अंतरराष्ट्रीय समाचार
ग्रीस में एचएमपीवी ने दी दस्तक, 71 साल का शख्स पीड़ित
एथेंस, 9 जनवरी। ग्रीस में 71 वर्षीय एक व्यक्ति में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) से पीड़ित होने की पुष्टि हुई है।
मरीज को निमोनिया तथा अन्य स्वास्थ्य समस्याएं थीं। मरीज की उत्तरी बंदरगाह शहर थेसालोनिकी में गहन देखभाल की जा रही है। वहीं राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन ने चिकित्सा कर्मचारियों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने और सख्त स्वच्छता उपाय अपनाने की सलाह दी है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, एथेंस के नेशनल एंड कपोडिस्ट्रियन विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर गिकिकास मैगियोर्किनिस ने जनता को आश्वस्त किया कि इसको लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यह वायरस पहले से ही मौजूद है और खतरनाक नहीं है।
मंगलवार को इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्री बुदी गुनादी सादिकिन ने घोषणा की थी कि देश में श्वसन वायरस एचएमपीवी का संक्रमण पाया गया है, लेकिन उन्होंने जनता को आश्वस्त करते किया कि यह बीमारी खतरनाक नहीं है।
सादिकिन ने मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर कहा, “हमारी रिपोर्ट से पता चलता है कि इससे कई बच्चे संक्रमित हुए हैं। हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हालांकि, यह कोई नई बीमारी नहीं है। यह 2001 से इंडोनेशिया में मौजूद है और हमने इस वायरस के कारण कोई गंभीर प्रभाव नहीं देखा है।”
उन्होंने कहा कि इसके लक्षण सामान्य फ्लू जैसे ही हैं तथा उन्होंने जनता से स्वस्थ एवं स्वच्छ वातावरण बनाए रखने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, “यदि किसी व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर है तो उसे फ्लू हो सकता है। हालांकि, हमारा शरीर इस वायरस से निपटने में सक्षम है। हमें पर्याप्त आराम करके और नियमित शारीरिक व्यायाम करके अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है।”
2001 में खोजा गया एचएमपीवी, रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (आरएसवी) के साथ न्यूमोविरिडे परिवार का सदस्य है। अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार आणविक नैदानिक परीक्षण (मॉलिक्युलर डायग्नोस्टिक टेस्ट) के व्यापक उपयोग से ऊपरी और निचले श्वसन संक्रमण के एक महत्वपूर्ण कारण के रूप में एचएमपीवी की पहचान हुई है।
सीडीसी के अनुसार एचएमपीवी सभी आयु वर्ग के लोगों में श्वसन रोग का कारण बन सकता है। यह ज्यादातर बच्चों, वृद्धों और कमजोर इम्यूनिटी वालों को निशाना बनाता है।
सीडीसी के अनुसार, एचएमपीवी से जुड़े सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
कोविड-19 और फ्लू के विपरीत, एचएमपीवी के लिए कोई टीका या इसके उपचार के लिए कोई एंटीवायरल दवा नहीं है। इसके बजाय, डॉक्टर गंभीर रूप से बीमार की देखभाल उनके लक्षणों को देखकर करते है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
सऊदी अरब और अमेरिका के बीच अब तक की सबसे बड़ी डील, परमाणु समझौते से लेकर एफ-35 पर लगी मुहर

नई दिल्ली, 19 नवंबर: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) अमेरिकी दौरे पर पहुंचे और मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। बता दें, करीब 7 साल बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने अमेरिका का दौरा किया। दोनों देशों के बीच कई ऐतिहासिक समझौते हुए।
व्हाइट हाउस में क्राउन प्रिंस और अमेरिकी राष्ट्रपति ने मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर भी हस्ताक्षर किया। दोनों देशों ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी पर एक संयुक्त घोषणा को मंजूरी दी है।
