राजनीति
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 18 जनवरी को आएंगे पटना, सड़कों पर लगे पोस्टर
पटना, 15 जनवरी। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाला है। इसे लेकर सभी दलों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस नेतृत्व की नजर भी बिहार पर है। इस बीच, कांग्रेस के नेता और सांसद राहुल गांधी 18 जनवरी को बिहार की राजधानी पटना पहुंचने वाले हैं।
गांधी के पटना आगमन को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने तैयारी शुरू कर दी है। पटना की सड़कों पर इसे लेकर पोस्टर भी लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पटना के बापू सभागार में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेंगे। पटना की सड़कों पर लगे एक पोस्टर में जहां महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर की तस्वीर है, तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी सहित अन्य विभिन्न नेताओं की भी तस्वीर बनाई गई हैं।
इस पोस्टर में एक तरफ जहां बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की बड़ी तस्वीर है, वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी की बड़ी तस्वीर लगाई गई है। पोस्टर में ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ तथा जय बापू, जय भीम और जय संविधान के साथ न्याय सत्याग्रह लिखा हुआ है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि राहुल गांधी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित सभा को भी संबोधित करेंगे। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस के मुख्य सभागार के नवीनीकरण और उसके नामकरण राजीव सभागार और कांग्रेस कार्यालय के कर्मचारियों के लिए बने नवनिर्मित भवन, जिसका नाम इंदिरा भवन रखा गया है, का उद्घाटन भी करेंगे।
नए साल में राहुल गांधी के बिहार आगमन से भाजपा और नीतीश कुमार को उखाड़ फेंकने का काम भी कांग्रेस पार्टी करेगी। राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के आगमन से बिहार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नई स्फूर्ति आएगी जिससे एक-एक कार्यकर्ता जुटकर सूबे में नई सरकार के गठन को प्रतिबद्ध हैं। प्रदेश कार्यालय परिसर में आयोजित सभा में राहुल गांधी उपस्थित जनसमूह और कांग्रेसजन को संबोधित करेंगे।
राष्ट्रीय समाचार
भारत में अगले पांच वर्षों में ‘हरित निवेश’ में पांच गुना वृद्धि का अनुमान : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 15 जनवरी। भारत में 2025 से 2030 के बीच ‘हरित निवेश’ में पांच गुना वृद्धि होने का अनुमान है, जो 31 लाख करोड़ रुपये होगा। क्रिसिल की बुधवार को जारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
राष्ट्रीय राजधानी में क्रिसिल के ‘इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर कॉन्क्लेव 2025’ में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, 31 लाख करोड़ रुपये के निवेश में से 19 लाख करोड़ रुपये रिन्यूएबल एनर्जी और स्टोरेज में, 4.1 लाख करोड़ रुपये परिवहन और ऑटोमोटिव सेक्टर में और 3.3 लाख करोड़ रुपये तेल और गैस में निवेश किए जाने की संभावना है।
पेरिस समझौते के तहत अपडेटेड फर्स्ट नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन (एनडीसी) के अनुसार देश के नेट-जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 2070 तक अनुमानित 10 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।
भारत की प्रमुख एनडीसी प्रतिबद्धताओं में 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की कार्बन तीव्रता में 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत की कमी लाना शामिल है। साथ ही गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित एनर्जी रिसोर्स से क्यूमलेटिव इंस्टॉल्ड पावर कैपेसिटी के हिस्से को 50 प्रतिशत तक बढ़ाना शामिल है।
क्रिसिल के प्रबंध निदेशक और सीईओ अमीश मेहता ने कहा, “मध्यम अवधि में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत के पास अपनी विकासात्मक और पर्यावरणीय आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं को बैलेंस करने का अवसर है।”
उन्होंने कहा कि सरकार और कॉरपोरेट द्वारा घोषित योजनाओं और जमीनी स्तर पर प्रगति के आधार पर, “हमारा अनुमान है कि 2030 तक 31 लाख करोड़ रुपये का हरित निवेश होगा।”
भारत की कुल रिन्यूएबल एनर्जी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी में 15.84 प्रतिशत की मजबूत दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। यह दिसंबर 2024 तक 209.44 गीगावाट तक पहुंच गई, जो दिसंबर 2023 में 180.80 गीगावाट थी।
लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 के दौरान जोड़ी गई कुल कैपेसिटी 28.64 गीगावाट थी, जो 2023 में जोड़े गए 13.05 गीगावाट की तुलना में 119.46 प्रतिशत की सालाना वृद्धि को दर्शाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, कम जोखिम वाली स्थापित टेक्नोलॉजी, जैसे सोलर पावर, विंड पावर और दोपहिया ईवी, बैंकों और बॉन्ड बाजारों के जरिए पर्याप्त डेट फाइनेंस उपलब्ध है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, ग्रीन हाइड्रोजन, सीसीयूएस (कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन और स्टोरेज), एनर्जी स्टोरेज और अन्य उभरती टेक्नोलॉजी जैसी उच्च जोखिम वाली परियोजनाओं के लिए, सरकारी अनुदान और प्रोत्साहन परियोजना के सफल होने में सुधार को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
राष्ट्रीय समाचार
भोपाल से बनारस के लिए कुंभ स्पेशल ट्रेन
भोपाल, 15 जनवरी। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में जाने वालों के लिए रेलवे के भोपाल मंडल द्वारा रानी कमलावती रेलवे स्टेशन से बनारस के बीच विशेष ट्रेन चलाई जाने वाली है। यह गाड़ी सप्ताह में दो दिन चलेगी।
बताया गया है कि रेल प्रशासन द्वारा महाकुंभ 2025 को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं और यात्रियों को सुगम, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रानी कमलापति-बनारस-रानी कमलापति कुंभ मेला एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है, जो भोपाल मंडल के रानी कमलापति, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज, बुदनी, नर्मदापुरम और इटारसी स्टेशनों से होकर गुजरेगी।
बताया गया है कि दो बार साप्ताहिक तौर पर स्पेशल ट्रेन 16 जनवरी से 20 फरवरी तक, प्रत्येक सोमवार एवं गुरुवार को सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर, रानी कमलापति से प्रस्थान करेगी और अगले दिन सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर बनारस पहुंचेगी।
इसी प्रकार स्पेशल ट्रेन 17 जनवरी से 21 फरवरी तक प्रत्येक मंगलवार एवं शुक्रवार को दोपहर दो बजे बनारस से रवाना होगी और अगले दिन सुबह साढ़े 11 बजे रानी कमलापति पहुंचेगी। बताया गया है कि रास्ते में यह गाड़ी दोनों दिशाओं में मंडीदीप, औबेदुल्लागंज, बुधनी, नर्मदापुरम, इटारसी, सोहागपुर, पिपरिया, गाडरवारा, करेली, नरसिंहपुर, श्रीधाम, मदनमहल, जबलपुर जंक्शन, देवरी, सिहोरा रोड, कटनी जंक्शन, झुकेही, मैहर, सतना जंक्शन, जैतवार, मझगवां, मानिकपुर, प्रयागराज छिवकी, मिर्जापुर एवं चुनार स्टेशनों पर रुकेगी।
कुंभ स्पेशल में दो वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी, चार वातानुकूलित तृतीय श्रेणी, सात वातानुकूलित तृतीय श्रेणी इकॉनमी, पांच शयनयान श्रेणी और दो सामान्य श्रेणी सहित कुल 22 कोच रहेंगे। ज्ञात हो कि देश के हर हिस्से से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज जा रहे हैं। मध्य प्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु जा रहे हैं। इन्हें सुगम और सुविधाजनक यात्रा मिल सके, इसके लिए रेलवे ने विशेष इंतजाम किए हैं।
राष्ट्रीय समाचार
यूपी के संभल में हिंदू परिवार को मिली कब्जे की जमीन 
संभल, 15 जनवरी। उत्तर प्रदेश के संभल में हिंदू परिवार की लाखों रुपये की जमीन पर दूसरे समुदाय के लोगों का कब्जा मिला है। यह जमीन निशा स्कूल द्वारा संचालित थी। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया से शिकायत की गई, तो उन्होंने जांच के लिए आदेश दिए और अभी जमीन संबंधित व्यक्ति को वापस दिलाई गई है।
डीएम ने बताया कि आलम सराय में गाटा संख्या 48, जिसमें 10 हजार 182 मीटर स्थान है, निशा नामक एक विद्यालय वहां चलता है। इस विद्यालय की पीछे की जो भूमि है, कागजों में बाग के नाम दर्ज है। उस समय के संबंधित व्यक्ति के नाम दर्ज हैं। किसी के नाम दाखिल खारिज नहीं हुआ है। बेनामा दिखाया गया है। बेनामा की भूमि हमने इससे अलग कर दी है। बाकी जो भूमि है, एक व्यक्ति चंदौसी में रहते हैं, जो यहां से छोड़कर चले गए हैं। बेनामे की जांच होगी, उसकी कितनी वैधता है। सारे मामले की जांच होगी।
1978 में पलायन करने वाले रामचंद्र ने बताया कि प्रशासन और योगी तथा मोदी जी को धन्यवाद, जिन्होंने हमें जमीन दिला दी है। सभी अधिकारियों को शुक्रिया कहा।
रामचंद्र ने बताया कि 1978 में लड़ाई-झगड़े और हत्याएं हुईं, जिस कारण हमें यहां से अपनी जमीन छोड़कर जाना पड़ा। इन लोगों ने हमारे रास्ते बंद कर दिए। गेट लगा दिया, हमें यहां आने नहीं दिया। इस कारण हमें अपने परिवार को बचाने के लिए छोड़कर जाना पड़ा। उस समय हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई थी। अभी एक बार प्रशासन से शिकायत करने पर उन्होंने हमें हमारी जमीन दिलवा दी है।
उन्होंने बताया कि तकरीबन डेढ़ बीघे से ज्यादा जमीन मिल चुकी है। हम नींव खुदवाने जा रहे हैं।
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