अपराध
बहराइच में 2 नाबालिग की हत्या के बाद शख्स ने परिवार संग खुद को लगाई आग, 6 की मौत

बहराइच, 1 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश के बहराइच से एक सनसनीखेज वारदात सामने आई है। यहां एक सिरफिरे व्यक्ति ने पहले दो नाबालिग बच्चों की हत्या कर दी और फिर शिनाख्त छिपाने के लिए अपने परिवार समेत घर में आग लगा दी। इस भीषण घटना में आरोपी विजय समेत कुल 6 लोगों की मौत की जानकारी है।
यह घटना बहराइच के थाना रामगांव इलाके के टेपरहा गांव की है। ग्रामीणों का कहना है कि आरोपी विजय ने पहले दो बच्चों की हत्या की, फिर अपनी पत्नी और अपने दो बच्चों समेत खुद को घर में बंद कर आग लगा ली। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस और दमकल विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं और आग बुझाने के बाद अब तक तीन शवों को बाहर निकाला जा चुका है।
एक ग्रामीण ने मिडिया को बताया कि आरोपी विजय ने गांव के ही दो बच्चों, विजय और शनि, का कत्ल किया था। इसके बाद उसने अपने घर में आग लगाई। विजय और उसकी पत्नी और दो बच्चे आग लगने से मरे हैं।
टेपरहा गांव के पूर्व प्रधान सलीम ने बताया कि उन्हें सुबह करीब 10 बजे घटना के बारे में पता चला। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंचने के बाद देखा कि घर में आग लगी हुई थी और स्थानीय लोग आग बुझा रहे थे। पुलिस की मौजूदगी में घर का दरवाजा तोड़ा गया। अंदर से तीन शव बाहर निकाले गए।
पूर्व प्रधान के अनुसार, एक ग्रामीण ने मिडिया को बताया धारदार हथियार से कत्ल किया था। दोनों बच्चों के शरीर पर कई जगह निशान थे। विजय ने अपने ही घर पर दोनों बच्चों की हत्या की थी। इसके बाद उसने घर में आग लगाई थी।
ग्रामीणों का कहना है कि विजय के साथ अन्य लोगों की कोई पुरानी रंजिश नहीं थी। वह बच्चों को घर पर बुलाकर लाया था। फिलहाल, इस पूरी घटना के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है।
पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और घटना के कारणों का पता लगाने में जुटे हैं।
अपराध
मुंबई के मलाड में नकली पुलिस वाहन और वर्दी के साथ शूटिंग, 5 के खिलाफ .मामला दर्ज

मुंबई, 1 अक्टूबर: मुंबई के मलाड (पश्चिम) इलाके में बिना अनुमति के नकली पुलिस वाहन और वर्दी का इस्तेमाल कर शूटिंग कर रही एक फिल्म क्रू को बांगुर नगर पुलिस ने पकड़ा।
इस मामले में पांच लोगों, अंजलि अनुज छाबड़ा, रितेश कौल, ऋषि सक्सेना, रमेश और मुदस्सिर सरवर शेख के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 205, 223 और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार, बांगुर नगर थाने में तैनात अधिकारी देवेंद्र थोराट और उनके सहकर्मी प्रशांत बोरकुट रात की ड्यूटी के बाद घर लौट रहे थे। तभी उन्होंने अरुणा आसफ अली रोड पर एक इमारत के सामने संदिग्ध सफेद बोलेरो गाड़ी देखी, जिस पर महाराष्ट्र पुलिस का लोगो लगा था। पास जाकर देखने पर एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में गाड़ी के बोनट पर खड़ा था और एक कैमरामैन पास खड़ी इनोवा गाड़ी से दृश्य फिल्मा रहा था। शक होने पर पुलिस ने तुरंत पूछताछ शुरू की।
पूछताछ में अंजलि छाबड़ा ने बताया कि वह रितेश कौल की कंपनी ‘रोज़ ऑडियो विजुअल्स’ के लिए कंटेंट क्रिएटर है और वे एक जागरूकता वीडियो बना रहे थे। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि उनके पास शूटिंग की कोई आधिकारिक अनुमति नहीं थी। पुलिस ने पाया कि वर्दीधारी व्यक्ति ऋषि सक्सेना था, इनोवा का चालक रमेश, कैमरामैन रेहान और बोलेरो का चालक मुदस्सिर सरवर शेख था। पूरी टीम को पूछताछ के लिए थाने ले जाया गया।
पुलिस ने बताया कि बिना अनुमति सार्वजनिक स्थान पर शूटिंग करना और पुलिस की वर्दी और वाहन का दुरुपयोग करना गंभीर अपराध है। मामले की गहन जांच शुरू की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वीडियो का उद्देश्य क्या था और क्या इसके पीछे कोई विशेष एजेंडा था। पुलिस ने चेतावनी दी है कि इस तरह के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अपराध
मुंबई: पहलगाम आतंकी हमले के नाम पर 70 लाख की ठगी, बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया

मुंबई, 1 अक्टूबर : मुंबई के परेल इलाके में एक सनसनीखेज डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है। ठगों ने 73 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक और आदित्य बिड़ला ग्रुप के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर को निशाना बनाया।
ठगों ने दावा किया कि कश्मीर के पहलगाम में हुए कथित आतंकी हमले की जांच में पीड़ित का नाम सामने आया है। इस झूठे आरोप और गिरफ्तारी के डर से पीड़ित ने अपनी जीवनभर की कमाई में से 70 लाख रुपये ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दिए।
मुंबई के आरएके मार्ग पुलिस स्टेशन ने तीन अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 204, 205, 308(2), 308(3), 318(2), 319(2), 336(2), 340(2), 3(5) और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के अनुसार, पीड़ित को एक महिला का फोन आया, जिसने खुद को दिल्ली के एटीएस कंट्रोल रूम की अधिकारी विनीता शर्मा बताया। उसने दावा किया कि पीड़ित के मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों में हुआ है। इसके बाद एक वीडियो कॉल पर खुद को आईजी प्रेमकुमार गौतम बताने वाला व्यक्ति पुलिस वर्दी में दिखा। उसने पीड़ित को गिरफ्तारी, बैंक खाता सीज करने और पासपोर्ट ब्लॉक करने की धमकी दी। ठगों ने पीड़ित से उनकी राजनीतिक विचारधारा, आय, बैंक खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट, स्टॉक होल्डिंग्स और पत्नी की जानकारी हासिल की।
ठगों ने आरबीआई के फर्जी नियमों का हवाला देकर कहा कि पीड़ित के पैसे को “व्हाइट मनी” प्रमाणित करना होगा। इस झांसे में आकर पीड़ित ने तीन अलग-अलग खातों में 70 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। ठगों ने व्हाट्सऐप पर फर्जी आरबीआई पावती भी भेजी।
साथ ही, पीड़ित के मोबाइल, उनकी पत्नी के फोन और घर के कंप्यूटर को निगरानी में रखने की बात कहकर बंद करवा दिया और किसी से संपर्क न करने का निर्देश दिया। इससे पीड़ित मानसिक तनाव में आ गए।
28 सितंबर को ठगों ने 1 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट ट्रांसफर करने का दबाव बनाया। तब पीड़ित को ठगी का शक हुआ और उन्होंने आरएके मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। मुंबई साइबर क्राइम विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया है। पुलिस ने ठगों के व्हाट्सएप संदेश, ऑडियो रिकॉर्डिंग और बैंक विवरण जब्त कर लिए हैं। साइबर ट्रेल और बैंक खातों के जरिए आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए जांच तेज कर दी गई है।
अपराध
धोखाधड़ी मामले में उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के पूर्व प्रबंधक और 5 अन्य दोषी करार, सीबीआई कोर्ट ने सुनाई सजा

देहरादून, 30 सितंबर। सीबीआई कोर्ट देहरादून ने मंगलवार को उत्तराखंड ग्रामीण बैंक, देहरादून के पूर्व मैनेजर लक्ष्मण सिंह रावत और पांच अन्य व्यक्तियों को बैंक धोखाधड़ी के गंभीर मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।
कोर्ट ने लक्ष्मण सिंह रावत को दो साल की सजा और 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया, जबकि अन्य पांच आरोपियों (माकन सिंह नेगी, कलम सिंह नेगी, संजय कुमार, आरसी आर्य और मीना आर्य) को एक-एक साल की सजा और 10,000 रुपए जुर्माना देने का आदेश दिया।
यह मामला 24 फरवरी 2010 को तब दर्ज किया गया जब उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी ने एक लिखित शिकायत सीबीआई को सौंपी। शिकायत में बताया गया कि बैंक के तत्कालीन प्रबंधक लक्ष्मण सिंह रावत ने 1,23,49,842 रुपए की अवैध डेबिट एंट्री की थी। उन्होंने यह राशि बैंक के हेड ऑफिस के खाते से निकालकर प्रेम नगर शाखा के माध्यम से 6 अलग-अलग लोन खातों में ट्रांसफर कर दी, जो सभी निजी व्यक्तियों या संस्थाओं से संबंधित थे।
सीबीआई ने जांच के बाद पाया कि यह सारा लेनदेन जानबूझकर और योजना के तहत किया गया था, जिससे बैंक को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद 1 अप्रैल 2011 को लक्ष्मण सिंह रावत और पांच अन्य व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद सीबीआई विशेष न्यायालय, देहरादून ने सभी आरोपियों पर आरोप तय किए और ट्रायल शुरू किया गया। मामले की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलीलें सुनी गईं और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को दोषी ठहराया।
सीबीआई ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी प्रकार की बैंकिंग धोखाधड़ी की जानकारी तुरंत संबंधित विभाग या एजेंसी को दें ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।
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