बता दें, एमबीएस से मुलाकात से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को घोषणा की थी कि यूएस सऊदी अरब को एफ-35एस फाइटर जेट बेचेगा। सऊदी अरब की मांग पर अमेरिका उसे 48 एफ-35एस फाइटर जेट देगा। दोनों देशों ने करीब 300 अमेरिकी टैंक की डिलीवरी पर मुहर लगाई है।
व्हाइट हाउस के बयान के अनुसार, उन्होंने असैन्य परमाणु ऊर्जा, एक महत्वपूर्ण खनिज ढांचे और एक एआई समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर समझौतों के अलावा अमेरिका-सऊदी रणनीतिक रक्षा समझौते (एसडीए) पर भी हस्ताक्षर किए।
बता दें, अब तक केवल इजरायल को ही एफ-35एस मिलने की अनुमति थी। हालांकि, अब सऊदी अरब के साथ इस डील से ये तस्वीर बदलने वाली है। वहीं इसे लेकर जब ट्रंप से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि इजरायल को इस डील के बारे में पहले से जानकारी है। सऊदी अरब और इजरायल दोनों ही अमेरिका के अच्छे दोस्त हैं।
वहीं, सऊदी अरब का अमेरिका में निवेश 600 बिलियन डॉलर से बढ़कर 1 ट्रिलियन डॉलर होने जा रहा है। क्राउन प्रिंस ने खुद इसकी जानकारी दी है। बता दें, अमेरिकी पत्रकार जमाल खरगोशी की 2018 में हुई हत्या के बाद से अमेरिका और सऊदी के बीच सबकुछ ठीक नहीं था। हालांकि, अब अमेरिकी राष्ट्रपति सऊदी के साथ संबंधों को सुधारने पर जोर दे रहे हैं।
क्राउन प्रिंस के स्वागत में आयोजित भव्य डिनर पार्टी के दौरान ट्रंप ने सऊदी को मेजर नॉन-नाटो एलाय (महत्वपूर्ण गैर-नाटो सहयोगी) घोषित कर दिया। अमेरिका ने अब तक यह दर्जा सिर्फ 19 देशों को दे रखा है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
सुरक्षा परिषद ने ट्रंप की गाजा शांति योजना का समर्थन करने वाले ऐतिहासिक प्रस्ताव को मंजूरी दी

संयुक्त राष्ट्र, 18 नवंबर: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पास किया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना को मंजूरी दी गई। इस मंजूरी के बाद अब गाजा में एक अंतरराष्ट्रीय बल भेजने का रास्ता साफ हो गया है, जिससे युद्ध से तबाह इलाकों में शांति और व्यवस्था बहाल की जा सकेगी।
यह निर्णय ट्रंप के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। प्रस्ताव में ट्रंप के नेतृत्व वाले ‘‘बोर्ड ऑफ़ पीस’’ (बीओपी) को गाजा की अंतरिम प्रशासनिक संस्था के रूप में मान्यता दी गई है, ताकि दो साल से चले आ रहे संकट के बाद वहाँ सामान्य स्थिति बहाल हो सके।
संयुक्त राष्ट्र के कट्टर आलोचक ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, यह संयुक्त राष्ट्र के इतिहास की सबसे बड़ी मंजूरियों में से एक के रूप में दर्ज होगा, दुनिया भर में शांति को बढ़ावा देगा और यह एक सच्चे ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है।”
इस प्रस्ताव की एक खास बात यह है कि इसमें फिलिस्तीन को अपने स्वतंत्र राष्ट्र बनने का रास्ता भी दिया गया है, जबकि ट्रंप प्रशासन पहले इसका विरोध करता रहा था। सुरक्षा परिषद ने एक दुर्लभ कदम उठाते हुए ट्रंप की पूरी 20 सूत्रीय योजना को प्रस्ताव में शामिल कर दिया।
रूस ने इस पर आपत्ति की थी और अपना अलग प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन जब अरब और मुस्लिम देशों ने अमेरिकी योजना का समर्थन किया, तो रूस ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया और मतदान में हिस्सा न लेते हुए परहेज़ किया। इससे अमेरिकी प्रस्ताव पारित हो गया।
अल्जीरिया के स्थायी प्रतिनिधि अमर बेंडजामा ने कहा कि उच्चतम स्तर पर फिलिस्तीनी प्राधिकरण, साथ ही मुस्लिम और अरब देशों ने अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया। हालांकि उन्होंने कहा कि स्थायी शांति तभी संभव है जब फिलिस्तीन को राष्ट्र का दर्जा मिल जाए।
महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि अब ज़मीन पर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों द्वारा मानवीय सहायता बढ़ाने और गाजा में बिना रोक-टोक प्रवेश की मांग भी रखी गई है।
चीन ने भी मतदान में हिस्सा न लेते हुए परहेज़ किया, जबकि बाकी 13 देशों ने समर्थन दिया। सुरक्षा परिषद में अल्जीरिया ही एकमात्र अरब देश है।
अब, जब गाजा में युद्धविराम लागू है, ट्रम्प योजना के अगला चरण में ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल’’ (आईएसएफ) भेजने की आवश्यकता होगी, जो हमास को निशस्त्र करेगा, कानून-व्यवस्था स्थापित करेगा और फिलिस्तीन सुरक्षा बल को प्रशिक्षित करेगा।
आईएसएफ संयुक्त राष्ट्र का शांति मिशन नहीं होगा और न ही परिषद को रिपोर्ट करेगा, जो बीजिंग और मास्को के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा कई वर्षों से फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की मांग करती रही है। हाल ही में फ्रांस, ब्रिटेन और कुछ पश्चिमी देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा भी की, जबकि अमेरिका ने इस पर अलग रुख रखा।
प्रस्ताव में विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को गाजा के पुनर्निर्माण में योगदान देने का ढाँचा भी शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
सऊदी अरब में भीषण सड़क हादसा, मदीना जा रही बस का एक्सीडेंट; कई भारतीयों की मौत

मदीना, 17 नवंबर: सऊदी अरब में मदीना के पास एक बस डीजल टैंकर से टकरा गई, जिसमें कई भारतीय उमराह यात्रियों की मौत हो गई है। यह घटना सोमवार तड़के हुई, जब बस मक्का से मदीना जा रही थी। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
वीडियो में भयावह आग देखने को मिल रही है। इसके साथ ही काले धुएं का गुबार उठता नजर आ रहा है। मौत के आंकड़ों को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मरने वालों की संख्या 40 से भी ज्यादा हो सकती है। आधिकारिक जानकारी का इंतजार है। कहा जा रहा है कि घटना के दौरान बस में भारतीय तीर्थयात्री मौजूद थे।
जेद्दा में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने घटना की जानकारी दी और मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। जेद्दा में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “सऊदी अरब के मदीना के निकट भारतीय उमराह यात्रियों के साथ हुई एक दुखद बस दुर्घटना को देखते हुए, जेद्दा स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास में एक 24×7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। मदद के लिए संपर्क करने हेतु जानकारी दी गई है: टोल फ्री नंबर 8002440003 है।”
हमले पर दुख जताते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “सऊदी अरब के मदीना में भारतीय नागरिकों के साथ हुई दुर्घटना से गहरा सदमा पहुंचा है। रियाद स्थित हमारा दूतावास और जेद्दा स्थित वाणिज्य दूतावास इस दुर्घटना से प्रभावित भारतीय नागरिकों और उनके परिवारों को पूरी सहायता प्रदान कर रहे हैं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति हमारी गहरी संवेदना। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।”
वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी इस घटना पर दुख जताया है। तेलंगाना सरकार ने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा, “स्थानीय मीडिया में इस दुर्घटना में भारतीय उमराह यात्रियों के मारे जाने की खबर आने के बाद वह रियाद स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में है।”
एक आधिकारिक बयान में, राज्य सरकार ने पुष्टि की कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने नई दिल्ली में अधिकारियों को सतर्क कर दिया है और उन्हें दूतावास के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया है।
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