अंतरराष्ट्रीय समाचार
डोनाल्ड ट्रम्प फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे, भारत के लिए इसका क्या मतलब हो सकता है?
डोनाल्ड ट्रंप अब सिर्फ़ अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति नहीं रह गए हैं, बल्कि वे एक बार फिर राष्ट्रपति चुने गए हैं। ट्रंप ने हाल ही में हुए 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मौजूदा उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को हराया। व्हाइट हाउस में ट्रंप की वापसी ने उनके समर्थकों में जोश भर दिया है, लेकिन दुनिया के कुछ हिस्सों में चिंता भी पैदा कर दी है। आखिरकार, एक अमेरिकी राष्ट्रपति दुनिया की राजनीति को उस तरह से प्रभावित कर सकता है, जैसा शायद कोई दूसरा राष्ट्राध्यक्ष नहीं कर सकता। ट्रंप के दूसरे राष्ट्रपति बनने से भारत को क्या हासिल होगा या क्या नुकसान? आइए एक नज़र डालते हैं।
भारत-चीन प्रतिद्वंद्विता
दोनों देशों ने हाल ही में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी सेनाओं के बीच गतिरोध को समाप्त किया है।
ट्रंप चीन के कटु आलोचक माने जाते हैं। कोविड के मुद्दे से लेकर उच्च टैरिफ तक, ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान चीन की बार-बार आलोचना की है। यहां तक कि उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका को बाहर करने की धमकी भी दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शीर्ष निकाय चीन के खिलाफ पर्याप्त सख्त नहीं है।
यह संभावना है कि ट्रम्प की समग्र चीन विरोधी भावना भारत को चीन के साथ अपनी प्रतिद्वंद्विता में लाभ पहुंचाएगी। लेकिन तेजी से मुखर होते चीन द्वारा इस दबाव का भी विरोध किए जाने की संभावना है।
अप्रवासन
ट्रम्प का हमेशा से ही अवैध अप्रवासियों और आम तौर पर अप्रवास के खिलाफ़ कड़ा रुख रहा है। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले, उन्होंने यह भी कसम खाई थी कि वे अवैध अप्रवासियों को अमेरिका में प्रवेश करने से रोकने के लिए अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार बनवाएंगे। यह भव्य परियोजना साकार नहीं हुई, लेकिन भौतिक अवरोध पर जोर देना ट्रम्प के रुख को रेखांकित करता रहा।
ट्रंप का दृष्टिकोण अमेरिका-केंद्रित है और वे अक्सर विदेशी नागरिकों को नौकरी देने से पहले अमेरिकी पेशेवरों को नौकरी देने की बात करते हैं। भारत उन देशों में से एक है जो एच1-बी वीजा पर बड़ी संख्या में कुशल पेशेवरों को भेजता है।
ट्रम्प वीज़ा व्यवस्था को किस प्रकार संशोधित/पूरी तरह से बदलने/जारी रखने का निर्णय लेते हैं, इसका हजारों भारतीय परिवारों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
टैरिफ और व्यापार
ट्रम्प ने अतीत में बार-बार कहा है कि भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए जाने वाले उच्च टैरिफ और करों के कारण ये वस्तुएं भारतीय बाजार में महंगी हो जाती हैं, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता खत्म हो जाती है।
अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने भारत से हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिलों पर कर कम करने को कहा था। अगर वह अपने अगले कार्यकाल में फिर से सख्त रुख अपनाते हैं, तो भारत के पास कुछ व्यापार वार्ताएँ हो सकती हैं।
मानव अधिकार
2019 में जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब ट्रंप ने इसके खिलाफ कोई बड़ी टिप्पणी नहीं की थी। दूसरी ओर, बाइडेन प्रशासन ने संभावित मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में संकेत देना ही बेहतर समझा।
भारत-कनाडा संबंध
हालांकि ट्रम्प द्वारा भारत का समर्थन करने के लिए अमेरिका और कनाडा के बीच संबंधों को पूरी तरह से त्यागने की संभावना नहीं है, लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि अपनी जीत के बाद, उन्होंने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने का विकल्प चुना।
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राष्ट्रपति ट्रंप भारत में नए अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर के शपथ ग्रहण समारोह में होंगे शामिल

TRUMP
वाशिंगटन, 10 नवंबर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को भारत में नए अमेरिकी राजदूत और उनके करीबी सहयोगी सर्जियो गोर के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेंगे।
बता दें कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अक्टूबर में सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का राजदूत नियुक्त किया गया।
रविवार को व्हाइट हाउस की तरफ से जानकारी दी गई है कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत में अमेरिकी राजदूत के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद गोर के नई दिल्ली में कार्यभार संभालने की उम्मीद है।
अक्टूबर में सीनेट के मतदान द्वारा पुष्टि किए गए, 38 वर्षीय गोर भारत में सबसे कम उम्र के अमेरिकी राजदूत होंगे। गोर के बारे में कहा जाता है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक हैं। वह व्हाइट हाउस के राष्ट्रपति कार्मिक कार्यालय के निदेशक भी रहे थे। इन्हें ट्रंप सरकार के दूसरे कार्यकाल में 4,000 से अधिक पदों की जांच का दायित्व सौंपा गया था।
इससे पहले, राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर 22 अगस्त को गोर को लेकर किए इस पोस्ट में लिखा था, “दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि मेरे पास कोई ऐसा व्यक्ति हो जिस पर मैं अपने एजेंडे को पूरा करने और अमेरिका को फिर से महान बनाने में हमारी मदद करने के लिए पूरी तरह भरोसा कर सकूं। सर्जियो एक अद्भुत राजदूत साबित होंगे।”
अपनी नियुक्ति के बाद सर्जियो गोर 9 अक्टूबर से लेकर 14 अक्टूबर तक भारत के दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी से भी मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद, गोर ने एक्स पर लिखा था, “आज शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होना सम्मान की बात है। आने वाले महीनों में भारत के साथ हमारे संबंध और भी मज़बूत होंगे!”
