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अफगान सरकार को लगता है कि तालिबान को मनाने के लिए पाक के पास कुछ जादुई शक्तियां हैं : इमरान

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान सरकार इस्लामाबाद को लेकर बेहद आलोचनात्मक हो रही है, उसे लगता है कि पाकिस्तान के पास तालिबान को मनाने के लिए कुछ जादुई शक्तियां हैं। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि वास्तव में तालिबान को राजी करना ज्यादा मुश्किल हो गया है।

उन्होंने कहा, “अब, तालिबान पर हमारा प्रभाव बहुत कम है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने अमेरिकियों के खिलाफ जीत हासिल की है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के फोन कॉल पर विवाद के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं सुनता रहता हूं कि राष्ट्रपति बाइडेन ने मुझे कॉल नहीं किया है। यह उनका बिजनेस है। ऐसा नहीं है कि मैं किसी फोन कॉल की प्रतीक्षा कर रहा हूं।”

खान की टिप्पणी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ के यह कहने के कुछ दिनों बाद आई है कि यदि बाइडन उनके नेतृत्व की अनदेखी करते रहे तो पाकिस्तान के पास अन्य विकल्प हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अगस्त तक अमेरिकी सैनिकों के पूरी तरह से संघर्ष प्रभावित देश से बाहर निकलने के बाद पाकिस्तान तालिबान को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को सुरक्षित करने के लिए तुर्की के साथ सीधी बातचीत करने के लिए मनाएगा।

प्रधानमंत्री आवास में विदेशी मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हम तुर्की और तालिबान के लिए आमने-सामने बातचीत करने के लिए सबसे अच्छी कोशिश करेंगे, ताकि दोनों काबुल हवाई अड्डे को सुरक्षित करने के कारणों के बारे में बात कर सकें।”

वह एक पत्रकार द्वारा सरकार की स्थिति के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे जब तुर्की ने काबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए खुद, पाकिस्तान और हंगरी को शामिल करने वाले एक नए संयुक्त मिशन का प्रस्ताव रखा था।

खान ने बुधवार को तुर्की के रक्षा मंत्री हुलुसी अकार के साथ अपनी बैठक का उल्लेख किया, इस दौरान उन्होंने अफगानिस्तान सहित क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा, “हम तालिबान से भी बात करेंगे और अपने प्रभाव (तुर्की सरकार के साथ बैठक के लिए) का इस्तेमाल करेंगे।”

अंतरराष्ट्रीय समाचार

न्यूयॉर्क की महिला पर लगा भारतीयों को कनाडा-अमेरिका बॉर्डर पार कराकर स्मगलिंग करने का आरोप

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वाशिंगटन, 6 दिसंबर: अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य के उत्तरी भाग में रहने वाली 42 वर्षीया महिला, स्टेसी टेलर, पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को अवैध रूप से अमेरिका में घुसाने वाले गिरोह में शामिल होने का आरोप लगा है। आरोप है कि इंटरनेशनल ह्यूमन स्मगलिंग नेटवर्क में सक्रिय यह गिरोह मुख्य रूप से भारत के नागरिकों को इस वर्ष कई बार गैर-कानूनी तरीके से यूएस-कनाडा सीमा पार करा रहा था।

स्टेसी टेलर को सोमवार को अदालत में पेश किया गया। इससे पहले 2 अक्टूबर को अल्बानी की एक संघीय जूरी ने उनके विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था। उन पर साजिश के तहत अवैध ढंग से लोगों को सीमा पार कराने का एक आरोप और लाभ कमाने के उद्देश्य से लोगों की तस्करी करने के चार आरोप लगे हैं। इनमें से तीन आरोप दोहराए गए अपराध माने गए हैं। अगर वह दोषी पाई जाती हैं, तो उन्हें फायदे के लिए की गई हर स्मगलिंग के लिए कम से कम पांच साल जेल की सजा होगी, और बार-बार अपराध करने पर अतिरिक्त सजा भी मिलेगी।

अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, 20 जनवरी को सीमा सुरक्षा अधिकारियों ने न्यूयॉर्क के चुरूबस्को क्षेत्र के पास भोर में उनकी कार रोकी। कार में चार विदेशी नागरिक मिले, जिसमें तीन भारतीय और एक कनाडाई था। जांच में पता चला कि ये लोग बिना जांच-पड़ताल कराए गैर-कानूनी तरीके से यूएस-कनाडा बॉर्डर पार करके आए थे।

