राजनीति
गुजरात जहरीली शराब मामला : सरकार और विपक्ष आमने सामने

गुजरात के अहमदाबाद ग्रामीण और बोटाद जिलों में जहरीली शराब पीने से 28 लोगों की मौत के बाद विपक्ष ने सरकार की शराबबंदी नीति के खराब क्रियान्वयन को लेकर जमकर खिचाई की है। जवाब में सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्ष पर गंदा राजनीतिक खेल खेलने का आरोप लगाया है। विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सभी राजनीतिक दल जहरीली शराब से प्रभावित लोगों से मिल रहे हैं। विपक्षी नेताओं के साथ-साथ मंत्री और अन्य भाजपा नेता भी प्रभावित परिवारों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।
गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल का दौरा किया जहां प्रभावित मरीजों का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल और शिक्षा मंत्री जीतू वघानी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भावनगर अस्पताल में पीड़ितों से मुलाकात की। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकुर, विपक्ष के नेता सुखराम राठवा, विधायक जिग्नेश मेवानी ने बोटाद के रोजिड गांव में पीड़ित परिवारोंे से मुलाकात की और बाद में भावनगर अस्पताल का दौरा किया जहां मरीजों का इलाज चल रहा है।
ठाकुर ने कहा, सत्तारूढ़ दल राज्य में अवैध शराब का धंधा चलाने वाले लोगों को चुनावी फंड के लिए संरक्षण दे रहा है। इस बारे में चेतावनी देने के बाद भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। यह सिर्फ चूक नहीं है। इसके लिए पुलिस को रिश्वत दी जाती है। जहरीली शराब ने 28 लोगों की जान ले ली है। इसलिए सरकार को प्रत्येक मृतक के परिवार को कम से कम 10 लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए।
निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने मांग की है कि राज्य निगरानी प्रकोष्ठ के प्रमुख पुलिस अधीक्षक निर्लिप्त राय को जहरीली शराब की घटना की जांच का जिम्मा सौंपा जाए।
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव इसुदान गढ़वी ने विफलता के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि 28 मौतों के बाद भी उनके सरकार में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।
शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने कहा, यह समय राजनीति करने का नहीं है। यह एक दुखद घटना है, हर कोई अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति सहानुभूति रखता है।
उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस की सतर्कता ने एक बड़ी त्रासदी को रोक दिया है। उन्होंने कहा, पुलिस ने तेजी से कार्रवाई नहीं की होती तो 600 लीटर मिथाइल अल्कोहल लोग पी जाते और मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती थी।
अपराध
दिल्ली पुलिस ने सीमा पार मोबाइल तस्करी रैकेट का किया भंडाफोड़, सरगना सहित तीन गिरफ्तार

नई दिल्ली, 3 सितंबर। दिल्ली पुलिस की एसटीएफ ने राष्ट्रीय राजधानी से लूटे गए मोबाइल के मामले में अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने अंतरराज्यीय गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
दरअसल, यह कार्रवाई दक्षिण-पूर्वी जिला पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने की है। एसटीएफ ने 2 सितंबर को दिल्ली के सराय काले खां स्थित वेस्ट टू वंडर पार्क के पास से इस गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सरगना भी शामिल है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मोहतार शेख, मोहम्मद गुलू शेख और अब्दुल शमीम के रूप में हुई है, जो सभी पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी हैं।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि मंगलवार को एसटीएफ को सूचना मिली थी कि चोरी किए गए या छीने गए मोबाइल फोनों का मुख्य खरीदार मोहतार शेख अपने दो साथियों के साथ दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के इलाके में घूम रहा है। इस सूचना पर एसटीएफ ने एक विशेष टीम गठित की और सराय काले खां के वेस्ट टू वंडर पार्क के पास जाल बिछाया। मंगलवार शाम करीब 7:15 बजे पुलिस ने आईएसबीटी की ओर से आ रहे मोहतार शेख और उसके दो साथियों की पहचान की। इसके बाद टीम ने तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर लिया। तलाशी के दौरान उनके पास से तीन देसी पिस्तौल, छह जिंदा कारतूस और 228 महंगे मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
पुलिस के मुताबिक, दिल्ली से लूटे गए मोबाइल को पश्चिम बंगाल के रास्ते सीमा पार नेपाल और बांग्लादेश भेजा जाता था। पूछताछ में पता चला कि मोहतार शेख इस गिरोह का मुख्य सरगना है। वह अपने दोनों साथियों के साथ मिलकर स्थानीय चोरों से कम कीमत पर चोरी के मोबाइल फोन खरीदता था। इसके बाद ये फोन वाहकों और बिचौलियों के नेटवर्क के माध्यम से नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भेजे जाते थे, जहां इन्हें ऊंचे दामों पर बेचा जाता था।
इन गिरफ्तारियों ने एक बड़े सीमा पार नेटवर्क का खुलासा किया है, जो न केवल दिल्ली में सड़क अपराधों को बढ़ावा देता है, बल्कि चोरी के उपकरणों का अवैध विदेशी व्यापार भी करता है।
पुलिस अन्य नेटवर्क सदस्यों, स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं और विदेशी खरीदारों की पहचान के लिए जांच कर रही है।
राष्ट्रीय समाचार
मराठा आरक्षण आंदोलन के बाद मुंबई पुलिस का एक्शन, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कई थानों में एफआईआर दर्ज

