अपराध
मुंबई और ठाणे में फेक कोविड वैक्सीनेशन, बीएमसी ने बनाए नए नियम
मुंबई में फर्जी टीकाकरण के मामले दिन-ब-दिन सामने आ रहे हैं। अब तक 2 हजार 53 लोगों को फर्जी टीके लगाए जाने का खुलासा हुआ है। इस फर्जी टीकाकरण को रोकने के लिए अब अपने बनाए हुए नियमों का पालन बीएमसी कड़ाई से करने जा रही है। इसके तहत अब सोसायटियों में टीकाकरण करने से पहले प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर को वॉर्ड के मेडिकल अफसरों को जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। बता दें कि कांदिवली के हीरानंदानी हेरीटेज सोसायटी में फर्जी टीकाकरण प्रकरण का खुलासा होने के बाद खार, बोरीवली, वर्सोवा और परेल में भी फर्जी टीका लगाने की घटनाएं हुई हैं। फर्जी टीकाकरण के नए-नए खुलासे होने के बाद अब बीएमसी भी अलर्ट मोड़ पर आ गई है।
बीएमसी की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमारे ने बताया कि निजी सोसायटियों में टीकाकरण के संदर्भ में प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर्स के लिए पहले से ही गाइडलाइन्स जारी की जा चुकी है। इस फर्जी टीकाकरण से यह भी बात सामने आयी कि निजी सेंटर्स बीएमसी के दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रहे है। इसीलिये अब बीएमसी सख्ती करने जा रही है। निजी टीकाकरण केंद्रों के माध्यम से टीका अभियान अपने सोसायटी परिसरों में करने से पहले इसकी सूचना वॉर्ड स्तर पर बीएमसी के मेडिकल अफसर को देना अनिवार्य होगा। यही नियम वैक्सीनेशन सेंटर्स के लिए भी लागू होंगे। गोमारे ने बताया कि सभी टीकाकरण केंद्रों को विशेष पंजीकृत नंबर दिए गए हैं। टीकाकरण की अग्रिम सूचना से यह फायदा होगा कि पंजीकृत नंबर की पड़ताल मेडिकल अफसर कर सकेंगे।
मनपा ने कोविड पर नियंत्रण के लिए शहर के विभिन्न इलाकों में 10 टीकाकरण केंद्र बनाए थे| लेकिन टीका की कमी के कारण आठ केंद्र बंद कर दिए गए थे| टीका मिलने के बाद फिर पांच केंद्र चलाए जा रहे हैं| मनपा इलाके में अब तक 53770 लोगों को ही टीका दिया गया है। ठाणे जिले में सबसे कम टीकाकरण भिवंडी में ही हुआ है। भिवंडी मनपा इलाके में कुल 2670 स्वास्थ्यकर्मियों में से 2598 लोगों को कोरोना की पहली खुराक एवं 1800 लोगों को दूसरी खुराक दी गई है। इसी तरह 4275 फ्रंट लाइन वर्कर में से 4382 लोगों को पहली खुराक एवं 2438 लोगों को दूसरी खुराक दी गई है| 45 वर्ष से अधिक उम्र के 17709 लोगों को पहली खुराक एवं 1463 लोगों को दूसरी खुराक दी गई है| 8378 वरिष्ठ नागरिकों को पहली खुराक एवं 3035 को दूसरी खुराक दी गई है| इसी तरह 18 वर्ष से 44 वर्ष के 6873 लोगों को पहली खुराक एवं 305 लोगों को दूसरी खुराक दी गई है।
मुंबई की तर्ज पर ठाणे में भी फर्जी टीकाकरण का मामला सामने आया है। नौपाडा पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिन पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है वे मुंबई पुलिस द्वारा पकडे गए गिरोह से जुड़े हैं। इनमे महेंद्र सिंह, श्रीकांत माने, संजय गुप्ता, सीमा आहूजा और करीम शामिल हैं। ठाणे की नितिन कंपनी के करीब श्रीजी आर्केड इमारत की दूसरी मंजिल स्थित रेन्युबाय डॉट कॉम कार्यालय में 26 मई को टीकाकरण का आयोजन किया गया था और कार्यालय में कार्यरत स्टाफ और उनके परिवार के सदस्यों को टीका लगाया गया था। कोविशिलङ वैक्सीन की आड़ में सभी को फर्जी टीका लगाए जाने का मामला सामने आया है।
प्रति टीका एक हजार रुपये के हिसाब से कुल एक लाख 16 हजार रुपये का भुगतान कंपनी द्वारा किया गया था। मुंबई के फर्जी टीकाकरण का मामला सामने आने के बाद कंपनी की तरफ से नौपाडा पुलिस स्टेशन में सभी के ख़िलाफ आईपीसी की धारा 188, 269, 270, 274, 275, 276, 308, 419, 420, 465, 467, 468, 471 तथा संसर्गजन्य रोग की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस जल्द ही इन आरोपियों को अपनी गिरफ्त में लेगी।
