राष्ट्रीय समाचार
पुणे में नवले ब्रिज पर भीषण हादसा, दो की मौत कई घायल

पुणे, 25 जनवरी। पुणे में शनिवार सुबह एक भीषण सड़क हादसा हुआ। करीब 5 बजे बाहरी हाईवे पर वडगांव ब्रिज के पास एक स्विफ्ट कार ने खड़ी बस में पीछे से टक्कर मार दी। इस हादसे में कार सवार दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार अन्य घायल हो गए।
घायल युवकों को पहले नवले अस्पताल और फिर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। ये सभी युवक जन्मदिन की पार्टी से लौट रहे थे। पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
इससे पहले 17 जनवरी को भी पुणे-नासिक हाईवे पर एक तेज रफ्तार मिनी वैन सड़क के किनारे खड़ी एक बस से टकरा गई थी। इस हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई थी।
पुलिस के अनुसार, यह हादसा सुबह करीब 10 बजे पुणे-नासिक हाईवे पर नारायणगांव के पास हुआ था। मिनी वैन नारायणगांव की तरफ जा रही थी, तभी पीछे से एक टेंपो ने उसे टक्कर मार दी थी, जिससे वैन का रास्ता बदल गया और वह बस से जा टकराई थी। इस हादसे में वैन में सवार नौ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
टक्कर इतनी जोरदार थी कि वैन आगे से पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया था कि हादसे में मिनी वैन में सवार सभी नौ यात्रियों की मौत हो गई थी।
16 जनवरी को भी मुंबई दहिसर टोल नाके पर एक कार डंपर से टकरा गई थी। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। वहीं, एक यात्री को सुरक्षित बचाया गया था। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार में आग लग गई थी और वह जलकर खाक हो गई थी। डंपर के अगले हिस्से में भी आग लग गई थी।
राजनीति
‘मेरे खिलाफ भी दर्ज करें केस’ हिंजेवाड़ी दौरे के दौरान उपमुख्यमंत्री अजित पवार का सख्त संदेश

पुणे, 26 जुलाई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार शनिवार को एक्शन में नजर आए। उन्होंने सुबह पुणे के हिंजेवाड़ी स्थित राजीव गांधी आईटी पार्क क्षेत्र का दौरा किया और नागरिक मुद्दों की समीक्षा की। इस दौरान अजित पवार ने अधिकारियों को काम में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए।
अजित पवार को कहते सुना गया, “विकास कार्य में अगर कोई आड़े आ रहा है, तो उसके खिलाफ सरकारी कामों में बाधा निर्माण करने की धारा 353 के तहत एफआईआर दर्ज करें। अगर मैं भी इस बीच में बाधा बनकर आऊं, तो मेरे खिलाफ भी इसी 353 धारा के तहत मामला दर्ज करें।”
हिंजेवाड़ी स्थित राजीव गांधी आईटी पार्क क्षेत्र काफी मशहूर है। आईटी पार्क में जलभराव से लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मानसून के आगमन के बाद हिंजेवाड़ी आईटी पार्क वाटर पार्क में तब्दील हो गया था। शनिवार को अजित पवार ने यहां का दौरा किया।
अजित पवार सुबह 6 बजे ही हिंजेवाड़ी पहुंच गए। अजित पवार ने उन सभी जगहों का निरीक्षण किया, जहां कथित तौर पर अवैध निर्माण हुआ। इसी बीच, कुछ स्थानीय लोग अजित पवार से मिलने आए, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई न हो। हालांकि, इस बात पर अजित पवार भड़क गए।
डिप्टी सीएम ने वहां उपस्थित पिंपरी चिंचवड शहर के पुलिस कमिश्नर विनय कुमार चौबे को सूचित किया कि हिंजेवाड़ी आईटी पार्क और अन्य इलाकों में डेवलपमेंट चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अगर कोई बाधा बनता है तो उसके खिलाफ धारा 353 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। इसी दौरान उन्होंने अपना भी नाम लिया था।
इसके बाद, पुणे में अजित पवार ने महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उपमुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “राजीव गांधी आईटी पार्क में विभिन्न स्थानीय समस्याओं, पुणे मेट्रो लाइन 3 परियोजना के स्थल निरीक्षण और यातायात की समस्या के समाधान के लिए प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की गई।”
राष्ट्रीय समाचार
शारदा विश्वविद्यालय आत्महत्या मामला: जांच समिति की रिपोर्ट 28 जुलाई को पुलिस को सौंपी जाएगी

