अंतरराष्ट्रीय समाचार
अक्टूबर तक वैक्सीन लाने की जल्दबाजी करता अमेरिका

vaccine
कोरोना वायरस महामारी के असर के कारण पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। इस समय पूरे विश्व में 2 करोड़ 70 लाख से अधिक लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं जबकि 8 लाख 81 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस वायरस के कारण अमेरिका पूरे विश्व में सबसे अधिक प्रभावित है। अमेरिका में 60 लाख 30 हजार से अधिक लोग इस वायरस के संपर्क में आने के बाद संक्रमित हो चुके हैं जबकि 1 लाख 89 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। दुनिया को अभी तक कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने में सफलता हाथ नहीं लगी है। वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका ने इस बात के संकेत दिए हैं कि इस साल के अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरूआत में कोरोना वायरस का वैक्सीन आ जाएगा और उसने इसके लिए पूरे देश में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को तैयारी शुरू करने के लिए कहा है।
दरअसल, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संकेत दिए थे कि 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों से पहले हाई-रिस्क समूहों तक कोरोना का वैक्सीन पहुंचा दिया जाएगा। इसके बाद से अमेरिका में वैक्सीन को विकसित करने का काम तेज हो गया है। अमेरिका एक साथ दो कोरोना वैक्सीन की तैयारी कर रहा है, जिन्हें वैक्सीन ए और वैक्सीन बी का नाम दिया है।
लेकिन अमेरिका के सबसे बड़े संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फाउची इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। वे अक्टूबर तक वैक्सीन के आने की संभावना को बेहद कम मानते हैं। उनका कहना है कि अक्टूबर के अंत तक एक कारगर कोरोना वायरस के वैक्सीन को वितरित करना, केवल अटकले ही हैं, दिसंबर से पहले कारगर वैक्सीन का आना बहुत मुश्किल है।
वहीं, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ‘द लांसेट’ के प्रमुख संपादक रिचार्ड होटन ने भी कहा कि अगर वैक्सीन को संपूर्ण परीक्षण के बगैर बाजार में उतारा गया तो जल्दबाजी होगी, इससे अमेरिकियों को भारी नुकसान पहुंचेगा। उनका भी मानना है कि अक्टूबर के अंत तक वैक्सीन का आना खतरे से खाली नहीं है।
कई विशेषज्ञों ने ट्रम्प के इस दावे पर सवालिया निशान लगाया है। उनका कहना है कि ट्रम्प ने वैज्ञानिक आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक कारण के चलते यह दावा किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की प्रेस प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने तो साफ कहा है कि अगले साल के मध्य से पहले कोविड-19 के वैक्सीन को बड़े पैमाने पर लाने की संभावना न के बराबर है।
दरअसल, वैक्सीन देने के समय को राजनीतिक महत्व के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन बनाने का ऐलान किया। उन्होंने अरबों डॉलर की प्रतिबद्धता के बाद लोगों से नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में खुद को जिताने की मांग की।
इससे साफ झलकता है कि ट्रम्प वैक्सीन को लाने की जल्दबाजी कर रहे हैं। वे इस वैक्सीन में अपना राजनीतिक और चुनावी फायदा देख रहे हैं, ताकि नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में वे मतदाताओं को लुभा सकें। अगर ये वैक्सीन कारगर नहीं रही तो यकीनन कोरोना महामारी की रोकथाम में और ज्यादा अड़चने पैदा हो जाएंगी, और अमेरिका को लेने के देने पड़ जाएंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को रिन्यू किया

संयुक्त राष्ट्र, 31 मई। सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को एक साल के लिए रिन्यू करने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया, जो 31 मई, 2026 तक लागू रहेगा। इसके साथ ही व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति जब्त करने के लक्षित प्रतिबंध भी लागू होंगे।
मिडिया ने बताया कि ये प्रस्ताव 2781, जिसे नौ वोट के पक्ष में और छह वोट के बहिष्कार के साथ अपनाया गया। इस प्रस्ताव में विशेषज्ञों के पैनल का कार्यकाल भी 1 जुलाई, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। यह पैनल दक्षिण सूडान प्रतिबंध समिति के काम में मदद करता है।
सुरक्षा परिषद के अफ्रीकी सदस्य – अल्जीरिया, सिएरा लियोन, सोमालिया ने चीन, पाकिस्तान और रूस के साथ वोट देने से परहेज किया।
इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा परिषद हथियार प्रतिबंधों की समीक्षा करने के लिए तैयार है। अगर दक्षिण सूडान 2021 के प्रस्ताव 2577 में तय किए गए मुख्य लक्ष्यों पर प्रगति करता है, तो इन प्रतिबंधों को बदला, निलंबित किया या धीरे-धीरे हटाया जा सकता है। यह दक्षिण सूडान के अधिकारियों को इस संबंध में और प्रगति हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
सुरक्षा परिषद ने यह भी तय किया है कि इन प्रतिबंधों की लगातार समीक्षा की जाएगी। सुरक्षा परिषद ने स्थिति के जवाब में उपायों को समायोजित करने की तत्परता व्यक्त की है, जिसमें उपायों में संशोधन, निलंबन, हटाने या सुदृढ़ करना शामिल है।
प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से अनुरोध किया गया है कि वे दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन और विशेषज्ञों के पैनल के साथ निकट परामर्श में 15 अप्रैल, 2026 तक प्रमुख मानदंडों पर हासिल की गई प्रगति का आकलन करें।
इसके साथ ही दक्षिण सूडान के अधिकारियों से भी अनुरोध किया गया है कि वे उसी तारीख तक इस संबंध में हासिल की गई प्रगति पर सैंक्शन कमेटी को रिपोर्ट करें।
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यूएस सुप्रीम कोर्ट ने किया ट्रंप सरकार का रास्ता साफ, 5 लाख लोगों पर मंडराया निर्वासन का खतरा

