अंतरराष्ट्रीय
कप्तान एल्गर ने डीआरएस को लेकर कहा, कुछ समय के लिए भारतीय टीम खेल के बारे में भूल गई थी

दक्षिण अफ्रीका के कप्तान डीन एल्गर का मानना है कि भारत ने डीआरएस को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, स्टंप माइक के ऊपर टीम ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। एल्गर को डीआरएस की समीक्षा में एलबीडब्ल्यू से राहत मिलने के बाद कोहली और कुछ अन्य भारतीय खिलाड़ियों ने स्टंप माइक पर दक्षिण अफ्रीका के ब्रॉडकास्टर और सुपरस्पोर्ट के खिलाफ भला बुरा कहा था।
अंपायर इरास्मस ने पहले एल्गर को आउट दिया था, लेकिन बॉल-ट्रैकिंग तकनीक से पता चला कि गेंद स्टंप्स से ऊपर जा रही थी और समीक्षा पर निर्णय को पलट दिया गया था।
केपटाउन में तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन, एल्गर ने दक्षिण अफ्रीका के 212 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 21वें ओवर की चौथी गेंद पर रविचंद्रन अश्विन के एलबीडब्ल्यू के फैसले की समीक्षा की थी।
अंपायर मरैस इरास्मस ने एल्गर को एक गेंद पर एलबीडब्ल्यू करार दिया था, जो कि मिडिल स्टंप के सामने घुटने पर गेंद लगी थी। बॉल को ट्रैक करते समय ट्रैकिंग तकनीक से पता चला की गेंद स्टंप्स के ऊपर से गुजरी है, जिससे निर्णय पलट गया।
इसका नतीजा यह हुआ कि भारतीय टीम ने स्टंप के माइक के जरिए अपने गुस्से को बाहर निकाला। हालांकि, एल्गर को बाद में जसप्रीत बुमराह ने स्टंप्स पर आउट कर दिया, लेकिन दक्षिण अफ्रीका को चौथे दिन जीत के लिए सिर्फ 111 रनों की जरूरत थी, जिसमें उन्होंने शुक्रवार को जीत हासिल कर ली।
जाहिर है कि भारतीय टीम तीसरा टेस्ट जीतना चाहती थी और टीम दबाव में थी। चीजें अपने तरीके से नहीं चल रही थीं, वे काफी देर से खेल को बदलने की कोशिश करते रहे, लेकिन टीम बदलने में कामयाब नहीं रही। टीम को जीत के लिए थोड़े और रन की आवश्यकता थी, जो नहीं बना पाई।
सेंचुरियन में 113 रन से पहला टेस्ट हारने के बाद, दक्षिण अफ्रीका ने अगले मैच में वापसी करते हुए भारतीय टीम को सीरीज में हरा दिया और तीन मैच की सीरीज में टीम ने दो मैच अपने नाम कर लिए। एल्गर ने जोहान्सबर्ग में सात विकेट की जीत के बाद कहा था कि उन्होंने कगिसो रबाडा से अच्छे प्रदर्शन के लिए बातचीत की थी, जिसमें वे सफल हुए।
बातचीत के बारे में और ज्यादा पूछे जाने पर एल्गर ने बताने से इंकार कर दिया। “मैं इस बारे में कुछ भी नहीं बता सकता क्योंकि टीम में क्या होता है, वो टीम के अंदर ही रहता है। मूल रूप से, पहला टेस्ट हारने के बाद, हम जानते थे कि खिलाड़ी अपने खेल को बदलेंगे और वैसा ही हुआ।”
मुझे खुशी है और इस बात से राहत मिली कि सभी लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, उसके लिए मैं आभारी हूं।
टीम में रबाडा और अन्य खिलाड़ियों के साथ बातचीत की प्रकृति के बारे में बोलते हुए एल्गर ने कहा, “आपको प्रत्येक खिलाड़ी के साथ टीम के अंदर आपसी सम्मान करना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मैं उनके साथ बहुत अच्छे तरीके से जुड़ना चाहता हूं, एक विशेष तरीका जहां लोग सोचते हैं कि एल्गर सही कारणों से ऐसा कर रहे हैं। आपको एक-दूसरे का सम्मान करने की आवश्यकता है, चाहे वह किसी भी उम्र का हो और आप कितने समय से खेल खेल रहे हों।”
अंतरराष्ट्रीय
ओबामा ने ईरान को बहुत कुछ दिया, मैं नहीं देने वाला: ट्रंप

