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Friday,09-May-2025
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राजनीति

भाजपा सामाजिक समीकरण की ओर, पिछड़ी जातियों को सहेजने पर जोर

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 उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नए सियासी समीकरण और गठजोड़ पर भाजपा ने काम करना शुरू कर दिया है। 2014 से जुड़े पिछड़े वोट बैंक को सहेजने के लिए पार्टी ने पिछड़े नेताओं पर अपनी निगाहें गड़ानी शुरू कर दी है।

वर्तमान परिदृष्यों को देखें तो कोरोना की दूसरी लहर में भाजपा के खिलाफ कुछ नकारात्मक माहौल बना है, ऐसे में विपक्षी दल भी पिछड़े और अतिपिछड़ी जातियों पर तेजी से काम करना शुरू किया है। इससे सर्तक भाजपा को लगता है पिछड़ी जातियों के ऐसे प्रभावशाली नेताओं को अपने पाले में कर लें, जिनका किसी जाति पर पैठ हो जिससे 2022 के मिशन फतेह में कोई बाधा न हो।

बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी के दिल्ली दौरे के बीच भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली अपना दल की अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है जो इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

भाजपा के एक बड़े नेता ने बताया कि पार्टी 2022 की सत्ता पाने के लिए कुछ ऐसे नेताओं को अपनी तरफ लाना चाहती है, जिसका किसी जाति पर विशेष पर अपना प्रभुत्व हो। ऐसे कुछ नेताओं को अपनी ओर लाने का प्रयास किया जा रहा है। अनुप्रिया, संजय जैसे नेता अपने समाज में पकड़ रखते हैं। हलांकि अनुप्रिया थोड़ा पार्टी से नाराज थीं। लेकिन अमित शाह से मिले अश्वासन के बाद अभी फिलहाल कुछ उन्हें संतोष है। इसी प्रकार कुर्मी और राजभर समाज के और नेताओं को पार्टी से जोड़ने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।

यूपी के जातिगत समीकरणों पर नजर डालें तो इस राज्य में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग है। प्रदेश में सवर्ण जातियां 18 फीसद हैं, जिसमें ब्राह्मण 10 फीसद हैं। पिछड़े वर्ग की संख्या 39 फीसद है, जिसमें यादव 12 फीसद, कुर्मी, सैथवार आठ फीसद, जाट पांच फीसद, मल्लाह चार फीसद, विश्वकर्मा दो फीसद और अन्य पिछड़ी जातियों की तादाद 7 फीसद है। इसके अलावा प्रदेश में अनुसूचित जाति 25 फीसद है और मुस्लिम आबादी 18 फीसद है।

वरिष्ठ राजनीति विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि 2017 और 2019 में जो भाजपा को बढ़त मिली थी। उसमें पिछड़े वर्ग का बहुत बड़ा समर्थन मिलना रहा है। इससे पहले यह वर्ग सपा के साथ हुआ करते थे। अभी एक साल से सपा कुछ ज्यादा मुखर हुई है। अखिलेश के सक्रिय होने से भाजपा को यह चिंता है कि ओबीसी का कोई हिस्सा सपा के पाले में न चला जाए। सोनेलाल पटेल की बेटी पल्लवी पटेल उनसे मिलने चली गयी है। ओपी राजभर उनके संपर्क में हैं। ओबीसी वर्ग अपनी बेहतरी के लिए कहीं भी जा सकता है। उनकी किसी एक पार्टी के प्रति प्रतिबद्घता नहीं है।

उन्होंने बताया कि सवर्णों को ज्यादातर देखें तो वह कांग्रेस और भाजपा के साथ ही देखा जा सकता है। मुस्लिम को देखें तो राजनीतिक प्रतिबद्घता है वह भाजपा की तरफ नहीं जाना तो नहीं जाना है। भाजपा ओबीसी वर्ग को सहजेने की कवायद शुरू कर दी है। पूरब से लेकर पश्चिम तक भाजपा ओबीसी वर्ग के चेहरों को अपनी ओर लाने का प्रयास करेंगे।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि 2014 का लोकसभा चुनाव में ओबीसी का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पाले में आ गया था। जिसका लाभ 2017 और 2019 के चुनाव में भी मिला। इसीको देखते हुए पार्टी विभिन्न जातियों के प्रभावकारी नेताओं को सहेजने में लग गयी हैं।

महाराष्ट्र

2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में फैसला 31 जुलाई को सुनाया जाएगा

