अंतरराष्ट्रीय
यूके में गोपनीयता सैंडबॉक्स पर प्रमुख नियामक बाधा को गूगल ने किया दूर

गूगल ने शुक्रवार को एक बड़ी नियामक बाधा को दूर कर दिया क्योंकि यूके के प्रतिस्पर्धा नियामक ने टेक दिग्गज की गोपनीयता सैंडबॉक्स प्रतिबद्धताओं को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया, ताकि ये प्रतिस्पर्धा को नुकसान न पहुंचाएं या सर्च दिग्गज के अपने विज्ञापन व्यवसाय को गलत तरीके से लाभान्वित न करें। यूके में प्रतिस्पर्धा और बाजार प्राधिकरण (सीएमए) ने कहा कि यह प्रस्तावों के विकास की निगरानी के लिए सूचना आयुक्त कार्यालय (आईसीओ) के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि वे प्रतिस्पर्धा को प्रतिबंधित किए बिना और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाए बिना गोपनीयता की रक्षा कर सकें।
सीएमए ने कहा कि उसने क्रोम ब्राउजर (जिसे गोपनीयता सैंडबॉक्स प्रस्तावों के रूप में जाना जाता है) से तृतीय-पक्ष कुकीज को प्रस्तावित हटाने से संबंधित प्रतिबद्धताओं के गूगल के एक संशोधित प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
सीएमए के मुख्य कार्यकारी एंड्रिया कोसेली ने कहा, “हमने गूगल से जो प्रतिबद्धताएं प्राप्त की हैं, वे प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देंगी, विज्ञापन के माध्यम से धन जुटाने की ऑनलाइन प्रकाशकों की क्षमता की रक्षा करने में मदद करेंगी और उपयोगकर्ता की गोपनीयता की रक्षा करेंगी।”
“हालांकि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, हमें कोई भ्रम नहीं है कि हमारा काम हो गया है। अब हम एक नए चरण में आगे बढ़ते हैं जहां हम गूगल पर कड़ी नजर रखेंगे क्योंकि यह इन प्रस्तावों को विकसित करना जारी रखता है।”
गूगल ने कहा कि यह प्रसन्न है कि सीएमए ने इन प्रतिबद्धताओं को स्वीकार कर लिया है, जो अब तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं।
इसमें कहा गया, “हम विश्व स्तर पर प्रतिबद्धताओं को लागू करेंगे क्योंकि हम मानते हैं कि वे इस विकसित क्षेत्र में गोपनीयता और प्रतिस्पर्धा दोनों चिंताओं को दूर करने के लिए एक रोडमैप प्रदान करते हैं।”
सीएमए जांच जनवरी 2021 में इस चिंता के साथ शुरू की गई थी कि प्रस्तावों से ऑनलाइन विज्ञापन खर्च गूगल पर और भी अधिक केंद्रित हो जाएगा, प्रतिस्पर्धा कमजोर हो जाएगी और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाएगा जो अंतत: ऑनलाइन विज्ञापन की लागत का भुगतान करते हैं।
यह भी चिंतित था कि प्रस्ताव ऑनलाइन प्रकाशकों की क्षमता को कमजोर कर सकते हैं, जैसे समाचार पत्र, राजस्व उत्पन्न करने और भविष्य में मूल्यवान सामग्री का उत्पादन जारी रखने के लिए जनता की समाचार स्रोतों की पसंद को कम करना आदि।
पिछले महीने के अंत में, गूगल ने एफएलओसी (फेडरेटेड लनिर्ंग ऑफ कोहॉर्ट्स) को छोड़ दिया, क्रोम पर ट्रैकिंग थर्ड-पार्टी कुकीज को बदलने के अपने पहले के विचार को छोड़ दिया और इसके बजाय रुचि-आधारित विज्ञापन के लिए एक नया गोपनीयता सैंडबॉक्स प्रस्ताव विषयों की घोषणा की।
क्रोम के प्राइवेसी सैंडबॉक्स के उत्पाद निदेशक विनय गोयल ने कहा, “विषयों को हमारे सीखने और हमारे पहले के एफएलओसी परीक्षणों से व्यापक सामुदायिक प्रतिक्रिया द्वारा सूचित किया गया था और हमारे एफएलओसी प्रस्ताव को प्रतिस्थापित करता है।”
सीएमए ने कहा कि गूगल अब शुरू में प्रस्तावित की तुलना में अधिक पारदर्शी प्रक्रिया में संलग्न होगा, जिसमें सीएमए या तीसरे पक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों को संबोधित करने के लिए सीएमए के विकल्प के साथ तीसरे पक्ष के साथ जुड़ाव और परीक्षा परिणाम प्रकाशित करना शामिल है।
“गूगल तब तक तृतीय-पक्ष कुकी नहीं हटाएगा जब तक कि सीएमए संतुष्ट न हो जाए कि उसकी प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताओं का समाधान कर दिया गया है।”
