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Saturday,20-December-2025
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मुंबई में वायु गुणवत्ता खराब; डॉक्टरों ने बाहर न निकलने की चेतावनी दी

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मुंबई: नई दिल्ली की तरह ही मुंबईकरों को भी सुबह की सैर, बगीचे में योग और हंसी-मज़ाक सेशन से डर लगने लगा है। गुरुवार को खराब और अस्वस्थ वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) विशेष रूप से चिंताजनक था, जिसमें पूरे दिन नंगी आँखों से भी कण दिखाई दे रहे थे। क्या बीएमसी की धूल कम करने की योजनाएँ सही समाधान हैं? “उम्मीद है कि नगर निगम बिना निगरानी के निर्माणों पर कार्रवाई कर सकता है।

दक्षिण मुंबई की निवासी और कार्यकर्ता रोटना दास ने कहा, “हमारे सुझाव/आपत्तियां अनसुनी कर दी गईं।” जहां तक ​​नागरिक निकाय का सवाल है, 25 दिसंबर तक इसकी टीमों ने 868 निर्माण स्थलों का दौरा किया और प्रदूषण नियंत्रण दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के लिए 28 को नोटिस जारी किए। गुरुवार को अपने विशेष अभियान के तहत बीएमसी ने जमा धूल को हटाने के लिए स्वीपर, वाटर स्प्रिंकलर, मिस्टिंग, एंटी-स्मॉग और अन्य मशीनों का उपयोग करके 263 किलोमीटर में फैली 128 सड़कों की सफाई की और उन्हें धोया। कुल 197 टन निर्माण मलबा और कचरा भी एकत्र किया गया और चूककर्ताओं से 97,100 रुपये का जुर्माना वसूला गया। बांद्रा की एक नागरिक कार्यकर्ता नाजिश शाह ने इन्हें अस्थायी उपाय बताते हुए आरोप लगाया कि सरकार नागरिकों के स्वास्थ्य से ज्यादा बुनियादी ढांचे के कामों को प्राथमिकता देती है।

सड़कों पर अधिक वाहन प्रदूषण बढ़ाते हैं- नाजिश शाह

शाह ने कहा, “अधिकारियों को बेहतर योजना बनानी चाहिए और एक ही समय में सड़कों की खुदाई और नए निर्माण की अनुमति नहीं देनी चाहिए। पूरे शहर में, प्रमुख सड़कें खोदी गई हैं और सड़क मार्ग से उपनगरों में यात्रा करने में एक घंटे से अधिक समय लगता है। सड़कों पर अधिक वाहन प्रदूषण बढ़ाते हैं।” शाह ने सार्वजनिक परिवहन पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया, जैसे कि बेस्ट बसों की संख्या बढ़ाना। तटीय सड़क के किनारे रहने वाले निवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि बीएमसी बढ़ते वायु प्रदूषण की शिकायतों पर ध्यान नहीं देती है।

महालक्ष्मी खाड़ी की निवासी जिया एस ने कहा, “एक महीने से मैं परियोजना इंजीनियरों को निर्माण के लिए जमा किए गए सीमेंट/रेत के ढेर के कारण धूल को हमारे घरों में प्रवेश करने से रोकने के लिए उपाय करने के लिए कह रही हूं। हालांकि, कोई कार्रवाई नहीं हुई है और निवासियों को सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है।” स्मॉग से वातस्फीति, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, श्वसन संक्रमण, आंखों में जलन और सर्दी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। ठंडी हवा में सांस लेने से गले और नाक के मार्ग भी सिकुड़ सकते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ और नाक बंद हो सकती है।

ठंड के मौसम और प्रदूषण के बीच सांस संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। पीडी हिंदुजा अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञ डॉ. लैंसलॉट पिंटो ने कहा, “सर्दियों के दौरान, रात के तापमान में गिरावट से ठंडी हवा की चादर बन जाती है जो निचले वायुमंडल में पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों को फंसा लेती है।” मुंबई सेंट्रल के वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सुलेमान लधानी ने कहा कि उन्होंने मरीजों के आने-जाने में 50% से अधिक की वृद्धि दर्ज की है, जिसका मुख्य कारण फ्लू जैसी बीमारी और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अस्थमा का बढ़ना है।

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में AQI के बिगड़ने की आशंका एक गंभीर चिंता का विषय है। “यह महत्वपूर्ण है कि लोग प्रदूषण के चरम घंटों के दौरान घर के अंदर रहें, एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और बाहर निकलते समय मास्क पहनें। बच्चों और बुजुर्गों सहित कमज़ोर समूहों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए,” उन्होंने कहा। नानावटी ~ मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन के निदेशक डॉ. सलिल बेंद्रे ने भी पुष्टि की कि सांस लेने में कठिनाई के लिए आउट पेशेंट विभाग में आने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है।

राजनीति

राज्यसभा सत्र की उत्पादकता रही 121 प्रतिशत, 8 विधेयक पारित, वंदे मातरम व चुनाव सुधार पर चर्चा

