अंतरराष्ट्रीय
अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा का खराब फॉर्म, भारतीय टीम प्रबंधन के लिए चिंता का विषय
अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा भारतीय टेस्ट टीम की रीढ़ माने जाने वाले बल्लेबाज इन दिनों बुरे फॉर्म से गुजर रहे हैं, जिसके कारण उनको प्रशंसकों और विशेषज्ञों की आलोचना झेलनी पड़ रही है।
टीम के बड़े और अनुभवी खिलाड़ियों के अनुपस्थिति में, भारत को पुजारा और रहाणे से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उनकी असफलताओं का दौर कानपुर टेस्ट में भी जारी रहा। दोनों बल्लेबाजों को स्टार्ट तो मिली, लेकिन वे न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में बड़ा स्कोर बनाने में नाकाम रहे। ऐसा सिर्फ इस मैच में नहीं हुआ, बल्कि दोनों बल्लेबाज पिछले कुछ समय से संघर्ष कर रहे हैं। उनका खराब फॉर्म भारतीय टीम प्रबंधन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
रहाणे जब भी मध्यक्रम में आते हैं तो उनसे काफी उम्मीद की जाती है, लेकिन पिछली कुछ पारियों में उनका बल्ला खामोश रहा है, जिससे टीम को नुकसान भी उठाना पड़ा है।
एक समय था जब मुंबई में जन्मे क्रिकेटर विदेशी दौरों पर भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज थे। शायद यही कारण था कि उन्हें खेल के सबसे बड़े प्रारूप में विराट कोहली का डिप्टी नियुक्त किया गया। हालांकि, पिछले दो सालों में उनके लिए चीजें काफी बदल गई हैं।
2020 में एमसीजी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच जिताने वाले शतक को छोड़कर, उन्होंने कोई भी बड़ी पारी नहीं खेली है। इस वजह से अब उनको टीम से बाहर करने की भी बात सामने आ रही है।
भारत के टेस्ट उपकप्तान को क्या परेशानी हो रही है। इस पर विशेषज्ञों और पूर्व क्रिकेटरों ने अलग-अलग कारण बताए हैं।
भारत के पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण को लगता है कि दाएं हाथ के बल्लेबाज को टेस्ट क्रिकेट में उनके हालिया प्रदर्शन में फुटवर्क समस्या पैदा कर रहा है। वह खेलते समय बैकफुट और फ्रंटफुट की समस्या से जूझ रहे हैं। अगर आपके पैर जमीन पर टिके रहते हैं, तो आप क्रीज का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाते, इसलिए वह आउट हो रहे हैं।
इस बीच, न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान डेनियल विटोरी ने बताया है कि यह रहाणे के लिए एक मानसिक दबाव हो सकता है और अनुभवी खिलाड़ी को 3 दिसंबर से मुंबई में दूसरे टेस्ट में आराम देना चाहिए ताकि उन्हें रीसेट करने का समय मिल सके।
क्रिकेट में खराब फॉर्म से गुजरना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि हर क्रिकेटर जो बड़े स्तर पर खेल चुका है, इससे गुजरा है। हालांकि, रहाणे का मामला अलग है, क्योंकि वह आत्मविश्वास के साथ नहीं खेल रहे और इसलिए जल्दी आउट हो रहे हैं।
रहाणे की तुलना में चेतेश्वर पुजारा ने विदेशी दौरों पर अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन उनका प्रदर्शन भी खराब रहा है।
भारतीय टेस्ट बल्लेबाजी क्रम में चेतेश्वर एक चट्टान के रूप में माने जाते हैं, लेकिन पिछले दो सालों में उनका भी बल्ला खामोश रहा है। उनको डिफेंस करने में समस्या आ रही हैं और वह बार-बार इसी अंदाज में आउट हो रहे हैं। हालांकि, पिछले दो सालों में भारतीय टेस्ट टीम को कई बार बल्लेबाजी को लेकर नुकसान झेलना पड़ा है और नंबर 3 पुजारा की विफलता भी इसका एक प्रमुख कारण है।
साउथेम्प्टन में न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल में भारत के इस दिग्गज बल्लेबाज का खराब प्रदर्शन एक बहस का मुद्दा बन गया था। उनकी बल्लेबाजी को लेकर काफी आलोचना की गई थी। हालांकि, पुजारा ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में निडर होकर बल्ले से अच्छा प्रदर्शन किया।
इस पर पुजारा ने कहा, “हां, मुझे ऐसा लगता है कि निडर होकर खेलने से मेरे प्रदर्शन में फर्क आया था, इसमें कोई तकनीकी बड़ा बदलाव नहीं आया था। इसी ने मेरी बल्लेबाजी के दौरान मदद की।”
अंतरराष्ट्रीय
भारत ने अफगानिस्तान को फिर से भेजी मदद, जीवनरक्षक चिकित्सीय सहायता काबुल पहुंची

काबुल, 28 नवंबर : भारत हमेशा से अफगानिस्तान के लिए मजबूती से खड़ा रहा है। समय-समय पर मदद की खेप भेजता है। भारत ने निरंतर समर्थन को दोहराते हुए, शुक्रवार को अफगानिस्तान को 73 टन जीवनरक्षक दवाइयों, टीकों और आवश्यक पोषक सप्लीमेंट्स की खेप भेजी। यह सहायता अफगान स्वास्थ्य प्रणाली की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से काबुल पहुंचाई गई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, “अफगानिस्तान के स्वास्थ्य प्रयासों को मजबूती देते हुए भारत ने 73 टन जीवनरक्षक दवाइयां, टीके और आवश्यक सप्लीमेंट्स तत्काल चिकित्सा जरूरतों के लिए काबुल पहुंचाए हैं। अफगान लोगों के प्रति भारत का अटूट समर्थन जारी है।”
