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आईएमए पोंजी घोटाला : सीबीआई ने पूर्व कांग्रेस नेता बेग के ठिकानों पर की छापेमारी

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CBI

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को बेंगलुरू में राज्य के पूर्व गृहमंत्री आर. रोशन बेग के ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। सीबीआई ने करोड़ों रुपये के आई-मॉनेटरी एडवायजरी (आईएमए) पोंजी घोटाला मामले में उनके कथित संबंधों को लेकर 10 घंटे से अधिक समय की पूछताछ के बाद रविवार को बेग को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उन्हें बेंगलुरू के बाहरी इलाके में परप्पाना अग्रहारा केंद्रीय जेल में रखा गया है।

कर्नाटक स्थित आईएमए एक निवेश फर्म है, जो इस्लामी बैंकिंग नियमों के अनुपालन में चलती है। आईएमए और इसके समूह की कंपनियों द्वारा चलाई जा रही चार हजार करोड़ों रुपये की पोंजी स्कीम में कथित रूप से ऊंचे रिटर्न देने का वादा करके लाखों लोगों को ठगा गया था।

आईएमए के सह-संस्थापक मोहम्मद मंसूर खान ने अपनी गिरफ्तारी के समय आरोप लगाया था कि बेग ने उनके साथ 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की और उन्हें महंगी कार और गहने उपहार में देने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने कुछ अन्य सरकारी अधिकारियों के नाम भी लिए थे।

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के सीबीआई अधिकारियों की एक टीम ने सोमवार को सुबह 6.30 बजे से फ्रेजर टाउन के कोल पार्क में बेग के घर पर छापा मारा।

सीबीआई की टीम इस समय बेग के निवास पर तलाशी ले रही है, क्योंकि उसे संदेह है कि उनके पास आय से कहीं अधिक संपत्ति है।

जब घोटाला सामने आया था तो बेग ने सार्वजनिक रूप से अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था और दावा किया था कि हज सुविधा केंद्रों को कुछ दान के अलावा, उन्होंने किसी से भी कोई पैसा स्वीकार नहीं किया है।

51,500 से अधिक जमाकर्ताओं के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आइएमए और उसकी सहायक कंपनियों की ओर से जारी पोंजी स्कीम में लगाए गए लगभग 2500 करोड़ रुपये गंवा दिए।

सूत्रों ने कहा कि सीबीआई के अधिकारी अघोषित आय की तलाश कर रहे हैं और बेग के निवास से दस्तावेज और डेटा बरामद करने के लिए सोमवार को यह खोजबीन जारी है।

2019 के मध्य में जांच के दौरान, पुलिस को दस्तावेज मिले, जिसमें आईएमए घोटाले के एक मुख्य आरोपी खान ने नेताओं, पुलिसकर्मियों और सरकारी अधिकारियों को किए गए भुगतान को रिकॉर्ड किया था। दस्तावेजों में फंड के प्रमुख प्राप्तकर्ता के रूप में बेग को दिखाया गया था।

सूत्र ने कहा है कि निवेशकों को पैसा चुकाने के लिए सीबीआई की ओर से रोशन बेग की संपत्तियों को कुर्क किए जाने की संभावना है, क्योंकि मंसूर खान ने कथित तौर पर दावा किया है कि व्यवसाय को चालू रखने के लिए उन्हें रोशन बेग को करोड़ों रुपये का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया था।

खान देश छोड़कर भाग गया था, लेकिन जुलाई 2019 में बेंगलुरू पुलिस की अपराध शाखा (क्राइम ब्रांच) द्वारा उसे गिरफ्तार कर दुबई से वापस लाया गया।

खान ने छिपने के दौरान एक वीडियो जारी किया था और दावा किया था कि कई राज्य के राजनेताओं और अधिकारियों ने उन्हें रिश्वत देने के लिए मजबूर किया था, जिससे आईएमए का पतन हुआ।

इन्हीं नेताओं में से एक बेग भी थे, जिनके लिए दावा किया गया था कि उन्हें लगभग 400 करोड़ रुपये मिले थे। बेग तब मध्य बेंगलुरू के शिवाजी नगर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक थे।

मामले में नाम सामने आने के बाद 2019 में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बेग को हिरासत में लिया था। मुख्य आरोपी मोहम्मद मंसूर खान ने एक वीडियो में आरोप लगाया था कि रोशन बेग ने जबरन उससे पैसे उगाहे थे।

