राजनीति
पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते तो भारत-पाक क्रिकेट मैच क्यों हो रहा है : आदित्य ठाकरे

मुंबई, 16 अगस्त। शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने एशिया कप में आयोजित होने वाले भारत-पाकिस्तान के मैच पर ऐतराज जताया है।
आदित्य ठाकरे ने शनिवार को पीएम मोदी के उस बयान पर जोरदार पलटवार किया, जिसमें 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा कि अब भारत ने तय कर लिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे। अब देशवासियों को भली-भांति पता चल गया है कि सिंधु का समझौता कितना अन्यायपूर्ण है, कितना एकतरफा है। ये ऐसा समझौता था, जिसने पिछले सात दशक से मेरे देश के किसानों का अकल्पनीय नुकसान किया है। अब हिंदुस्तान के हक का जो पानी है, उस पर अधिकार सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान का है, हिंदुस्तान के किसानों का है।
आदित्य ठाकरे ने मिडिया से बातचीत में कहा कि पीएम मोदी लाल किले के प्राचीर से कह रहे हैं कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते हैं। लेकिन, एशिया कप में हम उसी देश के साथ मैच खेलने वाले हैं, जिसके लिए हम कह रहे हैं कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी एक तरफ कहते हैं कि खून और पानी साथ नहीं बहेगा और दूसरी तरफ बीसीसीआई पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेल रही है और पार्टी कर रही है।
बता दें कि भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर सिर्फ शिवसेना (यूबीटी) ही नहीं बल्कि इंडी अलायंस में शामिल राजनीतिक दल भी चाहते हैं कि भारतीय टीम पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच न खेले।
एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जब पाकिस्तान के साथ व्यापार नहीं कर रहे हैं, पानी नहीं दे रहे हैं, तो मैच कैसे खेल सकते हैं?
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि पाकिस्तान हमें धमकियां देता है और हम उनके साथ क्रिकेट मैच खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं। आखिर हम यह क्यों नहीं कह सकते हैं कि पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का मैच हम नहीं खेलेंगे?
अपराध
मुंबई: ऑनलाइन स्टॉक घोटाले में धोखाधड़ी और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में चार गिरफ्तार

मुंबई: लोकल ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या करने वाले 20 वर्षीय युवक की मौत के तीन महीने बाद, कुर्ला रेलवे पुलिस ने शनिवार को चार लोगों पर धोखाधड़ी और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया। नवीनतम जाँच से पता चला है कि विजय टेटे ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वह ऑनलाइन शेयर बाजार में 1.8 लाख रुपये की ठगी के बाद अवसाद में था। गिरफ्तार किए गए लोगों – गोविंद अहिरराव, सुनील कुमार मिश्रा, अमन अब्बास और हरजीत संधू – पर ठगी गई रकम का कुछ हिस्सा अपने खातों में जमा कराने का आरोप है। मुख्य साइबर जालसाजों की तलाश अभी जारी है।
17 जुलाई को, पवई निवासी और मास मीडिया एवं ग्राफिक डिज़ाइनिंग के अंतिम वर्ष के छात्र टेटे का घाटकोपर और विक्रोली स्टेशनों के बीच पटरियों पर शव मिला। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था और उस समय आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज किया गया था। उनके पिता कस्टम विभाग में कार्यरत हैं।
पुलिस के मुताबिक, 15 जुलाई को टेटे ने एक ऑनलाइन ट्रेडिंग साइट पर ₹1,000 का निवेश किया और उसे तुरंत ₹1,000 का मुनाफ़ा हुआ। इससे उत्साहित होकर उसने दो बार ₹50,000 और एक बार ₹80,000 का निवेश किया। दो दिन बाद, उसने अपने पिता को फोन करके बताया कि साइट के मैनेजर उस पर ट्रेडिंग जारी रखने और ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए कम से कम ₹4 लाख निवेश करने का दबाव बना रहे हैं।
पिता की इस चेतावनी के बावजूद कि साइट फ़र्ज़ी हो सकती है, टेटे ने ज़ोर देकर कहा कि दूसरे यूज़र्स ने भी निवेश किया है, जिसके बाद पिता ने एक लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। गौरतलब है कि भारतीय स्टेट बैंक (मध्य प्रदेश शाखा) ने लाभार्थी के खाते में धोखाधड़ी होने का संकेत देते हुए, राशि वापस कर दी।
हालांकि, टेटे ने चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दिया और अपने पिता से पैसे दूसरे खाते में ट्रांसफर करने की ज़िद की, पुलिस ने बताया। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही, साइट मैनेजर टेलीग्राम पर उसे और पैसे देने या मुनाफ़ा गँवाने की धमकी देते रहे। आखिरकार, उसने 1.8 लाख रुपये गँवा दिए, जो उसने पहले निवेश किए थे।
17 जुलाई की रात लगभग 8 बजे, टेटे अपने माता-पिता को बिना बताए कहीं चला गया। एक घंटे बाद, जब पुलिस ने उसके फ़ोन पर कॉल किया, तो पता चला कि उसके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है।
राजनीति
राजनीतिक दलों को एमसीएमसी से पूर्व-प्रमाणित कराने होंगे विज्ञापन : चुनाव आयोग

