अंतरराष्ट्रीय समाचार
ब्रिटिश गृह सचिव ने हत्या के मामले के बाद सख्त कदम उठाने का आह्वान किया
लंदन, 20 मार्च। ब्रिटिश गृह सचिव यवेट कूपर ने हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का आह्वान किया, क्योंकि 19 वर्षीय एक व्यक्ति को अपने परिवार की हत्या करने और स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में सामूहिक गोलीबारी की साजिश रचने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
बुधवार को एक बयान में, कूपर ने कहा, “इस भयानक मामले ने निजी आग्नेयास्त्रों की बिक्री में गहरी और लंबे समय से चली आ रही कमजोरियों को उजागर किया है, और हम तत्काल इस बात पर विचार कर रहे हैं कि हम इन नियंत्रणों को कैसे कड़ा कर सकते हैं।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि “इस बात की तत्काल आवश्यकता है कि कुछ युवा लोग ऑनलाइन अत्यधिक हिंसक सामग्री के प्रति बहुत परेशान करने वाले तरीके से आकर्षित हो रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप हमारे समुदायों के लिए वास्तविक खतरे हैं।”
निकोलस प्रॉस्पर ने 13 सितंबर, 2024 को ल्यूटन में अपनी मां और दो भाई-बहनों की हत्या कर दी, नकली आग्नेयास्त्र प्रमाणपत्र के साथ ऑनलाइन खरीदी गई बन्दूक का उपयोग करके।
उसने अपने पूर्व प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को मारने की भी योजना बनाई थी, लेकिन अपने परिवार की हत्या करने के दो घंटे बाद अधिकारियों ने साजिश को विफल कर दिया, मीडिया ने बताया। प्रोस्पर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जिसकी न्यूनतम अवधि 49 वर्ष है। बेडफोर्डशायर पुलिस के डिटेक्टिव चीफ इंस्पेक्टर सैम खन्ना ने इस मामले को अभूतपूर्व बताते हुए कहा: “मेरे पूरे पुलिसिंग करियर में, मैंने कभी किसी ऐसे व्यक्ति का सामना नहीं किया जो बिना किसी पश्चाताप के ऐसे भयानक कृत्य करने में सक्षम हो।” खन्ना ने आगे कहा: “मुझे खुशी है कि यह वास्तव में दुष्ट व्यक्ति अब अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सलाखों के पीछे काटेगा।” छाया न्याय मंत्री कीरन मुलान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घोषणा की कि उन्होंने मामले को अनुचित रूप से उदार सजा योजना के लिए भेजा था, यह तर्क देते हुए कि “दो बच्चों सहित तीन लोगों की हत्या करना सबसे गंभीर अपराध है। अगर हम इस तरह के अपराधियों को आजीवन कारावास के आदेश नहीं देते हैं, तो वे किस लिए हैं
अंतरराष्ट्रीय समाचार
श्रीलंका में चक्रवात से तबाह हुए पुलों और सड़कों को दोबारा बना रही है भारतीय सेना

नई दिल्ली, 12 दिसंबर: विनाशकारी चक्रवात दितवाह से प्रभावित श्रीलंका की जनता को त्वरित मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भारत ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ चला रहा है। इसी अभियान के तहत भारतीय सेना की एक 48 सदस्यीय इंजीनियर टास्क फोर्स को श्रीलंका में तैनात किया गया है।
भारतीय सेना की यह विशेष टीम युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव से जुड़े काम कर रही है। राहत कार्यों के लिए की गई यह पहल भारत की पड़ोसी प्रथम नीति के अनुरूप है। भारतीय सेना के मुताबिक टास्क फोर्स की प्राथमिक जिम्मेदारी चक्रवात से क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण है।
