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Thursday,22-May-2025
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अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा का खराब फॉर्म, भारतीय टीम प्रबंधन के लिए चिंता का विषय

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अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा भारतीय टेस्ट टीम की रीढ़ माने जाने वाले बल्लेबाज इन दिनों बुरे फॉर्म से गुजर रहे हैं, जिसके कारण उनको प्रशंसकों और विशेषज्ञों की आलोचना झेलनी पड़ रही है।

टीम के बड़े और अनुभवी खिलाड़ियों के अनुपस्थिति में, भारत को पुजारा और रहाणे से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उनकी असफलताओं का दौर कानपुर टेस्ट में भी जारी रहा। दोनों बल्लेबाजों को स्टार्ट तो मिली, लेकिन वे न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में बड़ा स्कोर बनाने में नाकाम रहे। ऐसा सिर्फ इस मैच में नहीं हुआ, बल्कि दोनों बल्लेबाज पिछले कुछ समय से संघर्ष कर रहे हैं। उनका खराब फॉर्म भारतीय टीम प्रबंधन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

रहाणे जब भी मध्यक्रम में आते हैं तो उनसे काफी उम्मीद की जाती है, लेकिन पिछली कुछ पारियों में उनका बल्ला खामोश रहा है, जिससे टीम को नुकसान भी उठाना पड़ा है।

एक समय था जब मुंबई में जन्मे क्रिकेटर विदेशी दौरों पर भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज थे। शायद यही कारण था कि उन्हें खेल के सबसे बड़े प्रारूप में विराट कोहली का डिप्टी नियुक्त किया गया। हालांकि, पिछले दो सालों में उनके लिए चीजें काफी बदल गई हैं।

2020 में एमसीजी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच जिताने वाले शतक को छोड़कर, उन्होंने कोई भी बड़ी पारी नहीं खेली है। इस वजह से अब उनको टीम से बाहर करने की भी बात सामने आ रही है।

भारत के टेस्ट उपकप्तान को क्या परेशानी हो रही है। इस पर विशेषज्ञों और पूर्व क्रिकेटरों ने अलग-अलग कारण बताए हैं।

भारत के पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण को लगता है कि दाएं हाथ के बल्लेबाज को टेस्ट क्रिकेट में उनके हालिया प्रदर्शन में फुटवर्क समस्या पैदा कर रहा है। वह खेलते समय बैकफुट और फ्रंटफुट की समस्या से जूझ रहे हैं। अगर आपके पैर जमीन पर टिके रहते हैं, तो आप क्रीज का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाते, इसलिए वह आउट हो रहे हैं।

इस बीच, न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान डेनियल विटोरी ने बताया है कि यह रहाणे के लिए एक मानसिक दबाव हो सकता है और अनुभवी खिलाड़ी को 3 दिसंबर से मुंबई में दूसरे टेस्ट में आराम देना चाहिए ताकि उन्हें रीसेट करने का समय मिल सके।

क्रिकेट में खराब फॉर्म से गुजरना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि हर क्रिकेटर जो बड़े स्तर पर खेल चुका है, इससे गुजरा है। हालांकि, रहाणे का मामला अलग है, क्योंकि वह आत्मविश्वास के साथ नहीं खेल रहे और इसलिए जल्दी आउट हो रहे हैं।

रहाणे की तुलना में चेतेश्वर पुजारा ने विदेशी दौरों पर अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन उनका प्रदर्शन भी खराब रहा है।

भारतीय टेस्ट बल्लेबाजी क्रम में चेतेश्वर एक चट्टान के रूप में माने जाते हैं, लेकिन पिछले दो सालों में उनका भी बल्ला खामोश रहा है। उनको डिफेंस करने में समस्या आ रही हैं और वह बार-बार इसी अंदाज में आउट हो रहे हैं। हालांकि, पिछले दो सालों में भारतीय टेस्ट टीम को कई बार बल्लेबाजी को लेकर नुकसान झेलना पड़ा है और नंबर 3 पुजारा की विफलता भी इसका एक प्रमुख कारण है।

