राष्ट्रीय समाचार
एक्सपायर्ड सैलाइन मामला : 12 डॉक्टरों को सरकार ने किया सस्पेंड, विरोध में आंशिक कार्य बहिष्कार
कोलकाता, 17 जनवरी। पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले में सरकारी अस्पताल में 12 डॉक्टरों के निलंबन के विरोध में शुक्रवार को जूनियर और वरिष्ठ डॉक्टरों ने आंशिक रूप से काम बंद कर दिया।
अस्पताल में कथित तौर पर एक्सपायर हो चुके रिंगर लैक्टेट दिए जाने से एक महिला और एक नवजात की मौत के बाद 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया था।
महिला मामोनी रुइदास की मौत 10 जनवरी को हुई थी। वहीं नवजात की मौत गुरुवार सुबह हुई।
पूरा राज्य प्रशासन ब्लैक लिस्टेड इकाई पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति की गई एक्सपायर हो चुकी रिंगर लैक्टेट के कारण मौतों के आरोपों पर गुस्से में था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इकाई को एक तरह से क्लीन चिट दे दी और 12 डॉक्टरों को निलंबित करने की घोषणा की, जिससे पूरी त्रासदी की जिम्मेदारी उन पर आ गई।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि जब तक 12 डॉक्टरों, छह जूनियर और छह सीनियर के निलंबन के फैसले को रद्द नहीं किया जाता, तब तक आंशिक रूप से काम बंद रहेगा। हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने पश्चिम मिदनापुर के अस्पताल में आपातकालीन और बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) को चालू रखा है।
निलंबित किए गए 12 डॉक्टरों में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक-सह-उप-प्रधान और रेजिडेंट चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं।
गुरुवार को 12 डॉक्टरों को निलंबित करने और पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को क्लीन चिट देने के फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने तर्क किया कि रिंगर लैक्टेट के इस्तेमाल की बजाय उक्त अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही इसके लिए अधिक जिम्मेदार है।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों से कहा, “अगर ऐसा होता तो राज्य के अन्य अस्पतालों से भी ऐसी ही खबरें आतीं, जहां इसी का इस्तेमाल किया गया था। यहां मामला अलग था। यह सरासर लापरवाही का मामला था। याद रखें, लापरवाही भी एक तरह का अपराध है।”
राष्ट्रीय समाचार
भारतीय रुपया स्थिर, विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त: आरबीआई

RBI
नई दिल्ली, 23 दिसंबर: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिसंबर बुलेटिन के अनुसार, नवंबर में भारतीय रुपया वास्तविक प्रभावी रूप से स्थिर बना रहा। हालांकि सामान्य तौर पर रुपए में थोड़ी गिरावट आई, लेकिन भारत में कीमतें अपने बड़े व्यापारिक साझेदार देशों की तुलना में अधिक होने के चलते इसका असर संतुलित हो गया।
अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने, विदेशी निवेशकों के कम निवेश और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता के चलते नवंबर में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कुछ कमजोर हुआ।
बुलेटिन के मुताबिक, नवंबर में रुपए में उतार-चढ़ाव पिछले महीने की तुलना में कम रहा और यह कई दूसरी मुद्राओं की तुलना में ज्यादा स्थिर रहा। इस महीने में 19 दिसंबर तक रुपए में नवंबर के अंत के स्तर से लगभग 0.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
वित्त वर्ष 2025-26 में 18 दिसंबर तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी एफपीआई ने भारत से ज्यादा पैसा निकाला है, खासकर शेयर बाजार से। पिछले दो महीनों में निवेश आने के बाद दिसंबर में यह फिर से नकारात्मक हो गया।
आरबीआई ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और देश में शेयरों के ऊंचे दामों के चलते निवेशक सावधानी बरत रहे हैं, जिस कारण हाल के महीनों में विदेशी निवेश कम रहा।
अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच विदेशी स्रोतों से लिए जाने वाले कर्ज यानी बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के रजिस्ट्रेशन में कमी आई है। इसका मतलब है कि विदेशों से पैसा जुटाने की रफ्तार धीमी रही। हालांकि जो कर्ज लिया गया, उसका बड़ा हिस्सा देश में विकास कार्यों और पूंजी खर्च के लिए इस्तेमाल किया गया।
इसके अलावा, आरबीआई ने अपने बुलेटिन में कहा कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा पिछले साल की तुलना में कम रहा, जिसका कारण वस्तुओं के व्यापार में घाटे का कम होना, सेवाओं के निर्यात में मजबूती और विदेश में काम कर रहे भारतीयों द्वारा भेजा गया पैसा रहा।
हालांकि देश में आने वाला विदेशी निवेश चालू खाते की जरूरतों से कम रहा, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कुछ कमी आई।
इसके बावजूद आरबीआई के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त बना हुआ है, जो 11 महीने से ज्यादा के आयात को पूरा कर सकता है। इसके अलावा यह देश के कुल विदेशी कर्ज के 92 प्रतिशत से अधिक को भी कवर करता है, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी स्थिति मानी जाती है।
राजनीति
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति के मामले में जांच की मांग वाली याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

