राष्ट्रीय समाचार
भारत में लेखांकन कार्यों पर खर्च होने वाले 46 प्रतिशत समय की जगह लेगा जेनरेटिव एआई

जेनेरिक एआई में 2032 तक भारत में लेखांकन कार्यों पर खर्च होने वाले 46 प्रतिशत समय को स्वचालित करने की क्षमता है। सोमवार को एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
कुछ सफेदपोश भूमिकाओं (जैसे अकाउंटेंट, बहीखाता क्लर्क, वर्ड प्रोसेसर ऑपरेटर, प्रशासनिक सचिव, स्टॉल/मार्केट सेल्सपर्सन) में शामिल कार्यों पर बिताया गया लगभग 30 प्रतिशत या अधिक समय जेनेरिक एआई द्वारा किया जा सकता है।
इसकी तुलना में, शिक्षण कंपनी पियर्सन की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक कामकाजी सप्ताह में ब्लू-कॉलर श्रमिकों (जैसे बुनकर, वेटर, बेकर / रसोइया आदि) का 1 प्रतिशत से भी कम काम जेनरेटिव एआई द्वारा किया जा सकता है।
कई प्रशासनिक भूमिकाओं में दोहराए जाने वाले कार्य होते हैं – जैसे नियुक्तियों को शेड्यूल करना या कॉल का उत्तर देना और निर्देशित करना – जिन्हें जेनरेटर एआई द्वारा आसानी से दोहराया जा सकता है।
भारत में, सबसे अधिक प्रभावित कार्य लेखांकन और बही-खाता (46 प्रतिशत) है, इसके बाद वर्ड प्रोसेसर और संबंधित ऑपरेटर (40 प्रतिशत) हैं।
पियर्सन वर्कफोर्स स्किल्स के अध्यक्ष माइक हॉवेल्स ने कहा,“जैसा कि कर्मचारी भविष्य की ओर देखते हैं, यह समझना कि एआई से कौन सी नौकरियों को खतरा है, उन्हें तैयारी करने की अनुमति मिलती है। उन्हें यह भी विचार करना चाहिए कि जनरल एआई द्वारा नई भूमिकाएं कहां बनाई जा सकती हैं। श्रमिकों और नियोक्ताओं को यह देखना चाहिए कि वे सर्वोत्तम एआई और सर्वोत्तम मानव कौशल का एक साथ उपयोग करके परिवर्तन की इस लहर को कैसे चला सकते हैं।”
भारत में सबसे कम प्रभावित नौकरियां परिवहन और संचार में कार्यरत मालिक, निदेशक और अधिकारी तथा बिक्री और विपणन प्रबंधक हैं। पियर्सन की नवीनतम ‘स्किल्स आउटलुक’ श्रृंखला में पांच देशों – ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत, अमेरिका और यूके में 5,000 से अधिक नौकरियों पर जेनरेटिव एआई के प्रभाव को देखा गया।
राजनीति
शिक्षा के अलावा विकास का कोई रास्ता नहीं : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

पटना, 22 मई। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को यहां कहा कि शिक्षा के अलावा विकास का कोई और माध्यम नहीं है। शिक्षा ही आगे बढ़ने, विकास और प्रगति का सबसे सही माध्यम है। शिक्षा को लेकर किया गया आयोजन शिक्षा की चेतना को बढ़ाता है और शिक्षा हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान गुरुवार को पटना के ऊर्जा ऑडिटोरियम में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के तृतीय दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। इस दीक्षांत समारोह में बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पटना, इंदिरा गांधी नई तकनीकी संस्थान, पटना तथा मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज के कुल 265 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई। इस मौके पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सभी छात्रों और उनके अभिभावकों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने उत्तीर्ण छात्रों को कहा कि आप जो भी शिक्षा ग्रहण की है, उसे आत्मसात भी कीजिए, जिससे उसका लाभ समाज को भी मिल सके। उन्होंने अभिभावकों की चर्चा करते हुए कहा कि बहुत कुछ त्याग कर ये लोग बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं और आज वे क्या महसूस कर रहे होंगे, मैं महसूस कर सकता हूं। इस समारोह में स्नातक स्तर पर डेयरी प्रौद्योगिकी के 46, पशु चिकित्सा विज्ञान के 103 और मात्स्यिकी विज्ञान के 55 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई, जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर डेयरी प्रौद्योगिकी के चार और पशु चिकित्सा विज्ञान के 53 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
इसके अलावा पीएचडी कार्यक्रम के अंतर्गत भी चार शोधार्थियों को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी उपस्थित रहे। उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर लिखा, “इस समारोह में युवा ऊर्जा, नए संकल्प और आत्मनिर्भर भारत की झलक दिखाई दी। पशुपालन हमारे ग्रामीण जीवन की आत्मा है। अब वक्त है कि आप सिर्फ पशु चिकित्सक नहीं, गाँव की तरक्की के इंजीनियर बनें और टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और इनोवेशन से आत्मनिर्भर भारत की नई तस्वीर गढ़ें।”
राजनीति
सीजफायर नहीं होता तो आज पीओके हमारा होता : इमरान मसूद