साउथेम्प्टन में न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल में भारत के इस दिग्गज बल्लेबाज का खराब प्रदर्शन एक बहस का मुद्दा बन गया था। उनकी बल्लेबाजी को लेकर काफी आलोचना की गई थी। हालांकि, पुजारा ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में निडर होकर बल्ले से अच्छा प्रदर्शन किया।

इस पर पुजारा ने कहा, “हां, मुझे ऐसा लगता है कि निडर होकर खेलने से मेरे प्रदर्शन में फर्क आया था, इसमें कोई तकनीकी बड़ा बदलाव नहीं आया था। इसी ने मेरी बल्लेबाजी के दौरान मदद की।”

अंतरराष्ट्रीय

नेतन्याहू ने दोहराया गाजा पर पूर्ण कब्जे का इरादा, ट्रंप से मतभेद की खबरों को बताया बेबुनियाद

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यरूशलम, 22 मई। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार को गाजा पर पूरी तरह से कब्जा करने के अपने इरादे को दोहराया और युद्ध समाप्ति के लिए किसी भी प्रकार के समझौते की संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि “गाजा में 20 बंधक अब भी जीवित हैं, जबकि 38 अन्य के मारे जाने की आशंका है।”

पश्चिम यरूशलम स्थित अपने कार्यालय में बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेतन्याहू ने अपनी मंशा जाहिर की।

फिलिस्तीनी संगठन हमास ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि वह युद्ध समाप्ति, गाजा से इजरायली सेना की वापसी और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले में इजरायली बंदियों को एकमुश्त रिहा करने के लिए तैयार है।

नेतन्याहू ने इन शर्तों को खारिज कर दिया है। इसके बजाय उन्होंने फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों के निरस्त्रीकरण की मांग की है और गाजा पर पूरी तरह से फिर से कब्जा करने पर जोर दिया है।

नेतन्याहू ने दावा किया कि एक बार ये लक्ष्य हासिल हो जाने के बाद, इजरायल तथाकथित ट्रंप योजना को लागू करने के लिए आगे बढ़ेगा -जिसे व्यापक रूप से गाजा से फिलिस्तीनियों के पुनर्वास की रूपरेखा के रूप में देखा जाता है।

नेतन्याहू ने ट्रंप की खाड़ी यात्रा के बाद अमेरिकी प्रशासन के साथ मतभेद की अटकलों को भी खारिज कर दिया, जिसमें इजरायल को शामिल नहीं किया गया था।

ट्रंप की सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा ने कई बड़े व्यापारिक सौदे किए। इसे लेकर मीडिया में कई तरह की बातें उठीं। खासकर वाशिंगटन के सबसे करीबी सहयोगी इजरायल को शामिल न किए जाने को लेकर तमाम सवाल खड़े किए गए।

यह यात्रा ट्रंप के यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ अमेरिकी बमबारी अभियान को समाप्त करने के निर्णय के बाद हुई।

नेतन्याहू, जिन्होंने पहले इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की थी, ने एक समाचार सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि: ” मैं इजरायल के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं।'”

इजरायल पर बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बीच, ट्रंप ने गाजा में युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करने और मानवीय सहायता सामग्री की राह बाधित न करने का आग्रह किया था।

कुछ दिनों पहले एक अलग बातचीत में, नेतन्याहू ने कहा था कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने उनसे कहा था: “हमारे बीच पड़ रही दरार को लेकर उठ रही सभी फर्जी खबरों पर ध्यान न दें’।

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अंतरराष्ट्रीय

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सच्चाई बताने संजय झा के नेतृत्व में जापान पहुंचा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल

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टोक्यो, 22 मई। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) सांसद संजय झा के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जापान पहुंचा है। यह दौरा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवाद के खिलाफ भारत सरकार के कदमों की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा करने के उद्देश्य से किया गया है। संजय झा ने इस संबंध में जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा की।