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मुंबई: 29 सितंबर 2008 को हुए मालेगांव बम विस्फोट मामले में फैसला 31 जुलाई को सुनाया जाएगा। भाजपा नेता और पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी, स्वामी दयानंद पांडे, अजय राहिरकर और समीर कुलकर्णी पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के स्कूटर में बम लगाया गया था, जिसके बाद महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने इस मामले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था और 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। मालेगांव बम विस्फोट मामले की सुनवाई अप्रैल में पूरी होगी। उम्मीद थी कि फैसला आज सुनाया जाएगा, लेकिन अदालत ने बहाना बनाया कि एक लाख से अधिक पृष्ठों का अध्ययन किया जा रहा है और इसलिए मामले को 31 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

भको चौक पर एक स्कूटर में हुए बम धमाके में 7 लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हो गए थे। एटीएस चीफ हेमंत करकरे ने इस मामले की जांच की थी और आरोपियों पर मकोका भी लगाया गया था, लेकिन बाद में 2011 में जांच एनआईए को सौंप दी गई थी। एनआईए ने इस मामले में आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग की है। इस मामले में 223 गवाहों के बयान दर्ज किये गये और 23 गवाह अदालत में अपने बयान से मुकर गये, जिनमें सेना और रक्षा विभाग के 8 गवाह शामिल थे। अदालत ने सभी आरोपियों को 31 जुलाई को उपस्थित रहने का आदेश दिया है और यदि कोई अनुपस्थित रहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अदालत इस मामले में 31 जुलाई को ही अपना फैसला सुनाएगी क्योंकि मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित भी रख लिया है।

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राष्ट्रीय समाचार

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद 430 उड़ानें हुईं रद्द, 10 मई तक बंद रहेंगे 27 एयरपोर्ट्स

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नई दिल्ली, 8 मई। भारत की ओर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सफलतापूर्वक किए जाने के बाद गुरुवार को करीब 430 नागरिक उड़ानों को रद्द कर दिया गया है। यह देश की कुल शेड्यूल उड़ानों का करीब 3 प्रतिशत है। इसके साथ ही 27 एयरपोर्ट्स 10 मई तक बंद रहेंगे।

फ्लाइटराडर24 प्लेटफॉर्म के फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक, पाकिस्तान और भारत के पश्चिमी गलियारे का एयरस्पेस का ज्यादातर हिस्सा नागरिक विमानों से फ्री था।

फ्लाइट को ट्रैक करने वाले पोर्टल के मुताबिक, पाकिस्तान के ऊपर हवाई क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर एवं गुजरात के बीच भारत के पश्चिमी क्षेत्र में नागरिक हवाई यातायात नहीं था। इसकी वजह एयरलाइनों द्वारा संवेदनशील क्षेत्र से दूरी बनाए रखना है।

जिन एयरपोर्ट्स को बंद रखा गया है, उनमें श्रीनगर, जम्मू, लेह, चंडीगढ़, अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, बठिंडा, हलवारा, पठानकोट, भुंतर, शिमला, गग्गल, धर्मशाला, किशनगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, मुंद्रा, जामनगर, राजकोट, पोरबंदर, कांडला, केशोद, भुज, ग्वालियर और हिंडन शामिल हैं।

बुधवार को 300 से अधिक उड़ानों को रद्द कर दिया गया था। इस दौरान उत्तर और पश्चिमी भारत के 21 एयरपोर्ट्स बंद थे।

एयर इंडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि उसके संपर्क केंद्रों पर वर्तमान में बहुत अधिक कॉल आ रही हैं।

एयरलाइन ने कहा, “हमारे सभी प्रतिनिधि सक्रिय रूप से ग्राहकों की सहायता कर रहे हैं, कुछ मामलों में संपर्क होने में अपेक्षा से अधिक समय लग सकता है। कृपया निश्चिंत रहें, हम आपकी सहायता के लिए यहां हैं।”

एयरलाइन ने कहा, “जिन ग्राहकों की उड़ानें वर्तमान व्यवधानों से प्रभावित हैं, उनके लिए एयर इंडिया कैसिंलेशन पर फुल रिफंड और रीशेड्यूलिंग पर वन-टाइम छूट की पेशकश कर रही है। यह 10 मई, 2025 तक प्रभावित उड़ानों पर बुक की गई टिकटों के लिए मान्य है।”

एयर इंडिया ने कहा कि हम हमारे सैन्य और रक्षा कर्मियों की निस्वार्थ सेवा और समर्पण के लिए आभारी है।