टेलर के मोबाइल फ़ोन की जांच में कई टेक्स्ट मैसेज मिले, जिनसे पता चला कि वह इससे पहले भी ऐसे कई अवैध कामों में शामिल रही थीं। अधिकारियों का कहना है कि जनवरी में पकड़े जाने के बाद भी अगस्त 2025 में वह एक और संदिग्ध तस्करी मामले में रोकी गई और सितंबर 2025 में भी उनका नाम ऐसी ही गतिविधि में सामने आया।

इन आरोपों की घोषणा जस्टिस डिपार्टमेंट के क्रिमिनल डिवीजन के एक्टिंग असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल मैथ्यू आर. गैलेओटी और न्यूयॉर्क के नॉर्दर्न डिस्ट्रिक्ट के यूएस अटॉर्नी जॉन ए. सरकोन III ने की।

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका-कनाडा की उत्तरी सीमा पर अवैध रूप से घुसने की घटनाएं बढ़ी हैं, विशेषकर भारत से आने वाले प्रवासियों से सम्बन्धित मामलों में। तस्करी करने वाले गिरोह अब दूर-दराज़ और बर्फीले इलाकों का इस्तेमाल कर लोगों को अमेरिका में प्रवेश कराने की कोशिश करते हैं। 2022 से इस सीमा पर अवैध प्रवेश लगातार बढ़ रहा है, जिसके कारण गश्त और दोनों देशों के बीच सहयोग और सख्त कर दिया गया है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

संयुक्त राष्ट्र ने दिया दिव्यांग लोगों के प्रति सोच बदलने पर जोर

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संयुक्त राष्ट्र, 4 दिसंबर: संयुक्त राष्ट्र के एक वैश्विक प्रतिनिधि ने दिव्यांग लोगों को सशक्त बनाने के लिए सोच बदलने की जरूरत पर जोर दिया।

न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाइल्स ड्यूली ने कहा कि तीन साल तक दिव्यांग व्यक्तियों के यूएन ग्लोबल एडवोकेट के तौर पर उनके अधिकारों की वकालत करने के बाद भी उन्हें लगता है कि वे उनकी आवाज दुनिया तक नहीं पहुंचा पाए। यह उनके कार्यकाल का अंतिम दिन था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल डे ऑफ़ पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज पर उन्होंने कहा कि दिव्यांग लोगों के प्रति सोच की वजह से सिस्टम फेल हो रहा है। दिव्यांगों को आज भी बोझ की तरह देखा जाता है, जो एक बड़ी समस्या है।

डूली, जिन्होंने अफगानिस्तान में तीन अंग खो दिए थे, बोले कि दिव्यांगता को “प्रेरणा की कहानी” बनाकर पेश करना गलत है।

अफगानिस्तान में अपने तीन हाथ-पैर खोने वाले ड्यूली ने कहा, “जब भी मुझे संयुक्त राष्ट्र या किसी संस्था में बोलने बुलाया जाता है, लोग कहते हैं कि एक प्रेरक भाषण दीजिए। लेकिन मेरा काम लोगों को प्रेरित करना नहीं है। मेरा काम सच्चाई बताना है और सच्चाई यह है कि दिव्यांग लोगों के हालात जमीन पर आज भी नहीं बदले। मुश्किलों में हमेशा वही लोग पीछे छूट जाते हैं जो पहले से समाज में हाशिये पर हैं।”

उन्होंने कहा कि खिलाड़ी या पर्वतारोहियों की प्रेरक कहानियाँ अच्छी लगती हैं, पर वे ज्यादा लोगों की हकीकत नहीं हैं। वास्तविकता यह है कि ऐसे लोग तभी आगे बढ़ पाते हैं जब उनके सामने की रुकावटें हटाई जाती हैं।

डूली ने कहा कि हमें दिव्यांगों को न तो दया का पात्र समझना चाहिए और न ही उन्हें प्रेरणा के तौर पर भी देखना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमें सिर्फ यह समझना है कि समाज ने ही उनके रास्ते में बाधाएं खड़ी की हैं। हमारा काम है इन बाधाओं को हटाना और उन्हें खुद को सशक्त करने का मौका देना।”

