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जीएसटी के नए रेट लागू होने से देश में इलेक्ट्रॉनिक्स बिक्री में शानदार उछाल

GST
नई दिल्ली, 23 सितंबर। विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी सुधार अब लागू हो चुके हैं और फेस्टिव सीजन में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग ऑनलाइन सेल के साथ देश की घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है।
इंडस्ट्री के जानकारों ने एयर कंडीशनर, टेलीविजन और डिशवॉशर जैसे आइटम्स पर जीएसटी रेट कट का स्वागत किया है, जो कि 28 प्रतिशत से कम होकर अब 18 प्रतिशत रह गया है।
आईसीईए के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि यह उद्योगों की लंबे समय से चली आ रही मांग थी। नए जीएसटी सुधार के साथ उपकरण सस्ते होंगे, घरेलू मांग बढ़ेगी, उपभोग को बढ़ावा मिलेगा, जो कि कुल मिलाकर भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगा।
उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि हम मानते हैं कि जीएसटी सुधार आगे चलकर स्मार्टफोन और लैपटॉप के लिए भी पेश किए जाएंगे, जिसके साथ इन आइटम्स पर जीएसटी रेट को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया जाएगा। इस कदम के साथ स्मार्टफोन और लैपटॉप की कीमत कम होगी और डिजिटल इंक्लूशन को भी बढ़ावा मिलेगा।
जीएसटी की नई दरें लागू होने के साथ ही देश भर में कंज्यूमर ड्यूरेबल स्टोर में ग्राहकों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है।
काउंटरपॉइंट रिसर्च के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने मिडिया को बताया, “सेल के पहले दिन हमें शानदार प्रतिक्रिया देखने को मिली है। सभी चैनलों पर सकारात्मक माहौल है। इलेक्ट्रॉनिक्स में हमने देखा कि खरीद की पूछताछ कई तरह के प्रोडक्ट कैटेगरी को लेकर की जा रही है। यह कुछ खास प्रोडक्ट तक ही सीमित नहीं है, जो ग्राहकों की मजबूत रुचि को दर्शाता है। हम इस वर्ष एक बहुत अच्छा त्योहारों का मौसम होने की उम्मीद कर रहे हैं।”
सरल जीएसटी स्ट्रक्चर और फेस्टिव सीजन के प्रमोशन आकर्षक डिस्काउंट्स के साथ मिलकर स्मार्टफोन की बिक्री को बढ़ा सकते हैं।
सीएमआर में इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप (आईआरजी) के वाइस प्रेसिडेंट प्रभु राम ने मिडिया से कहा, “कर की कम दरों के साथ डिवाइस सस्ते हो जाते हैं, जिससे लोग पुराने डिवाइस को अपग्रेड या बदल सकते हैं। अतिरिक्त डिस्पोजेबल इनकम के साथ ग्राहक नई खरीदारी को प्राथमिकता देंगे। ये सभी कारक प्रीमियम और किफायती स्मार्टफोन की बिक्री को बढ़ा सकते हैं।”
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मामूली बढ़त के साथ खुला भारतीय शेयर बाजार, शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 82,000 स्तर के पार

SHARE MARKET
मुंबई, 23 सितंबर। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को मामूली बढ़त के साथ खुला। शुरुआती कारोबार में ऑटो, आईटी और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में खरीदारी देखी गई।
सुबह 9:22 बजे सेंसेक्स 122.13 अंक या 0.15 प्रतिशत बढ़कर 82,282.10 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 35.85 अंक या 0.14 प्रतिशत बढ़कर 25,238.20 पर था।
निफ्टी बैंक इंडेक्स 26.30 अंक या 0.05 प्रतिशत की गिरावट के बाद 55,258.45 स्तर पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 12.95 अंक या 0.02 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,686.55 पर था। वहीं, निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 4.25 अंक या 0.02 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,293.15 पर कारोबार कर रहा था।