पिछले सप्ताह नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और अफगानिस्तान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी के बीच मुलाकात हुई थी। बैठक में व्यापार, संपर्क और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर विस्तृत चर्चा हुई।
जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अज़ीज़ी से मुलाकात कर खुशी हुई। व्यापार, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। अफगान जनता के विकास और कल्याण के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।”
इससे पहले भी भारत ने अफगानिस्तान के भूकंप प्रभावित परिवारों की मदद के लिए खाद्य सामग्री भेजी थी। बाल्ख, समनगन और बगलान प्रांतों में आए विनाशकारी भूकंप में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।
10 अक्टूबर को भारत ने अतिरिक्त खाद्य सहायता भी भेजी थी। उसी दिन विदेश मंत्री जयशंकर की अफगान समकक्ष मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से नई दिल्ली में मुलाकात हुई। बैठक में विकास सहयोग, व्यापार, अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता व स्वतंत्रता, आपसी संपर्क और क्षमता निर्माण जैसे मुद्दों पर वार्ता हुई।
जयशंकर ने मुत्ताकी की भारत यात्रा को “द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम” बताया और अफगानिस्तान को पांच एम्बुलेंस सौंपने की घोषणा भी की।
भारत की यह मानवीय सहायता अफगानिस्तान के लिए हाल के महीनों में की गई कई निरंतर मददों की नवीनतम कड़ी है, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और जन-संपर्क आधारित रिश्तों को मजबूत करती है।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान ने तीसरे देश के जरिए नहीं भेजा अमेरिका को कोई मैसेज, खामेनेई बोले-झगड़े बढ़ा रहा अमेरिका

तेहरान, 28 नवंबर : हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की। ट्रंप से मुलाकात के पहले क्राउन प्रिंस को ईरान की एक चिट्ठी मिली थी। इस चिट्ठी को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस चिट्ठी में अमेरिका के लिए एक मैसेज था। हालांकि, ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इन सभी दावों को मनगढ़ंत बताया है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार खामेनेई ने गुरुवार रात को टीवी पर दिए गए संदेश में मीडिया के इन सभी दावों को खारिज कर दिया। अफवाह थी कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सऊदी क्राउन प्रिंस को उनके यूएस दौरे से पहले जो मैसेज भेजा था, वह वॉशिंगटन के लिए था।
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा, “वे अफवाहें फैला रहे हैं कि ईरानी सरकार ने किसी तीसरे देश के जरिए अमेरिका को मैसेज भेजा है, जो सरासर झूठ है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेजेशकियन की चिट्ठी में कहा गया कि ईरान टकराव नहीं चाहता है। उसका मकसद क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करना है और वह कूटनीति के जरिए न्यूक्लियर विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है, बशर्ते उसके अधिकारों की गारंटी हो।
खामेनेई ने अपने भाषण के दौरान इजरायल के हमलों और अपराधों में अमेरिका के समर्थन की कड़ी आलोचना की। ईरानी सुप्रीम ने अमेरिका पर अपनी रणनीति और रिसोर्स के फायदे के लिए झगड़ों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर, ईरानी अधिकारियों ने पहले ही इस बात को साफ कर दिया था कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को जो चिट्ठी दी गई, वह सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर थी।
तेहरान और वॉशिंगटन ने इसी साल अप्रैल और जून के बीच ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और अमेरिकी बैन पर बातचीत की थी। दोनों पक्षों के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच राउंड की बातचीत हुई। इसके बाद छठे राउंड की बातचीत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उससे पहले ही इजरायल ने ईरान में कई जगहों पर अचानक हमले कर दिए।
इस हमले में ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिक और सीनियर कमांडर मारे गए। इसके बाद ईरान ने मिसाइल और ड्रोन से जवाबी कार्रवाई की।
22 जून को अमेरिकी सेना ने नतांज, फोर्डो और इस्फहान में ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया। ईरान ने अगले दिन कतर में अमेरिकी अल उदीद एयर बेस को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद ईरान और इजरायल के बीच 24 जून से सीजफायर लागू हुआ।
अंतरराष्ट्रीय
ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनिया को राहत? अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आज हो सकता है आखिरी फैसला!

