राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली : शेख सराय में आंधी-तूफान का कहर, कई मकान और गाड़ियां क्षतिग्रस्त

नई दिल्ली, 2 मई। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शेख सराय इलाके में शुक्रवार को भारी बारिश और तेज हवा के चलते पेड़ गिरने से कई मकान और गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं। यह हादसा सुबह 5 बजे के आसपास हुआ। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे कई बार प्रशासन को पत्र लिखकर यह मांग कर चुके हैं कि पेड़ों को हटा दिया जाए, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
स्थानीय निवासी राकेश शर्मा ने मिडिया को बताया कि यह हादसा सुबह उस समय हुआ, जब तेज आंधी-तूफान चला था। इस वजह से कई गाड़ियां और मकान क्षतिग्रस्त हो गए। हालांकि, अभी तक गाड़ियों की निश्चित संख्या के बारे में हमें जानकारी नहीं है कि कितनी क्षतिग्रस्त हुई हैं। यहां आसपास में कई ऐसे विशाल पेड़ हैं, जिनके बारे में मैं संबंधित अधिकारियों को कई बार पत्र लिख चुका हूं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने आगे बताया कि इससे पहले हॉर्टिकल्चर विभाग के मनोज वैरी जी यहां आए थे। उन्होंने पूरे इलाके का मुआयना किया था। लेकिन, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
एक अन्य स्थानीय निवासी प्रवीण वत्स ने बताया कि सुबह पांच बजे आंधी-तूफान चलने से यह हादसा हुआ। इन विशाल पेड़ों के गिरने से कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए, तो कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है। इस वजह से कई लोग स्कूल और ऑफिस नहीं जा सके।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में हम पहले भी अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। यही नहीं, हमने अधिकारियों को पत्र लिखकर उनका ध्यान इस दिशा में आकृष्ट कराया था कि हमारे आसपास करीब 35 से 40 ऐसे पेड़ हैं, जो काफी विशाल हैं। निश्चित तौर पर अगर उन्हें समय रहते छोटा नहीं किया गया, तो यह आगे चलकर किसी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हम पर्यावरण का सम्मान करते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे आसपास पेड़-पौधे हों, लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि इस तरह के विशालकाय पेड़ किसी बड़े हादसे का कारण न बनें। हमने अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे इन पेड़ों को छोटा कर दें, ताकि हमें भविष्य में किसी हादसे का सामना नहीं करना पड़े।
राष्ट्रीय समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने छह कथित पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने पर लगाई रोक

नई दिल्ली, 2 मई। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को छह कथित पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता का दावा है कि वे भारतीय हैं। उनके पास भारतीय नागरिकता को प्रमाणित करने वाले कई दस्तावेज मौजूद हैं, जिनमें भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड शामिल है।
याचिकाकर्ता के वकील नंदकिशोर इस प्रकरण के बारे में जानकारी देते हुए बताते हैं कि यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है। एक व्यक्ति मूल रूप से हिंदुस्तानी है, उसके पास खुद को हिंदुस्तानी साबित करने के लिए अनेकों दस्तावेज हैं। इसके बावजूद, उसे पाकिस्तान जाने के लिए कह दिया जाता है। नोटिस भेज दिया गया।
याचिकाकर्ता ने अपने वकील के माध्यम से बताया कि हमारे परिवार में कुल छह सदस्य हैं। इनमें से दो बेटे बेंगलुरु में काम करते हैं। इसके अलावा, परिवार में माता, पिता, भाई और बहन हैं।
याचिकाकर्ता ने बताया कि जब हमें पाकिस्तान के लिए नोटिस आया, तो हम हतप्रभ हो गए। यही नहीं, हमें गाड़ी में बैठाकर अटारी बॉर्डर तक ले जाया गया और कहा गया कि हम देश छोड़ दें, जबकि हम हिंदुस्तानी हैं।
वकील और याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने सरकारी अधिकारियों को भारतीय नागरिकता की वैधता के बारे में दस्तावेजों की जांच करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा है कि जब तक सरकारी अधिकारी उचित निर्णय नहीं लेते, तब तक परिवार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। साथ ही याचिकाकर्ता को न्यायालय ने निर्देश दिया कि जब तक सरकारी अधिकारी उचित निर्णय नहीं करते, तब तक परिवार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए। इसमें सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश देना और राजनयिक संबंधों में कटौती करना शामिल है।
राजनीति
जाति जनगणना जनता की मांग, पीएम मोदी ने किया भावनाओं का सम्मान: अर्जुन राम मेघवाल

