राष्ट्रीय समाचार
आंध्र प्रदेश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 42 दिन की हड़ताल के बाद काम पर लौटीं
आंध्र प्रदेश में लगभग एक लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों पर राज्य सरकार के साथ समझौते के बाद मंगलवार को अपनी 42 दिन की हड़ताल खत्म कर दी और काम पर लौट आईं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बेहतर वेतन और कामकाजी परिस्थितियों की मांग को लेकर 12 दिसंबर से हड़ताल पर थीं और सरकार द्वारा आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) लागू करने के बावजूद उन्होंने अपना विरोध जारी रखा था।
सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा रखी गई 11 महत्वपूर्ण मांगों में से 10 को मानने पर सहमत हो गई है।
राज्य सरकार ने कहा कि आंगनवाड़ी संघ के नेताओं ने एकता दिखाई और विपक्षी दलों के झूठे उकसावे को खारिज करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल खत्म कर दी।
सरकार के सलाहकार सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल हड़ताल के दौरान आंगनबाड़ियों को भड़काने और गलत प्रचार करने की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने एक बयान में कहा, “सरकार ने लगातार सहानुभूति और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है जो केवल मांगों को पूरा करने से कहीं आगे बढ़ गई है, क्योंकि इसने हड़ताल के दौरान आंगनबाड़ियों के साथ सक्रिय रूप से संचार बनाए रखा है। इस सहयोगात्मक रुख को आंगनबाड़ियों ने भी स्वीकार किया, जिन्होंने उचित समय पर विपक्षी दलों द्वारा हड़ताल का राजनीतिकरण करने के प्रयासों को स्वीकार किया और सरकार के दृष्टिकोण को समझा।”
शिक्षा मंत्री बोत्चा सत्यनारायण ने कहा, “विपक्षी नेता और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, उनके बेटे लोकेश और जेएसपी प्रमुख पवन कल्याण ने तनाव बढ़ाने के उद्देश्य से नियमित रूप से टिप्पणियां की हैं। आंगनबाड़ियों ने समझदारी का सराहनीय प्रदर्शन करते हुए हड़ताल वापस लेकर विवेक का मार्ग अपनाने का फैसला किया है, जिससे विभाजनकारी प्रयास विफल हो गए।”
समझौते के अनुसार, वेतन वृद्धि का कार्यान्वयन अगले साल जुलाई में निर्धारित है। इस वर्ष से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को दो लाख रुपये की दुर्घटना बीमा पॉलिसी सहित जीवन बीमा कवरेज बढ़ाया जाएगा। आंगनबाडी सहायिकाओं की नियुक्ति के लिए आयु सीमा 45 वर्ष से बढ़ाकर 50 वर्ष कर दी गयी है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता क्रमशः मासिक और द्विमासिक आधार पर यात्रा भत्ता (टीए) और महंगाई भत्ता (डीए) के लिए पात्र होंगी।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की सेवा जारी रखने के लिए अधिकतम आयु सीमा 62 वर्ष निर्धारित की गई है।
सरकार ने राज्य में 62 वर्ष की आयु पूरी करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को एक लाख रुपये और सहायिकाओं को 40 हजार रुपये प्रदान करते हुए सेवा समाप्ति लाभ को मंजूरी दे दी है।
किराये के भवनों में स्थित आंगनबाडी केन्द्रों के लिए सरकार ने 66.54 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। स्वच्छता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 55,607 केंद्रों के लिए 7.81 करोड़ रुपये का आवंटन मंजूर किया गया है।
21,206 आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए दीवारों की पेंटिंग और मामूली मरम्मत सहित रखरखाव खर्च को कवर करने के लिए तीन हजार रुपये प्रति केंद्र की दर से 6.36 करोड़ रुपये का आवंटन जारी किया गया है।
अपराध
दिल्ली के जंतर-मंतर पर शख्स ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की

नई दिल्ली, 10 नवंबर: राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर उस समय सनसनी फैल गई, जब एक व्यक्ति ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की। फिलहाल, दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रही है और शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया है।
शुरुआती जानकारी सामने आई कि यह व्यक्ति मध्य प्रदेश का रहने वाला था, जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करने आया था। दिल्ली पुलिस की ओर से उसे प्रदर्शन की अनुमति भी मिल चुकी थी। सोमवार सुबह करीब 9 बजे यह व्यक्ति जंतर-मंतर पर पहुंचा था।
बताया जाता है कि यह प्रदर्शनकारी यहां पर ‘कट्टा’ के साथ आया था और उसी कट्टे से उसने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की। उसने दिल्ली पुलिस की ओर से लगाए गए मेटल डिटेक्टर गेट से पहले ही एक चाय की दुकान के पास खुद को गोली मार ली।
अभी प्रदर्शनकारी की पहचान नहीं हो पाई है। उसके आत्महत्या करने के कारणों का भी पता नहीं चला है। फिलहाल, पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद हैं और घटनास्थल की घेराबंदी कर दी गई है।
वहीं, दिल्ली के महिपालपुर इलाके में 23 साल की महिला की संदिग्ध मौत की घटना से सनसनी फैल गई। यह महिला नॉर्थ-ईस्ट की रहने वाली थी और गुरुग्राम की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करती थी।
दिल्ली पुलिस को सोमवार सुबह एक मकान में महिला का शव होने की सूचना मिली थी। घटनास्थल पर पहुंचने के बाद पुलिस ने देखा कि महिला बाथरूम के अंदर मृत पड़ी थी। पुलिस ने आशंका जताई है कि बाथरूम में रॉड हीटर से टच होने पर करेंट लगने से उसकी मौत हुई। इसके बाद, पुलिस ने महिला के शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की।
राष्ट्रीय समाचार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थशास्त्रियों के साथ की पहली प्री-बजट चर्चा

