राजनीति
मध्य प्रदेश उप-चुनाव में प्रियंका, राहुल व सचिन के प्रचार को लेकर कांग्रेस असमंजस में
मध्य प्रदेश में होने वाले उप-चुनाव का प्रचार जोर पकड़ चुका है और कांग्रेस उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा मांग प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सचिन पायलट की है। पार्टी अभी तक इन नेताओं के दौरों का कार्यक्रम तय नहीं कर पाई है और असमंजस में है कि आखिर इन नेताओं को प्रचार में उतारा जाए या नहीं।
राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं इनमें 25 सीटें ऐसी हैं जहां के कांग्रेस विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था और अब वे भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। वहीं तीन स्थानों पर विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है।
यह उप-चुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है और कांग्रेस बड़ी जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी का सपना संजोए हुए है। पार्टी ने स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की है उसमें प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सचिन पायलट के नाम हैं। इन तीनों नेताओं की राज्य में सबसे ज्यादा मांग कांग्रेस के उम्मीदवार कर रहे हैं। अब से पहले तक राहुल गांधी मध्य प्रदेश के चुनाव में सक्रिय भागीदारी निभा चुके हैं जबकि प्रियंका गांधी की सक्रियता कम ही रही है और सचिन पायलट के सीमित दौरे हुए हैं, मगर इस उपचुनाव में तीनों की मांग सबसे ज्यादा है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में तीनों नेताओं के नाम हैं और उम्मीदवार भी इनकी मांग कर रहे हैं। राज्य में ग्वालियर-चंबल इलाके की कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां गुर्जर मतदाताओं का प्रभाव है इसीलिए सचिन पायलट की भी मांग है। पार्टी राहुल गांधी और सचिन पायलट के प्रचार में उतारने पर किसी भी तरह के असमंजस में नहीं है, मगर प्रियंका गांधी को लेकर असमंजस बना हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर चुनाव में हार होती है तो विपक्षी दल इसे प्रियंका की लोकप्रियता से जोड़कर प्रचारित करेगा।
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस के तीनों युवा नेताओं की उप-चुनाव में ज्यादा सक्रियता नजर नहीं आने वाली क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हों, इन नेताओं की सिंधिया से राजनीतिक तौर पर दूरी बढ़ गई हो, मगर खुले तौर पर सभी एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा नहीं खोलना चाहते। इसलिए इन नेताओं के दौरों के कार्यकम को अंतिम रुप नहीं दिया जा रहा है। बीते छह माह के सियासी हाल पर गौर करें तो सिंधिया ने भी कांग्रेस के तीनों नेताओं और तीनों नेताओं ने सिंधिया पर हमला नहीं बोला है।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का मानना है कि कांग्रेस कभी भी गांधी परिवार के मामले में जोखिम नहीं लेती, इस परिवार के प्रतिनिधियों को उन्हीं क्षेत्रों में प्रचार के लिए भेजा जाता है जहां जीत की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए राहुल व प्रियंका को लेकर असमंजस है। दूसरी ओर सचिन पायलट और सिंधिया की दोस्ती जग जाहिर है। इस स्थिति में कांग्रेस ग्वालियर-चंबल इलाके में पायलट का उपयोग करने के साथ यह कोशिश करेगी कि दोनों में दूरी बढ़े और पायलट उनके ही गढ़ में आकर सिंधिया को ललकारें।
महाराष्ट्र
‘द बैडेस्ट ऑफ बॉलीवुड’ में समीर वानखेड़े निशाने पर, दिल्ली हाईकोर्ट मानहानि केस में विवादित सीरीज से आपत्तिजनक कंटेंट हटाने का आदेश

Sameer Wankhede
मुंबई: मुंबई-दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनसीबी के जोनल निदेशक आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ मानहानि के मामले में रेड चिलीज एंटरटेनमेंट शाहरुख खान, गौरी खान और अन्य की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि कलात्मक स्वतंत्रता का मतलब किसी व्यक्ति का मजाक उड़ाना नहीं है। इसके बाद, उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि विवादास्पद नेटफ्लिक्स सीरीज द बैड्स ऑफ बॉलीवुड से समीर वानखेड़े से जुड़े विवादास्पद फुटेज को हटाया जाए। समीर वानखेड़े ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दलील दी थी कि द बैड्स ऑफ बॉलीवुड में उनके किरदार की हत्या की गई है और यह सीरीज उन्हें निशाना बनाने के लिए बनाई गई है। इसका मकसद समीर वानखेड़े को अपमानित करना और उनका मजाक उड़ाना है। इस सीरीज के कुछ हिस्सों को देखने के बाद, उच्च न्यायालय ने फिल्म से विवादास्पद हिस्सों को हटाने का आदेश दिया।
समीर वानखेड़े के वकील ने अदालत को बताया था कि फिल्म में दिखाया गया किरदार समीर वानखेड़े से तुलना है और यह सीरीज वानखेड़े की छवि खराब करने के इरादे से बनाई गई है। बॉलीवुड की बुराई दुर्भावनापूर्ण है, इसलिए, उपरोक्त विवादित दृश्यों और आपत्तिजनक संवादों को श्रृंखला से हटा दिया जाना चाहिए, जिस पर अदालत ने विवादास्पद और आपत्तिजनक सामग्री और सामग्री को हटाने का आदेश जारी किया है। इससे पहले, समीर वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने शाहरुख खान की रेड चिलीज, नेटफ्लिक्स, मेटा और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस पर, रेड चिलीज ने फिल्म और श्रृंखला को एक नाटक कहा था और स्पष्ट किया था कि इसका तथ्यों से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, इसके बावजूद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या एक फिल्म नाटक का मतलब यह नहीं है कि किसी के चरित्र को मार दिया जाए और यह कहते हुए, उसने शाहरुख खान और फिल्म कंपनी को फटकार लगाई। समीर वानखेड़े ने अपनी दलील के ज़रिए यह साबित करने की कोशिश की कि फ़िल्म में दिखाया गया किरदार समीर वानखेड़े से मिलता-जुलता है और उन्हें निशाना बनाने के लिए इस किरदार को नकारात्मक तरीक़े से पेश किया गया है और इसमें इस किरदार के ज़रिए समीर वानखेड़े का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की गई है जिससे वानखेड़े को अपमानित किया गया है, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए आपत्तिजनक और विवादित कंटेंट को हटाने का निर्देश जारी किया है। यह समीर वानखेड़े के लिए एक बड़ी कामयाबी है, जबकि शाहरुख़ ख़ान को बहुत बड़ा झटका लगा है।
राष्ट्रीय समाचार
निठारी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सुरेंद्र कोली को रिहा करने का आदेश

