राजनीति
बिहार में कांग्रेस की कमजोरी ‘पिछड़ों’ की उपेक्षा!

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में प्रारंभ हुई किचकिच अभी थमी भी नहीं है कि महागठबंधन के प्रमुख घटक कांग्रेस में पिछड़ों की उपेक्षा को लेकर अंदरूनी उठापटक प्रारंभ हो गई है। पिछड़ों की उपेक्षा को लेकर कांग्रेस के अंदर ही बगावत के सुर बुलंद होने लगे हैं। इस स्थिति को लेकर विपक्ष भी अब कांग्रेस को आईना दिखा रहा है।
पिछड़े वर्ग समुदाय के नेता अब कांग्रेस में पिछड़ों के उपेक्षा का आरोप खुलकर लगाने लगे हैं। इस कारण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ‘बैकफुट’ पर नजर आने लगे हैं।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि 15 जुलाई को बिहार प्रदेश चुनाव समिति और प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी पिछड़ों की उपेक्षा का मुद्दा जोरशोर से उठाया गया था, हालांकि आरोप है कि तब ऐसे नेताओं को बोलने तक नहीं दिया गया था। यही कारण है कि वर्किंग कमिटि के सदस्य और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कैलाश पाल ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि मुस्लिम-यादव मतदाताओं के जरिए राजद 15 सालों तक सत्तारूढ़ थी।
कैलाश आईएएनएस को बताते हैं, “कांग्रेस अगर बिहार में हाशिये पर है तो इसका बहुत बड़ा कारण पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की उपेक्षा है। कांग्रेस की नीति अगर उच्च जाति को लेकर आगे बढ़ने की है, तो राजद से गठबंधन छोड़ना होगा।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब राजद, कांग्रेस और जदयू की वर्ष 2015 में सरकार बनी, तब चार मंत्री पद कांग्रेस के हिस्से में आई। इनमें दो मंत्री उच्च जाति से आने वाले नेताओं को बनाया गया तथा एक पर दलित और एक पर अल्पसंख्यक को तरजीह दी गई।
इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष उच्च जाति से आने वाले को बनाया गया। चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए तो दो उच्च जातियों, एक दलित और एक अल्पसंख्यक को बनाया गया।
उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस की रणनीति उच्च जातियों को भाजपा से अपने पाले में करने की है, तो राजद से संपर्क तोड़ना होगा, क्योंकि सभी जानते हैं कि उच्च जातियों के लोग राजद से अलग हैं।”
पाल यही नहीं रूकते। उन्होंने कहा कि राज्यसभा और विधान परिषद में भी तीन बार से उच्च जाति के लोगों को भेजा जा रहा है। उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि चुनाव अभियान समिति की बैठक में बिहार प्रभारी शक्तिसिंह गोहिल के सामने यह मुद्दा उठाया, तब फिर बोलने नहीं दिया गया।
इधर, कांग्रेस के एक नेता नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि पिछड़ों की यहां 50 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी है। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी कई पिछड़े नेताओं के टिकट काटे गए थे। 2015 के चुनाव में 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और मात्र 11 से 12 प्रतिशत पिछड़ों को टिकट दिया गया था।
वरिष्ठ नेता और और बिहार विधान परिषद के पूर्व उपनेता विजय शंकर मिश्र इन आरोपों को नकारते हैं। वे कहते हैं कि ऐसा नहीं है। कांग्रेस सभी जाति, समुदाय को लेकर चलने पर विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि कई युवा आज भी कांग्रेस संगठन में हैं, जो पिछड़े समुदाय से आते हैं।
इधर, बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने भी इस मामले पर कांग्रेस को आईना दिखाया है।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी ऐतिहासिक तौर पर ओबीसी- ईबीसी समाज की विरोधी रही है। कांग्रेस ने काका कालेलकर और मंडल कमीशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। कांग्रेस ने कर्पूरी आरक्षण और मंडल लागू करने का विरोध किया था। ओबीसी समाज के सीताराम केसरी कांग्रेस के लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे जिनको कांग्रेसियों ने जीते जी अपमानित किया ही, मरने के बाद भी नहीं बख्शा।”
उन्होंने कहा कि ओबीसी और ईबीसी समाज नैतिक तौर पर कभी कांग्रेस को समर्थक नहीं हो सकता है। कांग्रेस की गोद में बैठकर सामाजिक न्याय का जाप करने वाले राजद-रालोसपा-वीआईपी पार्टी के लोगों को अपनी राजनीति के द्वंद्व के बारे में चिंतन करना चाहिए।
राष्ट्रीय समाचार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एसआरए को विले पार्ले स्लम पुनर्विकास के लिए कार्यारंभ प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया, देरी के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई

मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मुंबई के विले पार्ले में एक झुग्गी पुनर्विकास परियोजना को कथित रूप से रोकने के लिए झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) और अन्य अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है और उन्हें सटेरी बिल्डर्स एंड डेवलपर्स एलएलपी को कार्य प्रारंभ प्रमाण पत्र (सीसी) जारी करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने शुक्रवार को सटेरी बिल्डर्स और एक झुग्गी बस्ती सोसाइटी, श्री गुरुकृपा एसआरए सीएचएस द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें परियोजना में बार-बार आ रही रुकावटों को चुनौती दी गई थी। पीठ ने कहा कि परियोजना को न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही मंजूरी दिए जाने के बावजूद, अधिकारी अभी भी नई आपत्तियाँ उठा रहे हैं।
यह विवाद दयालदास रोड पर एक प्लॉट और उससे सटे डीपी रोड प्लॉट से संबंधित है, जिसे डेवलपर को नवंबर 2020 में एक स्लम पुनर्वास योजना के तहत पुनर्विकास करने के लिए नियुक्त किया गया था। एसआरए ने डेवलपर को सड़क चौड़ीकरण (पीएपी) से प्रभावित व्यक्तियों को भी समायोजित करने का निर्देश देने के बाद मई 2022 में एक आशय पत्र (एलओआई) और अनुमोदन की सूचना (आईओए) प्रदान की थी।
हालाँकि, कुछ झुग्गीवासियों और एक प्रतिद्वंद्वी डेवलपर, जिसे कथित तौर पर स्थानीय विधायक पराग अलावानी (प्रतिवादी 9) का समर्थन प्राप्त था, ने इन मंज़ूरियों को चुनौती दी। हालाँकि सर्वोच्च शिकायत निवारण समिति (AGRC) ने शुरुआत में जुलाई 2022 में LOI को रद्द कर दिया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2024 में इसे बहाल कर दिया और मई 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने उस आदेश को बरकरार रखा।
सोसायटी के अधिवक्ता मयूर खांडेपारकर और ऋषि भट्ट ने भी दलील दी कि अलवानी के हस्तक्षेप के कारण परियोजना अनावश्यक रूप से रुकी हुई है।
बिल्डर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे और अधिवक्ता योगेश संकपाल ने तर्क दिया कि “प्रतिद्वंद्वी डेवलपर के समर्थन में कार्य कर रहे प्रतिवादी संख्या 9 के हस्तक्षेप के कारण पूरे पुनर्विकास को हर स्तर पर व्यवस्थित रूप से बाधित किया जा रहा है।”
उन्होंने बताया कि एसआरए ने 31 जुलाई, 2025 को एक नया नोटिस जारी किया, जिसमें डीपी रोड प्लॉट के लिए एक और प्रस्ताव मांगा गया, जबकि इसे पहले ही स्वीकृत और बरकरार रखा जा चुका है।
अदालत ने कहा: “यह वास्तव में सबसे खेदजनक स्थिति को दर्शाता है जब कोई वैधानिक प्राधिकरण किसी बाहरी या न्यायेतर हस्तक्षेप के कारण अपने वैधानिक कर्तव्यों का परित्याग करता है… ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी संख्या 2 (एसआरए) ने वर्तमान मामले में ऐसा ही किया है।”
राज्य की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने स्पष्ट किया कि आवास मंत्री ने “केवल एक बैठक की है और कोई बाध्यकारी निर्देश जारी नहीं किया है और न ही कोई निर्णय लिया गया है” और एसआरए को स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिए।
यह देखते हुए कि बिल्डर ने परियोजना प्रभावित व्यक्तियों (पीएपी) के लिए किराया जमा करने सहित अपने दायित्वों का पालन किया है, अदालत ने कहा कि सीसी रोकने का “बिल्कुल कोई कारण नहीं” है। इसने अधिकारियों को “प्रक्रिया पूरी करने और सीसी जारी करने” का निर्देश दिया और उन्हें “प्रतिवादी 8 (पगरानी यूनिवर्सल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, एक अन्य डेवलपर) और 9 की ओर से वर्तमान स्लम योजना से संबंधित किसी भी शिकायत और/या हस्तक्षेप” पर विचार करने से रोक दिया।
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि मलिन बस्ती अधिनियम एक कल्याणकारी कानून है, जो गरीबी, गंदगी और गंदगी में रहने को मजबूर लोगों की जीवन स्थितियों में सुधार लाने के लिए बनाया गया है।
पीठ ने कहा, “स्लम अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि झुग्गीवासियों को पुनर्वास के बिना बेदखल होने से बचाया जाए और उन्हें सभ्य, सुरक्षित और स्वच्छ आवास/रहने की स्थिति प्रदान की जाए।”
अपराध
ठाणे अपराध: रेलवे स्टेशन के पास जुर्माना वसूलने पर 30 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक ने ट्रैफिक पुलिस सब-इंस्पेक्टर पर हमला किया; मामला दर्ज

ठाणे: शुक्रवार दोपहर ठाणे में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई के बाद 30 वर्षीय एक गुस्साए ऑटो रिक्शा चालक ने एक यातायात पुलिस उपनिरीक्षक पर कथित तौर पर हमला कर दिया।
