अंतरराष्ट्रीय समाचार
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लंदन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से की मुलाकात

लंदन, 5 मार्च। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लंदन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से 10 डाउनिंग स्ट्रीट में मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और पीपल टू पीपल एक्सचेंज बढ़ाने पर चर्चा की।
बैठक के बाद जयशंकर ने मंगलवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “आज टेन डाउनिंग स्ट्रीट में प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से मुलाकात करके बहुत खुशी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दी। द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने और लोगों के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने पर चर्चा की। प्रधानमंत्री स्टारमर ने यूक्रेन संघर्ष पर ब्रिटेन के दृष्टिकोण को भी साझा किया।”
विदेश मंत्री ने ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी और अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात की। उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा, “शेवनिंग हाउस में इस अत्यंत गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए विदेश मंत्री डेविड लैमी को धन्यवाद।”
इससे पहले, विदेश मंत्री जयशंकर ने यू.के. के गृह मंत्री और व्यापार मंत्री के साथ भी बैठक की। गृह मंत्री यवेट कूपर से मुलाकात के बाद, जयशंकर ने कहा, “आज लंदन में गृह मंत्री के साथ अच्छी बैठक हुई। हमने प्रतिभा के प्रवाह, लोगों के बीच आदान-प्रदान और तस्करी और उग्रवाद से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों पर चर्चा की।”
व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के साथ बैठक में जयशंकर ने भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की वार्ता में प्रगति की बात की। उन्होंने कहा, “आज लंदन में कई गणमान्यों से मिलकर प्रसन्नता हुई। हमारी एफटीए वार्ता की प्रगति पर चर्चा हुई।”
विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश मंत्री जयशंकर 9 मार्च तक ब्रिटेन और आयरलैंड की आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस दौरान वह दोनों देशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों को नई गति देने के लिए चर्चा करेंगे। आयरलैंड में, जयशंकर अपने आयरिश समकक्ष साइमन हैरिस और भारतीय समुदाय के सदस्यों से मिलेंगे। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि भारत और आयरलैंड के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों, सांस्कृतिक संबंधों और बढ़ती आर्थिक भागीदारी के कारण मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध हैं।
विदेश मंत्री की यह यात्रा ब्रिटेन और आयरलैंड दोनों देशों के साथ भारत के रिश्तों को और मजबूत करेगी। उल्लेखनीय है कि यह बैठक उस समय हुई जब व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच सार्वजनिक टकराव हुआ था। कीर स्टारमर ने लंदन में यूरोपीय नेताओं के साथ एक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की थी और बाद में उन्होंने यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए शांति समझौते की दिशा में काम करने की कसम खाई।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को रिन्यू किया

संयुक्त राष्ट्र, 31 मई। सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को एक साल के लिए रिन्यू करने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया, जो 31 मई, 2026 तक लागू रहेगा। इसके साथ ही व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति जब्त करने के लक्षित प्रतिबंध भी लागू होंगे।
मिडिया ने बताया कि ये प्रस्ताव 2781, जिसे नौ वोट के पक्ष में और छह वोट के बहिष्कार के साथ अपनाया गया। इस प्रस्ताव में विशेषज्ञों के पैनल का कार्यकाल भी 1 जुलाई, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। यह पैनल दक्षिण सूडान प्रतिबंध समिति के काम में मदद करता है।
सुरक्षा परिषद के अफ्रीकी सदस्य – अल्जीरिया, सिएरा लियोन, सोमालिया ने चीन, पाकिस्तान और रूस के साथ वोट देने से परहेज किया।
इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा परिषद हथियार प्रतिबंधों की समीक्षा करने के लिए तैयार है। अगर दक्षिण सूडान 2021 के प्रस्ताव 2577 में तय किए गए मुख्य लक्ष्यों पर प्रगति करता है, तो इन प्रतिबंधों को बदला, निलंबित किया या धीरे-धीरे हटाया जा सकता है। यह दक्षिण सूडान के अधिकारियों को इस संबंध में और प्रगति हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
सुरक्षा परिषद ने यह भी तय किया है कि इन प्रतिबंधों की लगातार समीक्षा की जाएगी। सुरक्षा परिषद ने स्थिति के जवाब में उपायों को समायोजित करने की तत्परता व्यक्त की है, जिसमें उपायों में संशोधन, निलंबन, हटाने या सुदृढ़ करना शामिल है।
प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से अनुरोध किया गया है कि वे दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन और विशेषज्ञों के पैनल के साथ निकट परामर्श में 15 अप्रैल, 2026 तक प्रमुख मानदंडों पर हासिल की गई प्रगति का आकलन करें।
इसके साथ ही दक्षिण सूडान के अधिकारियों से भी अनुरोध किया गया है कि वे उसी तारीख तक इस संबंध में हासिल की गई प्रगति पर सैंक्शन कमेटी को रिपोर्ट करें।
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यूएस सुप्रीम कोर्ट ने किया ट्रंप सरकार का रास्ता साफ, 5 लाख लोगों पर मंडराया निर्वासन का खतरा

