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Thursday,24-July-2025
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राजनीति

फेसबुक विवाद गरमाया, थरूर को आईटी मामलों की संसदीय समिति से हटाने की मांग

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देश में उठे फेसबुक विवाद के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर को आईटी मामलों की संसदीय स्थाई समिति के चेयरमैन पद से हटाने की मांग उठी है। कमेटी के सदस्य और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर शशि थरूर पर संसदीय नियम-कायदों के उल्लंघन और कमेटी की गरिमा से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। दुबे ने आरोप लगाया कि शशि थरूर स्टैंडिंग कमेटी ऑन इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी के चेयरमैन के दायित्व निभाने में फेल साबित हुए हैं।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखे पत्र में कहा है, आईटी मामलों की संसद की स्थाई समिति के प्रमुख की हैसियत से शशि थरूर ने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चक्कर में पहली बार विवाद नहीं खड़ा किया है। वह संसदीय संस्थाओं का दुरुपयोग कर मेरी पार्टी(भाजपा) को निशाना बनाते हैं। जब से शशि थरूर कमेटी के चेयरमैन बने हैं, वह अनप्रोफेशनल तरीके से संचालन कर रहे हैं। अफवाह फैलाकर वह मेरी पार्टी को बदनाम करने की कोशिश कर राजनीतिक हित साध रहे हैं।

बीजेपी सांसद ने कुल चार उदाहरण देते हुए थरूर पर कमेटी के चेयरमैन की हैसियत से नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया।

कहा गया है कि पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल के मसले पर उन्होंने कमेटी में चर्चा किए बगैर सोशल मीडिया पर सवाल खड़े किए थे। वहीं 59 चाइनीज ऐप पर बैन लगाने के दौरान भी शशि थरूर ने ट्विटर पर नाराजगी जताई थी।

इसके अलावा कई मौकों पर कमेटी के चेयरमैन के तौर पर दायित्वों के निर्वहन में शशि थरूर फेल हुए हैं। बीजेपी सांसद ने लोकसभा सांसद ओम बिरला से संबंधित नियमों का प्रयोग करते हुए शशि थरूर को कमेटी के चेयरमैन पद से हटाने की मांग की है।

दरअसल, एक विदेशी अखबार की रिपोर्ट में बीते दिनों फेसबुक पर बीजेपी को लेकर नरम रुख अपनाने की बात कही गई थी जिस पर शशि थरूर ने स्टैंडिंग कमेटी ऑन आईटी की ओर से इस मसले पर फेसबुक से सफाई मांगने की बात कही थी।

इस पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि समिति के सभी सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद ही शशि थरूर फैसला ले सकते हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि ये मुद्दे संसदीय समिति के नियमों के मुताबिक उठाए जा सकते हैं।

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राजनीति

मस्जिद में अखिलेश यादव ने राजनीतिक चर्चा नहीं की: अवधेश प्रसाद

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अवधेश प्रसाद ने भाजपा के उन आरोपों को खारिज किया है, जिसमें भाजपा की ओर से दावा किया गया कि संसद भवन से सटी मस्जिद में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राजनीतिक बैठक की।

सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि भाजपा अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी (सपा) की लोकप्रियता से परेशान हो चुकी है और उसके पेट में दर्द हो रहा है।

22 जुलाई को सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं। पोस्ट में शेयर की गई तस्वीरों में सपा प्रमुख के अलावा उनकी पत्नी और सांसद डिंपल यादव भी मौजूद थीं। इन तस्वीरों को लेकर भाजपा ने आपत्ति जताई थी।

गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान अवधेश प्रसाद ने कहा कि भाजपा के लोग बेतूका बयान इसीलिए देते हैं, क्योंकि सपा की लोकप्रियता उन्हें बर्दाश्त नहीं होती है। मस्जिद के अंदर किसी भी तरह से राजनीतिक चर्चा नहीं हुई है। हमारे सांसद वहां रहते हैं, मस्जिद के बाहर दो कमरे हैं। वहां उन्होंने आग्रह किया कि चाय पीते हैं। बस उनके आग्रह पर गए थे। मैं एक बार फिर से कह देना चाहता हूं कि मस्जिद में राजनीतिक चर्चा नहीं हुई है।

