अंतरराष्ट्रीय
विदेशी कंपनियों, निवेशकों के साथ किस तरह खुलेआम भेदभाव कर रहा चीन

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर जारी गतिरोध के बीच भारत में चीनी कंपनियों और उनके परिचालन के खिलाफ भारत ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। चीन ने कई एप्स पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक नियमों को हवाला दिया है और साथ ही वह खुद को नए जमाने के व्यापार का अग्रदूत कहता है। मगर उसकी खुद की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। चीन खुद लंबे समय से उद्योगों के बीच भेदभाव कर रहा है। विशेष रूप से विदेशी संस्थाओं के खिलाफ, जो उस देश में काम करने के लिए आती हैं। चीन में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के मार्च के एक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रौद्योगिकी क्षेत्र के आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है।
विदेशी कंपनियों ने लंबे समय से चीनी व्यवसायों, विशेषकर राष्ट्र के स्वामित्व वाले उद्यमों के साथ असमान प्रतिस्पर्धा के बारे में शिकायत की है।
उदाहरण के लिए चीन में काम करने वाली भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों टीसीएस, एचसीएल, इंफोसिस, टेक महिंद्रा और विप्रो की वृद्धि एक दशक के परिचालन के बाद भी बाजार पहुंच प्रतिबंध और गैर-टैरिफ बाधाओं से पंगु हो गई है।
चीन ने देश में चलने वाली वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लंबे समय तक सख्त नियम बनाकर रखे हैं और यह चीन के तथाकथित ‘ग्रेट फायरवॉल’ से इंटरनेट सेंसरशिप के कारण अवरुद्ध (ब्लॉक) हैं।
वैसे तो चीन भारत की ओर से सुरक्षात्मक ²ष्टिकोण से उसके एप्स पर लगाए गए प्रतिबंधों का रोना रो रहा है, मगर वह अपने गिरेबां में झांकना तक नहीं चाहता। चीनी सरकार ने विकिपीडिया, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और कुछ अन्य गूगल सेवाओं को अपने देश के लिए खतरनाक बताते हुए पूरी तरह से अवरुद्ध या अस्थायी रूप से प्रतिबंधित किया हुआ है।
विदेशी निवेशकों के खिलाफ चीन की भेदभावपूर्ण नीतियों को भी अच्छी तरह से जाना जाता है।
चीन में दीर्घकालिक वीजा प्राप्त करना वास्तव में मुश्किल है। इसके लिए निवेशकों को एक कंपनी बनाने और चीन के अविकसित पश्चिम में 500,000 डॉलर का निवेश करने की जरूरत होती है। इसके अलावा एक केंद्रीय प्रांत में 1,000,000 डॉलर या किसी अन्य क्षेत्र में 2,000,000 डॉलर का निवेश करके चीनी निवेश वीजा प्राप्त करना होता है।
विदेशी (स्थानीय लोग भी) चीन में संपत्ति को फ्री होल्ड नहीं कर सकते हैं। भूमि का हर भूखंड शुद्ध रूप से राष्ट्र का है और अधिकतम 70 साल की लीजहोल्ड पर ही प्राप्त किया जा सकता है। यह रियल एस्टेट निवेशकों के लिए व्यापार को बहुत कठिन बनाता है। शेयर निवेशकों को भी गंभीर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। विदेशी केवल हांगकांग के माध्यम से ‘ए-शेयर’ खरीद सकते हैं। ऐसा करने के लिए आपको हांगकांग ब्रोकरेज में अकाउंट खोलना होगा।
चीन की नियामक और कानूनी प्रणालियों में पारदर्शिता की कमी और कानून के शासन की कमी विदेशी निवेशकों को भेदभावपूर्ण प्रथाओं जैसे नियमों के चयनात्मक प्रवर्तन और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के लिए असुरक्षित छोड़ने पर मजबूर करती है।
कुछ विदेशी कारोबारियों ने बताया है कि स्थानीय अधिकारी और नियामक कभी-कभी तो केवल स्वैच्छिक प्रदर्शन आवश्यकताओं या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ ही ऐसे निवेश को स्वीकार करते हैं, जो कुछ घरेलू उद्योगों को विकसित करने और स्थानीय नौकरियों के सृजन में मदद कर सके।