यूट्यूब पर वीडियो अपलोड होने के बाद, बेग को एसआईटी ने हिरासत में ले लिया था। उस समय वह एक निजी चार्टर प्लेन से बाहर किसी देश में भागना चाहते थे। एसआईटी ने आरोप लगाया था कि बेग देश से भागने की कोशिश कर रहे थे।

बता दें कि पूर्व कांग्रेस नेता बेग शिवाजीनगर निर्वाचन क्षेत्र से सात बार विधायक रह चुके हैं, जो बेंगलुरू शहर के बीच में है।

अपराध

ईडी ने 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी से जुड़ी संस्थाओं पर छापे मारे

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह से संबंधित 35 से ज्यादा परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक लोगों के कई ठिकानों पर छापे मारे हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू कर दी।

सूत्रों के अनुसार, इस मामले में नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए), बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ईडी के साथ जानकारी साझा की।

ईडी की प्रारंभिक जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के पैसों को इधर-उधर करने/निपटाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है। साथ ही, यस बैंक लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है।

प्रारंभिक जांच में यस बैंक से (2017 से 2019 तक) लगभग 3,000 करोड़ रुपए के अवैध लोन डायवर्जन का पता चला है। ईडी ने पाया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को पैसा दिया गया था। एजेंसी रिश्वतखोरी और लोन के इस गठजोड़ की भी जांच कर रही है।

नियामक ने अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों को यस बैंक द्वारा दिए गए लोन में कई नियमों का करते हुए उल्लंघन पाया है, जैसे कि क्रेडिट अप्रूवल मैमोरेंडम (सीएएम) पिछली तारीख के थे, बैंक की लोन नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच/लोन विश्लेषण के निवेश प्रस्तावित किए गए थे।

लोन शर्तों का उल्लंघन करते हुए, इन लोन को आगे कई समूह कंपनियों और मुखौटा कंपनियों में डायवर्ट किया गया।

जानकारी के मुताबिक, सेबी ने आरएचएफएल मामले में अपने निष्कर्ष ईडी के साथ साझा किए हैं। आरएचएफएल द्वारा कॉर्पोरेट लोन में नाटकीय वृद्धि भी ईडी की जांच के घेरे में है। आरएचएफएल के कॉर्पोरेट लोन वित्त वर्ष 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपए से एक ही साल में बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपए हो गए थे।

सूत्रों के अनुसार, जांच फिलहाल चल रही है। ईडी यस बैंक के अधिकारियों, समूह की कंपनियों और अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के बीच संबंधों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है।

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सांगली ड्रग्स फैक्ट्री केस: मुंबई क्राइम ब्रांच ने केमिकल सप्लायर को गुजरात से किया गिरफ्तार

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CRIME

मुंबई, 24 जुलाई। 256 करोड़ रुपए के ड्रग्स मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने बड़ी कार्रवाई करते हुए केमिकल सप्लायर को गिरफ्तार किया है। क्राइम ब्रांच का दावा है कि यह आरोपी मुस्तफा और ताहिर डोला को ड्रग्स बनाने के लिए रसायन सप्लाई करता था। यह मामला महाराष्ट्र के सांगली जिले में पकड़ी गई ड्रग्स फैक्ट्री से जुड़ा है।

मुंबई क्राइम ब्रांच ने केमिकल सप्लाई करने वाले आरोपी को गुजरात से गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान 34 वर्षीय बृजेश के रूप में हुई है। क्राइम ब्रांच के अनुसार, बृजेश ही डोला और कुब्बावाला को ड्रग्स बनाने के लिए जरूरी रसायन मुहैया कराता था। वह सिंथेटिक ड्रग्स के निर्माण में उपयोग होने वाले रॉ मटेरियल की आपूर्ति कर रहा था।

फिलहाल आरोपी बृजेश को 29 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में रखा गया है। इस दौरान कड़ी पूछताछ में कई राज खुलने की संभावनाएं हैं।

पिछले साल सांगली जिले में ड्रग्स बनाने वाली एक फैक्ट्री पकड़ी गई थी। क्राइम ब्रांच टीम ने खुफिया जानकारी के आधार पर छापेमारी कर इस फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था। मुंबई पुलिस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि 126.14 किलोग्राम एमडी ड्रग्स जब्त किया। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 256 करोड़ रुपए बताई गई।