प्रतिबद्धताओं की प्रभावी ढंग से निगरानी की जाती है और गूगल अपने दायित्वों का अनुपालन करता है, यह सुनिश्चित करने के लिए सीएमए के साथ काम करने के लिए एक निगरानी ट्रस्टी की नियुक्ति की जाएगी।
गोपनीयता सैंडबॉक्स के साथ गूगल का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों के लिए वेब गोपनीयता में सुधार करना है, साथ ही प्रकाशकों, रचनाकारों और अन्य डेवलपर्स को वे उपकरण भी देना है जिनकी उन्हें संपन्न व्यवसाय बनाने के लिए आवश्यकता होती है।
इसमें व्यापक उद्योग के सहयोग से नए डिजिटल विज्ञापन टूल का निर्माण शामिल है, ताकि तीसरे पक्ष के कुकीज को ऐसे विकल्पों से बदला जा सके जो उपभोक्ता की गोपनीयता की बेहतर रक्षा करते हैं और लोगों की ऑनलाइन मुफ्त सामग्री तक पहुंच को सुरक्षित रखते हैं।
गूगल ने कहा कि वह बिना किसी देरी के चिंताओं को हल करने के लिए सीएमए के साथ काम करेगा और सीएमए और आईसीओ को निरंतर आधार पर परामर्श और अद्यतन करेगा।
अंतरराष्ट्रीय
भारत और ग्रीस के बीच रक्षा बातचीत हुई तेज, भारत ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का दिया ऑफर… तुर्की और पाकिस्तान में हड़कंप

अंकारा : तुर्की की मीडिया ने दावा किया है कि भारत ने ग्रीस को Long Range Land Attack Cruise Missile (LR-LACM) की “अनौपचारिक पेशकश” की है। यानि भारत और ग्रीस के बीच LR-LACM क्रूज मिसाइल को लेकर पर्दे के पीछे से बात चल रही है जो तुर्की के लिए खतरे का संकेत है। तुर्की के TRHaber की रिपोर्ट में ग्रीस के साथ भारत की LR-LACM मिसाइल को लेकर हो रही बातचीत को तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि “भारत का यह प्रस्ताव ग्रीस के साथ उसके बढ़ते रणनीतिक संबंधों और हालिया ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की के पाकिस्तान को समर्थन देने के जवाब में हो सकता है।” हालांकि, नई दिल्ली या एथेंस की तरफ से अभी तक ऐसे किसी पेशकश को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की को सबसे ज्यादा डर इस मिसाइल की क्षमता और रेंज को लेकर है। इस मिसाइल को DRDO ने विकसित किया है और ब्रह्मोस मिसाइल की कामयाबी ने भारत की मिसाइल क्षमता का पूरी दुनिया में डंका पीट दिया है। भारत की ये LR-LACM मिसाइल 1,000 से 1,500 किलोमीटर तक की दूरी तक सटीक निशाना साध सकती है और पारंपरिक के साथ-साथ परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। सबसे खास बात ये है कि इसे भी ब्रह्मोस मिसाइल की ही तरह दुश्मनों के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
LR-LACM मिसाइल की खतरनाक खासियत इसकी terrain-hugging flight path यानि धरती से काफी कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता है, जिससे यह दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को काफी आसानी से चकमा दे देती है। इसकी यही शानदार ताकत तुर्की के लिए इसे परेशानी भरा बनाती है। तुर्की एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है और इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ऐसे एयर डिफेंस सिस्टम को ही चकमा देना है। हालांकि तुर्की ने अभी तक एस-400 को एक्टिव नहीं किया है और वो घरेलू एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है, लेकिन अभी तक उसे ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई है। एस-400 इसलिए उसने एक्टिव नहीं किया है, क्योंकि वो एफ-35 फाइटर जेट के लिए अमेरिका से डील कर रहा है।
तुर्की मीडिया के मुताबिक, अगर ग्रीस इस मिसाइल को भारत से हासिल कर लेता है तो यह एथेंस को तुर्की के संवेदनशील ठिकानों पर अचूक हमला करने की क्षमता दे सकता है। यह मिसाइल मोबाइल लॉन्चर और भारतीय नौसेना के 30 से ज्यादा जहाजों पर लगे वर्टिकल लॉन्च सिस्टम से दागी जा सकती है। TRHaber ने यह भी कहा है कि यह मिसाइल तुर्की के S-400 जैसे हवाई रक्षा सिस्टम को भी चकमा दे सकती है। इससे अंकारा (तुर्की की राजधानी) की चिंता बढ़ गई है, खासकर अगर ग्रीस इसे तैनात करता है तो।