सपा सांसद ने बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें तेजस्वी ने चुनाव का बहिष्कार करने का संकेत दिया है। तेजस्वी के बयान पर उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव आयोग के माध्यम से देश में लोकतंत्र को खत्म करने में लग गई है। वोटर वेरिफिकेशन के माध्यम से मतदाता का वोट काटा जा रहा है जो कि गलत है। संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर ने देश के सभी मतदाता को वोट देने का अधिकार दिया, लेकिन भाजपा लगातार संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन कर रही है। भाजपा संविधान को खत्म करने की कोशिश में लगी है, लेकिन जब तक हम लोग हैं, भाजपा की यह कोशिश कामयाब नहीं होने देंगे। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर चुनाव के बहिष्कार करने पर कोई बयान नहीं दिया।

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अपराध

ईडी ने 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी से जुड़ी संस्थाओं पर छापे मारे

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह से संबंधित 35 से ज्यादा परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक लोगों के कई ठिकानों पर छापे मारे हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू कर दी।

सूत्रों के अनुसार, इस मामले में नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए), बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ईडी के साथ जानकारी साझा की।

ईडी की प्रारंभिक जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के पैसों को इधर-उधर करने/निपटाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है। साथ ही, यस बैंक लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है।

प्रारंभिक जांच में यस बैंक से (2017 से 2019 तक) लगभग 3,000 करोड़ रुपए के अवैध लोन डायवर्जन का पता चला है। ईडी ने पाया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को पैसा दिया गया था। एजेंसी रिश्वतखोरी और लोन के इस गठजोड़ की भी जांच कर रही है।

नियामक ने अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों को यस बैंक द्वारा दिए गए लोन में कई नियमों का करते हुए उल्लंघन पाया है, जैसे कि क्रेडिट अप्रूवल मैमोरेंडम (सीएएम) पिछली तारीख के थे, बैंक की लोन नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच/लोन विश्लेषण के निवेश प्रस्तावित किए गए थे।

लोन शर्तों का उल्लंघन करते हुए, इन लोन को आगे कई समूह कंपनियों और मुखौटा कंपनियों में डायवर्ट किया गया।

जानकारी के मुताबिक, सेबी ने आरएचएफएल मामले में अपने निष्कर्ष ईडी के साथ साझा किए हैं। आरएचएफएल द्वारा कॉर्पोरेट लोन में नाटकीय वृद्धि भी ईडी की जांच के घेरे में है। आरएचएफएल के कॉर्पोरेट लोन वित्त वर्ष 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपए से एक ही साल में बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपए हो गए थे।

सूत्रों के अनुसार, जांच फिलहाल चल रही है। ईडी यस बैंक के अधिकारियों, समूह की कंपनियों और अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के बीच संबंधों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है।

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राजनीति

‘विपक्षी नेता को सदन में बोलने नहीं देते’, प्रियंका गांधी वाड्रा का आरोप

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे को लेकर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का बयान आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी विपक्षी नेता सदन में बोलना चाहते हैं, तो उन्हें बोलने नहीं दिया जाता है।

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को संसद परिसर में मीडिया से बात की और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। प्रियंका गांधी ने कहा, “जब भी विपक्षी नेता बोलना चाहते हैं, उन्हें बोलने नहीं दिया जाता। हम चर्चा की मांग करते रहे हैं और उन्हें इस पर सहमत होना चाहिए। पिछले सत्र में मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ था कि व्यवधान सत्ता पक्ष की ओर से शुरू होता है। वे कोई विषय चुनते थे, ताकि हम उस पर प्रतिक्रिया दें। फिर हंगामा होता है और सदन स्थगित हो जाता था। यह उनके लिए बिल्कुल सही है।”

यह पहली बार नहीं है जब किसी विपक्षी नेता ने सरकार पर सदन में नहीं बोलने देने का आरोप लगाया है। इससे पहले, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि मैं विपक्ष का नेता हूं, लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, “सवाल ये है कि जो सदन में रक्षा मंत्री को बोलने देते हैं, उनके (सरकार) लोगों को बोलने देते हैं, लेकिन अगर विपक्ष का कोई नेता कुछ कहना चाहता है तो अनुमति नहीं है। मैं विपक्ष का नेता हूं, मेरा हक है, तो मुझे कभी बोलने ही नहीं देते हैं। ये एक नया एप्रोच है।”

हालांकि, विपक्षी नेताओं के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार किया था। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा था कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। वह बस सदन की कार्रवाई को बाधित करना चाहती है। सत्र के दौरान अराजकता फैलाना कांग्रेस की आदत बन गई है।

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