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Friday,17-January-2025

व्यापार

‘एप्पल’ पहली बार भारत में 10 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ टॉप 5 स्मार्टफोन कंपनियों में शामिल

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नई दिल्ली, 17 जनवरी। एप्पल ने अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही में वॉल्यूम के हिसाब से लगभग 10 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल की है। इसी के साथ आईफोन मेकर कंपनी पहली बार भारत में टॉप 5 स्मार्टफोन कंपनियों में शामिल हो चुकी है।

एप्पल रणनीतिक दृष्टिकोण का विश्लेषण करने वाले काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, घरेलू मैन्युफैक्चरिंग, वितरण और प्रीमियमीकरण को बढ़ावा देने के प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित एक व्यापक त्रि-आयामी (3डी) रणनीति के कार्यान्वयन ने ब्रांड को देश में टॉप 5 स्मार्टफोन कंपनियों में शामिल होने में मदद की है।

काउंटरपॉइंट रिसर्च में मोबाइल डिवाइस और इकोसिस्टम के शोध निदेशक तरुण पाठक ने आईएएनएस को बताया, “यह बहुआयामी दृष्टिकोण बाजार में आगे रहने और उपभोक्ताओं की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए एप्पल की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “भारत में बढ़ते मध्यम वर्ग, खासकर युवाओं में खरीदारी के प्रति रुझान में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे प्रीमियम सेगमेंट में शानदार वृद्धि हुई है।”

अपनी महत्वाकांक्षी छवि और बढ़ते प्रभाव के साथ, एप्पल भारत में खासकर टियर 2 शहरों से परे युवा उपभोक्ताओं के लिए एक स्पष्ट विकल्प बन गया है।

पाठक ने कहा, “भारतीयों के लिए, आईफोन एक स्मार्टफोन से कहीं अधिक है, यह एक जीवनशैली है।”

सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और बढ़ते प्रीमियमीकरण रुझान के तहत एप्पल कैलेंडर वर्ष 2024 में भारत से आईफोन निर्यात में 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

शुरुआती उद्योग अनुमानों के अनुसार, एप्पल ने पिछले साल 12 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के आईफोन निर्यात किए, जो 2023 से 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है।

अनुमानों के अनुसार, एप्पल का घरेलू उत्पादन एक साल पहले की तुलना में लगभग 46 प्रतिशत बढ़ा है। क्यूपर्टिनो (कैलिफोर्निया) स्थित टेक दिग्गज ने वित्त वर्ष 2024 में भारत में 14 बिलियन डॉलर के आईफोन का निर्माण/संयोजन किया और 10 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के आईफोन का निर्यात किया।

इस बीच, एप्पल इकोसिस्टम ने चार वर्षों में 1,75,000 नई प्रत्यक्ष नौकरियां भी सृजित की हैं, जिनमें “72 प्रतिशत से अधिक महिलाएं” हैं।

उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले एक साल में भारत में एप्पल के रणनीतिक दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं और बाजार में इसका महत्व बढ़ा है।

एग्रेसिव रिटेल विस्तार, टारगेटेड मार्केटिंग रणनीतियों और महत्वाकांक्षी भारतीय बाजार में गहरी पैठ के कारण आने वाले वर्ष में भारत में एप्पल की वृद्धि महत्वपूर्ण गति के साथ जारी रहने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय समाचार

इजरायल-हमास के बीच सीजफायर से जेम और ज्वेलरी एक्सपोर्ट्स बढ़ेगा: जीजेईपीसी

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नई दिल्ली, 17 जनवरी। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर होने से आने वाले महीनों में जेम्स और ज्वेलरी का निर्यात बढ़ सकता है। यह जानकारी जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने शुक्रवार को दी।

जीजेईपीसी के आंकड़ों अनुसरा, दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 1967.98 मिलियन डॉलर (16,719 करोड़ रुपये) रहा, जो भू-राजनीतिक स्थितियों के बीच आर्थिक अनिश्चितता के कारण पिछले वर्ष के इसी महीने से कम है, क्योंकि खरीदारों ने लाइफस्टाइल पर पैसा खर्च करने के बजाय निवेश के लिए सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड की ओर अधिक झुकाव दिखाया।

काउंसिल ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम और समझौते की उम्मीदों को देखते हुए, निर्यात धीरे-धीरे गति पकड़ने लगेगा।

दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल आयात 1526.95 मिलियन डॉलर (12,992.3 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 27.23 प्रतिशत कम है।

रिपोर्ट में कहा गया कि खरीदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है क्योंकि युवा पीढ़ी और जेनरेशन जेड रोजाना पहनने के लिए कीमती धातुओं से बने हल्की आभूषणों को ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। 2025 में इस प्रवृत्ति में काफी तेजी देखने को मिलेगी, जिससे घरेलू मांग में छछाल आएगा।

कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव व्यापार गतिविधियों के लिए एक प्रमुख बाधा के रूप में कार्य कर रहा है।

उन्होंने कहा,”हालांकि, इजरायल और हमास के बीच सीजफायर समझौता पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो दोनों देशों के बीच युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त करेगा। हमें आने वाले महीनों में व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार देखने की उम्मीद है।”