बीकानेर, 2 मई। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को बीकानेर दौरे के दौरान कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने जातिगत जनगणना, सिंधु जल समझौता और अंबेडकर-अखिलेश फोटो विवाद पर भी अपनी राय रखी।
जातिगत जनगणना मामले में मेघवाल ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “2013 में मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे, तब भी जातिगत जनगणना हुई थी, लेकिन आंकड़े क्यों नहीं जारी किए गए? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामाजिक न्याय में विश्वास रखते हैं। वे पिछड़े, वंचित, शोषित और गरीब वर्गों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसी दिशा में जातिगत जनगणना का निर्णय लिया गया है। साल 2013 में लोकसभा में इस मुद्दे पर बीजेपी समेत सभी दलों ने हिस्सा लिया था और व्यापक चर्चा हुई थी।”
पहलगाम आतंकी हमले को दुखद बताते हुए मेघवाल ने सिंधु जल समझौते पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “इस पर कई बार बातचीत हुई, विवाद भी हुए। अब प्रधानमंत्री मोदी ने इसे खारिज कर दिया है, जिसके विरोध में पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान में प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत सरकार ने जो भी फैसला लिया है, वह देशहित में है।”
अर्जुन राम मेघवाल ने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के अपमान का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें एक पोस्टर में उनके चेहरे का आधा हिस्सा बाबासाहेब के चेहरे के आधे हिस्से में मिला हुआ दिखाया गया था। यह बाबासाहेब का घोर अपमान है। हम इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी बाबासाहेब की विचारधारा से बिल्कुल भी मेल नहीं खाती। वे हमेशा से ही आरक्षण के विरोधी रहे हैं। मोदी सरकार सामाजिक समावेशन और विकास के लिए निरंतर काम कर रही है और हम आगे भी करते रहेंगे।
वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद मनोज तिवारी ने केंद्र सरकार की ओर से जातिगत गणना के फैसले पर राहुल गांधी की ओर से क्रेडिट लिए जाने की कोशिश पर तंज कसा। उन्होंने कहा, “जब इन लोगों के पास मौका था, तब इन्होंने जातिगत गणना क्यों नहीं कराई? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हैं और यह जनता की मांग थी, इसलिए केंद्र ने यह फैसला लिया।”
राजनीति
राहुल गांधी की पहल से जनगणना का फैसला, केंद्र सरकार करे तुरंत अमल: हर्षवर्धन सपकाल

मुंबई, 2 मई। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने केंद्र की मोदी सरकार के जनगणना कराने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजनीतिक जीत करार देते हुए कहा कि यह जनगणना राहुल गांधी की मांग और संघर्ष का परिणाम है। सपकाल ने सरकार से इस फैसले को सुनियोजित और समयबद्ध तरीके से लागू करने की मांग की, ताकि इस मुद्दे पर उठ रहे सवालों का समाधान हो सके।
सपकाल ने कहा, “मोदी सरकार ने जनगणना का जो फैसला लिया है, हम उसका स्वागत करते हैं। लेकिन यह एक दिन का फैसला नहीं है। इसके लिए लंबा सफर तय करना पड़ा है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया और जनता के बीच ले गए। यह उनकी राजनीतिक जीत है और यह तथ्य है कि जनगणना राहुल गांधी की वजह से हो रही है। इस तथ्य को सभी को स्वीकार करना चाहिए। केंद्र सरकार को इस फैसले को तुरंत लागू करने के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जनगणना को समयबद्ध और व्यवस्थित तरीके से लागू नहीं किया गया, तो इस तरह के सवाल उठते रहेंगे। सपकाल ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और समूचा विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार के साथ है और इसका कोई विरोध नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, “कोई टारगेट नहीं कर रहा है। इस मुद्दे पर पूरी कांग्रेस पार्टी और विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है। हम चाहते हैं कि जनगणना पारदर्शी और प्रभावी ढंग से हो, जो देश के हर वर्ग को न्याय दे।”
सपकाल ने हाल ही में सोशल मीडिया पर जनगणना से संबंधित कुछ विवादास्पद पोस्ट और टिप्पणियों पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “किसी तरह का कोई फोटो पोस्ट नहीं किया गया है। कुछ चीजों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। जिन लोगों ने इस पर अपनी राय व्यक्त की है, वह उनकी निजी राय है और इसका कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसी अफवाहों और गलत सूचनाओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए।”
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मुद्दे पर भी सपकाल ने पार्टी का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “पहलगाम के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से सरकार के साथ है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर एकजुट हैं और इस तरह की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं।”
हालांकि, साइबर सुरक्षा से संबंधित एक सवाल पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, “मैं साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ नहीं हूं, इसलिए इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।”
कांग्रेस नेता ने अंत में सरकार से अपील की कि जनगणना को एक राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में लिया जाए और इसे लागू करने में किसी तरह की देरी न हो। उन्होंने कहा कि यह फैसला सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, बशर्ते इसे सही तरीके से लागू किया जाए।
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