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नई दिल्ली, 19 दिसंबर: राज्यसभा के 269वें सत्र का शुक्रवार को समापन हो गया। इससे पहले राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने सदन को बताया कि इस सत्र में सदन का संसदीय कामकाज बेहतर रहा और सदन की उत्पादकता 121 प्रतिशत रही।

उन्होंने बताया कि संपूर्ण रूप से, सदन ने कुल लगभग 92 घंटे कार्य किया और इस सत्र की उत्पादकता 121 प्रतिशत रही। सत्र के समापन पर उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति ने सदन की कार्यवाही, उपलब्धियों और चुनौतियों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।

गौरतलब है कि सभापति के रूप में यह उनका पहला सत्र था। उन्होंने कहा कि सदन ने पांच दिनों तक देर तक बैठने या भोजनावकाश छोड़कर काम करने का निर्णय लिया गया, जिससे विधायी और अन्य कार्य सुचारू रूप से आगे बढ़ सके। इस सत्र में शून्यकाल में दिए गए नोटिसों की संख्या अभूतपूर्व रही।

राज्यसभा में प्रतिदिन औसतन 84 नोटिस प्राप्त हुए, जो पिछले दो सत्रों की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक है। शून्यकाल में प्रतिदिन औसतन 15 से अधिक मुद्दे उठाए गए, जो पिछले सत्रों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। इसके अलावा, सत्र के दौरान 58 स्टार्ड प्रश्न, 208 शून्यकाल सबमिशन, 87 स्पेशल मेंशन उठाए गए।

राज्यसभा में महत्वपूर्ण बहस हुईं। इनमें ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष और चुनाव सुधार पर चर्चा शामिल है। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर दो दिनों तक विशेष चर्चा हुई जिसमें 82 सदस्यों ने भाग लिया। चुनाव सुधार पर तीन दिनों तक चली बहस में 57 सदस्यों ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए।

विधायी कार्यों की बात करें तो सत्र के दौरान सदन ने 8 विधेयक पारित व वापस किए। जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 से संबंधित सांविधिक संकल्प को भी पारित किया। इसमें कुल 212 सदस्यों ने भाग लिया। वहीं, निजी सदस्यों के कार्य में भी अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई। सदन में इस सत्र में 59 निजी विधेयक पेश किए गए, जबकि निजी विधेयक एवं प्रस्ताव पर हुई चर्चा में 22 सदस्य शामिल हुए।

हालांकि, इस सब के बीच सभापति ने गुरुवार को कार्यवाही के दौरान विपक्षी सदस्यों के आचरण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नारेबाजी, तख्तियां दिखाना, मंत्री का उत्तर बाधित करना, कागज फाड़कर सदन के वेल में फेंकना- यह सब आचरण संसद सदस्यों के सम्मान के अनुरूप नहीं है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसी स्थिति भविष्य में दोहराई नहीं जाएगी। इसके साथ ही सभापति ने सभी सदस्यों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि उन्हें उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति के रूप में चुने जाने पर जो स्नेह और शुभकामनाएं मिलीं, वे उनके लिए प्रेरणास्रोत रहीं।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता सदन जेपी नड्डा, नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। सभापति ने सत्र समापन होने पर सभी सदस्यों और उनके परिवारों को क्रिसमस, नववर्ष तथा आने वाले लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू, पौष पर्व, उत्तरायण सहित सभी त्योहारों की शुभकामनाएं भी दीं।

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राजनीति

विकसित भारत-जी राम जी मनेरगा का सुधार नहीं: राहुल गांधी

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RAHUL GANDHI

नई दिल्ली, 19 दिसंबर: मनरेगा का नाम बदलकर विकसित भारत-जी राम जी करने पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत-जी राम जी मनेरगा का सुधार नहीं है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का यह बयान उस वक्त आया है जब विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन विधेयक ‘जी राम जी’ को भारी हंगामे के बीच 18 दिसंबर को लोकसभा में पारित कर दिया गया। यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 को निरस्त कर उसकी जगह लेगा। विपक्ष सरकार के इस कदम पर लगातार हमलावर है।

इसी कड़ी में शुक्रवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर आपत्ति जताई।

एक्स पर राहुल गांधी ने लिखा कि कल रात, मोदी सरकार ने एक ही दिन में मनरेगा के बीस साल खत्म कर दिए। विकसित भारत-जी राम जी मनरेगा का सुधार नहीं है। यह अधिकार-आधारित, मांग-आधारित गारंटी को खत्म कर देता है और इसे एक राशन वाली योजना में बदल देता है जिसे दिल्ली से कंट्रोल किया जाता है। यह डिजाइन से ही राज्य-विरोधी और गांव-विरोधी है। मनरेगा ने ग्रामीण मजदूरों को मोलभाव करने की ताकत दी। असली विकल्पों के साथ, शोषण और मजबूरी में पलायन कम हुआ, मजदूरी बढ़ी, काम करने की स्थिति में सुधार हुआ, और साथ ही ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और पुनरुद्धार भी हुआ।