लखनऊ, 22 मई। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने गुरुवार को राजस्थान के बीकानेर में पीएम मोदी के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा कि जो सिंदूर मिटाने निकले थे, उन्हें मिट्टी में मिलाया है। इमरान मसूद ने कहा कि हमें तो पीओके की उम्मीद थी। लेकिन, सीजफायर का ऐलान हो गया।
मिडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद ने कहा कि बीकानेर में पीएम मोदी ने जो कहा है, वह बिल्कुल सही कहा है, उनके पास इनपुट होगा। इसीलिए, जनता के सामने उन्होंने कहा, लेकिन, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि हमने इन आतंकियों को मार गिराया। हमें उम्मीद थी कि हम पीओके पर नियंत्रण कर लेंगे। हमारी सेना तो पीओके में घुस गई थी। पीओके पर बटन दबाना था, लेकिन सीजफायर का बटन दबा दिया। अगर सीजफायर नहीं होता तो आज पीओके भारत का होता।
उन्होंने सीजफायर पर कहा कि क्या हम ट्रंप के गुलाम हैं, नहीं हैं तो फिर सीजफायर क्यों?
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के विदेश जाने पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि देश के भीतर हमारे जो भी मतभेद हो सकते हैं, वह हमारा आंतरिक मामला है। लेकिन, जब हम विदेश जाएंगे, तो हम एकता के साथ जाएंगे, हम देश के लिए बोलेंगे, हम केवल भारत के हितों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इसके अलावा कुछ नहीं।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के बयान पर इमरान मसूद ने कहा कि देश के लिए हम एक हैं, हम बाहर जाएंगे तो अलग-अलग नहीं बोलेंगे। सभी एक स्वर में ही बोलेंगे।
छत्तीसगढ़ नक्सली मुठभेड़ पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “कोई भी राष्ट्र विरोधी ताकत, चाहे वह कोई भी हो, उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए और उसे पूरी तरह से कुचल दिया जाना चाहिए।”
बता दें कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों के खिलाफ सरकार युद्ध स्तर पर अभियान चला रही है। केंद्र सरकार मार्च 2026 तक देश-प्रदेश से नक्सलवाद के खात्मे के संकल्प को अंजाम देने में जुटी है। इस अभियान में लगातार सफलताएं भी मिल रही हैं।
राजनीति
अंतिम सुनवाई के बाद भी लगे कि वक्फ कानून असंवैधानिक है तो कोर्ट इसे रद्द कर सकता है : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता

suprim court
नई दिल्ली, 22 मई। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच के सामने केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किसी भी तरह के अंतरिम आदेश का विरोध करते हुए दलील दी कि अगर अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट को लगता है कि कानून असंवैधानिक है तो कोर्ट इसे रद्द कर सकता है। लेकिन, अगर कोर्ट अंतरिम आदेश से कानून पर रोक लगाता है और इस दौरान कोई संपत्ति वक्फ को चली जाती है, तो उसे वापस पाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि वक्फ अल्लाह का होता है और एक बार जो वक्फ हो गया, उसे पाना आसान नहीं होगा।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, “वक्फ बनाना और वक्फ को दान देना दोनों अलग हैं। यही कारण है कि मुसलमानों के लिए 5 साल की प्रैक्टिस की जरूरत रखी गई है, ताकि वक्फ का इस्तेमाल किसी को धोखा देने के लिए न किया जाए।”
तुषार मेहता ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि मान लीजिए कि मैं हिंदू हूं और मैं वक्फ के लिए दान करना चाहता हूं, तो भी वक्फ को दान दिया जा सकता है।
सॉलिसिटर जनरल ने ट्राइबल एरिया का जिक्र करते हुए कहा, “ट्राइबल इलाकों में वक्फ संपत्तियों के बढ़ने के मामले में कोई आम व्यक्ति वहां जमीन नहीं खरीद सकता, क्योंकि राज्य का कानून इसकी अनुमति नहीं देता। लेकिन, अगर वही व्यक्ति वक्फ करना चाहे तो वक्फ करने के बाद मुतवल्ली (ट्रस्टी या देखभाल करने वाला) जो चाहे कर सकता है। यह व्यवस्था इतनी खतरनाक है, जिस पर रोक लगाए जाने की जरूरत है।”
तुषार मेहता ने बेंच के सामने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट अपने एक फैसले में कह चुका है कि संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत वक्फ अपने आप में राज्य है। ऐसे में यह दलील नहीं दी जा सकती कि इसमें किसी एक संप्रदाय के लोग ही शामिल होंगे।
बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि ट्रस्ट की जमीन को सरकार सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना चाहती है।
तुषार मेहता ने कहा था, “वक्फ कानून 2013 के संशोधन से पहले अधिनियम के सभी संस्करणों में कहा गया था कि केवल मुसलमान ही अपनी संपत्ति वक्फ कर सकते हैं। लेकिन, 2013 के आम चुनाव से ठीक पहले एक संशोधन किया गया था, जिसके मुताबिक कोई भी अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है।”
इससे पहले, मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीजेआई बीआर गवई ने खजुराहो के एक मंदिर का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि वह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और फिर भी लोग वहां जाकर पूजा कर सकते हैं। इस पर कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नया कानून कहता है कि अगर यह एएसआई संरक्षित क्षेत्र है तो यह वक्फ नहीं हो सकता है।
इस पर कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि नया कानून कहता है कि अगर यह एएसआई संरक्षित क्षेत्र है तो यह वक्फ नहीं हो सकता है।
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