न्यूयॉर्क, 31 मई। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप सरकार का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के उस आदेश को हटा दिया है, जिसके तहत क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के चार देशों के पांच लाख से अधिक प्रवासियों के लिए मानवीय पैरोल सुरक्षा को बरकरार रखा गया था।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने ट्रंप प्रशासन को एक अन्य मामले में लगभग 350,000 वेनेजुएला के प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी स्थिति को रद्द करने की भी अनुमति दी है।
स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि इस कदम ने ट्रंप प्रशासन के लिए हजारों प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी सुरक्षा को फिलहाल खत्म करने का रास्ता साफ कर दिया है और निर्वासन के दायरे में आने वाले लोगों की कुल संख्या को लगभग दस लाख तक पहुंचा दिया है।
अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर आने वाले प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, बाइडेन प्रशासन ने 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के लोगों के लिए पैरोल कार्यक्रम बनाया, जिसके तहत उन्हें कुछ प्रोसेस से गुजरने के बाद दो साल तक अमेरिका में काम करने की इजाजत दी गई। इस प्रोग्राम ने लगभग 5,32,000 लोगों को निर्वासन से बचाया।
लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के तुरंत बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम को सभी पैरोल प्रोगाम को टर्मिनेट करने का निर्देश देते हुए एक कार्यकारी आदेश जारी किया। कार्यकारी आदेश पर कार्रवाई करते हुए नोएम ने मार्च में पैरोल प्रोग्राम को समाप्त करने की घोषणा की, जिसके तहत पैरोल के किसी भी अनुदान की वैधता 24 अप्रैल तक समाप्त हो जाएगी।
मैसाचुसेट्स में एक फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ने नोएम द्वारा प्रवासियों की अस्थायी कानूनी स्थिति को पूरी तरह से रद्द करने के फैसले को रोकने पर सहमति जताई। उस समय कई पैरोलियों और एक गैर-लाभकारी संगठन सहित 23 व्यक्तियों के एक ग्रुप ने नोएम द्वारा प्रोग्राम को समाप्त करने को चुनौती दी थी।
ट्रंप प्रशासन ने पहले पहले सर्किट के लिए यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स में अपील की, जिसने अपील लंबित रहने तक जिला न्यायालय के आदेश को रोकने से इनकार कर दिया और फिर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
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अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव फिलिस्तीनी मांगों पर खरा नहीं : हमास

गाजा, 30 मई। हमास के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि गाजा पट्टी में युद्ध रोकने के लिए अमेरिका का जो प्रस्ताव आया है, उस पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, यह प्रस्ताव हमास और फिलिस्तीनी लोगों की मुख्य मांगों को पूरा नहीं करता।
मिडिया के मुताबिक, हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बासम नईम ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उन्हें अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ द्वारा पिछले हफ्ते दिए गए युद्धविराम प्रस्ताव पर इजरायल की प्रतिक्रिया मिल गई है।
नईम के मुताबिक, इजरायल ने फिलिस्तीन की मुख्य मांगों को नहीं माना। इनमें लड़ाई को पूरी तरह खत्म करना और गाजा पर लगी पुरानी नाकेबंदी हटाना शामिल है।
उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव युद्धविराम के दौरान भी इजरायल के कब्जे और लोगों की तकलीफों को जारी रहने देगा।
नईम ने कहा, “इसके बावजूद हमास का नेतृत्व फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ जारी हिंसा और मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए ज़िम्मेदारी के साथ इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।”
हमास ने पहले कहा था कि उसे मध्यस्थों के जरिए नया युद्धविराम प्रस्ताव मिला है। वह इसका मूल्यांकन इस तरह कर रहा है कि यह फिलिस्तीनी लोगों के हितों की रक्षा करे और गाजा के लोगों के लिए स्थायी शांति और राहत लाने में मदद करे।
हमास ने पहले कहा था कि वह विटकॉफ के साथ एक समझौते के “सामान्य ढांचे” पर सहमत हो गया है। इस समझौते का मकसद स्थायी युद्धविराम करना, इजरायल की गाजा से पूरी तरह वापसी सुनिश्चित करना, राहत सामग्री की आपूर्ति शुरू करना और हमास से एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी समिति को सत्ता सौंपना है।
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