चीन में व्यवसाय को लेकर इस तरह के अन्य कई मापदंड हैं, जो विदेशी व्यवसायियों के लिए परेशानी का सबब बनते हैं। मगर इसके बावजूद चीन खुद को नए जमाने के व्यापार का तथाकथित अग्रदूत कहता है और भारत द्वारा उसके एप्स पर सुरक्षा के ²ष्टिकोण से प्रतिबंध लगाने पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के उल्लंघन का रोना रोता है।
अंतरराष्ट्रीय
“सिल्क रोड आर्क” अस्पताल जहाज फ़िजी के लोगों के लिए लाभकारी है: फ़िजी के रक्षा मंत्री

बीजिंग, 6 अक्टूबर : फ़िजी के रक्षा एवं वयोवृद्ध मामलों के मंत्री पियो टिकोदुआदुआ ने हाल ही में कहा कि चीनी नौसेना का “सिल्क रोड आर्क” अस्पताल जहाज फ़िजी के लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हुआ है और यह फ़िजी और चीन के बीच मजबूत मैत्री का एक ज्वलंत उदाहरण है।
“सद्भाव मिशन 2025” के तहत कार्यरत इस अस्पताल जहाज ने 4 अक्टूबर की शाम फ़िजी की राजधानी सुवा में एक डेक रिसेप्शन भी आयोजित किया, जिसमें फ़िजी के उप प्रधानमंत्री प्रसाद, कई कैबिनेट मंत्री, नौसेना कमांडर, विभिन्न देशों के राजदूत, सैन्य अताशे, फ़िजी में चीनी नागरिक और कंपनियों के प्रतिनिधि समेत लगभग 150 लोग शामिल हुए।
पियो टिकोदुआदुआ ने इस अवसर पर “सिल्क रोड आर्क” टीम की व्यावसायिकता और समर्पण की विस्तृत प्रशंसा करते हुए फ़िजी सरकार की ओर से जहाज के समस्त कर्मियों को हार्दिक आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि फ़िजी, जो नए चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला प्रशांत क्षेत्र का पहला द्वीपीय देश था, सदैव दोनों देशों के बीच की इस मेहनत और दोस्ती को संजोता रहा है। वे स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में चीन के साथ व्यावहारिक सहयोग को और अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
चीन के फ़िजी राजदूत झोउ च्येन ने इस जहाज को सिर्फ स्वास्थ्य की सुरक्षा और आशा का संदेश देने वाला जीवनदायिनी जहाज नहीं बल्कि चीन और फ़िजी के लोगों के बीच दोस्ती का प्रतीक भी बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह जहाज दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने का एक शांति का स्तंभ है।
झोउ च्येन ने जोर देकर कहा कि चीन फ़िजी के साथ मिलकर उनके मूलभूत हितों और अहम चिंताओं का समर्थन जारी रखेगा और अंतर्राष्ट्रीय न्याय व निष्पक्षता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
अंतरराष्ट्रीय
फिलिस्तीनी अथॉरिटी के प्रमुख ने ‘गाजा डील की प्रगति’ को बताया ‘रचनात्मक’

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर : फिलिस्तीनी अथॉरिटी के प्रमुख महमूद अब्बास ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हमास की प्रतिक्रिया को सकारात्मक बताने वाली घोषणा का स्वागत किया है। अब्बास के अनुसार, यह प्रतिक्रिया बंधकों की रिहाई और रचनात्मक वार्ता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे मध्य पूर्व में स्थायी शांति की उम्मीद जगी है।
फिलीस्तीनी अथॉरिटी अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, “हम इन बयानों का स्वागत करते हैं क्योंकि ये सभी बंधकों को रिहा करने और इस महत्वपूर्ण चरण में रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की इच्छा का संकेत देते हैं, जिसमें सभी को सर्वोच्च स्तर की राष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाने की आवश्यकता है।” बयान में युद्ध समाप्त करने के लिए समझौते की दिशा में ट्रंप और अरब तथा मुस्लिम देशों को प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया गया है।
बयान में कहा गया है, “अब हमारे लिए जो महत्वपूर्ण है वह पूर्ण युद्धविराम के लिए तत्काल प्रतिबद्धता, सभी बंधकों और कैदियों की रिहाई, संयुक्त राष्ट्र संगठनों के माध्यम से मानवीय सहायता की तत्काल आपूर्ति, विस्थापन या विलय की रोकथाम सुनिश्चित करना और पुनर्निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत है।”