मुंबई, 22 दिसंबर: बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उनकी ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में जांच की मांग करने वाली याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
यह याचिका अभय भिडे और उनकी बेटी गौरी भिडे ने दायर की थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि 2021-22 में दर्ज कराई गई उनकी शिकायतों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई थी।
न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति आर.आर. भोंसले की पीठ ने गौर किया कि भीडे परिवार द्वारा दायर इसी तरह की एक जनहित याचिका (PIL) को उच्च न्यायालय ने मार्च 2023 में पहले ही खारिज कर दिया था, इसलिए वर्तमान याचिका को उसके मौजूदा स्वरूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई जनवरी में करेगा।
भीडे परिवार ने फिर से उच्च न्यायालय का रुख करते हुए दावा किया कि पहले दिए गए आश्वासनों के बावजूद, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने उनकी शिकायत पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ठाकरे परिवार के पास आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति है।
याचिका के अनुसार, गौरी भिडे ने सर्वप्रथम 11 जुलाई, 2022 को मुंबई पुलिस आयुक्त को शिकायत सौंपी थी, जिसे उसी दिन ईओडब्ल्यू को भेज दिया गया था। 26 जुलाई, 2022 को एक अनुस्मारक भेजा गया था।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि दिसंबर 2022 में राज्य सरकार ने जांच शुरू करने का फैसला किया था, लेकिन न तो कोई बयान दर्ज किया गया और न ही शिकायतकर्ता को किसी भी प्रगति के बारे में सूचित किया गया।
याचिका में मांग की गई थी कि जांच को ईओडब्ल्यू से केंद्रीय एजेंसियों, जिनमें सीबीआई और ईडी शामिल हैं, को स्थानांतरित किया जाए ताकि नई जांच और फोरेंसिक ऑडिट की जा सके। इसमें अदालत की निगरानी में स्थिति रिपोर्ट जारी करने और अधिवक्ताओं के कल्याण कोष में 25,000 रुपये के भुगतान के पूर्व निर्देश को वापस लेने की भी मांग की गई थी।
मार्च 2023 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने भीडे द्वारा दायर इसी तरह की एक जनहित याचिका को “कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग” करार देते हुए खारिज कर दिया था। उस समय, ठाकरे परिवार के वकील ने इस याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि यह अनुमानों पर आधारित है और इसमें ठोस सबूतों का अभाव है।
चिनॉय ने बताया था कि याचिकाकर्ता के पास मजिस्ट्रेट के समक्ष निजी शिकायत दर्ज करने का वैकल्पिक उपाय भी मौजूद है। उच्च न्यायालय ने यह भी ध्यान दिया था कि ईओडब्ल्यू ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी थी और याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
अपराध
दिल्ली साइबर पुलिस ने क्यूआर कोड फ्रॉड के मास्टरमाइंड को राजस्थान से गिरफ्तार किया

CRIME
नई दिल्ली, 23 दिसंबर: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल, नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट ने एक सनसनीखेज क्यूआर कोड फ्रॉड केस को सुलझाया है। आरोपी ने दुकानों के मूल क्यूआर कोड में छेड़छाड़ कर ग्राहकों के पेमेंट को अपने अकाउंट में डायवर्ट कर दिया था। पुलिस ने इंटर-स्टेट ऑपरेशन कर राजस्थान के जयपुर से 19 साल के आरोपी मनीष वर्मा को गिरफ्तार किया।
केस की शुरुआत 13 दिसंबर 2025 को हुई, जब एक शख्स चांदनी चौक की मशहूर कपड़े की दुकान पर 2.50 लाख रुपए का लहंगा खरीदने गया। उसने दुकान पर दिखाए QR कोड को स्कैन कर 90,000 और 50,000 रुपए के दो पेमेंट किए। लेकिन दुकान वाले ने कहा कि पैसे उनके ऑफिशियल अकाउंट में नहीं आए। स्क्रीनशॉट दिखाने के बावजूद दावा किया गया कि कोई पेमेंट नहीं हुआ। पीड़ित ने ऑनलाइन शिकायत की, जिस पर साइबर नॉर्थ पुलिस स्टेशन में बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत ई-एफआईआर दर्ज हुई।
जांच डीसीपी नॉर्थ के निर्देशन, एसीपी ऑपरेशंस विदुषी कौशिक की लीडरशिप और एसएचओ साइबर नॉर्थ रोहित गहलोत के सुपरविजन में हुई। टीम ने दुकान का स्पॉट इंस्पेक्शन किया, बिलिंग प्रोसेस वेरिफाई की और स्टाफ के बयान लिए। यूपीआई ट्रांजेक्शन ट्रेल से पता चला कि पैसे एक अलग अकाउंट में गए, जो राजस्थान से ऑपरेट हो रहा था।
टेक्निकल एनालिसिस, बैंक रिकॉर्ड और डिजिटल फुटप्रिंट्स के आधार पर आरोपी की लोकेशन ट्रेस की गई। जयपुर के चाकसू इलाके में छापेमारी कर मनीष वर्मा को पकड़ा गया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि उसने एआई-बेस्ड इमेज एडिटिंग ऐप से मूल क्यूआर कोड में बदलाव कर मर्चेंट की डिटेल्स अपनी बदल दीं। फ्रॉड का आइडिया उसे साउथ इंडियन फिल्म ‘वेट्टैयान’ के एक सीन से मिला।
पुलिस ने उसके मोबाइल फोन जब्त किए, जिनमें 100 से ज्यादा एडिटेड क्यूआर कोड, चैट और फाइनेंशियल रिकॉर्ड मिले। ठगी की रकम उसके अकाउंट में ट्रेस हो गई। जांच से खुलासा हुआ कि आरोपी ने सिस्टमैटिक तरीके से कई दुकानों को टारगेट किया था। इससे अन्य पीड़ितों और ट्रांजेक्शनों की पहचान के लिए नई लाइन्स खुली हैं।
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