अंतरराष्ट्रीय
ऑस्ट्रेलिया में घर पाना हुआ मुश्किल, 66,117 लोग लाइन में लगे, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

सिडनी, 1 अक्टूबर : ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में लोगों को रहने के लिए घरों ढूंढने में परेशानी आ रही है। बुधवार को एक रिपोर्ट सामने आई, जिसके अनुसार लोगों को रहने के लिए यहां घर लेना बहुत मुश्किल हो चुका है।
द काउंसिल टू होमलेस पर्सन (सीएचपी) नाम के एनजीओ ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इसके अनुसार विक्टोरिया में मार्च 2025 तक सरकार द्वारा समर्थित सामाजिक आवास के लिए 66,117 लोग वेटिंग लिस्ट में थे। बता दें, ये आंकड़ा 2024 की तुलना में 7.4 प्रतिशत ज्यादा है।
इसमें कहा गया है कि विक्टोरिया में सामाजिक आवास का अनुपात, जो उन लोगों के लिए आरक्षित है, जो सामान्य बाजार मूल्य पर आवास का खर्च नहीं उठा सकते, 3 प्रतिशत है – जो ऑस्ट्रेलिया के आठ राज्यों और क्षेत्रों में सबसे कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विक्टोरिया में पारिवारिक हिंसा की वजह से हर महीने 13 हजार लोग बेघर सहायता सेवाओं का सहारा लेते हैं, और 10,000 से ज्यादा लोग हर महीने आवास की सामर्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण बेघर सहायता सेवाओं का सहारा लेते हैं।
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में 33,467 विक्टोरियावासियों को विशेषज्ञ बेघर सेवाओं से सहायता मिल रही थी, जो जुलाई 2017 से 9.7 प्रतिशत ज्यादा है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, विक्टोरिया जनसंख्या के हिसाब से ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जहां मार्च तक 70.5 लाख निवासी थे – जो राष्ट्रीय जनसंख्या का 25.6 प्रतिशत है।
सीएचपी रिपोर्ट में तीन प्रमुख सिफारिशें की गईं, जिनमें राज्य सरकार से हर साल कम से कम 4,000 नए सामाजिक आवास बनाने, बेघर होने की रोकथाम के लिए निवेश बढ़ाने और संकटकालीन आवास एवं बेघर सेवाओं के लिए धन जुटाने का आह्वान किया गया।
सीएचपी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेबोरा डि नताले ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “विक्टोरिया में हर दिन, हजारों लोगों को किराया चुकाने, हिंसा से बचने या बेघर होने के बीच असंभव विकल्पों का सामना करना पड़ता है।”
रिपोर्ट के अनुसार, आवास की सामर्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण विशेषज्ञ बेघर सेवाओं का उपयोग करने वाले सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों में से एक-तिहाई से ज्यादा विक्टोरिया में रहते हैं, लेकिन आवास और बेघर सेवाओं में राज्य सरकार का निवेश राष्ट्रीय औसत से कम है।
अंतरराष्ट्रीय
फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान में तेजी लाए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय : संयुक्त राष्ट्र में चीनी प्रतिनिधि

बीजिंग, 30 सितंबर : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में 29 सितंबर को फिलिस्तीन और अन्य अधिकृत अरब क्षेत्रों में मानवाधिकार की स्थिति पर एक सामान्य बहस आयोजित की गई।
इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र जिनेवा कार्यालय और स्विट्जरलैंड में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में चीन के स्थायी प्रतिनिधि छन श्य्वी ने भाग लिया और चीन की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान में तेजी लाने का आह्वान किया।
छन श्य्वी ने जोर देकर कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का यह दौर दो वर्षों से चल रहा है, जिससे अभूतपूर्व मानवीय आपदा उत्पन्न हुई है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इजरायल अभी भी गाजा शहर पर कब्जा करने, जोर्डन नदी के पश्चिमी तटीय क्षेत्र पर अपने अतिक्रमण को तेज करने तथा कतर में शांति वार्ता की योजना बना रहे फिलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) के सदस्यों पर हवाई हमले करने की अपनी योजना को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये कार्यवाहियां अंतर्राष्ट्रीय कानून के मानदंडों का गंभीर उल्लंघन करती हैं, फिलिस्तीन और पड़ोसी देशों के लोगों के अस्तित्व और विकास के अधिकार का गंभीर उल्लंघन करती हैं, और मध्य पूर्व की स्थिरता को सीधे प्रभावित करती हैं।
चीनी प्रतिनिधि ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान को बहुत महत्व देने और इसमें तेजी लाने, गाजा में व्यापक युद्ध विराम को बढ़ावा देने, ‘दो-राज्य समाधान’ को पुनर्जीवित करने और मध्य पूर्व में शांति तथा स्थिरता बनाए रखने का आह्वान किया।
छन श्य्वी ने पुष्टि की कि चीन फिलिस्तीनी लोगों के न्यायोचित मुद्दे का दृढ़ता से समर्थन करता है और वैश्विक सुरक्षा पहल और वैश्विक शासन पहल को लागू करने तथा फिलिस्तीन मुद्दे के शीघ्र व्यापक, न्यायोचित और स्थायी समाधान को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
अंतरराष्ट्रीय
गाजा को नक्शे से मिटाने वाले नेतन्याहू को क्यों बदलना पड़ा रुख?