नई दिल्ली, 6 नवंबर : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के साथ वैश्विक व्यापार जगत में उथल-पुथल मच गई। ट्रंप के टैरिफ को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि इसपर आखिरी फैसला भी आज आ जाए। वहीं, दूसरी ओर पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।
5 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई शुरू हुई, जिसमें अधिकांश जजों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए।
निचली फेडरल कोर्ट ने इससे पहले टैरिफ के मामले में फैसला सुनाया था कि ट्रंप के पास अमेरिका के कई व्यापारिक साझेदारों से आयात पर टैरिफ लगाने और कनाडा, चीन और मैक्सिको के उत्पादों पर फेंटानिल टैरिफ लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है। निचले कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बता दें, टैरिफ को लेकर करीब ढाई घंटे से ज्यादा कोर्ट में बहस चली। कोर्ट ने ट्रंप सरकार के टैरिफ के फैसले पर सवाल उठाए। जस्टिस सोनिया सोतोमयोर ने कहा, “आप कहते हैं कि टैरिफ टैक्स नहीं हैं, लेकिन वास्तव में वे टैक्स ही हैं। वे अमेरिकी नागरिकों से पैसा, राजस्व कमा रहे हैं।”
इस पर सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने कहा, “मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, यह एक नियामक टैरिफ है, टैक्स नहीं। यह सच है कि टैरिफ से राजस्व बढ़ता है और यह केवल आकस्मिक है।”
इसके अलावा जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा, “अगर मैं सही नहीं हूं तो मुझे सुधारें, लेकिन यह तर्क किसी भी देश के किसी भी उत्पाद पर, किसी भी मात्रा में, किसी भी अवधि के लिए टैरिफ लगाने की शक्ति के लिए दिया जा रहा है।”
जस्टिस रॉबर्ट्स की इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने तर्क दिया कि आईईईपीए राष्ट्रपति को इमरजेंसी की स्थिति के दौरान ‘आयात को विनियमित करने’ की इजाजत देता है।
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल के तर्क से जस्टिस एमी कोनी बैरेट सहमत नहीं थीं। उन्होंने सॉयर से कहा, “क्या आप संहिता में ऐसे किसी दूसरे स्थान या इतिहास में किसी दूसरे समय का जिक्र कर सकते हैं, जहां ‘आयात को विनियमित करना’ वाक्यांश का उपयोग टैरिफ लगाने का अधिकार देने के लिए किया गया हो?”
इसके अलावा, जस्टिस बैरेट ने कहा कि अगर कांग्रेस भविष्य में आपातकालीन टैरिफ पर किसी भी सीमा को मंजूरी देना चाहती है, तो उसे राष्ट्रपति के वीटो को पार करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।
जस्टिस बैरेट ने पूछा, “अगर कांग्रेस कहती है, ‘अरे, हमें यह पसंद नहीं है, इससे राष्ट्रपति को आईईईपीए के तहत बहुत ज्यादा अधिकार मिल जाते हैं,’ तो उसे आईईईपीए से उस टैरिफ शक्ति को वापस लेने में बहुत मुश्किल होगी, है ना?”
हालांकि, कोर्ट की तरफ से मामले में अब तक आखिरी फैसला सामने नहीं आया है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ वाले फैसले पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं।
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