वहीं, पीएम मोदी ने भी लिखा, “सर्जियो गोर का स्वागत करके खुशी हुई… मुझे विश्वास है कि उनका कार्यकाल भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि गोर दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए एक विशेष दूत के रूप में भी काम करेंगे। सितंबर में, सीनेट में अपनी पुष्टिकरण सुनवाई के दौरान, गोर ने भारत को “एक रणनीतिक साझेदार” बताया था, जिसका मार्ग इस क्षेत्र और उससे आगे की दिशा तय करेगा।
भारत में अमेरिकी राजदूत ने कहा था, “भारत की भौगोलिक स्थिति, आर्थिक विकास और सैन्य क्षमताएं इसे क्षेत्रीय स्थिरता की आधारशिला और समृद्धि को बढ़ावा देने और हमारे राष्ट्रों के साझा सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं। भारत दुनिया में हमारे राष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है। मैं राष्ट्रपति के एजेंडे को पूरा करने और हमारे रक्षा सहयोग को बढ़ाकर, निष्पक्ष और लाभकारी व्यापार को गहरा करके, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करके और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाकर अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए काम करूंगा।”
वहीं, भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने को लेकर उन्होंने कहा, “मैं भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को गहरा करने को प्राथमिकता दूंगा। इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यासों का विस्तार, रक्षा प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन को आगे बढ़ाना और महत्वपूर्ण रक्षा बिक्री को पूरा करना शामिल है।”
इस दौरान गोर ने कहा कि भारत की 1.4 अरब की आबादी और “तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग” अमेरिका के लिए “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर फार्मास्यूटिकल्स और महत्वपूर्ण खनिजों तक, अपार अवसर है और दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाएं अपार हैं।”
इससे पहले सितंबर में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान न्यूयॉर्क में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की थी। बैठक के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग के दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो ने कहा कि दोनों नेता “अमेरिका-भारत संबंधों की सफलता को और बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं।”
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अमेरिका में बड़ा विमान हादसा, इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ान भरते ही कार्गो प्लेन हुआ क्रैश; 4 की मौत और 11 घायल

नई दिल्ली, 5 नवंबर: अमेरिका के केंटकी में लुईविल मुम्मद अली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर प्लेन क्रैश का खौफनाक मंजर सामने आया है। मंगलवार शाम को लुईविल मुम्मद अली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यूपीएस कार्गो प्लेन टेकऑफ करने के कुछ ही सेकेंड बाद क्रैश हो गया और इस दुर्घटना में तीन क्रू मेंबर्स की जान चली गई।
प्लेन क्रैश के बाद आग की लपटें ऊपर उठने लगीं और आसपास की जगहों तक फैल गईं। प्लेन में करीब 2.5 लाख गैलन फ्यूल था, इस वजह से क्रैश होते ही आग इतनी तेजी से फैल गई। संघीय उड्डयन प्रशासन (एफएए) के अनुसार, यूपीएस एमडी-11 विमान केंटकी के लुइसविले हवाई अड्डे के पास उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
एफएए के एक बयान के अनुसार, यूपीएस उड़ान संख्या 2976 स्थानीय समयानुसार शाम 5 बजे के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान होनोलूलू के डैनियल के. इनौये अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर जा रहा था। एफएए राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (एनटीएसबी) के साथ मिलकर इस दुर्घटना की जांच कर रहा है। एफएए ने मंगलवार को कहा कि एनटीएसबी जांच की जिम्मेदारी संभालेगा।