आरोपी की पहचान ठाणे के राबोडी निवासी सदरुद्दीन काज़ी के रूप में हुई है। ठाणे यातायात पुलिस में तैनात पुलिस उप-निरीक्षक विजय बाबूराव कांबले (55) घटना के समय ठाणे रेलवे स्टेशन के पास यातायात प्रबंधन की ड्यूटी पर थे।
यह विवाद शुक्रवार दोपहर करीब 12:30 बजे हुआ, जब काज़ी को निर्धारित ऑटो-रिक्शा स्टैंड के बाहर एक यात्री को उठाते हुए देखा गया। यह उल्लंघन देखकर, पुलिस उपनिरीक्षक कांबले ने काज़ी से संपर्क किया और ऑनलाइन जुर्माना लगाया, जिसके बाद तीखी बहस हुई। बात जल्द ही मारपीट में बदल गई।
घटनास्थल पर मौजूद अन्य यातायात पुलिस कर्मी कांबले की मदद के लिए दौड़े और आरोपी को रोका। इसके बाद काजी को ठाणे नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। इसके बाद काजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
ठाणे नगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक भरत चौधरी ने कहा, “हमने आरोपी के खिलाफ बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली है। प्रारंभिक जाँच से पता चलता है कि आरोपी के ऑटो रिक्शा पर पहले भी कई बार जुर्माना लगाया जा चुका है। आगे की जाँच जारी है।”
राजनीति
महाराष्ट्र: राजनीतिक हलचल के बीच अमित ठाकरे ने की आशीष सेलार से मुलाकात

मुंबई, 23 अगस्त। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेताओं का सत्ताधारी दलों के मंत्रियों से मुलाकात का सिलसिला जारी है। पिछले दिन मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। शनिवार को उनके बेटे और महाराष्ट्र नवनिर्माण विद्यार्थी सेना के अध्यक्ष अमित ठाकरे संस्कृति मंत्री आशीष सेलार से मिले।
हालांकि, अमित ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके स्थिति को स्पष्ट कर दिया है, लेकिन मुलाकात के दौर से राज्य की राजनीति में नई हलचल है। यह इसलिए भी है कि बेस्ट क्रेडिट सोसाइटी चुनावों में ‘ठाकरे ब्रांड’ की करारी हार के बाद मनसे नेता सत्तापक्ष के लीडर से मिले हैं।
अमित ठाकरे ने अपने बयान में कहा, “हमारे पहले से ही पुराने रिश्ते हैं, इसलिए दोनों के बीच सिर्फ निजी बातचीत हुई, कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो “आलोचनाएं की जा रही हैं, वे सिर्फ राजनीतिक हैं, कोई व्यक्तिगत आलोचना नहीं हैं।”
राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “गणेशोत्सव 27 तारीख से शुरू हो रहा है। इस साल उत्सव को राज्य उत्सव का दर्जा दिया गया है। फिर भी अगर कुछ स्कूल-कॉलेज परीक्षाएं आयोजित कर रहे हैं, तो हमने उन्हें रद्द करने की मांग की है।”
अमित ठाकरे का कहना है, “अलग-अलग मंत्रियों के पास जाने के बजाय वे स्वयं संस्कृति मंत्री (आशीष सेलार) से मिलने आए हैं। अगर उन्होंने यह पहल (राज्य उत्सव) की है तो उन्हें हमारी मांग पर विचार करते हुए इस पर आगे बढ़ना चाहिए।”
क्या शिवसेना-यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे को गणेश उत्सव के लिए आमंत्रित किया गया है? इस सवाल पर अमित ठाकरे ने कहा कि यह सरप्राइज रहेगा।
मुंबई में जलभराव और सड़कों पर गड्ढों के मामले को लेकर अमित ठाकरे ने कहा कि इसका एक ही जवाब है। राज ठाकरे साहब को सत्ता दो और देखो फिर क्या बदलाव होता है। इस दौरान अमित ने नासिक का उदाहरण मीडिया के सामने दिया।
इससे पहले, राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। मनसे प्रमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्होंने नगर नियोजन और ट्रैफिक जाम से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यह मुलाकात की।
-
व्यापार5 years ago
आईफोन 12 का उत्पादन जुलाई से शुरू होगा : रिपोर्ट
-
अपराध3 years ago
भगौड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गो की ये हैं नई तस्वीरें
-
महाराष्ट्र2 months ago
हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया, मस्जिदों के लाउडस्पीकर विवाद पर
-
अपराध3 years ago
बिल्डर पे लापरवाही का आरोप, सात दिनों के अंदर बिल्डिंग खाली करने का आदेश, दारुल फैज बिल्डिंग के टेंट आ सकते हैं सड़कों पे
-
अनन्य3 years ago
उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होने से पहले वन विभाग हुआ सतर्क
-
न्याय12 months ago
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला दायर
-
अपराध3 years ago
पिता की मौत के सदमे से छोटे बेटे को पड़ा दिल का दौरा
-
राष्ट्रीय समाचार6 months ago
नासिक: पुराना कसारा घाट 24 से 28 फरवरी तक डामरीकरण कार्य के लिए बंद रहेगा