व्यापार
चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी तीव्र गति सी बढ़ेगी: रिपोर्ट

नई दिल्ली, 7 मार्च। हाल ही में जारी बैंक ऑफ बड़ौदा की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार अर्थव्यवस्था के हाई-फ्रिक्वेंसी इंडीकेटर के आधार पर चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में भारत की जीडीपी वृद्धि में तेजी आने की उम्मीद है।
चौथी तिमाही में सुधार दर्शाने वाले सकारात्मक संकेतकों में जीएसटी कलेक्शन, ई-वे बिल जनरेशन में वृद्धि शामिल है।
जीएसटी कलेक्शन जनवरी-फरवरी 2025 में औसतन 3.8 लाख करोड़ रुपये रहा, जो जनवरी-फरवरी 2024 में 3.4 लाख करोड़ रुपये था।
ई-वे बिल जनरेशन जनवरी 2025 में 23.1 प्रतिशत हो गया, जबकि जनवरी 2024 में 16.4 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 16.9 प्रतिशत था। जनवरी-फरवरी 2025 में टोल कलेक्शन में औसतन 16.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि जनवरी-फरवरी 2024 में 11.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी-फरवरी 2025 की अवधि में हवाई यात्री ट्रैफिक और वाहन रजिस्ट्रेशन जैसे संकेतक कम हुए, लेकिन कुंभ मेले के कारण उपभोग, सेवाओं और एफएमसीजी सेक्टर को बढ़ावा मिलने से चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में वृद्धि का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे वर्ष के लिए कृषि क्षेत्र में मजबूत वृद्धि को देखते हुए, 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जिसने पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की है।
रिपोर्ट में यह भी उम्मीद की गई है कि मुद्रास्फीति में कमी आने के कारण आरबीआई आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख दरों को और कम करेगा।
इसमें बताया गया है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत से 25 आधार अंकों से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया और रुख को न्यूट्रल रखा गया। आरबीआई गवर्नर ने विकास को समर्थन देने के लिए “लेस रिस्ट्रिक्टिव” मौद्रिक नीति की आवश्यकता पर ध्यान दिया क्योंकि मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्षित बैंड के भीतर बनी हुई है।
केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 में वृद्धि दर वित्त वर्ष 2025 के 6.4 प्रतिशत से बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो जाएगी।
वित्त वर्ष 2026 में मुद्रास्फीति घटकर 4.2 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2025 में 4.8 प्रतिशत थी।
सीपीआई वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी।
इन अनुमानों में रुपये की अस्थिरता को भी ध्यान में रखा गया है। मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आने की उम्मीद है, जिससे आरबीआई को दरों में और कमी करने की गुंजाइश मिलेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें इस कैलेंडर वर्ष में दरों में 75 बीपीएस (संचयी) तक की कमी की उम्मीद है। अगली दर कटौती के समय, हमें रुख में बदलाव की भी उम्मीद है।”
मुद्रास्फीति में नरमी और बदलती लिक्विडिटी स्थितियों को देखते हुए, भारत की 10 साल की यील्ड में कमी आई है।
वीआरआर ऑक्शन के जरिए लिक्विडिटी के प्रबंधन में आरबीआई द्वारा किए गए प्रयासों ने बॉन्ड यील्ड को सपोर्ट किया।
10 साल की यील्ड मार्च 2025 में 6.65 प्रतिशत से 6.75 प्रतिशत की सीमा में कारोबार करने की उम्मीद है, जिसमें टैक्स आउटफ्लो के बीच लिक्विडिटी की स्थिति को कड़ा करना शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “नीति दर पर, हम अनुमान लगाते हैं कि आरबीआई अप्रैल 2025 में कोई भी कार्रवाई करने से पहले प्रतीक्षा करेगा और देखेगा। क्योंकि मुख्य मुद्रास्फीति में नरमी आई है।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि घरेलू जीडीपी वृद्धि में उम्मीद किया जा रहा उछाल, सीमित तेल की कीमतें और मजबूत एक्सटर्नल बफर भारतीय रुपये के लिए सकारात्मक हैं।