इसमें इजरायल की नसीहत भी दी गई है। लिखा है, ” हम इन प्रयासों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित मध्यस्थों और साझेदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे, जिससे एक स्थायी शांति स्थापित हो सके जो फिलिस्तीन पर इजरायली कब्जे को समाप्त किया जा सके।”
अपने बयान में पीए प्रमुख ने धार्मिक स्थलों पर हमले और विस्थापितों की समस्या का जिक्र करते हुए अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को संबोधित करते हुए कहा, “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इजरायल को उसके सभी एकतरफा कदमों को रोकने के लिए मजबूर करे जो अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं।”
अब्बास ने आगे कहा कि एक स्वतंत्र, संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य, इजरायल के साथ, इस क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक स्वाभाविक साझेदार है, और अब एक स्थायी शांति का समय आ गया है जो क्षेत्र के सभी लोगों के लिए सुरक्षा और न्याय की गारंटी दे।
व्यापार
आरबीआई की नई गाइडलाइंस कल से लागू, बैंकों को एक दिन में ही क्लियर करना होगा चेक

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, 4 अक्टूबर से सभी बैंकों को एक दिन की अवधि में ही चेक क्लियर करना होगा। इससे चेक के जरिए भुगतान करना तीव्र और आसान हो जाएगा। मौजूदा समय में चेक को क्लियर होने में एक से दो दिन का समय लगता है।
एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक समेत कई बैंकों ने 4 अक्टूबर से एक ही दिन में चेक क्लियर होने की जानकारी अपने ग्राहकों को दी है।
नई व्यवस्था के तहत 4 अक्टूबर से जमा किए गए चेक उसी दिन कुछ ही घंटों में क्लियर हो जाएंगे। दोनों बैंकों ने ग्राहकों से चेक बाउंस होने से बचने के लिए पर्याप्त बैलेंस रखने और देरी या अस्वीकृति से बचने के लिए सभी चेक विवरण सही-सही भरने का आग्रह किया है।
आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि नए सिस्टम को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहला फेस 4 अक्टूबर, 2025 से 3 जनवरी, 2026 तक के लिए लागू होगा, जबकि दूसरा फेस 3 जनवरी के बाद से लागू होगा।
आरबीआई ने नए सिस्टम के काम करने के बारे में विस्तार के जानकारी देते हुए कहा कि इसमें एक सिंगल प्रेजेंटेशन सेशन होगा, जिसमें चेक को सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक पेश करना होगा।
इसके तहत चेक प्राप्त करने वाली बैंक को चेक को स्कैन करके क्लिरिंग हाउस को भेजना होगा। इसके बाद क्लिरिंग हाउस की उस चेक की इमेज को राशि अदा करने वाले बैंक के पास भेजेगा।
इसके बाद कॉन्फॉर्मेशन सेशन सुबह 10 बजे से लेक शाम के 7 बज तक होगा। इसमें राशि अदा करने वाले बैंक को उस चेक पर सकारात्मक या नकारात्मक कॉन्फॉर्मेशन देनी होगी।
यहां बड़ी बात यह है कि हर चेक का एक ‘आइटम एक्सपायरी टाइम’ होगा, जिस समय तक कॉन्फॉर्मेशन देनी आवश्यक है।
साथ ही, बैंकों ने ग्राहकों से सुरक्षा बढ़ाने के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम का उपयोग करने का भी आग्रह किया गया है, जिसके तहत सत्यापन के लिए चेक का मुख्य विवरण पहले से जमा करना अनिवार्य है। खाताधारकों को 50,000 रुपए से अधिक के चेक जमा करने से कम से कम 24 कार्य घंटे पहले बैंक को खाता संख्या, चेक संख्या, तिथि, राशि और लाभार्थी का नाम बताना होगा।
चेक प्रस्तुत करते समय बैंक इन विवरणों की पुष्टि करेंगे। यदि जानकारी मेल खाती है, तो चेक क्लियर कर दिया जाएगा, अन्यथा, अनुरोध अस्वीकार कर दिया जाएगा और चेक जारीकर्ता को विवरण दोबारा जमा करना होगा।
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