अंतरराष्ट्रीय
हरमनप्रीत के आतिशी शतक से भारत ने 23 वर्षों में इंग्लैंड में पहली वनडे सीरीज जीती

कप्तान हरमनप्रीत कौर (नाबाद 143) के आतिशी शतक से भारत ने इंग्लैंड को दूसरे वनडे में मंगलवार को 88 रन से हराकर 23 वर्षों में इंग्लैंड की जमीन पर पहली बार वनडे सीरीज जीत ली। भारत ने तीन मैचों की सीरीज में 2-0 की अपराजेय बढ़त बना ली है।
भारत ने 50 ओवर में पांच विकेट पर 333 रन का विशाल स्कोर बनाया और फिर इंग्लैंड को 44.2 ओवर में 245 रन पर ढेर कर मुकाबला जीत लिया। 111 गेंदों में 18 चौकों और चार छक्कों की मदद से नाबाद 143 रन बनाने वाली हरमनप्रीत को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला। हरमनप्रीत का यह पांचवां वनडे शतक था जिसकी बदौलत भारत ने अपना दूसरा सर्वाधिक स्कोर बनाया।
अपनी 143 रनों की पारी में हरमनप्रीत ने मैदान के चारों दिशाओं में कुछ कमाल के शॉट्स लगाए, जिसमें कई बेहतरीन पुल, स्लॉग स्वीप, कट जैसे शॉट थे। उनकी इस पारी की बदौलत ही भारत 333 का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा करने में सफल रहा, जो अंतत: उन्हें 88 रनों की जीत दिलाने में कामयाब रहा।
इस साल दूसरी बार भारत की टीम 300 का स्कोर पार करने में सफल रही है। इसस पहले उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ विश्व कप में 317 का स्कोर बनाया था। वनडे इतिहास में भारतीय टीम सिर्फ़ चार ही बार 300 से ज्यादा का स्कोर बनाने में सक्षम हो पाई है और उसमें दो उन्होंने इसी साल बनाए हैं।
यास्तिका भाटिया के आउट होने के बाद हरमनप्रीत बल्लेबाजी करने आईं और उनके आने के कुछ ही देर बाद स्मृति मंधाना भी पवेलियन लौट गई। उस व़क्त भारत का स्कोर तीन विकेट के नुकसान पर 99 रन था। उस समय एक बार के लिए ऐसा लगा कि भारत के बल्लेबाज एक बार फिर से टीम को निराश कर सकते हैं।
हालांकि इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि हरमनप्रीत अब पहले की तुलना में टीम को ज्यादा बेहतर तरीके से संभाल रही हैं। खास कर के जब से मिताली राज के जाने के बाद उन्हें सभी फॉर्मेट का कप्तान बनाया गया, वह पूर्ण अधिकार के साथ टीम को आगे लेकर जा रही हैं। कई बार ऐसा प्रतीत भी हुआ है कि टीम की सभी खिलाड़ी भी एक साहसी नेतृत्वकर्ता के साथ कदम से कदम मिला कर चलने का पूरा प्रयास कर रहीं हैं।
हरमनप्रीत का पचासा 64 गेदों में आया और उसके बाद के 50 रन उन्होंने 36 गेंदों में बनाएं। शतक पूरा करने के बाद उन्होंने सिर्फ़ 11 गेंदों में 43 रन बटोरे।
तीसरे विकेट के पतन के बाद हरलीन देओल क्रीज पर आई और वहीं से भारत ने फिर से एकबार संभलने का प्रयास करते हुए, बड़े स्कोर की नींव रखना शुरू कर दिया। पहले सात ओवर में दोनों बल्लेबाजों ने संभल कर बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ़ 24 रन बटोरे। हालांकि इस दौरान रन रेट भी 4.75 का हो गया लेकिन दोनों बल्लेबाजों ने कुछ व़क्त के लिए इस चीज से अपना ध्यान हटा कर क्रीज पर टिकने का मन बना लिया था।
हरलीन को क्रीज पर समय बिताना पसंद है और उसके बाद ही वह बड़े शॉट्स लगाती हैं। इस पारी में उन्होंने कुछ ऐसा ही करने का प्रयास किया। पहले 36 गेंदों पर उन्होंने सिर्फ़ 18 ही रन बनाए थे लेकिन उसके बाद केट क्रॉस के खिलाफ आगे निकल कर बड़ा शॉट लगाते हुए, उन्होंने अपनी पारी का गियर बदल लिया। 66 गेंदों में हरलीन ने अपना पचासा पूरा किया और उसके बाद वह और भी आक्रामक हो गईं। हालांकि टीम के रन रेट को बढ़ाने के प्रयास में वह बेल की गेंद पर डीप मिडविकेट की दिशा में कैच दे बैठी। उस समय भारत का स्कोर 40 ओवर में 212 रन था।
वहीं हरमनप्रीत का पचासा 64 गेंदों में आया और उसके बाद के 50 रन उन्होंने 36 गेंदों में बनाएं। शतक पूरा करने के बाद तो हरमनप्रीत एक अलग ही मूड में बल्लेबाजी करने लगीं और सिर्फ़ 11 गेंदों में 43 रन बटोरे। भारतीय टीम ने अंतिम तीन ओवर में 62 रन लूटे।
हरमनप्रीत और हरलीन के बीच चौथे विकेट के लिए हुए 113 रन की साझेदारी ने ही भारत को इंग्लैंड के खिलाफ अंतिम दस ओवरों में 121 रन बनाने में सक्षम बनाया।
इस सब के अंत में हरमनप्रीत ने यह सुनिश्चित किया कि वह और उनकी पूरी टीम अनुभवी तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी को एक उपयुक्त विदाई देने के उद्देश्य से तीसरे वनडे में लॉर्डस के मैदान पर उतरेगी।
विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड की टीम 47 रन पर तीन विकेट गंवा कर संकट में फंस गयी। डैनी वायट ने 65 और कप्तान एमी जोन्स ने 39 रन बनाये लेकिन लक्ष्य के दबाव में इंग्लैंड की टीम अपने विकेट गंवाती रही। निचले क्रम में शार्लेट डीन ने 44 गेंदों पर 37 रन बनाये लेकिन ये पर्याप्त नहीं थे और मेजबान टीम 245 रन पर सिमट गयी।
रेणुका सिंह ने 57 रन देकर चार विकेट झटके जबकि दयालन हेमलता को छह रन पर दो विकेट मिले।
अंतरराष्ट्रीय
युगांडा पहुंचेंगे विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह, गुटनिरपेक्ष आंदोलन के 19वें सत्र में भारत का करेंगे प्रतिनिधित्व

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर : भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा की है कि विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह युगांडा पहुंचेंगे। इससे पहले वह मिस्र में आयोजित हो रहे गाजा शांति शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। गाजा पीस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए वह मिस्र पहुंचे हैं। युगांडा में वह कंपाला में 15-16 अक्टूबर को होने वाले गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के 19वें मध्यावधि मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह भागीदारी आंदोलन के सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। बता दें, एनएएम के 19वें सम्मेलन में मंत्रिस्तरीय बैठक से पहले 13-14 अक्टूबर को वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (एसओएम) होगी, जिसमें सचिव (पश्चिम) सिबी जॉर्ज भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
युगांडा 2024-26 की अवधि के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन का अध्यक्ष है। इस साल, मध्यावधि मंत्रिस्तरीय बैठक ‘साझा वैश्विक समृद्धि के लिए सहयोग को गहरा करना’ विषय पर आधारित है।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, “भारत इस आंदोलन का संस्थापक सदस्य है, जो 121 विकासशील देशों को ऐतिहासिक महत्व के एक मंच पर एक साथ लाता है।”
राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह यहां पर युगांडा के नेतृत्व और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्य देशों के समकक्षों से भी मिल सकते हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना औपनिवेशिक व्यवस्था के पतन और अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका, और दुनिया के अन्य क्षेत्रों के लोगों के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी।
आंदोलन के शुरुआती दिनों में, उपनिवेशवाद-विमुक्ति की प्रक्रिया में गुटनिरपेक्ष आंदोलन का काम अहम था। इसकी वजह से आगे चलकर कई देशों और लोगों को स्वतंत्रता और स्वाधीनता प्राप्त हुई और दर्जनों नए संप्रभु राज्यों की स्थापना हुई।
अपने पूरे इतिहास में, गुटनिरपेक्ष देशों के आंदोलन ने विश्व शांति और सुरक्षा के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) को हमेशा से ही ज्यादा महत्व देता रहा है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि समूह के संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत इस आंदोलन के उद्देश्यों और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध है।
भारत ने सालों से अपने सदस्य देशों के बीच एकजुटता और सहयोग को और मजबूत करने के लिए एनएएम के साथ अपनी सक्रिय और रचनात्मक भागीदारी बनाए रखी है। एनएएम शिखर सम्मेलनों सहित इसकी बैठकों में भारत की नियमित उच्च स्तरीय भागीदारी देखने को मिलती है।
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हमास ने शुरू की बंधकों की रिहाई, रेडक्रॉस पर अधिकारियों को सौंपे गए 7 इजरायली होस्टेज

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर : आखिरकार वो वक्त आ ही गया, जिसका इजरायल के लोगों को बेसब्री से इंतजार था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना के तहत बंधकों और कैदियों की रिहाई का सिलसिला शुरू हो गया है। हमास ने इजरायली बंधकों के पहले बैच को इजरायली अधिकारियों को सौंप दिया है।
इजरायली मीडिया की ओर से साझा जानकारी के अनुसार हमास ने फर्स्ट फेज में 7 बंधकों को रेडक्रॉस पर इजरायली अधिकारी को सौंप दिया है। बता दें, सोमवार को कुल 20 बंधकों को हमास इजरायल को सौंपेगा।