ताहिर डोला अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी सहयोगी सलीम का बेटा है, जबकि मुस्तफा उसका भांजा है। मुस्तफा को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से गिरफ्तार कर भारत लाया गया था और ताहिर डोला को भी गिरफ्तार किया गया। पुलिस के मुताबिक, सलीम दाऊद के उस विश्वसनीय सर्कल का हिस्सा है, जो भारत में ड्रग्स तस्करी का नेटवर्क संभालता है। अवैध कारोबार में सलीम का बेटा ताहिर और भांजा मुस्तफा भी मदद करते थे। इसी कारण उन्हें आरोपी बनाया गया।

सलीम डोला का नाम ड्रग्स केस में पहले भी आया था, जब मुंबई क्राइम ब्रांच की एंटी नारकोटिक्स सेल ने सांताक्रुज में 100 किलोग्राम फेंटानिल ड्रग्स जब्त की थी। हालांकि, सांगली मामले में सलीम अभी फरार है।

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इंदौर में 4.80 करोड़ का सोना लेकर ड्राइवर फरार, पुलिस ने दर्ज किया मामला

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इंदौर, 23 जुलाई। मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर में गुजरात के एक कारोबारी का 4 करोड़ 80 लाख से ज्यादा का सोना लेकर ड्राइवर चंपत हो गया है। पुलिस ने 12 दिन बाद इस मामले में प्रकरण दर्ज कर आरोपी वाहन चालक की तलाश शुरू कर दी है।

यह मामला इंदौर के छत्रीपुरा क्षेत्र का है, जहां के एक होटल के बाहर से सोने के जेवरात एक ड्राइवर लेकर फरार हो गया। गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाले व्यापारी धमेंन्द्र भाई बीती रात को अपराध शाखा पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। उनकी शिकायत पर ड्राइवर मसरू रबारी, निवासी बनासकांठा, गुजरात के खिलाफ 4 किलो 800 ग्राम सोना कार में चोरी कर ले जाने के मामले में एफआईआर की गई है।

धर्मेन्द्र भाई की अंकित गोल्ड ज्वेलरी नाम से अहमदाबाद में दुकान है। शिकायत के अनुसार, ड्राइवर इंदौर के गंगवाल बस स्टेंड की शिवानी होटल के यहां कार में रखे दो थैले लेकर फरार हो गया। आठ जुलाई को उन्होंने अपने एक कर्मचारी (सौरभ) को इंदौर भेजा था। वह अपनी कार से ड्राइवर को लेकर सोने के जेवर लेकर इंदौर आया था, इससे पहले वह लुनावाडा पहुंचा। यहां से व्यापारियों को माल दिखाकर संतरामपुर होते हुए झाबुआ और फिर वहां से देर शाम इंदौर पहुंचे।

इंदौर में देर से आने के चलते वह गंगवाल बस स्टैंड क्षेत्र की होटल शिवानी में रुक गए। गाड़ी में बड़ी मात्रा में सोना होने पर सुरक्षा को लेकर ड्राइवर मसरू रबारी को गाड़ी के पास ही रहने दिया और खुद शेविंग कराने चला गया। कुछ देर बाद जब कर्मचारी वहां पहुंचा तो ड्राइवर और कार दोनों नहीं थे। उसे फोन किया तो मोबाइल भी बंद था।

शिकायत में आगे बताया गया कि चालक और वाहन दोनों के गायब होने पर सौरभ ने मालिक धर्मेन्द्र भाई को फोन कर जानकारी दी। इसके बाद ड्राइवर को खोजने के प्रयास शुरू किए गए। इस बारे में स्थानीय पुलिस को जानकारी दी गई। व्यापारी अपने स्तर पर तमाम प्रयास करने के बाद मंगलवार को क्राइम ब्रांच पहुंचे और जानकारी दी।

जानकारी के मुताबिक, चुराए गए सोने की कीमत करीब 4 करोड़ 80 लाख के पास है। इस मामले में क्राइम ब्रांच की टीम सीसीटीवी फुटेज और फोटो के आधार पर आरोपी की तलाश में जुट गई है। अपराध शाखा के डीसीपी राजेश त्रिपाठी के अनुसार गुजरात के व्यापारी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने कई दल बनाकर आरोपी की तलाश तेज कर दी है। प्रकरण भी दर्ज किया जा चुका है। आरोपी जल्दी ही पुलिस की गिरफ्त में होगा।

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