व्यापार
वैश्विक अस्थिरता से रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा गोल्ड, 24 घंटे में 1,300 रुपये बढ़ी कीमत

नई दिल्ली, 5 फरवरी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड टैरिफ के फैसलों के कारण गोल्ड रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। बीते 24 घंटे में 24 कैरेट के 10 ग्राम गोल्ड का भाव 1,300 रुपये से अधिक बढ़ा है।
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा बुधवार को जारी की गई ताजा कीमतों के मुताबिक, 24 कैरेट के 10 ग्राम गोल्ड की कीमत 1,310 रुपये बढ़कर 84,320 रुपये हो गई है, जो कि कल 83,010 रुपये प्रति 10 ग्राम थी।
आईबीजेए के मुताबिक, 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 82,300 रुपये प्रति 10 ग्राम, 20 कैरेट गोल्ड की कीमत 75,050 रुपये प्रति 10 ग्राम और 18 कैरेट गोल्ड की कीमत 63,800 रुपये प्रति ग्राम हो गई है।
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में गोल्ड की कीमत रिकॉर्ड 2,880 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई है। गोल्ड में तेजी की वजह डॉलर इंडेक्स का कमजोर होकर 107 होना है, जो कि पहले 109 पर था। अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वार के खतरे के कारण भी उभरी वैश्विक अनिश्चितता भी गोल्ड में तेजी की वजह है।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गोल्ड की कीमतों में जनवरी की शुरुआत के बाद से 8 प्रतिशत तक की तेजी देखने को मिल चुकी है। फिलहाल यह 2,891 डॉलर प्रति औंस पर बना हुआ है।
शाह ने बताया कि आने वाले समय में भी गोल्ड में तेजी रह सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गोल्ड की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस और घरेलू बाजारों में 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है।
अमेरिका ने कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना को 30 दिनों तक टालने पर सहमति व्यक्त की है। हालांकि, अमेरिका चीनी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत ट्रेड टैरिफ लगाने के अपने रुख पर कायम है। दूसरी ओर चीन ने भी जबाव देते हुए कुछ अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाया है। इससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वार का खतरा बढ़ गया है।
राजनीति
आरबीआई इस वर्ष के अंत से नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है: रिपोर्ट

RBI
मुंबई, 20 अक्टूबर: गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई इस वर्ष के अंत से पहले नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है, जिससे राजकोषीय समेकन और घरेलू नियामकीय ढील के साथ-साथ क्रेडिट डिमांड में धीरे-धीरे सुधार होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें इस वर्ष के अंत से पहले नीतिगत दर में एक और कटौती की उम्मीद है और हाल ही में जीएसटी कटौती से संकेत मिलता है कि राजकोषीय कंसोलिडेशन का पीक अब पीछे छूट गया है। हमें उम्मीद है कि घरेलू नियामकीय ढील के साथ-साथ, इससे ऋण मांग में धीरे-धीरे सुधार होगा।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई द्वारा घोषित हालिया उपायों से सप्लाई साइड क्रेडिट की स्थिति में सुधार आना चाहिए; हालांकि, वृद्धिशील ऋण की सीमा व्यापक अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति पर निर्भर करेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियां भारत के आउटलुक पर दबाव बना रही हैं, जिनमें एच-1बी वीजा के लिए अमेरिका में बढ़ती इमिग्रेशन लागत शामिल है, जो भारतीय आईटी सेवाओं को प्रभावित करती है। इसके अलावा, इसमें भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि भी शामिल है। ये कारक व्यापक मैक्रो अनिश्चितता के साथ-साथ ऋण मांग को कम कर सकते हैं।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की मुद्रास्फीति दर इस वर्ष सितंबर में घटकर 8 वर्षों के निचले स्तर 1.54 प्रतिशत पर आ गई। इससे आरबीआई को नीतिगत दरों में कटौती और विकास को बढ़ावा देने के लिए अर्थव्यवस्था में अधिक लिक्विडिटी डालने पर ध्यान केंद्रित करने का अधिक अवसर मिल गया है।
आरबीआई ने 2025-26 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर के अपने अनुमान को पहले के 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है, क्योंकि जीएसटी सुधार सहित कई विकास-प्रेरक संरचनात्मक सुधारों के कार्यान्वयन से बाहरी बाधाओं के कुछ प्रतिकूल प्रभावों की भरपाई होने की उम्मीद है।
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद ने 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो मजबूत निजी खपत और स्थिर निवेश के कारण संभव हुई।
सप्लाई साइड पर, सकल मूल्य वर्धन में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि विनिर्माण क्षेत्र में पुनरुद्धार और सेवाओं में निरंतर विस्तार के कारण हुई।
उपलब्ध उच्च-आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि आर्थिक गतिविधि लगातार मज़बूत बनी हुई है।
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि अच्छे मानसून और मजबूत कृषि गतिविधि के कारण ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है, जबकि शहरी मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
व्यापार
भारत की प्रतिभाओं को बाहर जाने के बजाय हमारे देश में ही मिले अवसर : अश्विनी वैष्णव