वाशिंगटन, 30 जून। ईरान पर भविष्य में क्या अमेरिका हमला करेगा या नहीं, फिलहाल इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ईरान के उप-विदेश मंत्री अमेरिका के साथ भविष्य में किसी भी कूटनीतिक और न्यूक्लियर वार्ता पर शर्त रख चुके हैं। ऐसे में ट्रंप ने कहा है कि अब वह ईरान से बात नहीं कर रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “मैं ईरान को कुछ भी नहीं दे रहा हूं। ओबामा की तरह, जिन्होंने ‘परमाणु हथियार जेसीपीओए (जो अब समाप्त हो जाएगा) के तहत अरबों डॉलर का भुगतान किया था। इतना ही नहीं, मैं उनसे इस विषय पर बात भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि हमने उनकी न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।”
ट्रंप शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर चुके थे, जिनमें कहा गया था कि उनके प्रशासन ने सिविलियन एनर्जी प्रोड्यूसिंग न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने के लिए ईरान को 30 बिलियन डॉलर तक की मदद करने की चर्चा की थी।
रविवार को ‘बीबीसी’ से बातचीत में माजिद तख्त-रवांची ने कहा था कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ किसी भी हमले से इनकार करना चाहिए। इसके साथ ही उप-विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान के खिलाफ भविष्य के हमलों पर ट्रंप प्रशासन की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
माजिद ने बताया कि अमेरिका ने मध्यस्थ देशों से कहा है कि वह ईरान के साथ बातचीत करना चाहता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भविष्य में हमले करेगा या नहीं।
अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी नतांज, फोर्डो और इस्फाहान को नष्ट किया था। इस फैसले के साथ अमेरिका इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष में कूद पड़ा था।
इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया ‘फतवा’

तेहरान, 30 जून। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक ‘फतवा’ जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ‘ऊपर वाले का दुश्मन’ बताया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
शीर्ष शिया धर्मगुरु ने अपने फतवे में कहा, “कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकाता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाता है।”
सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, “रविवार को अपने ऑफिस के एक बयान में शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसी धमकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है। शिराजी ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है, उसे अपने अभियान में कठिनाई या नुकसान उठाना पड़ता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा के रूप में इनाम से नवाजा जाएगा।”
फतवे में कहा गया है, “मुसलमानों या इस्लामी देशों के जरिए उस दुश्मन को दिया जाने वाला कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। दुनियाभर के सभी मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएं।”
रिपोर्ट्स के अनुसार यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों के ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को ‘एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत’ से बचाया है। इसके साथ ही ट्रंप ने ईरानी सर्वोच्च नेता के ऊपर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका कभी नहीं आया।
कैट्ज ने इजराइल के ‘चैनल 13’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।”
इजरायल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर एसेट्स को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।
संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
अंतरराष्ट्रीय
सीजफायर की उम्मीदों के बीच गाजा में इजरायली सैनिक की मौत

यरूशलम, 30 जून। उत्तरी गाजा पट्टी में एक इजरायली सैनिक की मौत की सूचना सामने आई है, जिसकी जानकारी इजरायली सेना ने दी है।
‘सिन्हुआ समाचार एजेंसी’ के अनुसार सेना ने बताया है कि 401वीं ब्रिगेड की 601वीं कॉम्बैट इंजीनियरिंग बटालियन के सार्जेंट यिसरायल नतन रोसेनफेल्ड (20) लड़ाई के दौरान मारे गए।
इजरायल के सरकारी स्वामित्व वाले ‘कान टीवी’ ने बताया कि रोसेनफेल्ड की मौत जबालिया में एक विस्फोटक उपकरण की वजह से हुई। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सेना ने उत्तरी गाजा में एक नियोजित बफर जोन के हिस्से के रूप में चौकियों के निर्माण की तैयारी में इमारतों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया था।
जून की शुरुआत से गाजा पट्टी में 21 इजरायली सैनिक मारे गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2023 तक सैनिकों की मौत का आंकड़ा 880 तक पहुंच चुका था।
इससे पहले रविवार को, फिलिस्तीनी सूत्रों ने उत्तरी गाजा में भारी बमबारी की सूचना दी। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इजरायली हमलों में करीब 88 लोग मारे गए और 365 घायल हो गए।
इजरायली डिफेंस फोर्सेज ने गाजा के भीड़भाड़ वाले रिहायशी इलाकों के अलावा स्कूल, स्टेडियम और शरणार्थी टेंट को निशाना बनाया।
यह हमला तब हुआ जब इजरायली सेना ने नई इवैक्युएशन वॉर्निंग जारी की। इस चेतावनी में गाजा शहर और जबालिया के निवासियों से तुरंत अल-मवासी क्षेत्र की ओर जाने को कहा गया।
यह हमले ऐसे समय पर हुए, जब एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगले हफ्ते तक सीजफायर का संकेत दिया था, लेकिन इजरायल की इस कार्रवाई ने इन उम्मीदों को धूमिल कर दिया है।
इस बीच, गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को बताया कि अक्टूबर 2023 से इजरायली सैन्य अभियानों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या कम से कम 56,500 हो गई है।
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