विशेषज्ञों के अनुसार, निफ्टी इंडेक्स के लिए निकट-अवधि की तेजी का सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक गिरावट 25,200-25,000 के स्तर से नीचे नहीं जाती।
उन्होंने कहा कि 25,238 के ऊपर रहने पर शुरुआती कारोबार में तेजी बनी रह सकती है, लेकिन तेजी बनाए रखने के लिए 25,278 और 25,335 के स्तर से ऊपर रहना होगा।
इस बीच, सेंसेक्स पैक में मारुति सुजुकी, एमएंडएम, टाटा मोटर्स, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, टेक महिंद्रा और एक्सिस बैंक टॉप गेनर्स रहे। दूसरी ओर, अल्ट्राटेक सीमेंट, सन फार्मा, ट्रेंट और एशियन पेंट्स टॉप लूजर्स की लिस्ट में शामिल रहे।
एशियाई बाजारों में, जकार्ता, बैंकॉक, जापान और सोल हरे निशान में थे, जबकि हांगकांग और चीन लाल निशान में थे।
अमेरिकी बाजारों में पिछले ट्रेडिंग सेशन में डाउ जोन्स 66.27 अंक या 0.14 प्रतिशत की बढ़त के साथ 46,381.54 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 29.39 अंक या 0.44 प्रतिशत की बढ़त के साथ 6,693.75 पर बंद हुआ, जबकि नैस्डैक 157.50 अंक या 0.70 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,788.98 पर बंद हुआ।
विश्लेषकों के अनुसार, सितंबर 2024 के पीक के बाद से बाजार पर दबाव का मुख्य कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली रही है, जो भारत में हाई वैल्यूएशन और दूसरे बाजारों में आकर्षक वैल्यूएशन की वजह से देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एफआईआई ने 2024 में 1,21,210 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, और इस वर्ष अब तक एक्सचेंजों के माध्यम से 1,79,200 करोड़ रुपए के शेयर बेच चुके हैं।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 22 सितंबर को 2,910.09 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 2,582.63 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।
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नए जीएसटी दरें: तंबाकू, कोल्ड ड्रिंक और विमान समेत इन उत्पादों पर अब लगेगा 40 प्रतिशत का टैक्स

नई दिल्ली, 22 सितंबर। केंद्र सरकार की ओर से नई जीएसटी की दरें सोमवार से लागू कर दी गई हैं। नए जीएसटी फ्रेमवर्क के अंतर्गत सरकार ने टैक्स स्लैब की संख्या घटाकर दो – 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत कर दी है, जो कि पहले चार – 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत थी।
इसके अलावा सिन गुड्स और लग्जरी गुड्स पर 40 प्रतिशत का अलग से टैक्स निर्धारित किया गया है।
सिन गुड्स, उन उत्पादों को कहा जाता है, जो कि सहेत के लिए नुकसानदायक होते हैं और इनके उपभोग को कम करने के लिए सरकार की ओर से इन्हें 40 प्रतिशत टैक्स के दायरे में रखा गया है।
नई जीएसटी दरें लागू होने के बाद पान मसाला, गुटका, सिगरेट, तबांकू और जरदा को 40 प्रतिशत प्लस सेस लगेगा। यह सेस तब तक जारी रहेगा, जब तक बकाया सेस लिंक्ड लोन समाप्त नहीं हो जाते हैं।
कोल्ड ड्रिंक या फिर चीनी मिली एरेटेड वाटर आदि अब 40 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में आएंगे। हालांकि, पहले इन पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ 12 प्रतिशत का सेस लगता था। इस कारण से इनकी कीमत में कोई बदलवा नहीं आएगा।
इसके अलावा रेस क्लब, लीजिंग, कैसीनो, धुड़दौड़ और लॉटरी आदि पर 40 प्रतिशत का टैक्स लगेगा। आईपीएल टिकट पर भी जीएसटी अब बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है। वहीं, सरकार ने निजी उपभोग के लिए उपयोग किए जाने वाले विमानों पर 40 प्रतिशत का टैक्स निर्धारित किया है, जो कि पहले 28 प्रतिशत प्लस 3 प्रतिशत सेस था।