कट और पॉलिश किए गए हीरों के कुल सकल आयात में 64.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो दिसंबर 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 254.18 मिलियन डॉलर की तुलना में 91.26 मिलियन डॉलर रहा।

दिसंबर 2024 में गोल्ड की ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 868.03 मिलियन डॉलर रहा।

रिपोर्ट में बताया गया है कि शादी और छुट्टियों का मौसम खत्म होने वाला है, इसलिए मांग में कमी आ रही है।

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व्यापार

कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच लाल निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार

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मुंबई, 17 जनवरी। कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को लाल निशान में खुला। शुरुआती कारोबार में आईटी और प्राइवेट बैंक सेक्टर में बिकवाली देखी गई।

सुबह करीब 9.30 बजे सेंसेक्स 325.79 अंक या 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76,717.03 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 86.80 अंक या 0.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,225 पर कारोबार कर रहा था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 1,118 शेयर हरे निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि 1,039 शेयर लाल निशान में थे।

जानकारों के अनुसार, बाजार के लिए दो सकारात्मक बातें हैं: एक, डॉलर इंडेक्स और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट का रुख जारी है और दूसरा, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इंफोसिस के तीसरी तिमाही के नतीजे उम्मीद से बेहतर हैं। उन्होंने कहा, “इन दोनों शेयरों में बाजार में मामूली सुधार लाने की क्षमता है।”

निफ्टी बैंक 470.55 अंक या 0.95 प्रतिशत की गिरावट के साथ 48,808.15 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 208.65 अंक या 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54,275.15 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 18.20 अंक या 0.10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,625.10 पर था।

इस बीच, सेंसेक्स पैक में इंफोसिस, एक्सिस बैंक, टीसीएस, एचसीएल टेक, एमएंडएम, कोटक महिंद्रा बैंक, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस और इंडसइंड बैंक टॉप लूजर्स रहे। जबकि रिलायंस, जोमैटो, एलएंडटी, सन फार्मा, अदाणी पोर्ट्स, आईटीसी और टाटा मोटर्स टॉप गेनर्स रहे।

अमेरिकी बाजारों में, आखिरी कारोबारी सत्र में डाउ जोंस 0.16 प्रतिशत गिरकर 43,153.13 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.21 प्रतिशत गिरकर 5,937.34 पर और नैस्डैक 0.89 प्रतिशत गिरकर 19,338.29 पर बंद हुआ।

एशियाई बाजारों में सोल, बैंकॉक और जापान लाल निशान पर कारोबार कर रहे थे। जबकि चीन, जकार्ता और हांगकांग हरे निशान पर कारोबार कर रहे थे।

बाजार पर नजर रखने वालों ने कहा, “बाजार में करेक्शन ने लार्जकैप के वैल्यूएशन को उचित बना दिया है। निफ्टी अब वित्त वर्ष 2026 की अनुमानित आय के करीब 19 गुना पर कारोबार कर रहा है। इसलिए, दीर्घावधि निवेशक, जो विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली के कारण होने वाली वोलैटिलिटी को नजरअंदाज कर सकते हैं, वे गिरावट का इस्तेमाल कर हाई-क्वालिटी वाले लार्जकैप शेयरों को खरीदने के लिए कर सकते हैं।”

इस बीच, एफआईआई ने 16 जनवरी को 4,341.95 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, दूसरी ओर घरेलू संस्थागत निवेशकों ने उसी दिन 2,928.72 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

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व्यापार

केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को दी मंजूरी, कर्मचारियों के वेतन में होगी बड़ी वृद्धि

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नई दिल्ली, 16 जनवरी। केंद्र सरकार ने आम बजट 2025 से पहले कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है। इस फैसले का इंतजार बड़ी संख्या में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों की ओर से किया जा रहा है। इस फैसले से वेतन और पेंशन बढ़ोतरी का रास्ता खुल गया है।

केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि आठवें वेतन आयोग के गठन का फैसला लिया गया है। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभ सुनिश्चित करने के मद्देनजर लिया गया है। यह नया आयोग 2026 तक रिपोर्ट सौंपेगा।

नया वेतन आयोग हर 10 साल में लागू किया जाता है। इससे पहले सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया था। इस वजह से माना जा रहा है कि आठवां वेतन आयोग 2026 से लागू किया जा सकता है।

आठवां वेतन आयोग लागू होने के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, आठवें वेतन आयोग में न्यूनतम आधार वेतन को बढ़ाकर 34,650 रुपये किया जा सकता है, जो कि सातवें वेतन आयोग में 18,000 रुपये है। वहीं, पेंशन को 9,000 रुपये से बढ़ाकर 17,280 रुपये किया जा सकता है।

केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन को तय करने में फिटमेंट फैक्टर की अहम भूमिका होती है। इस बार यह 1.92 हो सकता है।

आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशें स्वीकार होने पर लगभग 49 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों के वेतन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा और उन्हें इसका लाभ मिलेगा।

केंद्रीय वेतन आयोग का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे और भत्तों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिशों के लिए किया जाता है।

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