नई दिल्ली, 10 नवंबर: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आने वाले केंद्रीय बजट 2026-27 के लिए देश के बड़े अर्थशास्त्रियों के साथ पहली प्री-बजट चर्चा की।
इस बैठक में मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन के साथ आर्थिक मामलों का विभाग (डीईए) से कई वरिष्ठ अधिकारी और कई अर्थशास्त्री शामिल हुए।
वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, “केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में आगामी केंद्रीय बजट 2026-27 के संबंध में प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ पहले बजट-पूर्व चर्चा की अध्यक्षता की।”
वित्त मंत्रालय ने आगे कहा, “बैठक में आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के सचिव और भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के अलावा डीईए के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।”
प्री-बजट चर्चा के तहत सरकार आने वाले बजट के इनपुट के लिए इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों और अन्य पक्षकारों के साथ लगातार बैठक कर रही है।
यह चर्चाएं व्यापार में आसानी बढ़ाने और टैक्स कटौती का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने पर केंद्रित हैं।
बीते महीने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के अधिकारियों ने राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव से मुलाकात की थी।
बैठक के बाद पीएचडीसीसीआई के सीईओ और महासचिव डॉ.रणजीत मेहता ने कहा कि बैठक में अप्रत्यक्ष कर और प्रत्यक्ष कर को लेकर बातचीत हुई है। हमने इसमें व्यापार पर आसानी को लेकर भी चर्चा की, जिस पर सरकार का फोकस है।
उन्होंने आगे कहा कि इंडस्ट्री बॉडी की ओर से मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यम (एमएसएमई) इंडस्ट्री की लिक्विडिटी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार को सुझाव दिए गए हैं और कुल मिलाकर सुझावों को लेकर सरकार का एप्रोच काफी सकारात्मक है और यह इंडस्ट्री के लिए काफी अच्छा है।
पीएचडीसीसीआई के पूर्व प्रेसिडेंट साकेत डालमिया ने कहा कि नए कानून आ रहे हैं उनमें अंतिम मील तक लागू करने में काफी समस्या आ रही है, जिसे सरकार की ओर से सुना गया और काफी सकारात्मक रिस्पॉन्स मिला है।
मनोरंजन
प्रदूषण के खिलाफ एकजुटता जरूरी, सीएम रेखा गुप्ता और भगवंत मान ठोस कदम उठाएं : कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद

नई दिल्ली, 10 नवंबर: दिल्ली की प्रदूषित हवा को लेकर राजनीति के गलियारों में चर्चा होने लगी है कि अगर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो सांस लेना भी दुभर हो जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कहा कि प्रदूषण पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि सभी को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कहा कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी है।
सोमवार को मिडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि इसे अब मामूली नहीं कहा जा सकता, यह खतरनाक है, यहां तक कि जानलेवा भी है। उन्होंने बताया कि रविवार को मुझे इतनी तेज खांसी और जुकाम हुआ कि मुझे सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी। मैं सोचती हूं कि इसका बच्चों और बुजुर्गों पर क्या असर हो रहा है। हमें एकजुट होकर काम करना होगा। इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खराब श्रेणी में बना हुआ है। हम लोग इसके विरोध में रविवार को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बावजूद पुलिस ने महिलाओं को डिटेन किया। दिल्ली पुलिस क्या संदेश देना चाहती है? क्या हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन भी नहीं कर सकते हैं?
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हमारी जिंदगी के बारे में नहीं सोचा जा रहा है। एयर प्यूरीफायर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग बाहर निकलते है, साइकिल, मोटरसाइकिल, या पैदल चलते हैं, वे अपने साथ एयर प्यूरीफायर लेकर नहीं चलते हैं और गरीब के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे एयर प्यूरीफायर लगवाएं। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि प्रदूषण को लेकर ठोस कदम उठाए। हमें उन राज्यों से सीख लेनी चाहिए जहां किसान पराली को नहीं जलाते हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को बैठकर इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। अगर आगे ऐसे ही प्रदूषण का स्तर बढ़ता गया तो यह दिल्ली के लोगों के लिए जानलेवा साबित होगा।
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