गौरतलब है कि चक्रवात, तेज बारिश और बाढ़ के कारण कई इलाकों में सड़क संपर्क टूट गया है। अब यहां टूटी हुई सड़कों की मरम्मत की जा रही है ताकि राहत सामग्री और आवश्यक सेवाओं की आवाजाही सुचारू रूप से हो सके। भारतीय सेना की इस टीम में विशेष रूप से ब्रिजिंग एक्सपर्ट, सर्वेयर, वॉटरमैनशिप विशेषज्ञ, भारी इंजीनियरिंग उपकरणों, ड्रोन और अनमैन्ड सिस्टम संचालन में दक्ष कर्मी शामिल हैं। सभी विशेषज्ञ मिलकर सटीक, तेज और प्रभावी इंजीनियरिंग सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। इस सहायता में बुरी तरह क्षतिग्रस्त सड़कों का पुनर्निर्माण, टूटे हुए पुलों को जोड़ना और अन्य ढांचागत सुविधाएं बहाल करना शामिल है।
भारतीय सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स के पास यहां श्रीलंका में फिलहाल चार सेट बेली ब्रिज उपलब्ध हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान से श्रीलंका पहुंचाया गया है। इनके माध्यम से कटे हुए इलाकों में त्वरित संपर्क बहाली की जाएगी। इसके अतिरिक्त टास्क फोर्स के पास पन्यूमैटिक नावें, आउटबोर्ड मोटर, हेवी पेलोड ड्रोन, रिमोट-कंट्रोल्ड बोट आदि अत्याधुनिक उपकरण भी उपलब्ध हैं।
सेना का कहना है कि इन्हीं संसाधनों के दम पर टीम राहत व बचाव कार्य, अस्थायी आश्रय, सड़कों और पुल जैसी महत्वपूर्ण संरचनाओं के निर्माण में सक्षम है। श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा बताए गए आवश्यक स्थानों के आधार पर, भारतीय इंजीनियर टास्क फोर्स ने श्रीलंका सेना और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कई पुल स्थलों का रेकी का काम किया है। इन पुलों को तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई पुलों पर कार्य प्रारंभ भी कर दिया गया है। यहां मॉड्यूलर बेली ब्रिज स्थापित किया जा रहा है, जिसे आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न कॉन्फिगरेशन में लगाया जा सकता है। इसके तैयार होते ही इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी बहाल हो जाएगी।
सेना के अनुसार ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ सिर्फ राहत कार्य नहीं, बल्कि भारत की पड़ोसी देशों के प्रति प्रतिबद्धता, त्वरित सहायता और मानवीय सहयोग की भावना का प्रतीक है। भारतीय सेना की यह इंजीनियर टास्क फोर्स श्रीलंका के संकटग्रस्त क्षेत्रों में आशा और सहायता दोनों का महत्त्वपूर्ण स्तंभ बनकर काम कर रही है।
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ऑस्ट्रेलिया : रेडिट ने सरकार के अंडर-16 सोशल मीडिया बैन को हाई कोर्ट में चुनौती दी

कैनबरा, 12 दिसंबर: ग्लोबल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म रेडिट ने ऑस्ट्रेलिया की उस नई कानूनी नीति के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगाई गई है।
रेडिट का कहना है कि यह प्रतिबंध गलत तरीके से उस पर लागू किया जा रहा है, क्योंकि यह मंच मुख्य रूप से वयस्कों की चर्चा के लिए है और इसमें वे सामान्य सोशल मीडिया फीचर्स नहीं हैं, जिन पर सरकार आपत्ति जता रही है।
कंपनी ने कहा कि वह कानून का पालन करती रहेगी, लेकिन इस नियम की वजह से वयस्कों और बच्चों दोनों पर बहुत दखल देने वाली और संभावित रूप से असुरक्षित वेरिफिकेशन प्रोसेस लागू की जा रही है।
रेडिट ने यह भी कहा कि यह कानून असरदार नहीं है, क्योंकि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को ऑनलाइन नुकसान से बचाने का बेहतर तरीका यह है कि वे निगरानी और सुरक्षा वाले फीचर के साथ अकाउंट चलाएं।
कंपनी ने कहा, “सरकार की नीयत अच्छी है, लेकिन यह कानून बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को सही तरह से मजबूत नहीं कर पा रहा। इसलिए हम इसका पालन तो करेंगे, पर अदालत से इसकी समीक्षा की मांग भी करेंगे।”