नई जीएसटी फ्रेमवर्क के तहत सरकार ने 350 सीसी से अधिक क्षमता वाली बाइकों पर टैक्स बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है। इससे उच्च क्षमता वाली बाइकों की कीमतों में इजाफा होगा।
वहीं, सरकार ने 1,200 सीसी और 4 मीटर से बड़ी पेट्रोल और 1,500 सीसी और 4 मीटर से बड़ी डीजल गाड़ी पर टैक्स को बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि, पहले 28 प्रतिशत जीएसटी सहित सेस मिलाकर इन पर कुल 50 प्रतिशत टैक्स लगता था, ऐसे में नई जीएसटी दरों के आने से बड़ी गाड़ियों की कीमतों में भी कमी देखने को मिलेगी।
जीएसटी सुधार से रोजमर्रा की जरूरी चीजें और लाइफ सेविंग मेडिसिन सहित लगभग 370 प्रोडक्ट पर टैक्स कम हो गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि इस बदलाव का मकसद उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का निवेश करना है।
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भारतीय टेक इंडस्ट्री अमेरिका में स्थानीय कौशल विकास और भर्ती को देगी बढ़ावा : नैसकॉम

नई दिल्ली, 22 सितंबर। भारत में टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के लिए शीर्ष निकाय नैसकॉम ने सोमवार को कहा कि भारतीय आईटी और टेक इंडस्ट्री अमेरिका में लोकल अपस्किलिंग और हायरिंग पर 1 बिलियन डॉलर से भी अधिक खर्च कर रही है और इसी के साथ अमेरिका में स्थानीय लोगों की भर्ती की संख्या में वृद्धि हुई है।
पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका में काम करने वाली भारतीय और भारत से जुड़ी कंपनियों ने एच-1बी वीजा पर अपनी निर्भरता को कम किया है और लोकल हायरिंग को बढ़ाया है।
नैसकॉम के अनुसार, “इसके अलावा, 2026 से फीस लागू होने से कंपनियों को अमेरिका में स्किलिंग प्रोग्राम को बेहतर बनाने और लोकल हायरिंग बढ़ाने का समय मिलेगा।”
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख भारतीय और भारत से जुड़ी कंपनियों को 2015 में कुल 14,792 एच-1बी वीजा जारी किए गए थे, जो कि 2024 में घटकर मात्र 10,162 रह गए हैं।
नैसकॉम ने एक बयान में कहा, “टॉप 10 भारतीय और भारत से जुड़ी कंपनियों में एच-1बी कर्मचारी उनके कुल कर्मचारियों का 1 प्रतिशत से भी कम हैं। इस ट्रेंड को देखते हुए हमें लगता है कि इस सेक्टर पर बहुत कम असर होगा।”
एच-1बी एक हाई-स्किल्ड वर्कर मोबिलिटी और नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, जो अमेरिका में जरूरी स्किल गैप को पूरा करता है, जिसमें कर्मचारी को सैलरी लोकल कर्मचारियों के बराबर ही दी जाती है। साथ ही, एच-1बी कर्मचारी अमेरिका की कुल वर्कफोर्स का एक छोटा सा हिस्सा हैं।
इंडस्ट्री बॉडी ने कहा, “नासकॉम हमेशा से स्किल वाले लोगों की आवाजाही के लिए भरोसेमंद और स्थिर फ्रेमवर्क की वकालत करता रहा है, जो देश की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता बनाए रखने के लिए जरूरी है और इसने हमेशा अमेरिका में इनोवेशन और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है।”
इसमें आगे कहा गया कि स्किल वाले लोगों की आवाजाही से कंपनियों को भविष्य के लिए निवेश के फैसले लेने, रिसर्च को तेज करने और ग्लोबल इनोवेशन इकोनॉमी में देश की स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
20 सितंबर को व्हाइट हाउस ने एच-1बी वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर की सालाना फीस लगाने पर सफाई दी।
स्पष्ट किया गया है कि यह नियम मौजूदा वीजा होल्डर्स पर लागू नहीं होगा और केवल नए आवेदनों पर एक बार ही लागू होगा। इससे एलिजिबिलिटी और टाइमलाइन से जुड़ी उलझन दूर हुई है। साथ ही, अमेरिका के बाहर मौजूद एच-1बी होल्डर्स के लिए बिजनेस की निरंतरता और अनिश्चितता की चिंता भी कम हुई है।
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