इसके अलावा TRHaber की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत और ग्रीस के बीच हाल ही में रक्षा बातचीत तेज हुई है। इस सिलसिले में पिछले महीने भारतीय वायुसेना के प्रमुख एपी सिंह ने एथेंस का दौरा किया था और ग्रीक वायुसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दिमोस्थेनीस ग्रिगोरियादिस से मुलाकात की थी। यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब भारत ने एथेंस में आयोजित DEFEA-25 रक्षा प्रदर्शनी में LR-LACM को भी प्रदर्शित किया था। भले ही इस मुलाकात में मिसाइल को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया, लेकिन तुर्की मीडिया ने इसे रक्षा सौदे की दिशा में एक संकेत के तौर पर देखा है। तुर्की का यह भी दावा है कि भारत-ग्रीस के बीच का यह संभावित सौदा भारत के ऑपरेशन सिंदूर में तुर्की की पाकिस्तान को दी गई मदद का जवाब हो सकता है।
TRHaber ने मिसाइल की पेशकश को भारत की क्षेत्रीय रणनीति का हिस्सा बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2023 में ग्रीस और 2025 में साइप्रस की यात्राओं का भी जिक्र किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये दौरे भारत, ग्रीस और साइप्रस के बीच तुर्की के प्रभाव को कम करने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग के संकेत हैं। उनका यह भी कहना है कि इससे साइप्रस के बंदरगाहों के पास भारतीय नौसेना की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। तुर्की मीडिया के मुताबि, भारत का ग्रीस और साइप्रस के साथ बढ़ता सहयोग पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की के प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में एक सोची-समझी पहल है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि भविष्य में भारतीय नौसेना की मौजूदगी साइप्रस के बंदरगाहों पर बढ़ सकती है, जिससे तुर्की की समुद्री सुरक्षा को नई चुनौती मिलेगी।
अंतरराष्ट्रीय
मानवता की हत्या: एनसीपी ने ब्रिक्स में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा का समर्थन किया

नई दिल्ली, 7 जुलाई। ब्रिक्स नेताओं द्वारा पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की निंदा करने के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, एनसीपी-एससीपी विधायक रोहित राजेंद्र पवार ने प्रस्ताव का समर्थन किया और इसे “मानवता की हत्या” कहा, साथ ही आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करने की सार्वभौमिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।
“यह वास्तव में मानवता की हत्या है। जब भी किसी देश का नागरिक आतंकवाद या ऐसे किसी कृत्य का शिकार होता है, तो यह मानवता पर हमला होता है। आतंकवाद का किसी भी रूप में समर्थन नहीं किया जा सकता। जो कहा गया वह सच है, भारत में हाल ही में हुआ हमला निश्चित रूप से मानवता पर हमला था,” रोहित पवार ने कहा।
पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा अंजाम दिया गया यह हमला राजनीतिक नेताओं सहित रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी तीखी निंदा कर रहा है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक रुख की पुष्टि की गई।
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता मनोज कुमार ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के जवाबी हमलों के दौरान स्थिति से निपटने पर निराशा व्यक्त की और पाकिस्तान के साथ समझौते तक पहुँचने में कथित बाहरी हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त की।
“पूरी दुनिया ने इसकी निंदा की। लेकिन मैं पूछना चाहता हूँ: जब हमारी सेना इन आतंकवादियों को खत्म करने के लिए मजबूती से आगे बढ़ रही थी, तो उसे क्यों रोका गया?” उन्होंने पूछा।