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राष्ट्रीय समाचार

पाकिस्तान का झूठ बेनकाब : गुजरांवाला में भारतीय ड्रोन गिराने का दावा फर्जी

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नई दिल्ली, 8 मई। पाकिस्तान द्वारा भारतीय ड्रोन को गुजरांवाला में गिराने का दावा पूरी तरह से झूठा साबित हुआ है। प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) फैक्ट चेक ने इस दावे को खारिज करते हुए खुलासा किया कि पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल्स द्वारा शेयर की जा रही तस्वीर 2022 की यूक्रेन-रूस युद्ध की है।

पाकिस्तानी अकाउंट्स ने दावा किया था कि पाक सेना ने गुजरात के डिंगा गांव झंड पीर के पास एक भारतीय मानव रहित विमान (यूएवी) को गिरा दिया। हालांकि, पीआईबी ने अपनी जांच में पाया कि यह तस्वीर पुरानी है और इसका भारत-पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है। पीआईबी ने एक न्यूज रिपोर्ट का हवाला देते हुए इसकी पुष्टि की, जिसमें यह तस्वीर 2022 में यूक्रेन-रूस संघर्ष के दौरान प्रकाशित हुई थी।

पीआईबी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्स पोस्ट पर लिखा, “क्या यह भारतीय ड्रोन वास्तव में पाकिस्तान में इंटरसेप्ट किया गया? पाकिस्तान आधारित सोशल मीडिया हैंडल्स एक पुरानी तस्वीर साझा कर रहे हैं, जिसमें दावा किया गया है कि पाकिस्तान सेना ने गुजरांवाला, पाकिस्तान में एक यूएवी ड्रोन को इंटरसेप्ट किया है। वायरल हो रही तस्वीर वर्ष 2022 के यूक्रेन-रूस संघर्ष से संबंधित है।”

पीआईबी ने 2022 की एक समाचार रिपोर्ट का लिंक भी पोस्ट में दिया है जो स्पष्ट करती है कि ये तस्वीर यूक्रेन-रूस युद्ध से संबंधित है, न कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष से।

ज्ञात हो कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत के सफल आतंकवाद विरोधी हमलों के मद्देनजर, पाकिस्तान सरकार से जुड़े कई मीडिया आउटलेट और सोशल मीडिया अकाउंट्स को ऑपरेशन से जुड़े तथ्यों को विकृत करने के स्पष्ट प्रयास में भ्रामक और मनगढ़ंत कंटेंट प्रसारित करते हुए बेनकाब किया गया है। बुधवार को, भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसमें काफी लोग हताहत हुए।

यह ऑपरेशन सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की निरंतर लड़ाई का एक महत्वपूर्ण क्षण था। हमलों के बाद, पाकिस्तान की ओर से सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों की बाढ़ सी आ गई। इसमें पाकिस्तानी मीडिया हाउस और संबद्ध हैंडल शामिल रहे, जिन्होंने सोशल प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर असत्यापित और झूठी कहानियां गढ़ीं। ऐसे ही एक झूठे दावे में बताया गया कि पाकिस्तान ने अमृतसर में एक भारतीय सैन्य अड्डे पर बमबारी की थी। पीआईबी के फैक्ट जांच प्रभाग ने इस गलत सूचना को तुरंत संबोधित किया और अपील की कि असत्यापित जानकारी साझा करने से बचें और सटीक जानकारी के लिए केवल भारत सरकार के आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें। शेयर किया जा रहा वीडियो 2024 में जंगल की आग का है।

वहीं, सोशल मीडिया पर एक पाकिस्तानी नागरिक का भी वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें उसने पाकिस्तानी सेना की रक्षा प्रणाली में बड़ी खामियों और किसी भी हमले को विफल करने की तैयारी के बारे में खुलकर बात की है। वीडियो में पाकिस्तानी नागरिक कह रहा है कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 24 मिसाइल हमले किए और हैरानी की बात है सारे टारगेट पर जाकर लगे। इंडिया ने अपना टारगेट हासिल कर लिया और हम एक भी मिसाइल को रोक नहीं सके। भारत की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान में रातभर अफवाहों का दौर चलता रहा कि हमने भारत के विमान गिरा दिए। कई तस्वीरें वायरल होने लगीं, लेकिन मैंने खुद चेक किया तो पता चला कि सभी फोटो कई महीने पुराने हैं। अंत में हमारी ओर से भारतीय विमानों को गिराने के दावे फेक न्यूज ही साबित हुए।

गलत सूचनाओं की बाढ़ के जवाब में, भारत सरकार ने जनता और प्रेस से आधिकारिक स्रोतों से सत्यापित अपडेट पर विशेष रूप से भरोसा करने का आह्वान दोहराया। अधिकारियों ने असत्यापित या फर्जी खबरों के प्रसार के खतरों के प्रति सचेत रहने की अपील की है।

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