यह वही ताकत है जिसे यह सरकार तोड़ना चाहती है। काम को सीमित करके और इसे मना करने के और तरीके बनाकर, विकसित भारत-जी राम जी उस एकमात्र साधन को कमजोर करता है जो ग्रामीण गरीबों के पास था। हमने देखा कि कोविड के दौरान मनरेगा का क्या मतलब था। जब अर्थव्यवस्था बंद हो गई और आजीविका खत्म हो गई, तो इसने करोड़ों लोगों को भूख और कर्ज में डूबने से बचाया और इसने महिलाओं की सबसे ज्यादा मदद की। साल दर साल, महिलाओं ने आधे से ज़्यादा मानव-दिवस में योगदान दिया है। जब आप किसी रोजगार कार्यक्रम में राशनिंग करते हैं, तो महिलाएं, दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और सबसे गरीब ओबीसी समुदाय सबसे पहले बाहर हो जाते हैं।

राहुल गांधी ने आगे लिखा कि सबसे बड़ी बात यह है कि इस कानून को बिना किसी ठीक से जांच-पड़ताल के संसद में ज़बरदस्ती पास कर दिया गया। बिल को स्थायी समिति को भेजने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया गया। एक ऐसा कानून जो ग्रामीण सामाजिक अनुबंध को बदलता है, जो करोड़ों मजदूरों को प्रभावित करता है, उसे कभी भी गंभीर समिति की जांच, विशेषज्ञ परामर्श और सार्वजनिक सुनवाई के बिना ज़बरदस्ती पास नहीं किया जाना चाहिए।

राहुल ने आगे लिखा कि पीएम मोदी के लक्ष्य साफ हैं, मजदूरों को कमजोर करना, ग्रामीण भारत, खासकर दलितों, ओबीसी और आदिवासियों की ताकत को कमजोर करना, सत्ता को केंद्रीकृत करना और फिर नारों को सुधार के रूप में बेचना। मनरेगा दुनिया के सबसे सफल गरीबी उन्मूलन और सशक्तीकरण कार्यक्रमों में से एक है। हम इस सरकार को ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा पंक्ति को नष्ट नहीं करने देंगे। हम इस कदम को हराने के लिए मजदूरों, पंचायतों और राज्यों के साथ खड़े होंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए देशव्यापी मोर्चा बनाएंगे कि इस कानून को वापस लिया जाए।

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राजनीति

लोकसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, 111 प्रतिशत रही सभा की उत्पादकता

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LOKSABHA

नई दिल्ली, 19 दिसंबर: लोकसभा का छठा सत्र शुक्रवार को औपचारिक रूप से अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र की कार्यवाही समाप्ति से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन को संबोधित करते हुए इस सत्र की उपलब्धियों, कार्य संस्कृति और सांसदों के सहयोग के लिए धन्यवाद व्यक्त किया।

ओम बिरला ने कहा कि हम 18वीं लोकसभा के छठे सत्र के अंत पर पहुंच चुके हैं। इस अवधि में सदन की 15 बैठकों का आयोजन किया गया। इस दौरान विभिन्न विधायी और अन्य कार्यों के चलते इस सत्र की उत्पादकता लगभग 111 प्रतिशत रही।

उन्होंने कहा, “माननीय सदस्यगण, अब हम 18वीं लोक लोकसभा के छठे सत्र की समाप्ति की ओर आ गए हैं। इस सत्र में हमने 15 बैठकें कीं। आप सभी के सहयोग से इस सत्र में सभा की उत्पादकता लगभग 111 प्रतिशत रही। इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं।”

अध्यक्ष ने आगे सभी सदस्यों से निवेदन किया कि वे ‘वंदे मातरम’ की धुन के सम्मान में अपने स्थान पर खड़े हों। इसके बाद औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाती है।

अनिश्चितकालीन स्थगन का अर्थ है कि अब इस सत्र की कोई अगली बैठक नहीं होगी। अगला सत्र केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति की अनुमति से बुलाया जाएगा।

ओम बिरला ने एक्स पोस्ट में लिखा, “18वीं लोकसभा के छठे सत्र का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह सत्र 1 दिसंबर, 2025 को आरंभ हुआ जिसमें कुल 15 बैठकें आयोजित हुई। सभी माननीय सदस्यों के सहयोग से सदन की उत्पादकता 111 प्रतिशत के करीब रही। सदन की कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए माननीय प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, सत्ता पक्ष एवं प्रतिपक्ष के सभी माननीय सदस्यों, लोक सभा सचिवालय तथा मीडिया के प्रति हार्दिक आभार।

बता दें कि संसद सत्र के आखिरी दिन भी संसद परिसर में विपक्षी दलों का विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला। विपक्षी सांसदों ने मनरेगा का नाम बदलने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान, सांसदों ने ‘मनरेगा को मत मारो’ के नारे भी लगाए।

ज्ञात हो कि विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन विधेयक ‘जी राम जी’ को भारी हंगामे के बीच गुरुवार को लोकसभा में पारित कर दिया गया। यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 की जगह लेगा। सरकार के इस फैसले के खिलाफ विपक्ष लामबंद है और प्रदर्शन कर रहा है।

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