अपराध
मुंबई पुलिस की एंटी-नारकोटिक्स सेल ने ₹12.8 लाख मेफेड्रोन जब्ती मामले में आदतन अपराधी अकबर खाऊ को ओडिशा से गिरफ्तार किया

मुंबई: मुंबई पुलिस के एंटी-नारकोटिक्स सेल (एएनसी) ने मेफेड्रोन (एमडी) मामले में ओडिशा से एक वांछित और आदतन अपराधी अहमद मोहम्मद शफी शेख उर्फ अकबर खाऊ को गिरफ्तार किया है।
अधिकारियों के अनुसार, एएनसी की घाटकोपर इकाई ने लगभग ₹12.8 लाख मूल्य की 64 ग्राम मेफेड्रोन जब्त करने के बाद एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 8(सी), 22(3), 22(सी) और 29 के तहत पहले ही एफआईआर दर्ज कर ली थी। इस मामले में, आरोपी फ़रीद रहमतुल्ला शेख उर्फ़ फ़रीद चूहा को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि अहमद शेख उर्फ़ अकबर खाऊ की पहचान सह-साजिशकर्ता के रूप में हुई।
जांच से पता चला कि अकबर खाऊ, जो पहले ठाणे जिले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दर्ज एक मामले में जमानत पर बाहर था, ने मादक पदार्थों की तस्करी में अपनी संलिप्तता फिर से शुरू कर दी थी और जब्त किए गए नशीले पदार्थों की आपूर्ति सह-आरोपी फरीद को कर दी थी।
गोपनीय जानकारी के आधार पर, एएनसी ने उसे ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के राजगांगपुर में खोज निकाला, जहाँ वह छिपा हुआ था। वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति से तुरंत एक पुलिस दल भेजा गया। दल ने 1 नवंबर, 2025 को राजगांगपुर के रब्बानी चौक पर उसका पता लगाया और उसे गिरफ्तार कर लिया। उसे स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उसे मुंबई के लिए ट्रांजिट रिमांड पर भेज दिया गया।
बुधवार को अकबर खाऊ को मुंबई सत्र न्यायालय में पेश किया गया, जिसने उसे 7 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। घाटकोपर एएनसी इकाई अपनी जांच जारी रखे हुए है।
अब तक इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और 12.8 लाख रुपये मूल्य की 64 ग्राम एमडी जब्त की गई है।
पुलिस ने बताया कि अहमद शेख उर्फ अकबर खाऊ एक आदतन अपराधी है जिसका चोरी, मारपीट और कई एनडीपीएस व मकोका मामलों सहित गंभीर अपराधों का लंबा इतिहास रहा है। उसके रिकॉर्ड में कुर्ला, वीबी नगर और मुंबई भर की एंटी-नारकोटिक्स सेल इकाइयों में दर्ज 18 पूर्व अपराध शामिल हैं। अधिकारियों ने इस गिरफ्तारी को उन अपराधियों पर नकेल कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है जो कई गिरफ्तारियों के बाद भी मादक पदार्थों की तस्करी जारी रखते हैं।
अपराध
मुंबई में छत्रपति संभाजी महाराज पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाला युवक गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 5 नवंबर: छत्रपति संभाजी महाराज को लेकर सोशल मीडिया पर की गई एक आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में मुंबई की वाकोला पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार किया है। आरोपी रिक्शा चालक की पहचान मोहम्मद सिद्दीकी उद्दीन के रूप में हुई है।
यह पूरी घटना एक इंस्टाग्राम पोस्ट से शुरू हुई। शिकायतकर्ता ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर छत्रपति संभाजी महाराज से जुड़ी कंटेंट पोस्ट किया था।
शिकायतकर्ता के मुताबिक, आरोपी ने संभाजी महाराज के संदर्भ में औरंगजेब से जुड़ा एक बेहद विवादित और अपमानजनक कमेंट किया।
शिकायत मिलने के बाद वाकोला पुलिस ने तुरंत मामले को संज्ञान में लिया और पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की। उसके बाद पुलिस टीम ने आरोपी की तलाश शुरू की और उसे गिरफ्तार कर लिया।
प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी से उसके कमेंट के पीछे की वजह पूछी गई है। पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया पर ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज में तनाव और विवाद पैदा करने की कोशिश जैसा है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