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 और दूसरे राज्यों के उपचुनावों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को निर्देश जारी किए हैं कि अब से वे किसी भी सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर राजनीतिक विज्ञापन तभी जारी कर सकेंगे, जब उन्हें संबंधित मीडिया प्रमाणन और अनुरीक्षण समिति (एमसीएमसी) से पूर्व-प्रमाणन मिल जाए।
आयोग ने बताया कि यह निर्णय 6 अक्टूबर को घोषित हुए बिहार विधानसभा चुनावों और 6 राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
आयोग ने प्रेस नोट में बताया कि 9 अक्टूबर को जारी आदेश में कहा गया था कि सभी राष्ट्रीय, राज्यीय और पंजीकृत राजनीतिक दलों तथा चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार के लिए यह प्रक्रिया अनिवार्य होगी। बिना प्रमाणन के किसी भी इंटरनेट आधारित प्लेटफॉर्म (जिसमें सोशल मीडिया वेबसाइटें भी शामिल हैं) पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया जा सकेगा।
इसके लिए देशभर में जिला और राज्य स्तर पर एमसीएमसी समिति गठित कर दी गई है, जो विज्ञापनों के सत्यापन और प्रमाणन की जिम्मेदारी निभाएंगी। साथ ही ये समितियां मीडिया में चलने वाली पेड न्यूज जैसी संदिग्ध गतिविधियों पर भी सख्त निगरानी रखेंगी और आवश्यक कार्रवाई करेंगी।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि अब से उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करते समय अपने सभी प्रामाणिक सोशल मीडिया अकाउंट्स का विवरण देना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और फर्जी या भ्रामक अकाउंट्स के माध्यम से प्रचार को रोकना है।
भारत निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों को विधानसभा चुनाव समाप्त होने के 75 दिनों के भीतर अपने सोशल मीडिया प्रचार व्यय का विस्तृत विवरण आयोग को प्रस्तुत करना होगा।
इसमें इंटरनेट कंपनियों, वेबसाइटों और कंटेंट क्रिएटर्स को किए गए भुगतानों, सामग्री के प्रसार तथा सोशल मीडिया अकाउंट्स के संचालन में होने वाले खर्च को भी शामिल किया जाएगा।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई मेट्रो 3: वर्ली स्टेशन से ‘नेहरू’ नाम हटाने पर विवाद, कांग्रेस का सरकार पर हमला

मुंबई, 14 अक्टूबर: मुंबई मेट्रो 3 के वर्ली स्टेशन से ‘नेहरू’ नाम हटाए जाने को लेकर विवाद गहरा गया है।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए इसे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की स्मृति का अपमान बताया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा ने जानबूझकर ‘नेहरू’ नाम हटाकर स्टेशन का नाम केवल ‘साइंस सेंटर’ रखा, क्योंकि उन्हें ‘नेहरू’ नाम से एलर्जी है।
कांग्रेस का कहना है कि वर्ली का यह इलाका लंबे समय से ‘नेहरू साइंस सेंटर’ के नाम से जाना जाता है। यहां तक कि मुंबई मेट्रो 3 के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर ‘डिस्कवरी हब्स’ की सूची में भी इस स्थान को ‘नेहरू साइंस सेंटर’ ही कहा गया है। पार्टी ने इसे पंडित नेहरू के योगदान को मिटाने की साजिश करार दिया और चेतावनी दी कि अगर स्टेशन का नाम ‘नेहरू साइंस सेंटर’ नहीं रखा गया तो वे आंदोलन शुरू करेंगे।
वहीं, सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मेट्रो परियोजना का प्रस्ताव जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रखा था, तभी से इस स्टेशन का नाम ‘साइंस सेंटर’ प्रस्तावित था। सरकार ने स्पष्ट किया कि इसमें कोई राजनीति नहीं की गई है और कांग्रेस को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।
यह विवाद तब और गहरा गया जब कांग्रेस ने इसे भारत रत्न पंडित नेहरू की विरासत के साथ छेड़छाड़ का मामला बताया। पार्टी का कहना है कि यह कदम न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि देश के स्वतंत्रता संग्राम और विकास में नेहरू के योगदान को कमतर करने की कोशिश है। दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि यह निर्णय प्रशासनिक है और इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
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