हालांकि, ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में निरंतर अस्थिरता को देखते हुए, रुपये के मूल्य में वृद्धि की गुंजाइश सीमित दिखती है।
अमेरिकी टैरिफ नीतियां और डॉलर रुपये को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें आने वाले महीने में रुपये के लिए 86.75-87.75/डॉलर की सीमा की उम्मीद है और इस सीमा पर वापस आने से पहले भारतीय करेंसी 88/डॉलर को भी छू सकती है।
व्यापार
जुर्माने से बचने के लिए 15 मार्च से पहले जमा करें अग्रिम कर

नई दिल्ली, 12 मार्च। अग्रिम कर जमा करने की आखिरी तिथि 15 मार्च है। वे करदाता जिनकी अनुमानित कर देयता एक वित्त वर्ष में 10,000 रुपये से अधिक होती है, उन्हें अग्रिम कर का भुगतान करना होता है।
अग्रिम कर का भुगतान वित्त वर्ष के दौरान चार अलग-अलग किस्तों में किया जाता है। करदाता को अग्रिम कर की पहली किस्त 15 जून को देनी होती है, जिसमें अनुमानित कर का 15 प्रतिशत का भुगतान करना होता है। इसके बाद 15 सितंबर को दूसरी किस्त देनी होती है, जिसमें कम से कम 45 प्रतिशत अग्रिम कर देना होता है।
इसके अलावा अग्रिम कर की तीसरी किस्त का भुगतान 15 दिसंबर को करना होता है। इसके तहत कम से कम अनुमानित कर का 75 प्रतिशत का भुगतान करना होता है। वहीं, आखिरी किस्त 15 मार्च को भुगतान करनी होती है। इसमें करदाता को अपनी अनुमानित कर देयता का कम से कम 90 प्रतिशत का भुगतान करना होता है।
इसके अतिरिक्त, वे व्यक्ति जिनके वेतन में से नियोक्ता द्वारा टीडीएस की कटौती की जाती है और आय का अतिरिक्त स्रोत है। उन्हें भी अग्रिम कर का भुगतान करना होता है।
वहीं, प्रॉपर्टी, शेयर, म्यूचुअल फंड और अन्य संपत्तियों की बिक्री करने, 15 मार्च से 31 मार्च के बीच किसी प्रॉपर्टी को बेचने पर या फिर वे एनआरआई जिनके पास भारत में आय का स्रोत होता है उन्हें भी अग्रिम कर का भुगतान करना होता है।
अगर आप अग्रिम कर के दायरे में आते हैं और 31 मार्च तक आपने 90 प्रतिशत अग्रिम कर का भुगतान नहीं किया है तो आपको एक अप्रैल से आईटीआर जमा करने तक बकाया टैक्स पर एक प्रतिशत मासिक के जुर्माने का भुगतान करना होता है।
अग्रिम कर जमा करने के लिए आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाना होगा। वहां आपको ई-पे टैक्स पर क्लिक करना होगा।
यहां आपको अपना पैन नंबर और आधार-पैन के साथ लिंक्ड मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।
लॉग-इन होने के बाद आपको असेसमेंट ईयर 2025-26 का चयन करना होगा। इसके टाइप ऑफ पेमेंट में एडवांस टैक्स का चयन करें और कंटिन्यू पर क्लिक करें।
अब अपनी राशि भरें और भुगतान करें। आप अग्रिम कर का भुगतान नेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड/ क्रेडिट कार्ड और यूपीआई से कर सकते हैं।
इसके बाद आपका चालान जनरेट होगा, जिसकी आपको आईटीआर भरने के समय आवश्यकता होगी।
अंतरराष्ट्रीय
दक्षिण पूर्व एशिया के साइबर अपराध केंद्रों में फंसे 266 भारतीयों की स्वदेश वापसी

नई दिल्ली, 12 मार्च। दक्षिण पूर्व एशिया में साइबर अपराध केंद्रों से रिहा किए गए 266 भारतीय नागरिक स्वदेश वापस आ गए हैं। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के एक विमान में ये लोग भारत लौटे।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा, “भारत सरकार ने कल एक आईएएफ विमान द्वारा 266 भारतीयों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की, जिन्हें दक्षिण पूर्व एशिया में साइबर अपराध केंद्रों से रिहा किया गया था।”
मंत्रालय ने भारतीय दूतावासों के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, जिन्होंने प्रभावित व्यक्तियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए म्यांमार और थाईलैंड की सरकारों के साथ मिलकर काम किया।