वाकोला पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि मामले की आगे की जांच जारी है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या आरोपी ने इससे पहले भी इस तरह के कोई विवादित पोस्ट किए थे या किसी समूह से प्रभावित होकर ऐसी टिप्पणी की गई।
मुंबई पुलिस लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नफरत फैलाने, आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करने और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाली गतिविधियों पर निगरानी रख रही है। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग करें और किसी भी प्रकार की उकसाने वाली या विवादित सामग्री से दूर रहें।
इस घटना के बाद इलाके में लोग सोशल मीडिया पर पुलिस कार्रवाई का समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि छत्रपति संभाजी महाराज जैसे वीर और ऐतिहासिक व्यक्तित्व का अपमान किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
वहीं, पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि ऐसे मामलों में कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी ताकि सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोका जा सके और समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखा जा सके।
अपराध
मुंबई: मकोका कोर्ट ने 1992 के जेजे अस्पताल गोलीबारी मामले में 63 वर्षीय आरोपी को बरी करने से इनकार किया

मुंबई: विशेष मकोका अदालत ने 63 वर्षीय त्रिभुवन रामपति सिंह को आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया है। सिंह पर 1992 में मुंबई के जेजे अस्पताल में हुई गोलीबारी में हमलावरों में से एक होने का आरोप है। इस गोलीबारी का उद्देश्य 1991 में दाऊद इब्राहिम के बहनोई इब्राहिम इकबाल पारकर पर की गई गोलीबारी का बदला लेना था।
अभियोजन पक्ष का आरोप है कि कथित तौर पर अरुण गवली गिरोह के एक समूह ने 16 मार्च, 1991 को पारकर पर हमला किया था। इसके बाद, 12 सितंबर, 1992 को सुबह 3:45 बजे, एके-47, पिस्तौल, रिवॉल्वर और हथगोले से लैस हमलावर उस वार्ड में घुस आए जहाँ शूटर शैलेश हल्दांकर भर्ती थे और उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। हल्दांकर और सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात दो कांस्टेबल मारे गए, और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
उत्तर प्रदेश में हत्या के आरोप में 32 साल बाद गिरफ्तार किए गए सिंह की पहचान प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और शिनाख्त परेड के ज़रिए हुई, जिसमें उनके कबूलनामे से हमले में उनकी संलिप्तता सामने आई। अभियोजन पक्ष ने कहा, “आवेदक के शरीर पर दिखाई देने वाली पुरानी चोटों के बारे में डॉक्टर की रिपोर्ट से स्पष्ट रूप से आग्नेयास्त्रों से लगी पुरानी चोट का पता चलता है,” क्योंकि सिंह पुलिस की जवाबी कार्रवाई में घायल हुआ था और भाग गया था। सिंह के वकील सुदीप पासबोला ने गलत पहचान का दावा करते हुए तर्क दिया कि केवल दो हमलावर, सुभाष ठाकुर (दोषी) और बृजेश सिंह (बरी), ही शामिल थे, और 32 साल बाद की गई पहचान अविश्वसनीय है।
अभियोजक सुनील गोयल ने प्रतिवाद किया कि सिंह उर्फ रमापति प्रधान ने डीएनए परीक्षण से इनकार कर दिया। अदालत ने रिकॉर्ड की समीक्षा करने के बाद कहा, “प्रथम दृष्टया साक्ष्य स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि आवेदक षडयंत्र, हत्या, आपराधिक गिरोह की आपराधिक गतिविधियों में सहायता और प्रोत्साहन के अपराध में शामिल था,” और सिंह के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार पाया।
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