मुंबई, 3 सितंबर। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में हुए प्रदर्शन के दौरान अवैध रूप से इकट्ठा होने और अशांति फैलाने के आरोप में मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुंबई पुलिस ने कई मामले दर्ज किए हैं। मुंबई पुलिस के मुताबिक, मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन समेत अलग-अलग थानों में मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
मुंबई पुलिस ने बताया कि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। अवैध रूप से इकट्ठा होने और हिंसा फैलाने के आरोप में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार, मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में तीन एफआईआर, एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन में दो एफआईआर और जेजे पुलिस स्टेशन, कोलाबा पुलिस स्टेशन और आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में भी मामले दर्ज किए गए हैं।
बता दें कि मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार को अपनी ज्यादातर मांगें मान लिए जाने के बाद आमरण अनशन समाप्त कर दिया था। इसके बाद हजारों मराठा कार्यकर्ता मुंबई से अपने गांवों को लौट गए, जिसके चलते अब शहर में स्थिति सामान्य हो रही है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए टिप्पणी की थी। चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस आरती साठे की बेंच ने सुनवाई के दौरान आंदोलन से उत्पन्न स्थिति पर नाराजगी जताई थी।
चीफ जस्टिस ने कहा था, “सड़कों पर जज के चलने की भी जगह नहीं है। हालात सामान्य करें, वरना सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि सड़कों से गाड़ियां हटाई जाएं और भीड़ नियंत्रित की जाए।
बता दें कि मनोज जरांगे मराठा समाज आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। इस विरोध प्रदर्शन के बीच मुंबई में जगह-जगह जाम की स्थिति देखी गई। इस स्थिति में मुंबई पुलिस ने मनोज जरांगे के प्रदर्शन को अनुमति देने से इनकार करते हुए आजाद मैदान खाली करने का नोटिस भेजा था।
हालांकि, मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे-पाटिल ने मंगलवार को सरकार से मांगें माने जाने के बाद अपना पांच दिन का अनशन समाप्त कर दिया था। उन्होंने जल संसाधन मंत्री व मंत्रिमंडलीय उपसमिति अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटिल के हाथों नींबू पानी पीकर अनशन तोड़ा था।
राष्ट्रीय समाचार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बाढ़ प्रभावित राज्यों के लिए तत्काल राहत पैकेज की मांग की

नई दिल्ली, 3 सितंबर। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बाढ़ प्रभावित राज्य पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए केंद्र सरकार से विशेष राहत पैकेज देने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में सोशल मीडिया पोस्ट किया और साथ में एक वीडियो भी शेयर किया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि इन राज्यों में राहत और बचाव कार्यों को तेज किया जाए, ताकि प्रभावित लोगों को सहायता मिल सके।
उन्होंने कहा कि पंजाब में बाढ़ ने भारी नुकसान पहुंचाया है और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड की स्थिति भी गंभीर है।
उन्होंने बताया कि हजारों परिवार अपने घर, संपत्ति और अपनों को बचाने के लिए जूझ रहे हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों की रक्षा करे। उन्होंने केंद्र से इन राज्यों, खासकर किसानों के लिए तत्काल राहत पैकेज की घोषणा करने का आग्रह किया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा, “पंजाब में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में भी स्थिति बेहद चिंताजनक है। ऐसे मुश्किल समय में आपका ध्यान और केंद्र सरकार की सक्रिय मदद अत्यंत आवश्यक है। हजारों परिवार अपने घर, जीवन और अपनों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मैं आग्रह करता हूं कि इन राज्यों के लिए, खासतौर पर किसानों के लिए विशेष राहत पैकेज की तत्काल घोषणा की जाए और राहत एवं बचाव कार्यों को तेज किया जाए।”
देश के कई राज्य मौजूदा समय में बाढ़ से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। पंजाब में भारी बारिश और नदियों के उफान ने कई इलाकों में तबाही मचाई है। खेतों में धान और सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कई गांव पानी में डूब गए हैं, जिससे लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं। सड़कें और बुनियादी ढांचा भी क्षतिग्रस्त हुआ है।
जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और भूस्खलन ने स्थिति को और खराब कर दिया है। कई क्षेत्रों में सड़क संपर्क टूट गया है और नदियों के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है।
वहीं, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने भारी नुकसान पहुंचाया है। सड़कें और पुल टूट गए हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुआ है।
इसके अलावा, उत्तराखंड में गंगा और अन्य नदियों का जलस्तर बढ़ने से कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। तीर्थस्थल और ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ और भूस्खलन ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
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