इससे पहले सोमवार को 283 भारतीयों को म्यांमार से वापस लाया गया। इन लोगों को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में नौकरी के फर्जी ऑफर के नाम पर बहला-फुसलाकर ले जाया गया। बाद में इन्हें म्यांमार-थाईलैंड सीमा से लगे क्षेत्रों में संचालित घोटाला केंद्रों में साइबर अपराध और धोखाधड़ी की अन्य गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में म्यांमार और थाईलैंड में भारतीय दूतावासों के अथक प्रयासों पर जोर दिया गया, जिन्होंने फंसे हुए लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया।
सोमवार को विशेष भारतीय वायुसेना के विमान ने थाईलैंड के माई सोत से 283 नागरिकों को लेकर उड़ान भरी। यह इस क्षेत्र में मानव तस्करी और साइबर अपराध रैकेट के खिलाफ भारत की चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अपनी सलाह दोहराते हुए, विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों से सावधानी बरतने का आग्रह किया। मंत्रालय ने विदेश में भारतीय मिशनों के जरिए विदेशी नियोक्ताओं की साख को सत्यापित करने और विदेशी नौकरी के अवसरों को स्वीकार करने से पहले भर्ती एजेंटों और कंपनियों की पूरी तरह से जांच करने के महत्व पर जोर दिया।
भारतीय सरकार ने अपने नागरिकों को अज्ञात स्रोतों से आने वाले अनचाहे नौकरी के प्रस्तावों के खतरों के बारे में बार-बार आगाह किया है, क्योंकि इनमें से कई मामलों में व्यक्तियों का शोषण हुआ है और उन्हें अवैध गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया है।
व्यापार
सेबी ने राइट्स इश्यू को पूरा करने की समयसीमा घटाकर 23 दिन की, 7 अप्रैल से लागू

मुंबई, 12 मार्च। कंपनियों को तेजी से पूंजी जुटाने में मदद करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने राइट्स इश्यू को पूरा करने की समयसीमा 126 दिनों से घटाकर 23 दिन कर दी है, जो 7 अप्रैल से प्रभावी होगी।
एक सर्कुलर में, पूंजी बाजार नियामक ने राइट्स इश्यू में स्पेसिफिक निवेशकों को अलॉटमेंट के लिए फ्लेक्सिबिलिटी भी प्रदान की है।
सेबी ने कहा, “नए फ्रेमवर्क के हिस्से के रूप में, सेबी रेगुलेशन, 2018 (सेबी आईसीडीआर विनियम) के संशोधित रेगुलेशन 85 के संदर्भ में, यह निर्दिष्ट किया जा रहा है कि राइट्स इश्यू को जारीकर्ता के निदेशक मंडल द्वारा राइट्स इश्यू को मंजूरी देने की तारीख से 23 कार्य दिवसों के भीतर पूरा किया जाएगा।”
इसमें कहा गया है, “सेबी आईसीडीआर रेगुलेशन के रेगुलेशन 87 के अनुसार और रिवाइज्ड टाइमलाइन को देखते हुए यह निर्दिष्ट किया जा रहा है कि राइट्स इश्यू को सब्सक्रिप्शन के लिए न्यूनतम सात दिन और अधिकतम तीस दिनों के लिए ओपन रखा जाएगा।”
राइट्स इश्यू में शेयरों की सदस्यता के लिए प्राप्त एप्लीकेशन बोलियों का सत्यापन और अलॉटमेंट के आधार को फाइनल करने का काम भी स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी द्वारा इश्यू के रजिस्ट्रार के साथ मिलकर किया जाएगा।
बाजार नियामक के अनुसार, इस सर्कुलर के प्रावधान 7 अप्रैल, 2025 से लागू होंगे तथा इस सर्कुलर के लागू होने की तिथि से इश्यूअर के निदेशक मंडल द्वारा अप्रूव्ड राइट्स इश्यू पर लागू होंगे।
इस बीच, न्यूली अपॉइंटेड चेयरपर्सन तुहिन कांत पांडे की लीडरशिप में आगामी पहली बोर्ड मीटिंग में सेबी कई प्रमुख विनियामक प्रस्तावों पर चर्चा करने वाला है।
प्रस्तावित एजेंडे में डीमैट खातों के लिए यूपीआई जैसी सुरक्षा, क्लियरिंग कॉरपोरेशन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के दायरे का विस्तार करना और रिसर्च विश्लेषकों द्वारा फी कलेक्शन में बदलाव शामिल हैं।
निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सेबी ने डीमैट खातों के लिए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसा सिस्टम लागू करने का प्रस्ताव दिया है।
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