लुइसविले हवाई अड्डे के जन सूचना अधिकारी, जोनाथन बिवेन ने बताया कि मंगलवार की दुर्घटना में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। बिवेन ने कहा, “मैं कुल चार लोगों के मारे जाने की पुष्टि कर सकता हूं। कम से कम 11 लोग घायल हुए हैं और उन्हें स्थानीय अस्पतालों में ले जाया गया है।”
एयरपोर्ट अधिकारियों के अनुसार, यूपीएस विमान के हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, लुइसविले मुहम्मद अली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली सभी उड़ानें मंगलवार रात रद्द कर दी गईं।
लुइसविले हवाई अड्डे के जन सूचना अधिकारी जोनाथन बिवेन ने कहा, “हम उन सभी लोगों से अनुरोध कर रहे हैं जो आज रात और कल एसडीएफ हवाई अड्डे से यात्रा कर रहे हैं कि वे उड़ान की अपडेट के लिए अपनी एयरलाइन से संपर्क करें।”
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भारतीय मूल के जोहरान ममदानी बने न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम मेयर, हुए ट्रंप के गुस्से का शिकार

नई दिल्ली, 5 नवंबर: अमेरिका में डेमोक्रेट उम्मीदवार भारतीय मूल के जोहरान ममदानी ने बुधवार को न्यूयॉर्क शहर के मेयर पद के चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार एंड्रयू कुओमो को हराकर ममदानी शहर के पहले मुस्लिम मेयर बन गए हैं। ममदानी 1 जनवरी, 2026 को अमेरिका के सबसे बड़े महानगर का नेतृत्व करने के लिए पदभार ग्रहण करेंगे।
जोहरान ममदानी युगांडा के विद्वान महमूद ममदानी और प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे हैं। उनका जन्म 18 अक्टूबर 1991 को युगांडा के कंपाला में हुआ था। जोहरान का बचपन युगांडा से दक्षिण अफ्रीका और आखिर में न्यूयॉर्क शहर में बीता।
अपनी जीत के बाद अपनी पहली एक्स पोस्ट में ममदानी ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें सिटी हॉल में एक न्यूयॉर्क मेट्रो ट्रेन खुलती दिखाई दे रही थी और दीवार पर “जोहरान फॉर न्यू यॉर्क सिटी” लिखा हुआ था। सिटी हॉल वह जगह है, जहां मेयर कार्यालय स्थित है।
जोहरान ममदानी ने जून में हुए डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में भी पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हरा दिया था। वहीं रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लीवा ने कुओमो के खेमे के बढ़ते दबाव के बावजूद नाम वापस लेने से इनकार कर दिया था। इस चुनाव ने पूरे देश का ध्यान खींचा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क की भारी आलोचना के बावजूद डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को चुनाव में सफलता मिली। चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर ममदानी को कम्युनिस्ट उम्मीदवार बताते हुए उनकी निंदा की थी और चेतावनी दी थी कि अगर वह चुने गए तो न्यूयॉर्क शहर के लिए फंडिंग कम की जा सकती है।
ट्रूथ पर ट्रंप ने लिखा, “अगर कम्युनिस्ट उम्मीदवार जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क शहर के मेयर का चुनाव जीत जाते हैं तो बहुत कम संभावना है कि मैं फेडरल फंड में न्यूनतम आवश्यक राशि के अलावा कोई और योगदान दूं।” उन्होंने यह भी कहा था कि अगर कोई यहूदी व्यक्ति जोहरान ममदानी को वोट देता है, वह मूर्ख है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें यहूदी विरोधी बताया।
एक अन्य पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने लिखा, “कम्युनिस्ट उम्मीदवार जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क शहर के मेयर का चुनाव जीतते हैं, तो यह बेहद असंभव है कि मैं अपने प्यारे पहले घर के लिए आवश्यक न्यूनतम राशि के अलावा संघीय निधि का योगदान करूं, क्योंकि एक कम्युनिस्ट मेयर होने के नाते इस महान शहर के आगे बढ़ने की भी कोई संभावना नहीं है। एक कम्युनिस्ट के नेतृत्व में यह स्थिति और भी बदतर हो सकती है और मैं बतौर इस पर पैसा बर्बाद नहीं करना चाहता।”
वहीं एलन मस्क ने भी ममदानी की काफी आलोचना की थी। मस्क ने सवाल उठाया कि बैलेट पेपर पर ममदानी का दो बार नाम छपा है। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क सिटी का बैलेट पेपर स्कैम है। आईडी की कोई जरूरत नहीं है और दूसरे मेयर उम्मीदवारों का नाम दो बार है।
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