इंटरनेशनल डे के लिए एक मैसेज में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने संदेश दिया कि दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में पूरी तरह शामिल करना बहुत ज़रूरी है।

उन्होंने कहा, “दिव्यांग लोग समाज में बदलाव ला रहे हैं, इनोवेशन को लीड कर रहे हैं, नीतियों को प्रभावित कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। परंतु ज्यादातर समय उन्हें फैसले लेने की जगह पर शामिल ही नहीं किया जाता। दिव्यांग व्यक्तियों को शामिल किए बिना स्थायी विकास संभव नहीं।”

गुटेरेस ने बताया कि आज भी भेदभाव, गरीबी और असुलभ सेवाएं जैसी कई रुकावटें दुनिया के एक अरब से ज्यादा दिव्यांग लोगों की भागीदारी रोकती हैं।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

वेनेजुएला में ड्रग तस्करों पर जमीन से हमला करेगा अमेरिका, ट्रंप के फैसले पर उठे सवाल

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वॉशिंगटन, 3 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला पर जल्द ही हमला करने के संकेत दे दिए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस कैबिनेट मीटिंग में कहा कि उनकी सरकार बहुत जल्द ड्रग तस्करों को टारगेट करते हुए जमीन पर हमले शुरू करेगी।

ट्रंप ने मंगलवार को मीटिंग में कहा, “हम जमीन पर ये हमले शुरू करने जा रहे हैं। जमीनी हमला बहुत आसान है और हम जानते हैं कि ड्रग तस्कर कौन से रास्ते अपनाते हैं।”

राष्ट्रपति ट्रंप ने गुरुवार रात अमेरिकी सैनिकों को दिए अपने थैंक्स गिविंग स्पीच में, एयर फोर्स के 7वें बॉम्ब विंग को वेनेज़ुएला के ड्रग तस्करों को रोकने के लिए उनके कामों की सराहना की। बता दें, बॉम्ब विंग अमेरिकी वायु सेना की एक सैन्य इकाई है, जो बम बरसाने वाले विमानों का संचालन करती है।

अपने भाषण के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐलान किया, “समुद्र के रास्ते लगभग 85 फीसदी तस्करी रोक दी गई है और हम उन्हें जमीन के रास्ते रोकना शुरू करेंगे।”

इससे पहले गुरुवार रात राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों को दिए अपने थैंक्सगिविंग स्पीच में वेनेजुएला के ड्रग तस्करों को रोकने के लिए एयर फोर्स के सातवें बॉम्ब विंग के कामों की सराहना की थी। बॉम्ब विंग अमेरिकी वायु सेना की एक सैन्य इकाई है, जो बम बरसाने वाले विमानों का संचालन करती है।

अपने भाषण के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐलान किया, “समुद्र के रास्ते लगभग 85 फीसदी तस्करी रोक दी गई है और हम उन्हें जमीन के रास्ते रोकना शुरू करेंगे।”

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2 सितंबर से पेंटागन ने कैरिबियन और पूर्वी प्रशांत महासागर में ड्रग तस्करी से जुड़े जहाजों पर कम से कम 21 ज्ञात हमले किए हैं। इन हमलों में जहाज पर सवार कम से कम 83 लोग मारे गए।

पिछले कुछ महीनों में वॉशिंगटन ने यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड समेत करीब एक दर्जन वॉरशिप और करीब 15,000 सैनिकों को कैरेबियन सागर में तैनात किया गया है। यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड एक बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है।

इसकी कोस्टलाइन का एक बड़ा हिस्सा वेनेजुएला से मिलता है। इस इलाके में कम से कम बीते तीन दशकों से इतनी भारी संख्या में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी नहीं देखी गई।

कई अमेरिकी सांसदों और आलोचकों ने सवाल उठाया है कि क्या सच में काउंटर नारकोटिक्स ही अमेरिका का एकमात्र मकसद है? इसके साथ ही अमेरिकी सांसदों ने यह भी पूछा कि क्या कैरेबियन सागर में अमेरिकी सैन्य हमले कानूनी हैं?

इससे पहले वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने ड्रग्स के धंधे से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया था। राष्ट्रपति मादुरो ने ट्रंप पर उनके देश में सरकार बदलने के मकसद से युद्ध की साजिश रचने का आरोप लगाया है।

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