इसमें उन्होंने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जापान पहुंच चुका है। हमें यहां आकर बहुत खुशी हो रही है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आम लोगों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदम का हम समर्थन करते हैं।

जेडीयू सांसद ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कर कहा कि इस ऑपरेशन से आतंकवाद के प्रति भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति साफ जाहिर होती है। जापान और भारत आतंकवाद के खिलाफ एक साथ हैं और हम शांति की पैरोकारी करते हैं।

संजय झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में राजदूत मोहन कुमार, भाजपा सांसद डॉ. हेमांग जोशी, सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी, भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, भाजपा सांसद बृज लाल और भाजपा सांसद प्रदान बरुआ शामिल हैं।

यह वैश्विक अभियान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करेगा। जापान के बाद, सभी दक्षिण कोरिया (24 मई), सिंगापुर (27 मई), इंडोनेशिया (28 मई) और मलेशिया (31 मई) जाएंगे।

उनके आगमन पर, जापान में भारतीय राजदूत सिबी जॉर्ज ने नेताओं का स्वागत किया, जिन्होंने जापानी नेतृत्व और नागरिक समाज के साथ जुड़ाव के लिए रणनीतिक रोडमैप की रूपरेखा बताई।

बता दें कि भारत ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान का आतंकी चेहरा बेनकाब करने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है। यह सभी प्रतिनिधिमंडल 33 देशों में जाएंगे। इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जेडीयू सांसद संजय झा कर रहे हैं, जो अब जापान पहुंच चुके हैं, जबकि दूसरे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे कर रहे हैं, जो अबु धाबी पहुंच चुके हैं।

विदेश मंत्रालय ने इसके लिए प्रतिनिधिमंडल को 150 पन्नों का डोजियर भी सौंपा है, जिसमें पाकिस्तान के काले कारनामों का पूरा लेखा-जोखा है।

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अंतरराष्ट्रीय

अवामी लीग समर्थकों ने संयुक्त राष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किया, पार्टी से प्रतिबंध हटाने की मांग

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संयुक्त राष्ट्र, 20 मई। बांग्लादेश में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में उसके समर्थकों ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करे कि देश में लोकतंत्र फिर से कायम हो।

यूएसए अवामी लीग के अध्यक्ष सिद्दीक रहमान ने कहा, “मोहम्मद यूनुस की गैरकानूनी सरकार ने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि यह एक कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई पार्टी है।”

उन्होंने कहा कि अगर चुनाव संयुक्त राष्ट्र की मंशा के मुताबिक सभी को साथ लेकर कराए जाने हैं, तो अवामी लीग से प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए और उसे चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकतंत्र बहाल हो।

रहमान ने कहा कि भले ही यूनुस को नोबेल पुरस्कार मिला हो, लेकिन अब वह एक तानाशाह बन गए हैं। वह बिना चुनाव के सरकार चला रहे हैं और उन्होंने एक चुनी हुई वैध सरकार को हटा दिया है।

विरोध प्रदर्शन में बोलने वालों ने कहा कि अमेरिका को बांग्लादेश में लोकतंत्र फिर से बहाल करने की मांग करनी चाहिए।

यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया था।

पिछले सप्ताह बांग्लादेश चुनाव आयोग ने पार्टी का पंजीकरण रद्द कर दिया, जिससे वह चुनाव में भाग लेने के लिए अयोग्य हो गई।

बांग्लादेश ने चुनाव की तारीख तय नहीं की है।

विरोध प्रदर्शन के आयोजक प्रदीप कर ने कहा कि उन्होंने अपनी मांगों के साथ संयुक्त राष्ट्र को एक पत्र सौंपा है।

उन्होंने कहा कि शेख हसीना ‘वैध प्रधानमंत्री हैं’, जबकि यूनुस ने “जमात-ए-इस्लामी और आतंकवादियों” की मदद से सत्ता हासिल की है।

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