वहीं दूसरी ओर इजरायल फिलिस्तीन के करीब दो हजार सैनिकों को रिहा करेगा। दो साल बाद इजरायल के 20 लोग अपने घर वापस आने वाले हैं। इजरायली बंधकों की वापसी के लिए भारी संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई है। रिहा किए गए सभी बंधक पुरुष हैं।
हमास ने 7 बंधकों की रिहाई के बाद एक बयान जारी कर कहा है कि वह इजरायल के साथ युद्धविराम और ‘बंधक के लिए कैदी’ समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, समूह ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि उसने बंधकों को सौंपा है, लेकिन कहा है कि वह तय समय-सारिणी के प्रति प्रतिबद्ध है, बशर्ते इजरायल भी अपना काम करे।
अल-कस्साम ब्रिगेड के बयान में कहा गया है, “यह समझौता हमारे लोगों की दृढ़ता और प्रतिरोध का परिणाम है। इजरायल कई महीने पहले ही अपने ज्यादातर बंदियों की वापसी करा सकता था, लेकिन वह लगातार टालमटोल करता रहा।”
इस बीच इजरायली स्वास्थ्य मंत्रालय के महानिदेशक मोशे बार सिमन-टोव ने कहा कि इजरायल की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था आज गाजा से रिहा किए जा रहे 20 बंधकों और अन्य इजरायली मृतकों के शवों को देश वापस लाने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, “आशा और खुशी के साथ-साथ, उन बंधकों के परिवारों के लिए अपार दुःख भी है, जो मारे गए। इजरायल में उनकी आत्मा को शांति मिलेगी।”
अंतरराष्ट्रीय
काबुल में देर रात सिलसिलेवार धमाके, पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ा

काबुल, 10 अक्टूबर : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार देर रात हुए सिलसिलेवार धमाकों की घटना के बाद तनाव नाटकीय रूप से बढ़ गया है। आशंका जताई जा रही है कि ये विस्फोट बिना उकसावे के सीमा पार से किए गए हवाई हमलों का नतीजा थे।
कथित तौर पर ये विस्फोट पूर्वी काबुल के डिस्ट्रिक्ट 8 से शुरू हुए, जो प्रमुख सरकारी सुविधाओं और आवासीय क्षेत्रों का केंद्र है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना के दौरान आसमान से विमानों की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
सिलसिलेवार धमाकों के बाद से इलाके में दहशत का माहौल देखा जा रहा है। भले ही विस्फोटों के पीछे का सटीक स्रोत और उद्देश्य का अभी तक पता नहीं चल सका, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स में हवाई हमलों की आशंका जताई गई है।
उल्लेखनीय है कि यह घटना पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की ओर से नेशनल असेंबली में दिए गए एक तीखे बयान के कुछ ही घंटों बाद हुई। इस दौरान ख्वाजा आसिफ ने राजनयिक संयम में कमी का संकेत देते हुए कहा था, “बस, अब बहुत हो गया। हमारा धैर्य जवाब दे चुका है। अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद असहनीय है।”
नेशनल असेंबली में आसिफ ने पाकिस्तानी अधिकारियों की पिछली काबुल यात्रा को याद किया था। उस दौरान अफगान अधिकारियों ने कथित तौर पर पाकिस्तान को निशाना बनाकर की जा रही आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ आश्वासन देने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर किसी भी हमले की पुष्टि नहीं की है, लेकिन आसिफ की टिप्पणियों के समय और उसके बाद काबुल में हुए विस्फोटों ने सैन्य कार्रवाई की आशंकाओं को और बढ़ा दिया है।
इस बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर, पाकिस्तान के इस्लामाबाद और रावलपिंडी शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अचानक ठप कर दी गई हैं। पाक अधिकारियों ने इसे लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
बलूच प्रतिनिधि मीर यार बलूच ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा, “हम काबुल में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जो पाकिस्तान की ओर से किया गया है। अगर अफगानिस्तान बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र (स्वायत्त) राष्ट्र के रूप में मान्यता दे, तो पाकिस्तान और उसकी सेना की ओर से की जा रही आतंकवादी गतिविधियों को कुछ ही हफ्तों में समाप्त किया जा सकता है।”
जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, आगे सैन्य वृद्धि की संभावना को लेकर आशंकाएं बढ़ रही हैं।
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