ग्रेटर नोएडा, 26 जुलाई। ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय में बीते दिनों छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या के मामले में विश्वविद्यालय की तरफ से बनाई गई कमेटी की जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। विश्वविद्यालय की ओर से गठित अंतरिम जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है और यह रिपोर्ट आगामी 28 जुलाई को पुलिस को सौंपी जाएगी।
विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार शाम मृतका ज्योति शर्मा के माता-पिता और अन्य परिजन विश्वविद्यालय पहुंचे थे, जहां समिति के सदस्यों ने उनसे लंबी पूछताछ की। समिति ने परिजनों के बयान दर्ज किए।
ज्योति के माता-पिता ने बताया कि आत्महत्या से कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपनी बेटी से जुड़े मानसिक उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की शिकायत संबंधित प्रोफेसर से की थी। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे छात्रा मानसिक दबाव में आ गई थी। जांच में यह भी सामने आया है कि छात्रा के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) में कोई संदेहजनक गतिविधि नहीं पाई गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आत्महत्या से पहले किसी बाहरी व्यक्ति से कोई संदिग्ध संपर्क नहीं हुआ था।
विश्वविद्यालय की जांच समिति ने इस मामले में कुल मिलाकर कई छात्रों, फैकल्टी सदस्यों और अन्य संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि किन हालातों में छात्रा ने यह कदम उठाया और किन लोगों की भूमिका पर संदेह बना हुआ है। अब सभी की निगाहें 28 जुलाई को पुलिस को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट पर टिकी हैं।
माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आगामी कार्रवाई की दिशा तय करेगी और यदि समिति ने किसी की लापरवाही या दोष सिद्ध किया है, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही संभव है। यह मामला उच्चतम न्यायालय की निगरानी में है, जिसने पहले ही उत्तर प्रदेश पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
राष्ट्रीय समाचार
सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार, पुराने वाहनों पर रोक के आदेश पर पुनर्विचार की मांग

नई दिल्ली, 26 जुलाई। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में चल रहे 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा करने की मांग की।
दिल्ली सरकार का तर्क है कि मौजूदा पॉलिसी से मध्यम वर्ग पर अनुचित दबाव पड़ रहा है। रेखा गुप्ता सरकार ने 2018 के उस नियम पर पुनर्विचार करने की मांग की है जिसमें पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध है।
सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन करने का निर्देश दे। यह अध्ययन वाहनों की उम्र के आधार पर लगाए गए प्रतिबंध के वास्तविक पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करेगा और मूल्यांकन करेगा कि क्या यह कदम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि सभी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर पड़ने वाले असर और निष्पक्षता की दोबारा जांच की जाए। सरकार एक अधिक सटीक, उत्सर्जन-आधारित नियामक ढांचे की वकालत करती है, जो वाहन की उम्र के बजाय उससे होने वाले वायु प्रदूषण और गाड़ी की फिटनेस को ध्यान में रखे।
मौजूदा नियम सभी वाहनों के लिए एकसमान अनुपालन की मांग करता है, चाहे वे बहुत प्रदूषण फैलाने वाले हों या अच्छी तरह से रखरखाव किए गए, कम उपयोग वाले वाहन हों। यह क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर को प्रभावी ढंग से कम करने के व्यापक लक्ष्य के साथ मेल नहीं खाता।
दिल्ली सरकार ने बताया कि बीएस-6 वाहन, जो स्वच्छ उत्सर्जन मानक के तहत लाए गए हैं, बीएस-4 वाहनों की तुलना में काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं। सरकार ने तर्क दिया कि वर्तमान में प्रतिबंध से प्रभावित कई वाहन अच्छी तरह से रखरखाव किए हुए हैं और जरूरी मानदंडों का पालन करते हैं।
विभिन्न अध्ययनों का हवाला देते हुए सरकार ने कहा है कि कम इस्तेमाल होने वाली पुरानी गाड़ियों से प्रदूषण बहुत कम होता है। यह प्रतिबंध मध्यम वर्ग के लोगों पर अनावश्यक बोझ डाल रहा है, जो इन गाड़ियों का इस्तेमाल सीमित लेकिन जरूरत के अनुसार करते हैं। सरकार चाहती है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिक वैज्ञानिक और निष्पक्ष उपाय किए जाएं।
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