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को डेटा को नया तेल और डेटा केंद्रों को नई रिफाइनरियां बताया।
‘एनडीटीवी वर्ल्ड समिट’ में केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने सरकार के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा कि भारत आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण खनिजों और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखता है।
उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे देश का टैलेंट देश के बाहर जाने के बजाय देश में ही अवसरों को पाएं।”
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार टेक्नोलॉजी के माध्यम से वित्तीय सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने के अपने प्रयास के तहत डिजिटल क्रेडिट पर बड़ा कदम उठा रही है।
देश में 5जी नेटवर्क के तेज और कुशल क्रियान्वयन की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की इस उपलब्धि ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारत ने 5जी को इतनी तेजी से लागू किया कि दुनिया चकित रह गई। हमारे पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा 5जी नेटवर्क है। इससे हमें दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचने में मदद मिली। देश का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा 5जी नेटवर्क से जुड़ा है।”
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने एआई के क्षेत्र में भारत की बढ़ती उपस्थिति पर भी प्रकाश डाला और घोषणा की कि बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप सर्वम इस साल दिसंबर या अगले साल जनवरी तक अपना स्वदेशी एआई मॉडल लॉन्च करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वह सर्वम के मॉडल के लॉन्च होने के बाद उसका उपयोग करने के लिए उत्साहित हैं।
केंद्रीय मंत्री ने विशाखापत्तनम में 15 अरब डॉलर के निवेश से एक एआई हब स्थापित करने के गूगल के प्रस्ताव की भी प्रशंसा की और दावा किया कि इससे भारत में एआई रिसर्च के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा, “हमारे देश में कंप्यूटर सुविधाओं का होना बेहद जरूरी है। इनके उपलब्ध होने के बाद क्वालिटी रिसर्च करने और एआई एप्लीकेशन बनाने की क्षमता में सुधार होगा।”
केंद्रीय मंत्री वैष्णव के अनुसार, दूरसंचार तकनीक के संदर्भ में 6जी, मौजूदा 4जी और 5जी नेटवर्क की पूरी तरह से जगह ले लेगा।
उन्होंने कहा, “6जी पूरी तरह से अलग होगा। आपके हाथ में जो कुछ भी होगा, वह उस नेटवर्क का हिस्सा होगा।”
केंद्रीय मंत्री ने दुनिया भर में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में भारत के नेतृत्व पर जोर दिया और बताया कि वर्तमान में 13 से अधिक देश भारत के यूपीआई फ्रेमवर्क का उपयोग कर रहे हैं और 50 से अधिक देशों ने आधार फ्रेमवर्क को लागू करने में रुचि दिखाई है।
व्यापार
अमेरिका-भारत व्यापार समझौते की उम्मीदों के बीच इस सप्ताह निफ्टी और सेंसेक्स में 2 प्रतिशत से अधिक की तेजी दर्ज

मुंबई, 18 अक्टूबर: भारतीय शेयर बाजार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की शॉर्ट कवरिंग और मजबूत घरेलू संकेतों के बीच सप्ताह के अंत में बढ़त के साथ बंद हुए।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में स्पष्टता से बाजार में आशावाद को बल मिला, दोनों पक्षों ने नवंबर तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने पर सहमति व्यक्त की।
प्रमुख बैंकिंग शेयरों में मजबूत खरीदारी के चलते निफ्टी बैंक ने एक नया मुकाम हासिल किया और बाजार में उत्साह बना रहा।
फाइनेंशियल सेक्टर में परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर चिंताएं कम होने और त्योहारी तिमाही में बेहतर बिक्री वृद्धि की उम्मीदों से निवेशकों का विश्वास बढ़ा।
सप्ताह के दौरान बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स में क्रमशः 2.10 और 2.04 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें एफएमसीजी, फार्मा और ऑटो सूचकांकों का इस तेजी में प्रमुख योगदान रहा।
विश्लेषकों ने कहा कि रियल्टी, स्वास्थ्य सेवा और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में व्यापक सुधार के साथ-साथ उपभोग-आधारित क्षेत्रों में भी तेजी देखी गई।
वैश्विक विवेकाधीन खर्च की चिंताओं और अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम में परिसंपत्ति गुणवत्ता पर बढ़ते दबाव के कारण आईटी शेयर दबाव में रहे।
मीडिया और मेटल शेयरों में भी मुनाफावसूली देखी गई, जिससे सूचकांकों की कुल बढ़त सीमित रही।
हालांकि, व्यापक बाजार ने जोरदार तेजी के बाद राहत की सांस ली, निफ्टी मिडकैप 100 में 0.57 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.05 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई, जो निवेशकों द्वारा चुनिंदा मुनाफावसूली का संकेत रहा।
बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा, “वीकली चार्ट पर निफ्टी ने हायर हाई और हायर लो के साथ एक बड़ा बुल कैंडल बनाया है, जो तेजी के जारी रहने का संकेत देता है। सूचकांक तीन महीने के सिमेट्रिकल ट्रायंगल कंसोलिडेशन पैटर्न से ऊपर निकल गया, जो सकारात्मक रुझान का संकेत देता है।”
उन्हें उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में सूचकांक 25,900 और फिर 26,200 के स्तर की ओर बढ़ेगा।
छुट्टियों से प्रभावित दिवाली के इस संक्षिप्त सप्ताह में, अमेरिकी मुद्रास्फीति, रोजगार और भारत के पीएमआई आंकड़ों जैसे प्रमुख आर्थिक आंकड़ों के जारी होने के मद्देनजर निवेशक सतर्क बने रह सकते हैं।
निवेशक मौजूद अर्निंग सीजन और प्रमुख वैश्विक केंद्रीय बैंकों के नीतिगत संकेतों पर भी नजर रख रहे हैं।
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