नई दिल्ली, 11 नवंबर: निठारी हत्याकांड के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली को रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कोली पर लगाए गए सभी आरोपों से उसे बरी किया जाता है और उसकी सभी सजाएं रद्द की जाती हैं।
जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2011 के पुनर्विचार फैसले को वापस लेते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अपील स्वीकार की जाती है और इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाता है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सुरेंद्र कोली को तत्काल रिहा किया जाए।
यह फैसला निठारी हत्याकांड के बाद आया, जिसने साल 2006 में पूरे देश को दहला दिया था, जब नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद हुए थे। इस वारदात ने पुलिस और समाज दोनों को झकझोर कर रख दिया था।
मामले में पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि कोली बच्चों और महिलाओं को बहला-फुसलाकर लाता था, उनके साथ दुष्कर्म करता और फिर हत्या कर शवों को नाले में फेंक देता था। मामला सामने आने के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने कई मामलों में चार्जशीट दाखिल की।
कोली पर 13 मामलों में आरोप लगाए गए, जबकि पंढेर का कुछ मामलों में सहआरोपी के रूप में नाम आया। समय के साथ अदालतों ने सुनवाई की और कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया गया, लेकिन एक मामले में 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी।
अब सुप्रीम कोर्ट ने उस पुराने फैसले को पलटते हुए कहा है कि कोली के खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं हैं और जांच में गंभीर खामियां रही हैं। इसलिए न्याय के हित में उसे बरी किया जाता है।
राष्ट्रीय समाचार
बैंक ऑफ अमेरिका ने अदाणी ग्रुप की कवरेज शुरू की, ‘ओवरवेट’ की दी रेटिंग

नई दिल्ली, 11 नवंबर: बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) ग्लोबल रिसर्च ने अदाणी ग्रुप की कवरेज शुरू कर दी है, साथ ही कुछ यूएस डॉलर बॉन्ड्स को ‘ओवरवेट’ की रेटिंग दी है। इसकी वजह समूह का मजबूत आधार और एसेट बेस और कठिन बाजार चुनौतियों के बावजूद फंड जुटाने की क्षमता है।
बोफा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक जांच के बीच समूह ने मजबूत प्रदर्शन, विस्तार और बाजार पहुंच को प्रदर्शित किया है। पोर्ट्स, यूटिलिटीज और रिन्यूएबल बिजनेस में मजबूत संपत्ति आधार अच्छा कैश फ्लो और क्रेडिट प्रोफाल को मजबूत रखने में समूह की मदद कर रहा है।
बोफा की ओर से अदाणी ग्रुप के कई बॉन्ड्स पर ओवरवेट की राय दी गई है, जिनमें अदाणी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एडीएसईजेड) 2031एस और 2032एस बॉन्ड्स, अदाणी इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल (एनडीआईएनसीओ) 2031एस, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस (एडीटीआईएन) 2036एस और अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई (एडीएएनईएम) 2030एस का नाम शामिल है।
बोफा के मुताबिक, ग्रुप की यूएसडी बॉन्ड इश्यू करने वाली कंपनियों का प्रदर्शन बीते दो वर्षों में अच्छा रहा है , जो कि क्षमता विस्तार के चलते ईबीआईटीडीए में बढ़त से संचालित था।
अदाणी ग्रुप देश के सबसे बड़े कारोबारी समूह में से एक है और ग्रुप की 12 कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं, जिनका मार्केट कैप 200 अरब डॉलर के करीब है।
बोफा ने नोट में कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि अदाणी ट्रांसमिशन लिमिटेड (एडीटीआईएन) और अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई (एडीएएनईएम) अपने विविध परिचालनों और लंबी अवधि के फिक्स्ड-प्राइस कॉन्ट्रैक्ट द्वारा समर्थित स्थिर क्रेडिट प्रोफाइल बनाए रखेंगे।”
बोफा ने कहा कि उनका अनुमान है कि एडीटीआईएन और एडीएएनईएम दोनों अगले तीन वर्षों में 6 गुना से कम लीवरेज और 2गुना से अधिक कवरेज बनाए रखेंगे, जबकि एडीएएनईएम को मॉड्यूलर आउटले जैसे रखरखाव से और अधिक लाभ होगा।
अदाणी ग्रुप के यूएसडी बॉन्ड ने 2023 की शुरुआत से काफी उतार-चढ़ाव का अनुभव किया है। हालांकि, लगातार बाजार पहुंच और घरेलू नियामकों से प्रतिकूल निष्कर्षों की कमी ने पूरे समूह की मजबूत वापसी का समर्थन किया है।
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