“रोकने का आदेश किसने दिया? ट्रम्प ने ट्वीट करके अभियान को रोकने के लिए दबाव क्यों डाला? और आतंकवाद के केंद्र पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करते देखना इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है? एक संप्रभु राष्ट्र को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए। ऐसा लगता है कि अब देश को हमारे प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि ट्रम्प चला रहे हैं। पहलगाम हमला भयानक था और दुनिया इसके लिए जिम्मेदार लोगों को माफ नहीं करेगी।”
ब्रिक्स नेताओं द्वारा अपनाए गए रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई, जिसमें सीमा पार आतंकवाद, इसके वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों से निपटने की उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
घोषणापत्र के पैराग्राफ 34 में कहा गया है, “हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं… हम आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों में आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।” ब्रिक्स नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद को किसी धर्म, जातीयता या राष्ट्रीयता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और सभी अपराधियों और उनके समर्थकों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
व्यापार
जीएसटी डे : बीते 5 वर्षों में वस्तु एंव सेवा कर संग्रह बढ़कर दोगुना हुआ, सक्रिय करदाता 1.51 करोड़ के पार

नई दिल्ली, 30 जून। 1 जुलाई 2025 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के आठ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। जीएसटी को एक सशक्त और अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में महत्वपूर्ण मानते हुए वर्ष 2017 में शुरू किया गया था।
जीएसटी के साथ कर अनुपालन सरल होने के साथ कारोबारियों की लागत में कमी आई और माल को बिना किसी परेशानी के देश के एक राज्य से दूसरे में ले जाने की अनुमति मिली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी का परिचय ‘नए भारत के एक मार्गदर्शक कानून’ के रूप में दिया था। बीते आठ वर्षों में जीएसटी को जबरदस्त सफलता मिली और जीएसटी कलेक्शन को लेकर लगातार वृद्धि दर्ज की गई।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन को लेकर बीते 5 वर्षों में लगभग दोगुना वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 11.37 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-2025 में 22.08 लाख करोड़ रुपए हो गया। जीएसटी कलेक्शन में यह तेजी अनुपालन और आर्थिक गतिविधि में निरंतर वृद्धि को दर्शाती है।
आधिकारिक डेटा के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन के साथ-साथ सक्रिय जीएसटी करदाताओं की संख्या में भी जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है, जो कि 30 अप्रैल 2025 तक बढ़कर 1,51,80,087 हो गए हैं।
जीएसटी के वर्तमान स्ट्रक्चर में दरों के चार मुख्य स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। ये दरें देशभर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं। हालांकि, मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी तय की गई हैं। जीएसटी की दर सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर 3 प्रतिशत, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत और कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत लगती है।
जीएसटी को एक राष्ट्र, एक कर के उद्देश्य से पेश किया गया था। जीएसटी आने के साथ ही विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक कर दिया गया। जीएसटी ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे करों की जगह ले ली। इससे देश में कर प्रणाली में एकरूपता आई।
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