न्यूयॉर्क, 31 मई। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप सरकार का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के उस आदेश को हटा दिया है, जिसके तहत क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के चार देशों के पांच लाख से अधिक प्रवासियों के लिए मानवीय पैरोल सुरक्षा को बरकरार रखा गया था।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने ट्रंप प्रशासन को एक अन्य मामले में लगभग 350,000 वेनेजुएला के प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी स्थिति को रद्द करने की भी अनुमति दी है।
स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि इस कदम ने ट्रंप प्रशासन के लिए हजारों प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी सुरक्षा को फिलहाल खत्म करने का रास्ता साफ कर दिया है और निर्वासन के दायरे में आने वाले लोगों की कुल संख्या को लगभग दस लाख तक पहुंचा दिया है।
अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर आने वाले प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, बाइडेन प्रशासन ने 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के लोगों के लिए पैरोल कार्यक्रम बनाया, जिसके तहत उन्हें कुछ प्रोसेस से गुजरने के बाद दो साल तक अमेरिका में काम करने की इजाजत दी गई। इस प्रोग्राम ने लगभग 5,32,000 लोगों को निर्वासन से बचाया।
लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के तुरंत बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम को सभी पैरोल प्रोगाम को टर्मिनेट करने का निर्देश देते हुए एक कार्यकारी आदेश जारी किया। कार्यकारी आदेश पर कार्रवाई करते हुए नोएम ने मार्च में पैरोल प्रोग्राम को समाप्त करने की घोषणा की, जिसके तहत पैरोल के किसी भी अनुदान की वैधता 24 अप्रैल तक समाप्त हो जाएगी।
मैसाचुसेट्स में एक फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ने नोएम द्वारा प्रवासियों की अस्थायी कानूनी स्थिति को पूरी तरह से रद्द करने के फैसले को रोकने पर सहमति जताई। उस समय कई पैरोलियों और एक गैर-लाभकारी संगठन सहित 23 व्यक्तियों के एक ग्रुप ने नोएम द्वारा प्रोग्राम को समाप्त करने को चुनौती दी थी।
ट्रंप प्रशासन ने पहले पहले सर्किट के लिए यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स में अपील की, जिसने अपील लंबित रहने तक जिला न्यायालय के आदेश को रोकने से इनकार कर दिया और फिर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
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अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव फिलिस्तीनी मांगों पर खरा नहीं : हमास

गाजा, 30 मई। हमास के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि गाजा पट्टी में युद्ध रोकने के लिए अमेरिका का जो प्रस्ताव आया है, उस पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, यह प्रस्ताव हमास और फिलिस्तीनी लोगों की मुख्य मांगों को पूरा नहीं करता।
मिडिया के मुताबिक, हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बासम नईम ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उन्हें अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ द्वारा पिछले हफ्ते दिए गए युद्धविराम प्रस्ताव पर इजरायल की प्रतिक्रिया मिल गई है।
नईम के मुताबिक, इजरायल ने फिलिस्तीन की मुख्य मांगों को नहीं माना। इनमें लड़ाई को पूरी तरह खत्म करना और गाजा पर लगी पुरानी नाकेबंदी हटाना शामिल है।
उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव युद्धविराम के दौरान भी इजरायल के कब्जे और लोगों की तकलीफों को जारी रहने देगा।
नईम ने कहा, “इसके बावजूद हमास का नेतृत्व फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ जारी हिंसा और मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए ज़िम्मेदारी के साथ इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।”
हमास ने पहले कहा था कि उसे मध्यस्थों के जरिए नया युद्धविराम प्रस्ताव मिला है। वह इसका मूल्यांकन इस तरह कर रहा है कि यह फिलिस्तीनी लोगों के हितों की रक्षा करे और गाजा के लोगों के लिए स्थायी शांति और राहत लाने में मदद करे।
हमास ने पहले कहा था कि वह विटकॉफ के साथ एक समझौते के “सामान्य ढांचे” पर सहमत हो गया है। इस समझौते का मकसद स्थायी युद्धविराम करना, इजरायल की गाजा से पूरी तरह वापसी सुनिश्चित करना, राहत सामग्री की आपूर्ति शुरू करना और हमास से एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी समिति को सत्ता सौंपना है।
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