से लोग पलायन कर रहे थे। बेटियों की उच्च शिक्षा नहीं हो पाती थी। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि माफिया उत्तर प्रदेश छोड़कर चले गए हैं। अब यहां कानून का राज है। 2017 से पहले तो उत्तर प्रदेश देश की छठी अर्थव्यवस्था थी, आज देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इससे पहले प्रदेश का जीडीपी 10,90,000 करोड़ था और आज 21,31,000 करोड़ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में अंतर नहीं देखने को मिला है। भाजपा ने जो कहा वह करके भी दिखाया है। इसी कारण विश्व में भारत की प्रतिष्ठता भी काफी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यह वही आजमगढ़ है जहां का नाम काफी धूमिल हो गया था। 2017 व 2014 के पहले यहां का नौजवान जब देश के अंदर कहीं जाता था तो होटल में कमरा नहीं मिलता था। धर्मशाला में कमरा नहीं मिलता था। आजमगढ़ के सामने पहचान का एक संकट खड़ा हो गया था। हमने इस जिले को विकास की मुख्यधारा में लाकर खड़ा किया है। एक जिला एक उत्पाद के माध्यम से रोजगार का बड़ा माध्यम दिया। उन्होंने कहा कि भले ही आजमगढ़ ने दो-दो मुख्यमंत्री दिए हों, लोकसभा में सांसद चुनकर के भेजे हों, लेकिन उनके कारण आजमगढ़ की पहचान धूमिल ही हुई है।
राजनीति
पुतिन से विपक्ष को नहीं मिलने देना देश की परंपरा पर भारी चोट: अधीर रंजन चौधरी

मुर्शिदाबाद, 6 दिसंबर: रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय यात्रा के दौरान विपक्षी नेताओं की उनसे मुलाकात नहीं कराने पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार की आलोचना की।
कांग्रेस नेता ने कहा, “ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन हो रहा है। राहुल गांधी के साथ पुतिन साहब की मुलाकात करने का सरकार की तरफ से इंतजाम करना चाहिए था, क्योंकि यह हमारी परंपरा है, जो आजादी के बाद से होती आ रही है।”
भारत दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन को रूसी भाषा में अनुवादित ‘गीता’ भेंट की। इस पर अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को गीता भेंट की। पुतिन साहब भी मोदी को बाइबल भेंट कर सकते हैं, अगर पीएम मोदी पढ़ें तो। पीएम मोदी के गीता देने पर हम कोई आपत्ति नहीं जताते हैं।”
उन्होंने कहा, “आपत्ति जताने का सिर्फ एक कारण है कि हमारे देश की विपक्षी नेता को सम्मान देने की परंपरा रही है, वह सम्मान उन्हें नहीं दिया जा रहा है। अगर कोई विदेशी मेहमान आए तो वह विपक्षी नेता के साथ मुलाकात और बातचीत करते हैं, लेकिन पता नहीं क्यों पीछे से कौन सी रस्सी खींची जा रही है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की राहुल गांधी के साथ मुलाकात करने की कोई योजना शायद नहीं बन पाई है। यह हमारे देश की परंपरा पर भारी चोट है।”
गुरुवार को लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विदेशी मेहमानों से विपक्षी नेताओं के नहीं मिलने का मुद्दा उठाया था। राहुल गांधी ने संसद परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार ने विदेश से आने वाले डेलिगेट्स से कहा है कि वे विपक्ष के नेता (एलओपी) से न मिलें।
उन्होंने कहा था, “भारत के संबंध सबके साथ हैं। विपक्ष का नेता एक दूसरा परिप्रेक्ष्य देता है। भारत का हम भी प्रतिनिधित्व करते हैं। सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के लोग बाहर के लोगों से मिलें।”
राष्ट्रीय समाचार
इंडिगो फ्लाइट संकट पर सीजेआई को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग

Indigo
नई दिल्ली, 6 दिसंबर: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की उड़ानें बड़े पैमाने पर रद्द होने के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र मिश्रा ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को पत्र लिखकर इस पूरे संकट पर स्वतः संज्ञान लेने और मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है।
पत्र के माध्यम से दायर पिटीशन में कहा गया है कि इंडिगो द्वारा बीते कुछ दिनों में 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द करने और गंभीर देरी के कारण लाखों यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स पर फंस गए, जिससे एक तरह का मानवीय संकट पैदा हो गया है।
मिश्रा ने इसे यात्रियों के मौलिक अधिकार, विशेषकर अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार), का गंभीर उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से त्वरित हस्तक्षेप की अपील की है।
वकील नरेंद्र मिश्रा द्वारा भेजी गई इस विस्तृत याचिका में कहा गया है कि देशभर में इंडिगो की उड़ानें लगातार चौथे दिन (5 दिसंबर 2025) भी बाधित रहीं। छह बड़े मेट्रो शहरों में एयरलाइन का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5 प्रतिशत तक गिर गई। हजारों यात्री (जिनमें बुजुर्ग, बच्चे, दिव्यांग और बीमारी से जूझ रहे लोग शामिल हैं) एयरपोर्ट्स पर घंटों तक फंसे रहे।
एयरपोर्ट्स पर खाने-पीने, आराम, कपड़े, दवाइयों और रहने की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी गईं, जबकि एयरलाइन ने खुद मान लिया है कि उसके पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। अनेक मामलों में आपातकालीन मेडिकल जरूरतों की भी अनदेखी कर दी गई।
याचिका में कहा गया है कि इंडिगो ने नई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) फेज-2 लागू करने में गंभीर चूक की। यह नॉर्म पायलटों की सुरक्षा और थकान को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया था, लेकिन एयरलाइन के गलत प्लानिंग और रोस्टरिंग के कारण पूरा ऑपरेशन चरमरा गया। याचिका में इसे गंभीर कुप्रबंधन और यात्रियों के साथ अन्याय बताया गया है।
हजारों उड़ानें रद्द होने के बाद एक ओर जहां लोग एयरपोर्ट पर फंसे हैं, वहीं दूसरी ओर टिकटों की कीमतें भी अचानक बढ़ गईं। याचिका में उदाहरण दिया गया है कि मुंबई–दिल्ली सेक्टर में टिकट की कीमत 50,000 रुपए तक पहुंच गई। इसे यात्रियों का खुलेआम शोषण बताया गया।
याचिका में आरोप लगाया गया कि डीजीसीए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय समय रहते स्थिति को नहीं संभाल पाए। हालांकि डीजीसीए ने बाद में कुछ नियमों में अस्थायी ढील भी दी, लेकिन पत्र में कहा गया है कि यह राहत तब दी गई जब संकट चरम पर था।
याचिका में पूछा गया है कि क्या बड़े पैमाने पर उड़ान रद्दीकरण से उत्पन्न मानवीय संकट अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है? क्या निजी एयरलाइन द्वारा हुई यह चूक यात्रियों के मौलिक अधिकारों का हनन मानी जा सकती है? क्या डीजीसीए ऐसी स्थिति में एफडीटीएल नियमों में अस्थायी छूट दे सकता है? क्या मंत्रालय और डीजीसीए ने अपने कानूनी कर्तव्यों में चूक की? क्या सुप्रीम कोर्ट सार्वजनिक हित में दिशा-निर्देश जारी कर सकता है?
याचिका में कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने के चार मुख्य कारण बताए गए हैं, जिनमें अनुच्छेद 21 का उल्लंघन (भोजन, पानी, दवा, सुरक्षा की कमी), नियामक निकायों की असफलता, जनहित और राष्ट्रीय महत्व, जवाबदेही और मुआवजा शामिल हैं।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग रखी गई है कि मामले में तुरंत स्वतः संज्ञान लेकर इसे पीआईएल के रूप में स्वीकार किया जाए। स्पेशल बेंच बनाकर तुरंत सुनवाई की जाए। इंडिगो को आदेश दिया जाए कि मनमाने रद्दीकरण रोके, सुरक्षित तरीके से सेवाएं बहाल करे और सभी फंसे यात्रियों को मुफ्त वैकल्पिक व्यवस्था दे।
महाराष्ट्र
मुंबई के एडिशनल म्युनिसिपल कमिश्नर अमित सैनी का ट्रांसफर कर दिया गया है और उनकी जगह IAS ऑफिसर अविनाश ढकने को लाया गया है, क्योंकि उन पर “कैश-फॉर-ट्रांसफर” स्कैम के आरोप लगे हैं।

AMIT SAINI
मुंबई : यह ट्रांसफर बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (BMC) में 160 से ज़्यादा इंजीनियरों के फेरबदल से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद हुआ है, जिस पर बाद में सरकार ने रोक लगा दी थी।
एक्टिविस्ट संजय साटम ने म्युनिसिपल कमिश्नर भूषण गगरानी को शिकायत दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सैनी इंजीनियरों के ट्रांसफर के लिए ₹5 लाख से ₹40 लाख के बीच चार्ज कर रहे थे।
सैनी, 2007 बैच के IAS ऑफिसर, मार्च 2024 से BMC में पोस्टेड थे।
अविनाश ढकने, 2017 बैच के IAS ऑफिसर, पहले महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (MPCB) के मेंबर सेक्रेटरी के तौर पर काम कर चुके हैं और उन्होंने चार्ज संभाल लिया है।
एक्टिविस्ट्स की कार्रवाई की मांग के बाद ये ट्रांसफर किए गए, गलगली ने इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को धन्यवाद दिया।
एक्टिविस्ट साटम ने कहा कि यह ट्रांसफर काफी नहीं है और उन्होंने मामले की डिपार्टमेंटल और एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) से जांच कराने की मांग की।
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