नई दिल्ली, 30 सितंबर : गाजा में दो साल से जारी संघर्ष पर जल्द ही विराम लग सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में सीजफायर के लिए एक योजना तैयार की। इस योजना को इजरायल समेत कई देशों का समर्थन मिला। हालांकि, अबतक हमास की ओर से इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास ने हमला किया था, जिसके बाद पीएम नेतन्याहू ने गाजा को नक्शे से मिटा देने की बात कही थी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि गाजा को नक्शे से मिटाने की बात करने वाले नेतन्याहू ने आखिर अपना रुख क्यों बदल लिया?
बता दें, 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास को मिटाने की कसम खाई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर हमास गाजा को नहीं छोड़ता है तो इस जगह को नक्शे से मिटा देंगे। वहीं, अब नेतन्याहू गाजा में सीजफायर की बात कह रहे हैं। दरअसल, इजरायल ने गाजा में जिस तरह से तबाही मचाई, इसकी चौतरफा आलोचना हो रही है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र की बैठक हुई। इस बैठक के दौरान 170 बार इजरायल की निंदा की गई। हाल ही में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आंकड़े जारी किए गए। इन आंकड़ों के अनुसार 7 अक्टूबर 2023 के दिन से शुरू हुए युद्ध में अब तक 66,005 लोग मारे गए और 1,68,162 लोग घायल हुए हैं। गाजा से जो तस्वीरें सामने आई, उनमें छोटे मासूम बच्चे भी शामिल थे। यही नहीं, युद्ध की वजह से वहां के बच्चों और बूढ़ों को खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही। पूरा क्षेत्र भुखमरी की चपेट में आ गया है और बीमार लोगों को इलाज कराने के लिए अस्पताल की सुविधाएं नहीं मिल रही। फिलिस्तीनी लोगों पर हो रही इस बर्बरता के साक्षी दुनिया के तमाम देश बन रहे हैं।
कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी कहा था कि इजरायल की छवि जिस तरह से विश्वपटल पर बन रही है, वह सही नहीं है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को अलग देश बनाने के पक्ष में भारत समेत कई देशों ने वोट डाला। यूएनजीए की बैठक से इतर ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों ने भी एक बैठक की, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान इजरायल की ओर से किए जा रहे हमलों की निंदा भी की गई।
विदेश मंत्रियों ने कतर पर इजरायल के हमले की निंदा की। उनका कहना है कि यह कतर की संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि ये हमले क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा हैं। उन्होंने कतर पर इजरायल द्वारा किए गए सशस्त्र हमले पर हाल ही में मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में 16 सितंबर 2025 को हुई बहस का भी जिक्र किया। उन्होंने एक बार फिर कानून के शासन, मानवाधिकारों, शांति और सुरक्षा को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। मंत्रियों ने फिलिस्तीन के गाजा में इजरायल के हमलों पर चिंता जाहिर की।
इजरायल के हमले क्षेत्र की नागरिक आबादी के लिए अभूतपूर्व पीड़ा का कारण बन रहे हैं। मंत्रियों ने फिलिस्तीनी लोगों को उनके कब्जे वाले क्षेत्र से विस्थापित करने के सभी प्रयासों की निंदा की। साथ ही तत्काल और स्थायी युद्धविराम के लिए अपने आह्वान को दोहराया। हर तरफ से इजरायल की कड़ी निंदा हो रही है। जो देश इजरायल के साथ खड़े थे, वे भी फिलिस्तीन की स्थिति को देखकर आलोचना कर रहे हैं। ऐसे में पीएम नेतन्याहू के तल्ख तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय
जयशंकर ने कई देशों के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात में आपसी रिश्तों की मजबूती पर दिया जोर

संयुक्त राष्ट्र, 27 सितंबर। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र के दौरान कई देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। इन मुलाकातों का उद्देश्य भारत के रिश्तों को और मजबूत करना और अलग-अलग देशों के वैश्विक दृष्टिकोण को समझना था।
उन्होंने तीन समूहों की बैठकों में भी भाग लिया: ब्रिक्स (प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का दस सदस्यीय समूह); आईबीएसए (भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका समूह), और भारत तथा सीईएलएसी (लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई राज्यों का समुदाय) का एक संयुक्त सम्मेलन। इन बैठकों में बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों, यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति पर बातचीत की।
संयुक्त अरब अमीरात के उपप्रधानमंत्री अब्दुल्ला बिन जायद अल नहयान से उन्होंने दोनों देशों के सहयोग और होने वाली संयुक्त आयोग बैठक की तैयारियों पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि उन्हें उनके विचार मौजूदा वैश्विक हालात पर उपयोगी लगे।
ऑस्ट्रिया की विदेश मंत्री बीट माइनल-राइजिंगर ने मुलाकात के बाद जयशंकर को धन्यवाद दिया और कहा कि भारत और ऑस्ट्रिया की साझेदारी को मजबूत करना दोनों देशों के साथ-साथ यूरोप के लिए भी लाभकारी है। जयशंकर ने बताया कि उन्होंने भारत और यूरोप के सामने मौजूद चुनौतियों और अवसरों पर गहन चर्चा की।
इसके अलावा जयशंकर ने एंटीगुआ-बारबुडा, उरुग्वे, इंडोनेशिया, सिएरा लियोन और रोमानिया के विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात की।
भारत-सीईएलएसी बैठक की सह-अध्यक्षता कोलंबिया की विदेश मंत्री रोजा योलांडा विलाविसेनियो के साथ करते हुए, जयशंकर ने “एक्स” पर कहा कि वे “वैश्विक दक्षिण की आवाज का बेहतर प्रतिनिधित्व करने के लिए बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की तत्काल आवश्यकता” पर सहमत हैं।
बैठक में कृषि, व्यापार, स्वास्थ्य, डिजिटल तकनीक, आपदा राहत और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। उन्होंने आगे कहा कि वे एआई, प्रौद्योगिकी, महत्वपूर्ण खनिजों, अंतरिक्ष और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर भी सहमत हुए।
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