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस नए नियम के तहत उन 10 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में रेडिट भी शामिल है जो बुधवार को लागू हुए बैन में शामिल हैं। इन प्लेटफॉर्म को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे उनके मंच पर अकाउंट न बना सकें और न ही अकाउंट इस्तेमाल कर सकें। जो कंपनियां इस नियम का गंभीर उल्लंघन करेंगी, उन्हें लगभग 49.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।
यह दुनिया का पहला ऐसा कानून है, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर राष्ट्रीय स्तर पर रोक लगाई गई है। इसमें फेसबुक, यूट्यूब, टिकटॉक और एक्स जैसे बड़े मंच भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने छात्रों से एक वीडियो मैसेज में कहा कि यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि बच्चों को सोशल मीडिया के लगातार चलते रहने वाले दबाव और एल्गोरिदम के असर से राहत मिल सके। उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि आने वाली छुट्टियों में मोबाइल पर वक्त गंवाने के बजाय कोई खेल शुरू करें, कोई नया इंस्ट्रूमेंट सीखें या कोई किताब पढ़ें।
उन्होंने कहा, “सबसे जरूरी है कि आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ आमने-सामने समय बिताएं।”
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बांग्लादेश : अवामी लीग ने चुनाव कार्यक्रम को किया खारिज, यूनुस सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप

ढाका, 12 दिसंबर: बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने देश के चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम को अस्वीकार कर दिया है। पार्टी का कहना है कि मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के दौरान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं है।
चुनाव आयोग ने गुरुवार शाम घोषणा की थी कि देश का 13वां राष्ट्रीय संसदीय चुनाव और जुलाई चार्टर रेफरेंडम अगले वर्ष 12 फरवरी को होंगे।
अवामी लीग ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने “ग़ैरकानूनी और पक्षपाती यूनुस गुट के अवैध चुनाव आयोग” द्वारा जारी कार्यक्रम को ध्यान से देखा है। पार्टी का आरोप है कि वर्तमान अंतरिम शासन पूरी तरह पक्षपाती है और उनके नियंत्रण में पारदर्शी और निष्पक्ष माहौल में चुनाव होना संभव नहीं।
पार्टी ने कहा कि बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वाली अवामी लीग, अन्य राजनीतिक दलों और जनता के बड़े हिस्से को चुनाव प्रक्रिया से अलग करके मतदान कराना देश को गंभीर संकट की ओर धकेलने जैसा है।
मौजूदा संकट को बढ़ने से रोकने के लिए, अवामी लीग ने मांग की कि पार्टी पर लगाई गई सभी पाबंदियां हटा दी जाएं, देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पॉलिटिकल नेताओं और हर तरह के लोगों के खिलाफ सभी “मनगढ़ंत केस” वापस ले लिए जाएं, और सभी पॉलिटिकल कैदियों को बिना शर्त रिहा किया जाए।
पार्टी ने यह भी कहा कि मौजूदा “धोखेबाज और कब्जा करने वाली सरकार” की जगह एक निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार बनाई जाए, ताकि स्वतंत्र और सबको शामिल करने वाला चुनाव हो सके।
बयान में पार्टी ने कहा कि चुनाव जनता की लोकप्रियता का आकलन होते हैं। अवामी लीग एक चुनाव-आधारित पार्टी है और उसके पास जनता के सामने खड़े होने की क्षमता और साहस है। पार्टी ने अब तक 13 में से 9 चुनाव जीते हैं। इसलिए वह ऐसे चुनाव कार्यक्रम को स्वीकार नहीं करती जिसमें जनता के बहुमत के प्रतिनिधियों को ही बाहर कर दिया गया हो।
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